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ब्रेस्ट कैंसर से बचने के सबसे बेस्ट उपाय

 ब्रेस्ट कैंसर से बचने के सबसे बेस्ट उपाय

Medically reviewed by : Dr. N. K. Nagar M. B. B. S. 
ब्रेस्ट कैंसर Breast cancer भारत समेत पूरी दुनिया की महिलाओं में होने वााला  कैंसर बहुत ही आम प्रकार हैं । भारत सरकार के नेशनल हेल्थ पोर्टल के अनुसार महिलाओं में कुल कैंसर के लगभग 14 प्रतिशत मामले ब्रेस्ट कैंसर के होते हैं ।

 और भारत में महिलाओं की कैंसर से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण भी ब्रेस्ट कैंसर ही हैं । 

ब्रेस्ट कैंसर से होने वाली 90 प्रतिशत महिलाओं की मौतों का कारण भी महिलाओं द्वारा ब्रेस्ट कैंसर को शुरुआती अवस्था में नहीं पहचान पाना है ।

 यदि महिलाएं शुरुआती अवस्था में ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों को पहचान लें तो ब्रेस्ट कैंसर से होने वाली मौतों को बहुत तेजी से नियंत्रित किया जा सकता है और महिला कैंसर मुक्त स्वस्थ खुशहाल जीवन जी सकती हैं । आईए जानते हैं उन कदमों के बारे में जिनको जानकर महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से बचने के सबसे बेस्ट उपाय अपना सकती हैं।

ब्रेस्ट कैंसर
ब्रेस्ट कैंसर


ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआत कैसे होती है 


महिलाओं के स्तन का मुख्य कार्य दुग्ध उत्पादन करना है और ये काम स्तन में मौजूद ऊतक और दुग्ध उत्पादक ग्रन्थियां करती हैं । 

ये दुग्ध ग्रंथियां सीधे निप्पल से जुड़कर दूध बाहर लाती हैं । इसके अलावा मांस,रक्त नलिकाएं,अन्य दूसरे ऊतक और कुछ लिंफेटिक चैनल होते हैं जो स्तन को संपूर्ण रुप प्रदान करते हैं ।

जब ब्रेस्ट की दूध नलिकाओं में और स्तन के ऊतकों में  कैल्सिफिकेशन या अन्य कारणो से कुछ रुकावट पैदा हो जाती हैं तो धिरें स्तन में गांठ बनना शुरू हो जाती हैं जब यह गांठ  धीरे-धीरे बढ़कर अनियंत्रित होकर बढ़ने लगती हैं तो यह ब्रेस्ट कैंसर बन जाता हैं। 


ब्रेस्ट कैंसर की प्रथम स्टेज


ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआती अवस्था में कैंसर दुग्ध ग्रंथियों और स्तन के ऊतकों तक ही सीमित रहता है ।


 इस स्तर के ब्रेस्ट कैंसर में ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षण उभरने लगते हैं ।इस अवस्था में कैंसर पहचान देने पर ब्रेस्ट कैंसर का इलाज संभव होता हैं और मरीज स्वस्थ, खुशहाल जीवन जी सकता है ।


 सेकंड स्टेज ब्रेस्ट कैंसर


इस अवस्था में कैंसर दुग्ध ग्रंथियों से फैलकर स्तन के स्वस्थ ऊतकों और लिंफेटिक नोड तक पंहुचने लगता हैं ।

 रेडियोथेरपी, किमोथेरेपी,इम्युनोथैरेपी आदि द्वारा सेकेंड स्टेज कैंसर को नियंत्रित किया जा सकता है ।  


थर्ड स्टेज ब्रेस्ट कैंसर


थर्ड स्टेज कैंसर ब्रेस्ट से आगे निकलकर हड्डियों, फेफड़ों, मस्तिष्क,नाक ,कान,गले, समेत शरीर के अन्य अंगों तक फैल जाता हैं ।

 कैंसर विशेषज्ञ को इस स्तर के कैंसर को नियंत्रित करने में बहुत मुश्किल होती हैं क्योंकि कैंसर कोशिकाएं लगभग हर अंग तक पहुंच चुकी होती हैं । 


ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण


✓ स्तन के किसी भाग में गांठ बनना

✓ स्तन के पास स्थित बांहों में गांठ उभरना

✓स्तन के आकार में अचानक से बदलाव होना

✓ स्तनों से खून निकलना या साफ पानी जैसा द्रव निकलना

✓ स्तन लाल होना या निप्पल का लाल होना

✓ स्तन की त्वचा में खिंचाव होना,जलन होना 

✓ स्तन का अलग अलग भागों में फटा हुआ दिखाई देना

✓ स्तन की त्वचा बहुत सख्त लगना

✓ छूने पर स्तन में दर्द होना



ब्रेस्ट कैंसर के कारण


अनियमित मासिक धर्म Irregular menstrual period


जिन महिलाओं में मासिक धर्म बहुत अनियमित होता हैं ऐसी महिलाएं स्तन कैंसर की सबसे जोखिम अवस्था वाली में होती हैं।


 आंकड़ों की मानें तो भारत में हर पांचवीं महिला अनियमित मासिक धर्म का शिकार होती हैं किन्तु सामाजिक वर्जनाओं के कारण समस्या बहुत अधिक नहीं बढ़ने तक महिलाएं घर के सदस्यों को भी इस बारे में नहीं बताती हैं फलस्वरूप महिला कैंसर की शुरुआती स्टेज को पार कर जाती हैं।

 अतः यदि 12 साल की उम्र से बहुत पहले मासिक धर्म हो, महिला का मासिक धर्म लगातार अनियमित हो और 5 दिन से अधिक हो,तो यह स्थिति ब्रेस्ट कैंसर का कारण बन सकती हैं ।


आनुवंशिक कारण से ब्रेस्ट कैंसर

जिन महिलाओं की माता,बहन को ब्रेस्ट कैंसर या अन्य प्रकार का कैंसर होता हैं ऐसी महिलाओं को कैंसर अन्य दूसरी महिलाओं की तुलना में दुगनी रफ्तार से होता हैं ।


 विशेषज्ञों के अनुसार आनुवंशिक स्तन कैंसर का मुख्य कारण एक जीन BRCA 1 और BRCA 2 होता हैं जो स्तन कैंसर को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित करता हैं ।

भारत में ब्रेस्ट कैंसर से ग्रस्त लगभग 10 प्रतिशत महिलाओं में कैंसर का पारिवारिक इतिहास ही मुख्य कारण होता है ।

हार्मोन असंतुलन की वजह से ब्रेस्ट कैंसर

जिन महिलाओं में हार्मोन असंतुलन होता हैं ऐसी महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की उच्च जोखिम वाली अवस्था में होती हैं उदाहरण के लिए एस्ट्रोजन हार्मोन लेवल का बहुत अधिक होना, गर्भनिरोधक गोलियों का अधिक इस्तेमाल करना , हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी करवाने वाली महिलाएं ।


स्तनों की विशेष बनावट

जिन महिलाओं के स्तनों में घने ऊतकों वाली संरचना होती हैं ऐसी महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की जोखिम वाली अवस्था में होती है । उदाहरण के लिए यूरोप, अमेरिका,भारत समेत एशिया के कुछ भागों में रहने वाली  महिलाओं में स्तन कैंसर अफ्रीकी महिलाओं की तुलना में अधिक होता हैं ।


शराब तम्बाकू के सेवन से ब्रेस्ट कैंसर

जो महिलाएं शराब तम्बाकू या अन्य किसी भी प्रकार के नशे की आदी हैं ऐसी महिलाओं में स्तन कैंसर होने की संभावना उन महिलाओं से तीन गुनी होती हैं जो किसी भी प्रकार के नशे की आदी नहीं है ।

इसके अलावा अधिक मोटापा, स्तनों को आकर्षक दिखाने के लिए की गई सर्जरी, अधिक उम्र में गर्भधारण, बच्चों को जन्म से छः माह से कम तक स्तनपान कराना स्तन कैंसर का प्रमुख कारण होता हैं ।


ब्रेस्ट कैंसर से बचने के सबसे बेस्ट उपाय


✓ प्रत्येक महिला नियमित अंतराल पर आईने के सामने खड़ी होकर और बिस्तर पर सीधे लेटकर अपने स्तनों की जांच अवश्य करें इस विधि को "ब्रेस्ट कैंसर सेल्फ एक्जामिनेशन"कहते हैं।

