सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Superfood: सुपरफूड देसी घी खानें के फायदे

Superfood सुपरफूड देसी घी खानें के फायदे

अस्सी-नब्बे के दशक में टीवी पर आने वाले health show में भारत के बड़े बड़े डाक्टर लोगों को यह सलाह देते हुए मिल जाते थे कि यदि आपको बीमारी से बचना है तो Deshi ghee का सेवन बंद कर दें और उसके बाद से यह थ्योरी बिना किसी वैज्ञानिक शोध के इतनी ज्यादा पापुलर हुई कि भारत के लगभग हर अमीर घर में  यही राग अलापा गया की घी खाना सेहत के लिए नुकसानदायक है।

लेकिन अभी हाल ही के कुछ वर्षों में अमेरिका और पश्चिमी देशों के हेल्थ एक्सपर्ट और न्यूट्रीशियन ने शोधपरक तथ्यों के आधार पर बताया कि रिफांइड फेट के मुकाबले शुद्ध देसी घी सेहत के लिए बहुत अधिक फायदेमंद है। 

अनेक सेलेब्रिटी जैसे किम कार्दशियन,शिल्पा शेट्टी,करीना कपूर ने अपने साक्षात्कार में यह बताया कि वह दो चम्मच shudh desi ghee का सेवन रोज़ करती हैं और इससे उनकी सेहत और अधिक निखरी है। 

लेकिन क्या आप जानतें हैं हमारे प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथों में देसी घी को Superfood का दर्जा हजारों साल पहले दे दिया था और इसी शुद्ध देसी घी की बदोलत हमारे पुरखे सौ वर्षों तक जीवन का आनंद लेते थे। 

तो आईए जानतें हैं "सुपरफूड देसी घी खानें के फायदे" के बारे में

शुद्ध देसी घी
शुद्ध देसी घी


आयुर्वेद ग्रंथों में घी का वर्णन करते हुए लिखा है

घृतंपित्तानिलहरंरसशुक्रौजसांहितम्।निर्वापणंमृदूकरंस्वरवर्णप्रसादनम्।।

घृत अर्थात घी का उचित रीति से सेवन वात और पित्त रोगों को नष्ट कर देता हैं। शरीर को शक्तिशाली बनाता हैं, शरीर के जोड़ों में flexibility लाता है , कोशिकाओं को पोषण देता हैं, भूख बढ़ाता हैं, उम्र में वृद्धि और त्वचा में निखार लाकर मन को प्रसन्न रखता हैं।


आयुर्वेद चिकित्सा में कई औषधीयां suddh Deshi ghee से निर्मित होती हैं और उचित रीति से रोगी को सेवन कराने के लिए दी जाती हैं। 

बच्चों को घी खिलाने के फायदे

• बढ़ते बच्चों की दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शुद्ध Desi ghee बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं,जंक फूड, पिज्जा बर्गर के मुकाबले शुद्ध देसी घी से बनें व्यंजन बच्चें बहुत चाव से खाते भी हैं। 

• पिज्जा बर्गर और अधिक नमक मिली हुई चिप्स बच्चों में मोटापा पैदा करती हैं वहीं घी से बनी घर की चीजें बच्चों को स्वस्थ और संतुलित रखती हैं।

• एक चम्मच शुद्ध देसी घी खानें वाला बच्चा शारीरिक-मानसिक रुप से सक्रिय रहता हैं।

ह्रदय की सेहत और घी 

• अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार शुद्ध Desi ghee के मुकाबले कम वसा, उच्च कार्बोहाइड्रेट और शक्कर से निर्मित पदार्थ ह्रदय की सेहत के लिए कही अधिक नुकसानदायक होते हैं।

• वातज और पित्तज ह्रदयरोग में घी का सेवन ह्रदय को बलशाली बनाता हैं।

पेट रोगों में घी के फायदे

• घी में ब्यूटीरेट मौजूद होता हैं यह तत्व आंतों के घावों को तेजी से ठीक करता हैं जिससे आंतों से संबंधित बीमारी में बहुत तेजी से आराम मिलता हैं।

