स्तनपान [Breastfeeding] कराने वाली माताओं में स्तनों की समस्या और उसका समाधान
स्तन चूचक में दुखन एवं दरारें, स्तन में सूजन एवं दर्द, स्तनों का संक्रमण, दुग्ध स्राव कम होना आदि प्रसव उपरांत स्तनों की प्रायः होने वाली समस्याएँ हैं। यह समस्याएँ गलत ढंग से स्तनपान कराने के कारण हो सकती हैं। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि स्तनपान कराने के सही ढंग के बारे में जानकारी हो ।
स्तनपान का सही तरीका क्या हैं
• बच्चे को ठीक स्थिति में रखें और ठीक तरीके से स्तन से लगाएँ ।
• बच्चे को स्तन के सामने अपने समीप पकड़ें, जिससे बच्चे की गर्दन व शरीर सीधा हो और सहारा मिले।
• बच्चे को दिन रात, बार-बार स्तनपान कराना चाहिए, जितनी बार और जितनी देर वह चाहे 24 घण्टे में कम से कम 8 बार स्तनपान कराना चाहिए।
• बच्चे को दूसरे स्तन से स्तनपान कराने से पहले उसे पहले स्तन से पूरा दूध पी लेने दें।
बच्चे को सही ढंग से स्तन से कैसे लगाएं?
• बच्चे के निचले होंठ पर स्तन चूचक से
गुदगुदी करें ताकि वह मुँह खोल दे • जैसे ही बच्चे का पूरा मुँह खुले, शीघ्रता से बच्चे को स्तन से लगाएँ।
• बच्चे के मुँह में केवल स्तन चूचक ही नहीं, बल्कि जितना हो सके उतना इसका मण्डल (चूचक के आस-पास गहरे रंग का हिस्सा) भी डालना चाहिए।
चूचकों में दुखन एवं दरारें :
स्तनपान के पहले 1-2 सप्ताहों में चूचकों की कुछ दुखन सामान्य बात है। परन्तु अगर बच्चे को सही ढंग से स्तनपान नहीं कराया जाए तो चूचकों में दुखन एवं दरारें आ सकती हैं।
स्तनों में दरारें और दर्द का कारण
• गलत ढंग से स्तनपान कराना यदि - बच्चा मण्डल मुँह में न ले तथा केवल चूचक ही चूसे ।
• माँ को दुग्ध स्राव कम होना, जिसके कारण बच्चे का और जोर से स्तनपान करना ।
• बच्चे के मुँह मे लगे "कैण्डीडा" संक्रमण (इस फफूंद से मुँह में छाले आते हैं) द्वारा माँ को संक्रमण होना
• चूचकों की दरारों में कीटाणुओं का संक्रमण ।
क्या करें
• यह निश्चित करें कि स्तन से लगाने से पहले बच्चे का मुँह पूरा खुला हो । यदि स्तनपान कराना बहुत कष्टदायक हो तो 12-24 घण्टे तक दुखन वाले स्तन से स्तनपान न करवाएँ एवं हाथ से दूध निकालकर बोतल या कप से बच्चे को पिलाएँ ।
बच्चे को केवल कम दुखन वाले स्तन से स्तनपान कराएँ । प्रत्येक बार स्तनपान कराने के बाद चूचकों को खुली हवा में शुष्क करें।
हर बार स्तनपान [Breastfeeding] कराने से पहले व बाद में चूचकों को साफ करें।
यदि चूचकों में दरारें हों तो अपने ही दूध की कुछ बूँदें इन पर मलें तथा सूखने दें।
• बच्चे के मुँह के छालों की प्रतिदिन जांच करें तथा जितनी जल्दी संभव हो सके इसका उपचार करवाएँ।
स्तन में सूजन एवं दर्द :
यदि स्तनपान जल्दी एवं बार-बार न करवाया जाए तो स्तन की नलियों में रूकावट आने से दूध का बहाव रूक सकता है। धीमी गति से दूध आने के कारण बच्चा उस स्तन से स्तनपान करना पसंद नहीं करता ।
स्तनों में दर्द और सूजन में निम्न लक्षण आते हैं
• स्तन पीड़ा ।
• स्तन में सूजन एवं ठोस गाँठ ।
• रूकावट वाली नली वाले हिस्से की ऊपरी त्वचा में हल्की लाली ।
क्या करें
• प्रभावित स्तन से स्तनपान कराना जारी रखें ।
• प्रभावित हिस्से की मालिश अथवा सिकाई करें (ध्यान रहें कि कहीं त्वचा न जल जाए) ।
• जब बच्चा स्तन पान कर रहा हो तो अपना हाथ रूकावट वाली नली के हिस्से के आसपास रखें तथा स्तन पर दबाव बनाए रखें। स्तन से हाथ द्वारा दूध निकालें ।
स्तन शोथ
यह अधिकतर उन माताओं में होता हैं :
• जो बार-बार बच्चे को स्तनपान नहीं करातीं ।
• जो स्तन को पूरी तरह खाली नहीं करतीं ।
प्रकोपक कारण :
• चूचकों में दुखन व दरारें ।
• स्वच्छता का ध्यान न रखना ।
• गलत स्थिति में स्तनपान कराना ।
• बच्चे के मुँह से अथवा स्वयं से संक्रमण होना ।
लक्षण :
• स्तन में अधिक पीड़ा ।
• स्तन में लाली व सूजन ।
• कंपकपी के साथ ज्वर होना ।
क्या करें अथवा क्या न करें ?
• प्रभावित स्तन से स्तनपान न कराएँ ।
• दूध निकालकर फेंक दें।
• जितना अधिक संभव हो सके आराम करें।
स्तन में सूजन एवं दर्द तथा स्तनशोथ से बचाव :
• जितनी जल्दी हो सके स्तनपान [Breastfeeding] कराना प्रारम्भ करें।
• बच्चे को बार-बार स्तनपान कराएँ ।
• स्तनपान के समय बच्चे को सही स्थिति में रखें।
• यह सुनिश्चित करें कि बच्चा हर बार इतना दूध पी ले कि स्तन में दूध न बचे।
• स्तनपान कराने के बाद भी यदि स्तन में भारीपन महसूस हो तो हाथ से दूध निकाल कर स्तन खाली करें ।
• स्वच्छता का ध्यान रखें।
दुग्ध स्त्राव कम होना अथवा दूध कम उतरना :
दो मुख्य हार्मोन - प्रोलेक्टिन तथा ऑक्सिटोसिन की कमी के कारण स्तनों में दूध का स्त्राव कम होता है। शरीर इन्हें प्रसव उपरांत दूध बनाने के लिए उत्पन्न करता है। आहार में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी भी दूध के कम स्त्राव का कारण बन सकती है।
क्या करें ?
• पर्याप्त मात्रा में सब्जियां, फल, अनाज तथा प्रोटीन लें जिससे दूध उत्पन्न करने वाले आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें ।
• ऐसे पदार्थ जिनमें अधिक मात्रा में कैल्शियम हो जैसे दूध, हरी सब्जियाँ, बीज, सूखे मेवे तथा मछली आदि अधिक मात्रा में लें ।
• बच्चे को सही प्रकार से गोद में लेकर स्तनपान करवाएँ ताकि स्तन से दुग्ध स्राव के लिए सहज क्रियाशीलता हो सके।
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