सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Immunotherapy- कैंसर उपचार की सबसे नई तकनीक

immunotherapy इम्यूनोथेरेपी क्या है


"Immunotherapy" कैंसर के उपचार की नवीनतम जैविक तकनीक है जिसमें मनुष्य के प्रतिरोधक क्षमता को कैंसर कोशिकाओं से लड़ने हेतू कृत्रिम रूप से बढ़ा दिया जाता हैं। ताकि प्रतिरोधक कोशिकाएं (T-cell) कैंसर कोशिकाओं को पहचान कर समाप्त कर सकें। इम्यूनोथेरेपी में प्रयुक्त पदार्थ मनुष्य के शरीर से ही निकाल कर उपचार किया जाता है।"

इम्यूनोथेरेपी से न केवल प्रथम स्टेज बल्कि चोथी अवस्था तक के सभी प्रकार के कैंसर का निदान सफलतापूर्वक किया जा रहा है।


Immunotherapy द्वारा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढाने के दो तरीके होते हैं


1.रोग प्रतिरोधक कोशिकाओं (T-cell) को शरीर से बाहर निकाल कर लेब में मोडिफाइड किया जाता हैं और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता हैं।


2.कैंसर रोगी के शरीर में विशेष रूप से तैयार एंटीबॉडी Antibody पंहुचा कर कैंसर कोशिकाओं को समाप्त किया जाता है।
कैंसर इम्यूनोथेरेपी, कैंसर कोशिकाएं, कैंसर
कैंसर कोशिकाएं


कैंसर इम्यूनोथेरेपी के प्रकार

कैंसर इम्यूनोथेरेपी चार प्रकार की होती हैं

1.T-cell ट्रांसफर थेरेपी या एडाप्टिव सेल थेरेपी adoptive cell therapy


T-cell ट्रांसफर थेरेपी या एडाप्टिव सेल थेरेपी में टी सेल कोशिकाओं की कैंसर से लड़ने की क्षमता को बढ़ाया जाता है। इस थेरेपी में रोगी के खून से T-cell कोशिका लेकर प्रयोगशाला में इस प्रकार मोडिफाइड किया जाता हैंं कि ये कोशिकाएं कैंसर कोशिकाओं को पूरी क्षमता से नष्ट कर दें, इसके लिए इन T-cell कोशिकाओं पर विशेष रिसेप्टर उत्पन्न किए जाते हैं जब इन T-cell कोशिकाओं को रोगी के शरीर में प्रविष्ट कराया जाता हैं तो रिसेप्टर कैंसर कोशिकाओं को पहचान कर उससे चिपक जाते हैं और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर देते हैं। 


T-cell ट्रांसफर थेरेपी या एडाप्टिव सेल थेरेपी ब्लड कैंसर के इलाज में बहुत प्रभावी सिद्ध होती हैं।


2.मोनोक्लोनल एंटीबाडी Monoclonal antibody


हमारे शरीर का प्रतिरोधी तंत्र मोनोक्लोनल एंटीबाडी का निर्माण करता है,यह एंटीबाडी शरीर में बीमारी पैदा करने वाले बेक्टेरिया, वायरस या कैंसर कोशिकाओं के सतह पर स्थित एंटीजन को पहचान कर उससे चिपक जाती हैं और इन्हें समाप्त कर देती हैं। कैंसर के इलाज के लिए इस प्रकार की मोनोक्लोनल एंटीबाडी विशेष रूप से तैयार कर कैंसर रोगी के शरीर में प्रविष्ट कराई जाती हैं । मोनोक्लोनल एंटीबाडी को थेरेपेटिक एंटीबाडी भी कहते हैं।


3.इम्यून चेक प्वाइंट इन्हेबिटर Immune checkpoint inhibitors



इम्यून चेकप्वाइंट इन्हीबिटर एक दवा है जो T-cell पर स्थित प्रोटीन PD-1 को ब्लाक कर देती है,PD-1 प्रोटीन कैंसर कोशिकाओं का रक्षक बन T-cell को कैंसर कोशिकाओं पर आक्रमण करने से रोक देता है। 


इम्यून चेकप्वाइंट इन्हीबिटर से T-cell सक्रिय होकर कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। यह थेरेपी ब्रेस्ट कैंसर, फेफड़ों का कैंसर,त्वचा कैंसर, किडनी कैंसर, लिवर कैंसर में बहुत प्रभावकारी होती हैं।