• पेट में कब्ज होने पर या आंतों का मूवमेंट कम होने पर घी को गर्म पानी के साथ सेवन करने से बहुत आराम मिलता हैं।

कैंसर में घी खानें के फायदे

• छाछ से बने घी में एक विशेष प्रकार का ब्यूटीरेट एसिड़ और लिनोनिक एसिड़ पाया जाता हैं यह दोनों तत्व एंटी आक्सीडेंट हैं और कैंसर से लड़ने में मददगार होते हैं।

• किमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी के बाद प्रतिदिन दूध के साथ शुद्ध देसी घी का सेवन करने से किमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं।

• घी में मौजूद सैचुरेटेड फैट शरीर में कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकते हैं इस तरह कैंसर होने की संभावना कम हो जाती हैं।

• गाय का शुद्ध घी कैंसर से उत्पन्न घाव को ठीक करने में सदियों से आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति द्वारा प्रयोग किया जा रहा हैं। गाय के घी में मुलेठी, हल्दी, तुलसी,रस सिंदूर,स्वर्ण भस्म,हिरक भस्म आदि मिलाकर कैंसर के घाव पर लगाया जाता हैं।

मधुमेह को नियंत्रित करने में घी के फायदे

• रोटी के ऊपर घी लगाकर खानें से या दाल सब्जी में एक चम्मच घी डालकर खाने से भोजन का ग्लाइसेमिक सूचकांक कम हो जाता हैं जिससे भोजन का ग्लूकोज धीरे-धीरे रक्त में मिलता हैं। जिससे खून में शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है।

• जिन पदार्थों में घी मौजूद रहता है यदि उनका सेवन मधुमेह पीड़ित व्यक्ति करता हैं तो मधुमेह की वजह से चक्कर आना, कमजोरी आना और बहुत अधिक भूख लगना जैसी समस्या नियंत्रित होती हैं।

घी शक्कर खानें के फायदे

• जो लोग बहुत दुबले पतले होते हैं और यदि वज़न बढ़ाना चाहते हैं तो उन्हें घी का सेवन अवश्य करना चाहिए इसके लिए सुबह-शाम मीठे दूध में एक चम्मच घी मिलाकर सेवन करना चाहिए।

गर्भावस्था में घी के फायदे

• गर्भावस्था में घी का सेवन गर्भवती स्त्री के साथ उसकी संतान को हष्ट-पुष्ट रखता हैं। इसके लिए गर्भावस्था के शुरुआती महीनों से ही गाय का घी भोजन में एक चम्मच मिलाकर खाना चाहिए।

• जो महिलाएं Normal delivery की चाहत रखती हैं उन्हें प्रतिदिन एक चम्मच शुद्ध देसी घी सुबह शाम गर्म दूध के साथ सेवन करना चाहिए।

क्या घी खानें से शक्ति आती हैं 

खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ी, ओलम्पिक जैसी बड़ी प्रतियोगिता में सम्मिलित हों रहें खिलाड़ी यदि नियमित रूप से अपनी क्षमता के अनुसार गाय का घी सेवन करतें हैं तो शारीरिक रूप से बहुत शक्तिशाली बन सकतें हैं।और जिस खेल में वह सम्मिलित हों रहें उन खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकते हैं।

आंखों के स्वास्थ्य के लिए देशी घी के फायदे

• घी में मौजूद विटामीन A आंखों के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण विटामिन हैं और इस विटामिन का फायदा उठाकर व्यक्ति अपनी आंखों को लम्बें समय तक स्वस्थ रख सकता हैं।

• गाय का पुराना देसी घी आंखों में नियमित अंजन करने से मोतियाबिंद,रतोंधी और आंखों में चश्मा लगने की संभावना समाप्त कर देता हैं।

घी से बाजीकरण शक्ति उन्नत होती हैं

जिन लोगों को बाजीकरण शक्ति उन्नत करना हो, उन्हें नियमित रूप से घी का सेवन करना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार घी शुक्र स्थान में प्रवेश कर शुक्र धातु को पुष्ट करता हैं और शुक्र धातु के उत्पादन को प्रोत्साहित करता हैं। 

