सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Yogic management of alcohol Dependence

 What is  Alcohol Dependence Alcohol dependence means drinking excessively i.e. more than the recommended limits of alcohol consumption. It is a condition characterized by the harmful consequences of repeated alcohol use, a pattern of compulsive alcohol use, and sometimes physiological dependence on alcohol (i.e., tolerance and/or symptoms of withdrawal). This disorder is only diagnosed when these behaviors become persistent and very disabling or distressing. Alcohol consumption can result in the impairment of social, legal, interpersonal and occupational functions. It can lead to a number of harmful physical and psychological effects, such as alcohol poisoning, cirrhosis of the liver, inability to work and socialise and destructive behaviors, such as drink-driving. Criteria for Alcohol Dependence Restriction to one type of alcohol Priority of drinking over other activities Tolerane to the effects of alcohol Repeated withdrawal symptoms Relief of withdrawal symptoms by further drinking

Can Homeopathy help manage menopause

  What is menopause  Menopause is a natural part of aging in a woman. It is said to have occured when a woman's menstrual cycles have stopped for at least 1 year. The mean age of attaining menopause is from 45-55 years. Why is it important for me to understand Menopause? In the past, number of women who used to die owing to one or the other medical reason before attaining menopause was very high. But with advances in Medicine, the average life span of a woman has increased and most women today survive well past their menopausal age. Projected figures in 2026 have estimated the menopausal population in India will be 103 million. Therefore, it is important for all middle- age women to understand menopause and embrace it as a natural milestone. What symptoms can I experience? ⚫ Irregular menstrual cycles Hot flushes/sweating ⚫ Palpitation ⚫ Mood swings ⚫ Joint-related problems When should I see a doctor? Sudden post menopausal bleeding ⚫ Lump in breast Blood Pressure related problems

MENSTRUAL CUP - उपयोग के फायदे और नुकसान क्या हैं

  महिलाओं की माहवारी में काम आने वाले मेन्स्ट्रुअल कप का प्रोटोटाइप पहली बार 1930 के दशक में सामने आया. MENSTRUAL CUP पेटेंट का पहला आवेदन 1937 में अमेरिकी अभिनेत्री लियोना चामर्स ने किया था. पिछले कुछ सालों में MENSTRUAL CUP  के ज़्यादा आधुनिक और उन्नत संस्करण सामने आए हैं. सिलिकॉन, रबर या लेटेक्स से बने छोटे कप के आकार की ये वस्तु महिलाओं की ज़िंदगी में धीरे-धीरे ही सही लेकिन यह अब सैनिटरी पैड की जगह लेने लगा है. इसका एक कारण ये भी है कि सैनिटरी पैड केवल एक ही बार उपयोग में आता है, जबकि मेंस्ट्रुअल कप ज़्यादा व्यावहारिक और टिकाऊ होता है.  MENSTRUAL CUP कप लचीले उत्पादों से बना होता है, लिहाजा महिलाओं के जननांग के भीतर यह कोई तकलीफ़ पैदा नहीं करता. दक्षिण अमेरिकी देश ब्राजील के साओ पाउलो के एक अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ अलेक्जेंड्रे पुपो इस बारे में अधिक जानकारी देती हैं. उनके अनुसार, "इसका उपयोग करने वाली महिलाओं का कहना है कि इसका लाभ यह भी है कि इसका पता बिकनी या लेगिंग जैसे कपड़ों में नहीं चलता. वहीं यह टैंपोन की तरह फ़ालतू तत्व भी पैदा नहीं करता." MENSTRUAL CUP कई स

Kidney disease Ayurvedic medicine - सर्वोतोभद्रा वटी

  आयुर्वेद के ग्रंथों में मूत्रकृच्छ्र, मूत्राघात, अश्मरी आदि मूत्रवह संस्थान से संबंधित व्याधियों के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध है। लेकिन इन ग्रंथों में वृक्करोग एवं उनकी चिकित्सा के बारे में अलग से अध्याय का वर्णन नहीं मिलता। वृक्करोग एवं उनकी चिकिस्ता के लिए भैषज्य रत्नावली इस ग्रंथ में एक स्वतंत्र अध्याय का वर्णन मिलता है, जहाँ पर सर्वतोभद्रा वटी का वर्णन किया गया है। वृक्क रोगों से पीडित रुग्णों की चिकित्सा यह एक अत्यंत पेचीदा एवं कठिन विषय है, क्योंकि इन रोगों से पीडित रुग्ण बहुत देर से आयुर्वेद चिकित्सक के पास आते हैं। ऐसे समय अधिक तर रुग्ण डायलेसिस जैसे आधुनिक चिकित्सा उपक्रमों के आधार पर जिंदगी को संभाले हुए रहते हैं। ऐसी अवस्था में आयुर्वेद चिकित्सक के पास उनकी उचित चिकित्सा के लिए बहुत ही कम समय रहता है। अधिकतर रुग्ण धातु क्षय तथा ओज क्षय की गंभीर अवस्था में रहते हैं, जो चिकित्सा की दृष्टि से अत्यंत जटिल अवस्था में पहुँचे हुए होते हैं। वृक्क विकृती का असर अन्य महत्वपूर्ण कोष्ठांगों पर होने से व्याधिसंकर की अवस्था उत्पन्न होती है जो इस रोग को असाध्यता की ओर अग्रेसर करती

