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VIDISHA UDAYGIRI CAVES GYARSPUR UDAYPUR ::A RICH HISTORICAL LEGACY

BHOPAL, CAPITAL OF MADHYPRADESH, IS THE IDEAL BASE FOR DISCOVRING THE RICH HISTORICAL AND CULTURAL LEGACY OF THE STATE. CLOSE TO THE CITY AND EASILY ACCESSIBLE BY ROAD AND RAIL ARE ANCIENT SITES OF GREAT DYNASTIES,FORTS,MONUMENTS,AND CAVE SCULPTURE, SOME OF THE FINEST EXAMPLE OF INDIAN ART AND ARCHITECTURE, CHRONICLED IN STONE, OF THE STATE'S UNIQUE HERITAGE OF FINE ANTIQUES.  WHAT TO SEE VIDISHA :: VIDISHA OR BESNAGAR AS IT IS CALLED IN THE PALI SCRIPTURE, ONCE THE PROSPERIOS CAPITAL OF THE WESTERN DOMINIONS OF THE SUNGAS,CONTAINS SOME REMARKABLE ANTIQUITIES THAT THROW LIGHT ON THE CONSIDERABLE ARCHITECTURAL DEVELOPMENT OF THE PERIOD. SITUATED IN THE FORK OF THE BETWA AND BES RIVERS ,VIDISHA,10 KM FROM SANCHI OCCUPIES AN IMPORTANT PLACE AMONGST THE ANCIENT CITIES IN INDIA. IN THE 6TH AND 5TH CENTURY BC,IT ROSE TO BECOME AN IMPORTANT TRADE CENTER AND BUSTLING CITY UNDER THE SUNGAS,NAGAS, SATVAHNS AND GUPTAS . THE EMPEROR ASHOKA WAS GOVERNOR OF VIDISHA AND

पेट्रोल की बढ़ती कीमत पर व्यंग। चिन्ताराम की चिंता CHINTARAM KI CHINTA

 चिंताराम की चिंता हमारें गाँव के बगल वाले गाँव में ही रहतें हैं । मिस्टर चिंताराम 😱😱😱 चूंकि हमारे और उनके गाँव की दूरी ज्यादा नहीं हैं,इसलिए चिंताराम जी को जब भी वक़्त मिलता हमारे गाँव की चौपाल पर बैठने आ जाते हैं ।  अब चूंकि चौपाल पर बैठते तो चिंताराम अपने नाम के अनुरूप देश समाज पर अपनी चिंता व्यक्त कर ही देते ! कर ही क्या देते गाँव के बुजुर्ग तो यही कहते हैं कि जब तक चिंताराम किसी मुद्दे पर चिंता व्यक्त नहीं कर दे चिंताराम का गाँव आना और चौपाल पर बैठना सफल ही नहीं होता ।  आज भी चिंताराम चौपाल 👳पर बैठकर देश के नेताओं के बयानों पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं । कह रहे थे कैसे - कैसे नेता हैं जी बोलते कुछ और हैं करतें कुछ और ! जब विपक्ष में थे तो पेट्रोल डीजल ⛽⛽⛽  की कीमतों को लेकर रोज धरना आंदोलन 💃💃💃करते थे । पर अब सत्ता में आ गये और हमनें उन्हें याद दिलाया कि नेताजी आपने तो घोषणा की थी की सरकार बनते ही पेट्रोल डीजल के भाव कम कर देंगे पर हाय राम ! अब ये क्या बात हुई पेट्रोल डीजल के दाम तो अमरबेल की तरह बढ़ते ही जा रहें हैं खेतों में ट्रैक्टर ले जाने से प