घी की मालिश लिंग पर करने से लिंग की मांसपेशियों में कसावट और बाजीकरण शक्ति उन्नत होती हैं।


सिरदर्द में घी के फायदे

गाय का घी सुबह शाम नियमित रूप से नाक में डालने से सिर की मांसपेशियों को मजबूत बनाता हैं जिससे पुराने से पुराने सिरदर्द में राहत मिलती हैं। 

घी Biotin tablet के समान माना जाता है, बायोटिन टेबलेट की तरह यह बालों को स्वस्थ मजबूत घने और काले बनाता है। 

पेट के छालों में घी के फायदे

जिन लोगों के पेट में एसिडिटी के साथ जलन और छाले हो उन्हें सुबह खाली पेट घी सेवन करना चाहिए। घी आहार नली में मौजूद छालों को बहुत तेजी से ठीक कर उनसे पैदा होने वाली जलन और एसिडिटी को नियंत्रित करता हैं।

शरीर की जलन में घी के फायदे

जिन लोगों का पित्त बहुत बढ़ा हुआ रहता है जिनको शरीर में हमेशा जलन होती हैं ऐसे लोगों को नियमित घृतपान की सलाह दी जाती हैं। घी को औषधियों के साथ मिलाकर पीने से शरीर की जलन शांत होती हैं।

नाक में ghee डालने से क्या होता हैं

सुबह शाम नियमित रूप से दो दो बूंद गाय का घी जो एक साल पुराना हो को नाक में डालने से सायनस की सूजन दूर होती हैं।

नाक में घी डालने से स्मरण शक्ति बढ़ती होती हैं और कोरोनावायरस जैसे खतरनाक वायरस नाक से चिपककर वहीं नष्ट हो जाते।

शरीर पर घी की मालिश करने से क्या होता हैं

घी में कैल्शियम, विटामिन ई और फेट मौजूद होता हैं इससे शरीर की मालिश करने से हड्डियां मजबूत होती हैं। शरीर में लचीलापन आता है और बुढ़ापे की प्रक्रिया धीमी हो जाती हैं।

अनिद्रा में ghee ke fayde

जिन लोगों की रातें करवटें बदलते हुए गुजरती है उन्हें प्रतिदिन एक चम्मच घी दूध में मिलाकर पीना चाहिए। इसके अलावा दो बूंद घी सोते समय नाक में डालना चाहिए।

नाभि में घी लगाने से क्या फायदा होता हैं

प्रतिदिन नाभि में सोते समय गाय का घी लगाने से चेहरा चमकीला,दाग धब्बों से रहित और मन शांत रहता है। 

बहुत दुबले पतले लोग भैंस का घी नाभि में लगाते हैं तो शरीर का पोषण बढ़ता है और वजन तेजी से बढ़ता है।

बच्चों की नाभि में गाय का घी डालने से बच्चा हष्ट-पुष्ट और बलवान बनना है।


पुराने घी के फायदे क्या हैं 

मदापस्मारमूच्छार्यशोषोन्मादगरज्वरान्।।योनिकर्णशिर:शूलंघृतंजीर्णमपोहति।।

आयुर्वेद ग्रंथों में के अनुसार पुराने घी के फायदे बहुत विस्तृत हैं,पुराना घी मिर्गी , बेहोशी पागलपन, अवसाद, तनाव,पुराना बुखार, वेजाइना में दर्द,कानदर्द और सिर के रोगों में बहुत प्रभावकारी होता हैं।


घी की तासीर या घी की प्रकृति कैसी है

आयुर्वेद में घी की तासीर या प्रकृति शीतल मानी गई हैं। जबकि स्वाद में घी मीठा और कफ पैदा करने वाला होता हैं। घी की प्रकृति का वर्णन करते हुए आयुर्वेद ग्रंथों में लिखा हैं

सर्वस्नेहोत्मंशीतंमधुरंरसपाकयो:।।

 