4.इम्यून सिस्टम माड्यूलेटर Immune system modulator


इम्यून सिस्टम माड्यूलेटर अंग विशेष की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर कैंसर से बचाव करते हैं उदाहरण के लिए इम्यून सिस्टम माड्यूलेटर को गर्भाशय ब्लेडर में प्रविष्ट करवाकर गर्भाशय कैंसर कोशिकाओं और ब्लेडर कैंसर कोशिकाओं को मारा जाता हैं।


कैंसर वैक्सीन Cancer vaccine


कैंसर वैक्सीन के द्वारा cervical कैंसर,लिवर कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर से बचाव किया जाता हैं,यह वैक्सीन कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए शरीर के प्रतिरोधक क्षमता को उत्प्रेरित करती है।


कैंसर इम्यूनोथेरेपी की सफलता दर immunotherapy success rate



कैंसर इम्यूनोथेरेपी Cancer Immunotherapy कैंसर के इलाज की बहुत आधुनिकतम तकनीक है जो कैंसर के इलाज में अन्य पद्धतियों जैसे स्टेम सेल थेरेपी, किमोथेरेपी, रेडिएशन और आपरेशन के मुकाबले बहुत प्रभावी हैं । इम्यूनोथेरेपी से तीसरी और चोथी स्टेज कैंसर का भी इलाज संभव है और मरीज कम दुष्प्रभाव के साथ लम्बा जीवन जी सकता हैं। 

कैंसर इम्यूनोथेरेपी के साइड इफेक्ट

✓ ब्लड प्रेशर कम होना

• निम्न रक्तचाप का घरेलू उपचार


✓ बुखार आना

✓ भूख नहीं लगना

✓त्वचा में खुजली, दर्द,त्वचा का लाल होना तथा त्वचा की एलर्जी होना

✓ शरीर और जोड़ों में दर्द बने रहना

✓ सर्दी खांसी होना

✓ चक्कर आना

✓ उल्टी होना

✓ सांस लेने में दिक्कत होना


✓ शरीर में सूजन आना



 किमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी में से कौंन सी बेहतर है


Journal of clinical oncology में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार जान हापकिंस किमेल कैंसर इंस्टीट्यूट  में हुए अध्ययन के अनुसार Immunotherapy किमोथेरेपी के मुकाबले ज्यादा प्रभावकारी और जान बचाने वाली तकनीक है।

Journal of clinical oncology के मुताबिक  Merkel cell carcinoma जो त्वचा का एक प्रकार का कैंसर होता हैं से पीड़ित 50 रोगीयों को जब इम्यूनोथेरेपी दी गई तो 50 में 28 कैंसर पीड़ितों ने बहुत बेहतर महसूस किया जबकि 12 कैंसर पीड़ितों का कैंसर पूरी तरह से ठीक हो गया । 

बाकि लोग कैंसर इम्यूनोथेरेपी के बाद दो साल से अधिक समय तक जीवित रहे।

इस संबंध में शोधकर्ताओं का मानना है कि 

"इम्यूनोथेरेपी किमोथेरेपी के मुकाबले बेहतर है क्योंकि इसमें सीधे कैंसर कोशिकाओं को लक्ष्य करने के बजाय शरीर की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर कैंसर कोशिकाओं को मारा जाता हैं।"


भारत में कैंसर इम्यूनोथेरेपी का कितना खर्च आता है Immunotherapy cost in india in hindi 2023

भारत में कैंसर इम्यूनोथेरेपी एक नई तकनीक है जो कि देश के बड़े शहरों मुम्बई, दिल्ली, कोलकाता, पुणे,चेन्नई, बेंगलुरु आदि में उपलब्ध हैं, विशेषज्ञों के मुताबिक इम्यूनोथेरेपी के 6 से 8 सत्र होतें हैं जो दो साल तक चलते हैं जिनकी लागत लगभग 80 से 1 लाख प्रतिमाह आती है।


स्टीरियोटैक्टिक रेडियो सर्जरी


स्टीरियोटैक्टिक रेडियो सर्जरी "कैंसर उपचार की नई तकनीक" है। इस तकनीक में बिना आपरेशन करें कैंसर कोशिकाओं को शक्तिशाली एक्स रे द्वारा नष्ट किया जाता है। 