स्वास्थप्रद रोटी और चटनिया

🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳 *स्वास्थप्रद रोटी और चटनिया 🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳 🌱आटा अम्लीय होता है,, मात्र चोकर वाला अंश क्षारीय होता है। । मानवीय स्वास्थ्य के लिए रोटी को प्राकृतिक गुणों से भरपूर बनाने का तरीक़ा यह है कि रोटी बनाने वाले आटे में शाक सब्जियों को पीसकर या उनका रस मिलाकर रोटी बनाएं। । यहां पर कुछ तरीके प्रयोग के तौर पर दिए गए हैं-- *🍀 (1) मूली की रोटी--* मूली को कसकर आटे में मिला दें,, स्वादानुसार सेंधा नमक,, काली मिर्च,, अजवायन,, जीरा,, हल्दी मिलाकर आटा गूंथकर आधे घंटे बाद रोटी बना लें। लाभ-- बवासीर,, कब्ज दूर करता है। । लीवर को बल मिलता है। । *🌴(2) बथुआ की रोटी--* बथुआ की पत्तियों को धोकर,, पीसकर आटे में मिलाकर रोटी बनाएं। । स्वादानुसार क्र0 1 के अनुसार खाद्य मसाले डालें। ।            लाभ-- रक्तवृद्धि,, रक्तशुद्धि,, वात दोश नाशक,, जीवनीशक्ति वर्द्धक। । *☘(3) पालक की रोटी--* पालक के पत्ते धोकर पीस लें तथा इसमें नमक,, जीरा,, अजवायन,, सेंधा नमक मिलाकर रोटी बनाएं। ।         लाभ-- कब्ज निवृत्ति तथा एनीमिया में लाभप्रद। । *🌿(4) लौकी की रोटी--* आटे में लौकी का रस

औषधियों में विराजमान नवदुर्गा

औषधियों में विराजमान नवदुर्गा एक मत यह कहता है कि ब्रह्माजी के दुर्गा कवच में वर्णित नवदुर्गा नौ विशिष्ट औषधियों में विराजमान हैं। ◆●◆●◆●◆●◆●◆● हरड़ (1) प्रथम शैलपुत्री (हरड़) :  शैलपुत्री कई प्रकार के रोगों में काम आने वाली औषधि हरड़ हिमावती है जो देवी शैलपुत्री का ही एक रूप है। यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है। यह पथया, हरीतिका, अमृता, हेमवती, कायस्थ, चेतकी और श्रेयसी सात प्रकार की होती है।  (2) ब्रह्मचारिणी (ब्राह्मी) :  ब्राह्मी  ब्रम्हचारिणी ब्राह्मी आयु व याददाश्त बढ़ाकर, रक्तविकारों को दूर कर स्वर को मधुर बनाती है। इसलिए इसे सरस्वती भी कहा जाता है। (3) चंद्रघंटा (चंदुसूर) :  चन्द्रघंटा यह एक ऎसा पौधा है जो धनिए के समान है। यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद है इसलिए इसे चर्महंती भी कहते हैं।  (4) कूष्मांडा (पेठा) :  माता कुष्मांडा इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है। इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं। इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो रक्त विकार दूर कर पेट को साफ करने में सहायक है। मानसिक रोगों में यह अमृत समान है।  (5) स्कंदमाता (अलसी) : देवी स्कंदमाता औषधि के

पर्यटन स्थल ग्वालियर और ओरछा [ PARYATAN STHAL GWALIOR AUR ORCHA]

 पर्यटन स्थल ग्वालियर और ओरछा   पर्यटन स्थल                   ।।। ग्वालियर ।।। ग्वालियर मध्यप्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित एक एतिहासिक नगर हैं । यहाँ अनेक राजवंशों ने राज किया जिनमे प्रतिहार , कछवाह और तोमर वंश विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इन राजवंशो ने राजप्रसाद ,मन्दिर,और स्मारकों को बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था । इसके अतिरिक्त अनेक कवियों ,संगीतकारों ,और साधु संतों ने अपने योगदान से इस नगर को अधिकाधिक समृद्धिऔर सम्पनता दी । आज यह नगर भारत के प्रमुख शहरों में शुमार किया जाता हैं जीवन की स्पंदन और हलचल से ओतप्रेत यह नगर देशी विदेशी पर्यटकों के लिये सदैव आकर्षण का केन्द्र रहा हैं । ●ग्वालियर का इतिहास ::: आठवी शताब्दी में सूरज सेन नामक राजा यहाँ राज करता था । वह एक बार वह भयंकर बीमारी से ग्रस्त हो गया अनेक वैधों से इलाज करवाने के बाद भी जब वह निरोग नही हुआ तो वह ग्वालिपा नामक एक साधु की शरण में गया यह साधु एकांतवास में जीवन व्यतीत करता था । साधु की कृपा से सूरज सेन निरोग हो गया कृतज्ञता स्वरूप सूरज सेन ने इस नगर का नामकरण उन्ही के नाम पर कर दिया । ग्वालि