 इसमें महिलाएं स्तन में अनियमित उभार, गांठें और अनियमित परिवर्तन की जांच स्तनों को छूकर करें । यदि किसी भी प्रकार की परेशानी हो तो तुरंत आगे की जांच हेतू विशेषज्ञ से परामर्श करें ।

✓ जिन महिलाओं का पारिवारिक इतिहास कैंसर का हो ऐसी महिलाओं को उन्हें प्रत्येक वर्ष मेमोग्राफी करवाना चाहिए, सामान्य महिलाओं को भी 20 साल के बाद प्रत्येक तीन साल बाद मेमोग्राफी करवाना चाहिए ।

✓ संतुलित आहार करने से ब्रेस्ट कैंसर की आशंका बहुत कम होती हैं अतः भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियां, मौसमी फलों, दूध आदि का सेवन अवश्य करें ।


✓ शराब तम्बाकू आदि किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहें ।

✓ नियमित रूप से व्यायाम और योग अवश्य करें ।

✓ योग की कुछ महत्वपूर्ण क्रियाएं जैसे अनुलोम-विलोम, कपालभाति, प्राणायाम शरीर में आक्सीजन का स्तर बढ़ाकर शरीर में कैंसर प्रतिरोधी क्षमता विकसित करतीं हैं।

✓ लहसुन, हल्दी, मशरूम, तुलसी, गिलोय, एलोवेरा आदि में एंटी कैंसर गुण पाए जाते हैं अतः जिन्हें कैंसर का पारिवारिक इतिहास हो वे इनका सेवन अवश्य करें ।

✓ गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन बिना चिकित्सक के परामर्श से बहुत लम्बे समय तक नहीं करें ।

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✓ बहुत अधिक तनाव ,चिंता आदि नहीं करें ।

✓ सकारात्मक दृष्टिकोण रखें ।

✓ मीनोपॉज के बाद स्तन कैंसर से बचाव हेतू प्रत्येक वर्ष मेमोग्राफी करवाना चाहिए ।

✓ बच्चों को पूरे छः माह तक स्तनपान अवश्य कराएं ।



भारत में ब्रेस्ट कैंसर से होने वाली मौतों को रोकने और जनजागरुकता फैलाने के उद्देश्य से प्रति वर्ष "अक्टूबर माह में कैंसर जागरूकता अभियान चलाया जाता हैं।

 इस स्तन कैंसर जागरूकता माह का उद्देश्य स्तन कैंसर के प्रति महिलाओं को जागरूक करना है ताकि बीमारी की समय रहते समुचित पहचान, उपचार और प्रबंधन संभव हो सके ।



विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार भारत में कैंसर के आंकड़े



हाल ही में प्रकाशित विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि W.H.O. के आँकड़ों पर यदि गौर करें तो भारत कैंसर के मामलो में दुनिया के अग्रणी राष्ट्रों मे से एक बनकर उभर रहा हैं ।
 


w.h.o.के अनुसार भारत में सन् 2020 के दौरान कैंसर के लगभग 11 लाख 80  हजार रोगी थे, जबकि विश्व भर में कैंसर रोगियों की संख्या 1 करोड़ 81 लाख थी यानि  पूरी दुनिया के कैंसर रोगियों में से 15.60% रोगी भारतीय थे ।


इतना ही नही प्रत्येक 10 भारतायों में से एक भारतीय को कैंसर होनें की संभावना रहती हैं यानि आज के हालात में देश के 12 लाख व्यक्ति कैंसर की संभावना वालें हैं ।



यदि कैंसर से होनें वाली मौंत के आँकड़ो पर गौर करें तो प्रत्येक 15  भारतीय कैंसर रोगीयों में से एक रोगी की मृत्यु होनें की संभावना रहती हैं इसका मतलब यह हैं कि भारत कैंसर से निपटने और इसके प्रभावी इलाज की व्यवस्था में दुनिया के अति पिछड़े राष्टों के समकक्ष माना गया हैं ।


