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जून, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कोरोनिल - Patanjali coronil kit review

Patanjali coronil kit review  कोरोनिल पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट ने कोरोनावायरस का ईलाज करने वाली एक अद्भुत आयुर्वेदिक औषधि कोरोनिल बनाने का दावा किया है। पतंजलि के सर्वे सर्वा बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने दावा करते हुए कहा कि नयी औषधि   कोरोनावायरस को 7 दिन में पूर्णत समाप्त कर देती है।  औषधि के बारे में बताते हुए नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस( निम्स) के चांसलर डॉ बलबीर सिंह तोमर ने कहा नयी दवाई कोरोनिल ने 3 दिन में कोरोनावायरस से पीड़ित मरीजों को 69% ठीक किया और 7 दिन में इस औषधि से 100% मरीज ठीक हो गए। डॉ तोमर ने कहा कि हमने कोरोनावायरस की दवाई के परीक्षण में एडवांस मॉडलिंग एंड सिमुलेशन पद्धति का इस्तेमाल किया और कोरॉनिल सभी मापदंडों पर खरी पाई गई। कोरोनावायरस की दवाई के परीक्षण में 280 रोगियों ने भाग लिया और यह परीक्षण दिल्ली अहमदाबाद मेरठ आदि शहरों में हुआ।   कोरोनिल के बनाने में 180 से ज्यादा मेडिसिनल प्लांट इस्तेमाल किए गए हैं और यह दवा सीटीआरआई  से अप्रूवल हैं। बाबा रामदेव ने कहा हमारा उद्देश्य सर्वे भवंतु सुखिन का है और इसी कड़ी ...

गंधक के औषधीय गुण Gandhak ke oshdhiy gun

1. गंधक के औषधीय गुण Gandhak ke oshdhiy gun   गंधक Gandhak का परिचय ::: गंधक स्थावर और जंगम अर्थात पृथ्वी और वनस्पतियों जीव जंतु आदि सब जगह विधमान रहता है । शरीर के अंदर गंधक रक्त और दूध में छोटी सी मात्रा में विद्यमान रहता है ,आयुर्वेद दृष्टिकोण से बात की जाए पित्त अंदर लगभग 25% गंधक पाया जाता है। गंधक Gandhak जिप्सम नमक पत्थर में प्रचुरता से पाया जाता है यह पदार्थ गर्म पानी के झरना के आसपास मिलता है। प्रकृति में गंधक दो रूप में पाया जाता है पीला और सफेद पीला गंधक आंतरिक रूप से उपयोगी है जबकि सफेद गंधक बाह्य रूप में उपयोगी है। गंधक की उत्पत्ति ज्वालामुखी पर्वतों से होती है। 2.गंधक के विभिन्न भाषाओं में नाम ::: गंधक का संस्कृत नाम ::: गंधक को संस्कृत में गौरीबीज गंधपाषाण, गंधक और कीटहन  के नाम से जानते हैं । ० गेंदा फूल के औषधीय गुण गंधक का हिंदी नाम ::: गंधक को हिंदी में गंधक , गौरी बीज के नाम से जानते हैं। गंधक का अंग्रेजी नाम ::: गंधक को अंग्रेजी में Brimstone sulphur कहते हैं। गंधक के औषधीय गुण Gandhak k...

लहसुन के फायदे और नुकसान | benifits of garlic in Hindi

  लहसुन के फायदे | benefit of garlic in Hindi लहसुन के फायदे lahsun ke fayde से संपूर्ण चिकित्सा जगत प्राचीन काल से ही परिचित है आधुनिक चिकित्सा के जनक हिप्पोक्रेट्स ले लहसुन का प्रयोग औषधि के रूप में किया है।  प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा ग्रंथ चरक संहिता में भी लहसुन के औषधीय गुणों lahsun ke oshdhiy guno के बारे में विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है।  आयुर्वेद ग्रंथों में लिखा हैं  अमृमोद्भूतममत लशुनानां रसायनम्  अर्थात लहसुन अमृत के समान और अमृत से उत्पन्न हुआ हैं ।  भारत चीन के बाद लहसुन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। भारत से लहसुन विश्व के कई देशों में निर्यात की जाती है। लहसुन alliaceae कुल का पौधा है जो प्याज की श्रेणी में आता है। लहसुन का वानस्पतिक नाम "एलियम सैटाइमम् हैं।  लहसुन जमीन के अंदर पैदा होती है और पकने के बाद इसकी कलियां उपयोग की जाती है। लहसुन में पाए जानें वाले पौषक तत्व :: 1.प्रोटीन :: 6.3 प्रतिशत 2.कार्बोहाइड्रेट :: 21 प्रतिशत  3.वसा :: 1 प्रतिशत  4.खनिज लवण :: 1 प्रतिशत 5.वाष्पशील तेल :: 0.6 प्रतिशत 6.कैल्सियम ::...

