गुरु और शिष्य आश्रम का अर्थ ::: भारतीय जीवन पद्धति मनुष्य जीवन को 100 वर्षों का मानती हैं.और 100 वर्षों के जीवन चक्र को शरीर की ,समाज की उपयोगिता आवश्यकता के दृष्टिकोण से चार भागों में विभाजित करती हैं. आश्रम का अर्थ भी श्रम यानि उघम हैं,अर्थात मनुष्य श्रम करता हुआ जीवन के अंतिम लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त करें. आश्रम का एक अन्य अर्थ ठहराव या पड़ाव भी हैं.ये वे ठहराव स्थल हैं जहाँ मनुष्य कुछ समय रूककर अपनी आगामी जीवन यात्रा की तैयारी करता हैं. महाभारत के अनुसार जीवन के चार आश्रम व्यक्तित्व और समाज के विकास की चार सीढ़ीयाँ हैं,जिन पर चढ़कर व्यक्ति परम ब्रम्ह को प्राप्त करता हैं. भारतीय संस्कृति के जो चार कर्तव्य (धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष ) हैं,इन कर्तव्यों के द्धारा समाज,परिवार,और व्यक्तित्व का विकास भी आश्रम व्यवस्था द्धारा ही संभव हैं.जब एक आश्रम में व्यक्ति सफल जीवन जीता हैं,तो उसका दूसरा आश्रम भी सफ़ल हो जाता हैं. मनुष्य जीवन को 100 वर्षों का मानकर चार आश्रमों में विभाजन किया हैं. आईए जानते हैं आश्रम और आश्रम व्यवस्था की प्रासंगिकता और आश्रमों के बारें मे
"Healthy lifestyle"सामाजिक,मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य उन्नत करते लेखों की श्रृंखला हैं