बुखार आने पर घी के फायदे

यथाप्रज्वलितंवेश्मपरिषिज्चन्तिवारिणा।। नरा: शान्तिमभिप्रेत्यतथाजीर्णज्वरेघृतम् ।।

श्लोक के अनुसार जैसे आग से जलते हुए घर पर पानी डालने से जो शीतलता उत्पन्न होती हैं उसी प्रकार  पुराने बुखार में घी पीलानें से पुराने बुखार में फायदा होता हैं। 

निम्न रक्तचाप में देसी घी खानें के फायदे

जो लोग निम्न रक्तचाप से परेशान हैं उन्हें देसी घी का नियमित सेवन करना चाहिए। यदि देसी घी एक चम्मच और एक केला निम्न रक्तचाप वाले व्यक्ति को नियमित रूप से दिया जाए तो कुछ ही दिनों में निम्न रक्तचाप की समस्या समाप्त हो जाती हैं।

घी कब खाना चाहिए

आयुर्वेद के अनुसार सुबह और दोपहर में घी का सेवन बुद्धि,ताकत,और पोषण प्रदान करता हैं। जबकि ऋतु के अनुसार गर्मी,शरद और शीत ऋतु में खाया घी शरीर के लिए लाभकारी होता हैं।

घी कब नहीं खाना चाहिए

जिन लोगों की प्रकृति शीतल और कफ वाली हो उन्हें घी खानें में सावधानी रखनी चाहिए अर्थात जो लोग बहुत मोटे और भारी शरीर वाले हो उन्हें घी सेवन संयमित रुप से करना चाहिए।


आयुर्वेद के अनुसार घी का सेवन किस ऋतु में करना चाहिए

आयुर्वेद ग्रंथों के अनुसार शरद ऋतु, ग्रीष्म और शीत ऋतु में घी का सेवन करने से शरीर हष्ट-पुष्ट और बलवान बनता हैं। 

घी खाने के नुकसान 

जिन लोगों की कफ प्रकृति होती हैं और जिनका बाड़ी मास इंडेक्स बहुत अधिक होता हैं उन्हें घी सेवन में संयमित रहना चाहिए। 

इसके अलावा ह्रदयरोगी, उच्च रक्तचाप आदि बीमारी से पीड़ित रोगी को घी सेवन से पूर्व चिकित्सक से परामर्श अवश्य करना चाहिए।


बुजुर्गों को घी खानें देना चाहिए या नहीं


वैसे तो चिकित्सक ह्रदयरोगी, उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों को  घी खानें से मना करतें हैं। लेकिन यदि सामान्य चिकित्सा अनुभव से देखा जाए तो 
ये लोग जब चिकित्सक के पास जातें हैं तो चिकित्सक उन्हें घी खानें का मना कर देते हैं और फिर घर के लोग उन्हें घी नहीं देते फलस्वरूप बुजुर्गों की तबीयत नासाज रहने लगती हैं।

 मैंने सैकड़ों बुजुर्गों को देखा हैं जो 90 साल की उम्र के हैं और आज भी घी का सेवन बड़े चाव से करतें हैं।और स्वस्थ्य हैं।


ऐसी परिस्थिति में मेरा निवेदन हैं कि यदि बुजुर्ग घी खानें से स्वस्थ्य, सक्रिय,और ऊर्जा से भरपूर जीवन जी रहा हैं तो उन्हें घी का सेवन करने दें।