दशमूल क्वाथ के लाभ और उपयोग। BENEFITS OF DASHMOOL KVATH DAKVATH

दशमूल क्वाथ के लाभ और उपयोग BENEFITS OF DASHMOOL KVATH DAKVATH दशमूल क्वाथ के फायदे से अधिकांश लोग आज अनभिज्ञ हैं आईयें जानतें दशमूल क्वाथ के फायदे  Dashmul kwath uses in Hindi  बारें में  दशमूल क्वाथ के बारे में भैषज्य रत्नावली में श्लोक है कि वातव्याधिं क्षयं छर्दिं पाण्डुरोगच्च कामलाम शर्करामश्मरी मूतरकृच्छं धातुक्षयंजयेत।। कृशानांपुष्टिजननो बन्ध्यानां पुत्रद,:पर।अरिष्टो दशमूलाखयस्तेज: शुकरबलपृद:।। 1. गर्भाशय संबंधी विकारों में विकारों में ::: यदि प्रसव होने के पश्चात 8 से 10 दिन हो गए हो, और स्त्री के गर्भाशय से  दुर्गंध युक्त रक्त स्त्राव हो रहा हो तो प्रतिदिन 10ml दशमूल क्वाथ सुबह-शाम देने से दुर्गंध युक्त रक्त स्त्राव बंद हो जाता है। यदि प्रसव के पश्चात प्रसूता स्त्री को ज्वर आ जाता हो तो दशमूल क्वाथ बहुत अच्छा लाभ प्रदान करता है इसके लिए दशमूल क्वाथ के साथ लक्ष्मी विलास रस का प्रयोग किया जाना चाहिए। लक्ष्मी विलास रस 3 ग्राम और दशमूल क्वाथ 5ml लेकर सुबह शाम प्रसूता स्त्री को सेवन करवाना चाहिए। दशमूल क्वाथ गर्भाशय को बल ...

टैकीकार्डिया Techycardia :: ह्रदय की असामान्य धड़कन

टैकीकार्डिया Techycardia : ह्रदय की असामान्य धड़कन  Techycardia टैकीकार्डिया Techycardia को समझने से पहले  हमारें ह्रदय की धड़कन hraday ki dhadkan की कार्यप्रणाली को समझना होगा। हमारा हृदय में  चार कक्ष होते हैं दो ऊपरी कक्ष जिन्हें आलय या आट्रिया कहते हैं तथा दो निचले कक्ष जिन्हें निलय या वेन्ट्रिकल  कहा जाता हैं। हमारे ह्रदय की धड़कन दाहिने आरट्रियल में स्थित साइनस नोड़ से बनती व नियंत्रित होती हैं।   साइनस नोड़ से निकलने वाली विधुत तरंगें सम्पूर्ण आट्रियम में जाती हैं जिसके कारण आट्रियम मांसपेशियां सिकुड़ती है और खून को ह्रदय के निचले कक्ष वेंट्रिकम में भेजती हैं।  इसी प्रकार विधुत तरंगें कोशिकाओं के समूह adioventricule ( AV Node) में आकर सिग्नल देती हैं। इस प्रक्रिया द्वारा ह्रदय की धड़कन नियंत्रित होती हैं। जब यह प्रक्रिया बाधित होती है तो ह्रदय की धड़कन असामान्य हो जाती हैं । जब ह्रदय की धड़कन बहुत ज्यादा होती हैं  तो इसे टैकीकार्डिया hraday ki dhadkan bhut jyda hoti hai to ise  techycardia और बहुत कम होती हैं तो...