स्टीरियोटैक्टिक रेडियो सर्जरी की शुरुआत सबसे पहले लिस्बन पुर्तगाल के प्रोफेसर कार्लो ग्रेनो ने की थी।

स्टीरियोटैक्टिक रेडियो सर्जरी में जी पी एस तकनीक द्वारा कैंसरग्रस्त कोशिकाओं की पहचान कर सिर्फ कैंसर कोशिकाओं पर ही हाई डोज रेडिएशन थेरेपी दी जाती है जिससे शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को कोई नुकसान नही पंहुचता हैं, जैसा कि कीमौथैरेपी में होता है। 

स्टीरियोटैक्टिक रेडियो सर्जरी किस प्रकार के कैंसर में प्रभावी होती हैं 

• स्तन कैंसर

• मस्तिष्क कैंसर

• रीढ़ की हड्डी का कैंसर

• फेफड़ों का कैंसर

• आंतों का कैंसर

• प्रोस्टेट कैंसर

• शरीर के आंतरिक भागों का कैंसर जिसमें कीमौथैरैपी देना संभव नही होता हैं ।

स्टीरियोटैक्टिक रेडियो सर्जरी के लाभ


• कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को टारगेट करती हैं जिससे स्वस्थ कोशिकाओं और शरीर के दूसरे अंगों को कोई नुकसान नही पंहुचता हैं।

• जीपीएस सिस्टम की वजह से ऐसी जगहों पर जहां कैंसर कोशिकाओं के ऊपर निचे होने की संभावना रहती है वहां भी स्टीरियोटैक्टिक रेडियो सर्जरी कारगर है । जैसे फैंफडो का कैंसर

• एक साथ शरीर की बीस जगहों पर रेडिएशन दिया जा सकता है।

• स्टीरियोटैक्टिक रेडियो सर्जरी की सफलता दर 80 प्रतिशत से ऊपर होती हैं।

• अधिक उम्र में, कमजोर व्यक्तियों या अन्य बीमारियों से ग्रस्त रोगी को भी स्टीरियोटैक्टिक रेडियो सर्जरी आसानी से दी जा सकती हैं जबकि उपरोक्त समस्याओं में परंपरागत किमौथैरैपी देना संभव नहीं होता हैं।

• रेडिएशन देने का समय 15 से 20 मिनट होता है जो सामान्य रेडियो सर्जरी के एक घंटे के मुकाबले बहुत कम है।

• आंतरिक अंगों के कैंसर में इस रेडिएशन थेरेपी द्वारा आसानी से रेडिएशन दिया जा सकता है।

स्टीरियोटैक्टिक रेडियो सर्जरी की सीमाएं


• स्टीरियोटैक्टिक रेडियो सर्जरी 1 से 3 सेमी के ट्यूमर में कारगर होती हैं, इससे बड़े ट्यूमर में इसकी सफलता दर कम रहती है।

• देश के बड़े महानगरों और बडे़ अस्पतालों में ही उपलब्ध हैं।

• स्टीरियोटैक्टिक रेडियो सर्जरी के 3 से 5 बार सेशन होते हैं जिनकी लागत 1 लाख रुपए प्रति सेशन पड़ती है जो गरीब वर्ग के लिए बहुत मंहगी हैं।

• धूम्रपान छोड़ने के अचूक उपाय

• नाखून देखकर जानिए सेहत का हाल

• चवनप्राश

• सिकल सेल एनिमिया

• दही खाने के फायदे

Reference ::

https://www.webmd.com/cancer/multiple-myeloma/car-t-cell-therapy-multiple-myeloma


