TURMERIC, हल्दी के ऐसे फायदे जिन्हें आपनें पहले कभी नही पढ़ा होगा और हल्दी से बनने वाली औषधी हरिद्राखण्ड़ का परिचय
Turmeric हल्दी |
हल्दी का परिचय :::
हल्दी कंद रूप में पायी जानें वाली विशिष्ट औषधि हैं,जो भारतीय रसोई का अभिन्न हिस्सा हैं.इसका स्वाद कड़वा और कसेला होता हैं.इसकी प्रकृति उष्ण होती हैं.इसमें करक्यूमिन नामक विशिष्ट रसायन पाया जाता है.
उपयोग::-
१. हल्दी में कैंसर नाशक गुण होतें हैं,इसमें उपस्थित रसायन करक्यूमिन कैंसर से नष्ट होनें वाली कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता हैं.
२. रक्त कैंसर में हल्दी और लहसुन पेस्ट मिलाकर दूध के साथ सेवन करनें से कैंसर की तीव्रता काफी हद तक कम हो जाती हैं.
३. हल्दी सौन्दर्य को बढ़ानें वाली होती हैं,शहद के साथ या तेल के साथ इसका उबट़न लगानें सें न केवल गोरापन बढ़ता हैं,वरन त्वचा संबधित बीमारीयाँ भी समाप्त हो जाती हैं.
५. टाइफाइड़ होनें पर रोज़ सुबह खाली पेट़ हल्दी लेनें से टाइफाइड़ समाप्त हो जाता हैं.
६. पीलिया (jaundice) रोग में छाछ के साथ हल्दी चूर्ण मिलाकर पीनें से पीलिया कुछ ही दिनों में समाप्त हो जाता हैं.
७.आँखों से संबधित समस्या में हल्दी को पानी में उबालकर पीनें से और ठंड़ा कर छानकर दो-दो बूँद आँखों में डालते रहनें से चश्मा उतर जाता हैं.
८. हल्दी उत्तम गर्भ निरोधक मानी जाती हैं,गुड़ के साथ मिलाकर लेते रहनें से गर्भ निरोध होता हैं.
९.आन्तरिक चोंटों में हल्दी अत्यन्त प्रभावकारी मानी जाती हैं,मावें के साथ मिलाकर गर्म कर प्रभावित स्थान पर बांधनें से अतिशीघ्र आराम मिलता हैं
१०. हल्दी वात,पित्त, कफ़ तीनों प्रकृति को नियत्रिंत करती हैं.
११. मुँह के छालों में हल्दी अत्यन्त गुणकारी हैं,इसकी ताजा गांठों का रस शहद के साथ मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगानें से अतिशीघ्र आराम मिलता हैं.
१२. बवासीर के लिये हल्दी को छाछ मिलाकर भोजनपरान्त लेनें से बवासीर खत्म हो जाता हैं.
१३. शीघ्र पतन में हल्दी को मिश्री के साथ मिलाकर सुबह शाम लगातार तीन माह तक लें.
१४. हल्दी उत्तम रक्तशोधक हैं.
१५.त्वचा झुलसनें या जलनें पर हल्दी के फूलों का रस बादाम चूर्ण और दही में मिलाकर लगाना चाहियें.
*हल्दी में मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ाने की अदम्य क्षमता होती है यह मस्तिष्क के BDNF को बढ़ाती हैं जो तंत्रिका तंत्र के विकास और रखरखाव के लिए अतिआवश्यक प्रोटीन है । इस प्रोटीन का उच्च स्तर स्मृति, सकारात्मक मूड़ के लिए आवश्यक है।
हल्दी शरीर के पाचक एंजाइम के स्त्राव को नियमित करती हैं जिससे भोजन पचने में मदद मिलती हैं ।
हल्दी में खराब कोलस्ट्रॉल यानि LDL को ह्रदय में जमा होने से रोकती हैं ।
*हल्दी में मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ाने की अदम्य क्षमता होती है यह मस्तिष्क के BDNF को बढ़ाती हैं जो तंत्रिका तंत्र के विकास और रखरखाव के लिए अतिआवश्यक प्रोटीन है । इस प्रोटीन का उच्च स्तर स्मृति, सकारात्मक मूड़ के लिए आवश्यक है।
हल्दी शरीर के पाचक एंजाइम के स्त्राव को नियमित करती हैं जिससे भोजन पचने में मदद मिलती हैं ।
हल्दी में खराब कोलस्ट्रॉल यानि LDL को ह्रदय में जमा होने से रोकती हैं ।
हल्दी की कितनी मात्रा दैनिक रूप से लेनी चाहियें जिससे यह शरीर को फायदा पहुँचायें इस पर विशेषकर आयुर्वैद में बहुत विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया हैं कि रोग की तीव्रतानुसार रोगी को या सामान्यजन को वैघकीय परामर्श उपरान्त पाँच से दस ग्राम हल्दी लेना उचित रहता हैं.
हल्दी से बननें वाली औषधि
हरिद्राखण्ड़::
हरिद्राखण्ड़ हल्दी से बननें वाली शास्त्रोक्त औषधि हैं,जो कई एलर्जी रोगों की विशिष्ट औषधि हैं.
१. घट़क द्रव्य::
हल्दी, शक्कर,घी,सोंठ, कालीमिर्च,दालचीनी,वायविड़ंग,त्रिफला,नागकेशर,नागरमोथा,शुद्धलोहभस्म,निशोध,गोदुग्ध,पीपली,इलायची,तेजपान .
२.रोगोपयोगी::-
१. शरीर में शीतपित्त की वजह से होनें वाली समस्या पर.
२. लम्बें समय से जारी व्रण.
३. दाद, खाद,खुजली.
४. कुष्ठ .
सेवन विधि ::
वैघकीय परामर्श से
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