गिलोय के फायदे GILOY KE FAYDE
गिलोय का संस्कृत नाम क्या हैं ?
गिलोय का संस्कृत नाम गुडुची,अमृतवल्ली ,सोमवल्ली, और अमृता हैं ।
गिलोय का हिन्दी नाम क्या हैं ?
गिलोय GILOY का हिन्दी नाम 'गिलोय,अमृता, संशमनी और गुडुची हैं ।
गिलोय |
गिलोय का लेटिन नाम क्या हैं ?
गिलोय का लेटिन नाम Tinospra cordipoolia (टिनोस्पोरा कोर्ड़िफोलिया )
जो गिलोय नीम वृक्ष के सहारे चढ़ी रहती हैं उसे नीम गिलोय कहतें हैं ,आयुर्वेद में इस प्रकार की गिलोय को सर्वश्रेष्ठ गिलोय माना गया हैं ।
गिलोय की पहचान कैसें करें ?
गिलोय सम्पूर्ण भारत वर्ष में पाई जानें वाली आयुर्वेद की सुप्रसिद्ध औषधी हैं । Ayurveda ki suprasiddh oshdhi hai
यह बेल रूप में पाई जाती हैं, और दूसरें वृक्षों के सहारे चढ़कर पोषण प्राप्त करती हैं । गिलोय के पत्तें दिल के (Heart shape) आकार के होतें हैं।
गिलोय का तना अंगूठे जीतना मोटा और प्रारंभिक अवस्था में हरा जबकि सूखनें पर धूसर हो जाता हैं ।
गिलोय के फूल छोटे आकार के और हल्का पीलापन लियें गुच्छों में लगतें हैं ।
गिलोय के फल पकनें पर लाल रंग के होतें हैं यह भी गुच्छों में पाये जातें हैं ।
गिलोय में पाए जाने वाले पौषक तत्व
1.लोह तत्व : 5.87 मिलीग्राम
2.प्रोटीन : 2.30 मिलीग्राम
3.विटामीन सी :56 मिलीग्राम
4.कैल्सियम :85.247 मिलीग्राम
5.विटामीन ए : 303 MCG
6.रेशा : 11.32 ग्राम
7.कार्बोहाइड्रेट : 3.34 ग्राम
[प्रति 100 ग्राम गिलोय तना]
गिलोय की प्रकृति
आयुर्वेद मतानुसार according to Ayurveda गिलोय GILOY कसेली,कड़वी Bitter in test ,उष्णवीर्य,अग्निदीपक होती हैं ।
जो गिलोय नीम वृक्ष के सहारे चढ़ी रहती हैं उसे नीम गिलोय कहतें हैं ,आयुर्वेद में इस प्रकार की गिलोय को सर्वश्रेष्ठ गिलोय माना गया हैं ।
गिलोय को अमृता क्यों कहतें हैं ?
गिलोय GILOY में शामक गुण होनें के कारण यह औषधी प्रत्येक कुपित हुये दोषों को समानता पर ला देती हैं ।जिस दोष का प्रकोप होता हैं उसको शांत कर देती हैं ,और जिसकी कमी हो जाती हैं उसको प्रदीप्त कर देती हैं ।
इस प्रकार छोटें बड़े दोषों को समान स्थिति में लाकर निरोग बनानें का गुण गिलोय GILOY के अतिरिक्त अन्य किसी भी औषधी में नही हैं ।
गिलोय GILOY एकमात्र औषधी जो प्रत्येक प्रक्रति के मनुष्य को प्रत्येक रोग में दी जा सकती हैं ,यही कारण हैं कि यह औषधी "अमृता" के नाम से भी पहचानी जाती हैं ।
ज्वर होनें पर गिलोय से फायदे :::
गिलोय में ज्वर नाशक गुण बहुत विशिष्ट होतें हैं, यह औषधी जीर्ण ज्वर और टाइफाइड़ में बहुत उत्तम लाभ प्रदान करती हैं।
जीर्ण ज्वर और टाइफाइड़ ज्वर में तुलसी ,वनकशा,खूबकला और गिलोय को समभाग में मिलाकर इसका क्वाथ बनाकर पिलानें से शीघ्र आराम मिलता हैं ।
गिलोय GILOY का घनसत्व निकालकर त्रिफला चूर्ण के साथ सेवन करवानें से टाइफाइड़ ज्वर में उत्तम लाभ प्राप्त होता हैं ।
यकृत रोगों में गिलोय से फायदे :::
पीलिया,भूख की कमी, लीवर पर सूजन होनें पर गिलोय के रस का सेवन पतासे या गन्नें के रस के साथ करवानें से आशातीत लाभ प्राप्त होता हैं ।
गिलोय यकृत में मौजूद विषैले तत्वों को शरीर से बाहर निकाल देती हैं । अत :इसके सेवन से पीलिया रोग में बहुत तीव्र गति से लाभ मिलता हैं ।
रक्तविकारों में गिलोय से फायदे :::
गिलोय के पत्तों या डंठल का सेवन करनें से अशुद्ध रक्त साफ होकर शुद्ध रक्त में परिवर्तित हो जाता हैं ।और अशुद्ध रक्त से होनें वाले फोड़े फुन्सी और खुजली नही होती हैं ।
इसी प्रकार शरीर में लाल रक्त कणों के घनत्व को बढानें में गिलोय बहुत उत्तम लाभ प्रदान करती हैं ।
मूत्र विकारों में गिलोय GILOY से फायदे :::
पेशाब में जलन, मूत्रमार्ग में संक्रमण तथा बार - बार पेशाब जानें की समस्या होनें पर गिलोय क्वाथ या गिलोय घनवटी लेनें से आराम मिलता हैं ।
मधुमेह में गिलोय से फायदे :::
गिलोय मधुमेह के उपचार की सबसे प्रभावी औषधी हैं । गिलोय का रस 5 - 5 ML सुबह शाम लेनें से मधुमेह नियंत्रण में रहता हैं ।
गिलोय घनवटी या गिलोय के डंठल का सेवन करनें से इंसुलिन लेनें वाला व्यक्ति भी मधुमेह को शीघ्र नियंत्रित कर सकता हैं ।
विष के प्रभाव पर गिलोय से फायदे :::
विषैली वस्तु खा लेनें पर गिलोय GILOY के रस को पानी में मिलाकर बार - बार उल्टी करवानें से विष का प्रभाव उतर जाता हैं ।