विभिन्न प्रकार के कैंसरों की बात करें तो भारत में सन् 2018 में 11 लाख 60 हजार कैंसर के मामलों में से सर्वाधिक मामले स्तन कैंसर के (1,52000 मामले) पाये गये जबकि वैश्विक स्तर पर स्तन कैंसर और फेफड़ों के कैंसर के मामले समान (18.40%) रूप से पाये गये ।



वैश्विक स्तर पर सबसे कम   प्रकार का कैंसर लीवर का कैंसर रहा  जो कि वैश्विक कैंसर का 4.70% था । भारत की बात करें तो यहाँ सबसे कम कैंसर का प्रकार कोलोरेक्टल कैंसर रहा जिसका प्रतिशत 4.90% रहा ।


भारत में दूसरे स्थान पर मुंह का कैंसर का स्थान हैं जिसके सन् 2018 में 120000 मरीज थे जो कुल कैंसर का  9.60% था।


W.H.O के अनुसार सन् 2018 में कैंसर की वजह से 96 लाख लोग काल के गाल में समा गये। जबकि भारत में 7 लाख 84 हजार लोग कैंसर से मौंत के मुहँ में समा गयें।


 सबसे घातक रूप फेफडों का कैंसर हैं जिसकी वजह से विश्व में सर्वाधिक मौंते हुई । सन् 2018 में लगभग 17.60 लाख लोग फेफड़ों के कैंसर की वजह से मौंत के मुहँ में समा गयें ।


भारत में फेफड़ो के कैंसर वाले मरीजों की सँख्या विश्व में पाये गये कैंसर के मुकाबले काफी कम हैं क्योंकि हमारे देश में तम्बाकू  उत्पादों को धूम्रपान करनें बजाय मुहँ से खाने का चलन बहुत ज्यादा है । W.H.O. के अनुसार भारत में 68000 हजार फेफड़ों के कैंसर के मामले सन् 2018 में मिले थे ।


भारत में गर्भाशय से संबधित कैंसर भी बहुत अधिक मात्रा में प्रकाश में आ रहे हैं सन् 2018 में यह संख्या 97000 हजार थी ।


 इसी प्रकार पेट से सम्बधित कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर के मामले 57 - 57 हजार पाये गयें ।


सम्पूर्ण विश्व के साथ - साथ भारत में भी कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। यदि भारत को कैंसर जैसी घातक बीमारी से प्रभावी रूप से निपटना हैं तो स्वास्थ्य सुविधाओं पर खर्च विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानको के अनुरूप करना होगा और कैंसर जैसी बीमारी के लिये शोध करने वाले अनुसंधान संस्थाओं को विश्व मानको के अनुरूप सुविधा संपन्न बनाना होगा ।

• इम्यूनोथेरेपी कैंसर उपचार की नवीनतम तकनीक

• फिटनेस का रखना हो ध्यान तो शुरू करो सतरंगी खानपान

  कैंसर के इलाज की नई तकनीक :: साइबरनाइफ रेडिएशन  


साइबर नाइफ कैंसर के उपचार की आधुनिक तकनीक है जिसमें रेडियोथेरपी के माध्यम से शुरुआती अवस्था के कैंसर का सफलतापूर्वक उपचार किया जाता हैं। इस पद्धति में रेडिएशन की बीम को कैंसर की गठान पर डालकर उसे गला दिया जाता हैं ।

 सिर्फ कैंसर की गठान पर ही बीम डालने से दूसरे अंगों को किसी भी प्रकार का नुक़सान नहीं पहुंचता है । जबकि दूसरी रेडिएशन थेरेपी में शरीर के दूसरे अंगों को भी नुक़सान पहुंचता है।

इस रेडिएशन थेरेपी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि लगभग 95 प्रतिशत मामलों में यह थेरेपी कैंसर की गठान को रोकने में सफल होती हैं और इस थेरेपी को देने में आधा से एक घंटा लगता हैं, इसके बाद मरीज घर जा सकता है । 

साइबरनाइफ रेडिएशन थेरेपी 3 सेंटीमीटर तक की गठान को गलाने में प्रभावी होती हैं , दूसरी और तीसरी अवस्था के कैंसर में यह कैंसर उपचार पद्धति प्रभावी नहीं है ।



फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट क्या होता है

फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट स्तन कैंसर के समान लक्षणों वाली बीमारी है लेकिन यह स्तन कैंसर नहीं होता हैं,इस बीमारी में स्तन आकार में बड़े,कठोर, स्तनों में गांठें और दर्द होता हैं। 
फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट अधिकांशतः प्रथम बार बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं में अधिक होता है,ऐसा होने के पिछे मुख्य कारण फाइब्रोसिस्टिक ऊतक होते हैं, गर्भावस्था में जब महिला के स्तन बढ़ने लगते हैं तो स्तनों में मौजूद फाइब्रोसिस्टिक ऊतक गांठों के रुप में बढ़कर स्तन को भरने का काम करते हैं लेकिन जब बच्चा दूध पीना बंद कर देता है तो गांठों के रुप में मौजूद फाइब्रोसिस्टिक ऊतक वैसे ही रह जाते हैं और छूने पर इनमें दर्द होता है। 


फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट का इलाज

✓ स्तनों की विशेषज्ञ की निगरानी में मसाज 

✓  फाइब्रोसिस्टिक ऊतक में मौजूद तरल पदार्थ को बाहर निकालना

✓वसायुक्त खाद्य पदार्थों की भोजन में कमी करना

✓ आवश्यक फेटी एसिड युक्त संतुलित आहार भोजन में शामिल करना 


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क्या पुरुषों में भी स्तन कैंसर होता हैं 

जी हां पुरूषों में भी स्तन कैंसर का खतरा हो सकता हैं। लेकिन पुरूषों में स्तन कैंसर 60 से 70 वर्ष की उम्र पार कर चुके पुरूषों में अधिक होता हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार पुरुषों में स्तन कैंसर का पता स्त्रीयों की तुलना में बहुत बाद में चलता है। ऐसा इसलिए क्योंकि पुरुष  स्तन कैंसर के बारें में सोचते भी नहीं हैं और स्तन मे में किसी भी परिवर्तन को नजरंदाज करते हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार पुरुषों में स्तन कैंसर की गांठ स्त्रीयों की तुलना में बहुत बाद में पकड़ आती हैं क्योंकि पुरुषों के स्तन में मांसपेशी कम होती हैं जिससे स्तन में बनी गांठ को महसूस नहीं करता ।

क्या पुरुष स्तन कैंसर के लक्षण भी स्त्री के स्तन कैंसर के समान होते हैं 

जी हां पुरुष स्तन कैंसर के लक्षण भी आमतौर पर स्त्री के स्तन कैंसर के समान ही होते हैं।

पुरुष स्तन कैंसर का जोखिम किन पुरूषों में अधिक होता हैं 

√ पुरुष स्तन कैंसर का पारिवारिक इतिहास होने पर स्तन कैंसर का खतरा अधिक होता हैं।

√ एक्स-रे या रेडिएशन की वजह से बार बार सीने पर रेडिएशन गिरना ।

√ कोई हार्मोनल इलाज लेना ।

√ इस्ट्रोजन हार्मोन की अधिक मात्रा लेना ।

√ पुरुष वृषण में चोट लगना



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क्या स्तन कैंसर को बढ़ने से रोका जा सकता हैं


Indian Institute of science education and research ( ISER) भोपाल के वैज्ञानिकों ने एक प्रोटीन की खोज की हैं जिसे 'E 2 F 1' नाम दिया गया है. यह प्रोटीन स्तन कैंसर की कोशिकाओं के अनियंत्रित बढ़ने के लिए उत्तरदायी ESRP -1 प्रोटीन को नियंत्रित कर सकता हैं.

आईसर के वैज्ञानिकों के अनुसार ESRP-1 प्रोटीन के बढने पर कैंसर कोशिकाओं में वृद्धि होती हैं जबकि घटने से कैंसर कोशिकाएं घटती हैं. "E 2 F 1" प्रोटीन को शरीर में प्रवेश कराकर स्तन कैंसर की वृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता हैं. 

आईसर का यह शोध प्रसिद्ध पत्रिका ओन्कोजेनेसिस में प्रकाशित हो चुका हैं. 











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