ऊंझा राजाशाही शक्ति अमृत रसायन के फायदे

  आम तौर पर हमारे शरीर को सभी मौसम में विटामिन और पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। संक्रमण पैदा करने वाले कीटाणु बिना किसी मौसम के जानते किसी भी समय आपको हानि पंहुचा सकते हैं। आज के आधुनिक व्यस्त जीवन शैली में स्वस्थ जीवन की दिशा में शरीर का कायाकल्प और पुनरुद्धार एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम बन गया है। इस भागती-दौड़ती जीवनशैली में स्वास्थ्य एक ऐसा कारक है जिसकी अक्सर उपेक्षा की जाती है। इसीलिए आवश्यक है कि आहार के साथ साथ पूरक द्रव्यों का नियमित सेवन करे। इसके चलते उंझा फार्मसी ने एक बेहतर प्रोडक्ट बनाया है जिसे उंझा राजाशाही शक्ति अमृत रसायन के रूप में जाना जाता है। उंझा राजाशाही शक्ति अमृत रसायन स्वर्ण भस्म, हीरक भस्म, मुक्त पिष्टी, बंग भस्म, चांदी वर्क, शुद्ध शिलाजीत, जावन्त्री, केशर, तज, बादाम, काजू, मुन्नका, अश्वगंधा, मूसली, जैसे उत्तम स्वास्थ्यवर्धक औषधियों के मिश्रण से बना है। राजाशाही शक्ति अमृत रसायन एक बेहतर रसायन, , वाजीकरण तथा बलवर्धक है। जिसके दैनिक सेवन से आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है, बेहतर पाचन को बढ़ावा देता है तथा यौन शक्ति बढ़ाने के लिए बहुत उपयोगी है, और क

Dabur stresscom ke fayde aur side effects

  Dabur stresscom ke fayde aur side effects  डाबर stresscom capsule विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा निर्माता कंपनी डाबर का उत्पादन हैं। कंपनी के अनुसार यह उत्पाद न केवल आयुर्वेद चिकित्सकों में बल्कि ऐलोपैथिक चिकित्सकों में भी लोकप्रिय हैं। डाबर के अनुसार डाबर स्ट्रैसकाम केप्सूल Most trusted brand in stress management का 9 th cims healthcare excellence award 2021 प्राप्त हैं। डाबर स्ट्रैसकाम केप्सूल  डाबर स्ट्रैसकाम केप्सूल में मौजूद तत्व  डाबर स्ट्रैसकाम केप्सूल में अश्वगंधा की जड़ का सत होता हैं एक केप्सूल में यह 300 मिली ग्राम होता हैं। इसके अलावा Dabur stresscom capsule में Presarvative के रूप में methylparaben,propyleparaben आदि मौजूद रहते हैं। डाबर स्ट्रैसकाम केप्सूल के फायदे • डाबर स्ट्रैसकाम केप्सूल के क्लिनिकल ट्रायल के दौरान यह सामने आया कि लगातार दो महिने के सेवन से डाबर स्ट्रैसकाम केप्सूल • तनाव को 64.2% कम कर देता हैं। • चिंता और घबराहट में 75.6% कमी ला देता हैं। • अवसादग्रस्त अवस्था को 77% तक ठीक कर देता हैं। • डाबर स्ट्रैसकाम केप्सूल serum cortisol के स्तर में उल्लेखनीय कमी