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER  पतंजलि आयुर्वेद ने high blood pressure की नई गोली BPGRIT निकाली हैं। इसके पहले पतंजलि आयुर्वेद ने उच्च रक्तचाप के लिए Divya Mukta Vati निकाली थी। अब सवाल उठता हैं कि पतंजलि आयुर्वेद को मुक्ता वटी के अलावा बीपी ग्रिट निकालने की क्या आवश्यकता बढ़ी। तो आईए जानतें हैं BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER के बारें में कुछ महत्वपूर्ण बातें BPGRIT INGREDIENTS 1.अर्जुन छाल चूर्ण ( Terminalia Arjuna ) 150 मिलीग्राम 2.अनारदाना ( Punica granatum ) 100 मिलीग्राम 3.गोखरु ( Tribulus Terrestris  ) 100 मिलीग्राम 4.लहसुन ( Allium sativam ) 100  मिलीग्राम 5.दालचीनी (Cinnamon zeylanicun) 50 मिलीग्राम 6.शुद्ध  गुग्गुल ( Commiphora mukul )  7.गोंद रेजिन 10 मिलीग्राम 8.बबूल‌ गोंद 8 मिलीग्राम 9.टेल्कम (Hydrated Magnesium silicate) 8 मिलीग्राम 10. Microcrystlline cellulose 16 मिलीग्राम 11. Sodium carboxmethyle cellulose 8 मिलीग्राम DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER INGREDIENTS 1.गजवा  ( Onosma Bracteatum) 2.ब्राम्ही ( Bacopa monnieri) 3.शंखपुष्पी (Convolvulus pl

गेरू के औषधीय प्रयोग

गेरू के औषधीय प्रयोग गेरू के औषधीय प्रयोग   आयुर्वेद चिकित्सा में कुछ औषधीयाँ सामान्य जन के मन में  इतना आश्चर्य पैदा करती हैं कि कई लोग इन्हें तब तक औषधी नही मानतें जब तक की इनके विशिष्ट प्रभाव को महसूस नही कर लें । गेरु भी उसी श्रेणी की   आयुर्वेदिक औषधी   हैं। जो सामान्य मिट्टी   से   कहीं अधिक   इसके   विशिष्ट गुणों के लिए जानी जाती हैं। गेरु लाल रंग की मिट्टी होती हैं। जो सम्पूर्ण भारत में बहुतायत मात्रा में मिलती हैं। इसे गेरु या सेनागेरु कहते हैं। गेरू  आयुर्वेद की विशिष्ट औषधि हैं जिसका प्रयोग रोग निदान में बहुतायत किया जाता हैं । गेरू का संस्कृत नाम  गेरू को संस्कृत में गेरिक ,स्वर्णगेरिक तथा पाषाण गेरिक के नाम से जाना जाता हैं । गेरू का लेटिन नाम  गेरू   silicate of aluminia  के नाम से जानी जाती हैं । गेरू की आयुर्वेद मतानुसार प्रकृति गेरू स्निग्ध ,मधुर कसैला ,और शीतल होता हैं । गेरू के औषधीय प्रयोग 1. आंतरिक रक्तस्त्राव रोकनें में गेरू शरीर के किसी भी हिस्से में होनें वाले रक्तस्त्राव को कम करने वाली सर्वमान्य औषधी हैं । इसके ल

होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर #1 से नम्बर #28 तक Homeopathic bio combination in hindi

  1.बायो काम्बिनेशन नम्बर 1 एनिमिया के लिये होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर 1 का उपयोग रक्ताल्पता या एनिमिया को दूर करनें के लियें किया जाता हैं । रक्ताल्पता या एनिमिया शरीर की एक ऐसी अवस्था हैं जिसमें रक्त में हिमोग्लोबिन की सघनता कम हो जाती हैं । हिमोग्लोबिन की कमी होनें से रक्त में आक्सीजन कम परिवहन हो पाता हैं ।  W.H.O.के अनुसार यदि पुरूष में 13 gm/100 ML ,और स्त्री में 12 gm/100ML से कम हिमोग्लोबिन रक्त में हैं तो इसका मतलब हैं कि व्यक्ति एनिमिक या रक्ताल्पता से ग्रसित हैं । एनिमिया के लक्षण ::: 1.शरीर में थकान 2.काम करतें समय साँस लेनें में परेशानी होना 3.चक्कर  आना  4.सिरदर्द 5. हाथों की हथेली और चेहरा पीला होना 6.ह्रदय की असामान्य धड़कन 7.ankle पर सूजन आना 8. अधिक उम्र के लोगों में ह्रदय शूल होना 9.किसी चोंट या बीमारी के कारण शरीर से अधिक रक्त निकलना बायोकाम्बिनेशन नम्बर  1 के मुख्य घटक ० केल्केरिया फास्फोरिका 3x ० फेंरम फास्फोरिकम 3x ० नेट्रम म्यूरिटिकम 6x