आयुर्वैद चिकित्सा पद्धति यदि आज तक अपना अस्तित्व बनायें हुयें तो इसका सम्पूर्ण स्रेय आयुर्वैद के उन महान आचार्यों को जाता हैं, जिन्होनें बीमारीं को मात्र बीमारीं के रूप में न देखकर इसके सामाजिक, आर्थिक,मनोंवेञानिक,पर्यावरणीय कारको तक की चर्चा अपनें ग्रन्थों में की.एेसा ही एक महत्वपूर्ण मसला बच्चों की परवरिश को लेकर हैं. गर्भ संस्कार भी आयुर्वैद की इसी महान परंपरा का प्रतिनिधित्व करता हैं जिसकी चर्चा आधुनिकतम विञान भी करता हैं कि बच्चों की परवरिश बच्चें के दुनिया में आनें की बाद की प्रक्रिया नहीं है,बल्कि यह तो बच्चें के गर्भ में आनें के बाद ही शुरू हो जाती हैं. महाभारत में अभिमन्यु ने चक्रव्यू भेदनें का राज़ अपनी माँ के गर्भ में ही जान लिया था.आज के लोग पूछतें हैं,क्या यह संभव था ? और आज क्या यह संभव हैं ?इस सवाल का जवाब यही हैं कि यदि आपनें प्राचीन भारतीय आयुर्वैद ग्रन्थों और अन्य परंपरागत शास्त्रों का अध्ययन किया होता तो इस सवाल को पूछनें की ज़रूरत ही नहीं पड़ती फिर भी बताना चाहूँगा कि गर्भ संस्कार वही विधि हैं जिसके माध्यम मनचाहे व्यक्तित्व को ढाला (program) जा...
Healthy lifestyle सामाजिक,मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य उन्नत करते लेखों की श्रृंखला हैं