5 easy Baby massage steps : शिशुओं की मालिश के 5 आसान स्टेप्स

 शिशुओं की मालिश, आपके और आपके शिशु के बीच सकारात्मक स्पर्श के माध्यम से संवाद का एक जादूई, घनिष्ठ, और प्यार भरा तरीका है। स्पर्श ही वह पहली भाषा है, जिसे शिशु समझते हैं। और प्रतिक्रिया करते हैं। अपने शिशु को पोषण देने और देखभाल करने का यह सबसे सरल और सबसे असरदार तरीका है। इसके अलावा, यह आपके शिशु को आपके स्नेह के बंधन में भी बांधता है। बेबी मालिश, हमेशा ही हमारी परम्परागत संस्कृति का हिस्सा रहा है और इसमें आपके शिशु तथा आपके लिए भी ढेरों लाभ छिपे हुए हैं। शोध अध्ययनों से पता चला है कि शिशु की मालिश करने से चमत्कार हो सकता है यह चिल्लाना, चिडचिड़ापन कम कर सकते हैं, तथा रात में अच्छी नींद देता है। यह आपके शिशु की भावनात्मक स्वस्थता और हड्डियों को मजबूत करने के लिए भी अच्छा है। शिशुओं की मालिश कब करना चाहिए  ऐसा वक्त चुनें जब आप और आपका शिशु सहज और शांत हों। शिशु को आहार देने के बाद मालिश करने की सलाह दी जाती है।  दोपहर के शुरुआती समय को ठीक माना जाता है, क्योंकि इस वक्त मौसम में गर्माहट रहती है, शिशु जागृत, आपके स्पर्श के लिए तैयार होता है और भूखा या चिड़चिड़ा नहीं होता, इसलिए अधिक सक्र

Traditional Tibetan Medicine - SOWA - RIGPA, Method of SOWA RIGPA Treatment

Traditional Tibetan Medicine - SOWA - RIGPA, Method of SOWA RIGPA Treatment "Sowa-Rigpa" means Science of Healing in Bhoti language, it is popularly known as Amchi or Tibetan medicine in In dia. Sowa-Rigpa is one of the oldest, Living and well documented medical tradition of the world with its origin to Bhagwan Bud dha in India.  Medicine Buddha It has been popularly practice in Himalayan regions through out central Asia. In India it has been popularly practice in Ladakh, Himachal Pradesh, Arunachal Pradesh, Sikkim, Darjeeling and now in Ti betan settlements all over India.  Sowa Rigpa was formally incorporated under AYUSH Ministry after its formal recogni tion by amendment to the Indian Medicine Central Council Act, 1970 in 2010 and it be came the 6th recognised AYUSH system of medicines. Healthy and unhealthy body  According to Sowa-Rigpa, a healthy body is typified as a state of balance of three hu mors (Nespa-sum), seven physical constitu ents (Luszungs- Idun) and three e

प्राकृतिक चिकित्सा [Naturopathy] पद्धति क्या हैं, सिद्धान्त और प्राकृतिक चिकित्सा की विधियां

प्राकृतिक चिकित्सा [Naturopathy] पद्धति क्या हैं,सिद्धान्त और प्राकृतिक चिकित्सा की विधियां  प्राकृतिक चिकित्सा Naturopathy स्वस्थ जीवन बिताने की एक कला एवं विज्ञान है। यह ठोस सिद्धांतों पर   आधारित एक औषधिरहित रोग निवारण पद्धति है।  स्वास्थ्य, रोग तथा चिकित्सा सिद्धांतों के संबंध   में प्राकृतिक चिकित्सा के विचार नितान्त मौलिक हैं। "प्राकृतिक चिकित्सा"एक अति प्राचीन विज्ञान है। वेदों व अन्य प्राचीन ग्रंथों में हमें इसके अनेक   संदर्भ मिलते हैं। “विजातीय पदार्थ का सिद्धांत", "जीवनी शक्ति सम्बन्धी अवधारणा” तथा अन्य धारणाएं जो प्राकृतिक चिकित्सा को आधार प्रदान करती हैं,  प्राचीन ग्रन्थों में पहले से ही उपलब्ध है। तथा इस बात की ओर संकेत करती हैं कि इनका प्रयोग प्राचीन भारत में व्यापक रूप से प्रचलित था। प्राकृतिक चिकित्सा व अन्य चिकित्सा प्रणालियों में मुख्य अन्तर यही है कि प्राकृतिक चिकित्सा का दृष्टिकोण समग्रता का है जबकि अन्य चिकित्सा पद्धतियों का दृष्टिकोण विशिष्टता का।  प्राकृतिक चिकित्सा Naturopathy प्रत्येक रोग के अलग-अलग कारण तथा उसकी विशिष्ट चिकित्सा में विश्वा