बिच्छू के काटनें पर इसकी जड़ का काढ़ा प्राथमिक उपचार के तौर पर पीला सकतें हैं ।
गठिया रोगों में गिलोय के फायदे :::
इसके तनों का रस या क्वाथ बनाकर गठिया रोग में देनें से पुरानी और असाध्य गठिया की बीमारी ठीक की जा सकती हैं।
स्त्री रोगों में गिलोय के फायदे :::
स्त्रीयों की आम समस्या जैसें श्वेत प्रदर में गिलोय का रस 30 ML और अश्वगंधा चूर्ण 2 ग्राम के साथ मिलाकर स्त्री को सुबह शाम गाय के दूध के साथ सेवन करवानें से श्वेत प्रदर खत्म हो जाता हैं ।
इसी प्रकार प्रसूती के बाद यदि प्रसूता को गिलोय क्वाथ का सेवन करवाया जाये तो प्रसूति के बाद होने वाली कमजोरी, बुखार नहीं होता हैं ।
पागलपन का इलाज :::
गाय के दूध की बनी खीर में 5 - 5 ग्राम ब्राम्ही की जड़ और गिलोय चूर्ण मिलाकर पागल व्यक्ति को या मंदबुद्धी व्यक्ति को रात को सोतें समय सेवन करवातें हैं,तो व्यक्ति अतिशीघ्र पागलपन से निजात पा जाता हैं ।
हिचकी में गिलोय से फायदे :::
गिलोय चूर्ण के साथ सौंठ का चूर्ण मिलाकर सूंघनें से हिचकी बंद हो जाती हैं ।
पाँव के तालुओ की जलन :::
गिलोय के और रतनजोत के पंद्रह बीस बीज कूटकर दही में मिलाकर तलुओं में लगानें से तलुओं की जलन तुरंत मिटती हैं।
कान के दर्द में गिलोय के फायदे :::
कान में दर्द रहनें पर गिलोय के पत्तों का रस निकालकर गर्म कर ले इस तरह यह रस थोड़ा कुनकुना रह जानें पर कान में 3 - 4 बूँद ड़ालें कान का दर्द और कान में मैल जमा हो जानें पर बहुत आराम मिलता हैं ।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानें में गिलोय के फायदे :::
शरीर की रोग प्रतिरोधकता बढ़ानें में गिलोय से अच्छी कोई दूसरी औषधी वनस्पती जगत में नही हैं, इसके लिये गिलोय के 10 -15 ऊंगली बराबर ताजे तनें को काटकर 10 -15 काली मिर्च ,25 - 30 तुलसी पत्तें ,आधी चम्मच हल्दी और एक अदरक के टुकड़ें के साथ 500 Ml पानी में मिलाकर तब तक उबालें जब तक की पानी आधा न रह जावें ।
इस काढ़े की 30ML की मात्रा प्रतिदिन सुबह के समय नाश्ता करनें के बाद सेवन करें यह उपाय व्यक्ति की प्रतिरोधकता को बढ़ानें वाला रामबाण उपाय हैं ।
श्वास रोग में गिलोय के फायदे ::
गिलोय में मोजूद एंटीइन्फ्लेम्टरी तत्व श्वसन तंत्र की सूजन को कम करतें हैं जिससे अस्थमा,कोविड 19,टीबी ,खाँसी आदि बीमारियों में आराम मिलता हैं ।
गुडूची कटुका तिक्ता स्वादुपाका रसायनी कामलाकुष्ठवातास्त्रज्वरक्रिमिवमीन्हरेत्
An rejuventor,anti-pyretic,astringent
Giloy or guduchi is a well known Indian bitter and prescribed mainly for fevers and diabetes. It is an astringent, anti-pyretic ,rejuventor,blood-purifier,antispasmodic and antiinflammatory. Highly digestible and nutritive starch obtained from the stem part is given to the patients with very poor digestion.
It checks successfully the microbes responsible for tuberculosis. In ayurveda the drug is given with black piper longum roots and ginger for improving the digestion.In migraine it is given with honey and for vaginal inflammation, its decoction in combination with triphla and baliospermum montanum in recommended. It is increasing body immunity.
Description::-
Large deciduous climbers with lenticellate,corky stems,branches sending down slender pendulous,fleshy roots,leaves deeply cordate with large basal lobes,inflorescence racemose male flowers clustered in the axils of small subulate bracts sepals 2 seriate,inner broadly elliptical petals 6,equal.female flowers usually solitary,similar to male,carpels3.fruits drupelets pisiform,deep red, marked with a sub basal stylar scar.
Active ingredients::-
Giloin,Giloinin.
Therapeutic uses::-
1.In the cure of arthritis,
rheumatism,piles,leprosy, dyspepsia.2.In fever and flu.
3.To inhibit hyper glycemia and reduce blood sugars.
4.As liver stimulant.
5.Memory enhancer.
6.Filaria Guduchi svarasa along with gingly oil is given orally.
rheumatism,piles,leprosy, dyspepsia.
टिप्पणियाँ