Reviewed by
Dr.pk.vyas
Ayurvedacharya

यह भी पढ़ें 👇

• दूध पीनें के फायदे और नुकसान

• गहरी नींद लानें के तरीके

• हर्बल चाय पीनें के फायदे

• पाइल्स का उपचार

• जीवनसाथी के साथ नंगा होकर सोना चाहिए या नहीं

• जल के अचूक फायदे

• चुकंदर के फायदे

• शास्त्रों के अनुसार भोजन करने के नियम

•सिंघाडे के फायदे

• उड़द की दाल के फायदे

• सिकल सेल एनिमिया

• इम्युनोथेरेपी क्या हैं

• म्यूजिक थेरेपी क्या हैं

• दही खाने के फायदे

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER  पतंजलि आयुर्वेद ने high blood pressure की नई गोली BPGRIT निकाली हैं। इसके पहले पतंजलि आयुर्वेद ने उच्च रक्तचाप के लिए Divya Mukta Vati निकाली थी। अब सवाल उठता हैं कि पतंजलि आयुर्वेद को मुक्ता वटी के अलावा बीपी ग्रिट निकालने की क्या आवश्यकता बढ़ी। तो आईए जानतें हैं BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER के बारें में कुछ महत्वपूर्ण बातें BPGRIT INGREDIENTS 1.अर्जुन छाल चूर्ण ( Terminalia Arjuna ) 150 मिलीग्राम 2.अनारदाना ( Punica granatum ) 100 मिलीग्राम 3.गोखरु ( Tribulus Terrestris  ) 100 मिलीग्राम 4.लहसुन ( Allium sativam ) 100  मिलीग्राम 5.दालचीनी (Cinnamon zeylanicun) 50 मिलीग्राम 6.शुद्ध  गुग्गुल ( Commiphora mukul )  7.गोंद रेजिन 10 मिलीग्राम 8.बबूल‌ गोंद 8 मिलीग्राम 9.टेल्कम (Hydrated Magnesium silicate) 8 मिलीग्राम 10. Microcrystlline cellulose 16 मिलीग्राम 11. Sodium carboxmethyle cellulose 8 मिलीग्राम DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER INGREDIENTS 1.गजवा  ( Onosma Bracteatum) 2.ब्राम्ही ( Bacopa monnieri) 3.शंखपुष्पी (Convolvulus pl

गेरू के औषधीय प्रयोग

गेरू के औषधीय प्रयोग गेरू के औषधीय प्रयोग   आयुर्वेद चिकित्सा में कुछ औषधीयाँ सामान्य जन के मन में  इतना आश्चर्य पैदा करती हैं कि कई लोग इन्हें तब तक औषधी नही मानतें जब तक की इनके विशिष्ट प्रभाव को महसूस नही कर लें । गेरु भी उसी श्रेणी की   आयुर्वेदिक औषधी   हैं। जो सामान्य मिट्टी   से   कहीं अधिक   इसके   विशिष्ट गुणों के लिए जानी जाती हैं। गेरु लाल रंग की मिट्टी होती हैं। जो सम्पूर्ण भारत में बहुतायत मात्रा में मिलती हैं। इसे गेरु या सेनागेरु कहते हैं। गेरू  आयुर्वेद की विशिष्ट औषधि हैं जिसका प्रयोग रोग निदान में बहुतायत किया जाता हैं । गेरू का संस्कृत नाम  गेरू को संस्कृत में गेरिक ,स्वर्णगेरिक तथा पाषाण गेरिक के नाम से जाना जाता हैं । गेरू का लेटिन नाम  गेरू   silicate of aluminia  के नाम से जानी जाती हैं । गेरू की आयुर्वेद मतानुसार प्रकृति गेरू स्निग्ध ,मधुर कसैला ,और शीतल होता हैं । गेरू के औषधीय प्रयोग 1. आंतरिक रक्तस्त्राव रोकनें में गेरू शरीर के किसी भी हिस्से में होनें वाले रक्तस्त्राव को कम करने वाली सर्वमान्य औषधी हैं । इसके ल

होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर #1 से नम्बर #28 तक Homeopathic bio combination in hindi

  1.बायो काम्बिनेशन नम्बर 1 एनिमिया के लिये होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर 1 का उपयोग रक्ताल्पता या एनिमिया को दूर करनें के लियें किया जाता हैं । रक्ताल्पता या एनिमिया शरीर की एक ऐसी अवस्था हैं जिसमें रक्त में हिमोग्लोबिन की सघनता कम हो जाती हैं । हिमोग्लोबिन की कमी होनें से रक्त में आक्सीजन कम परिवहन हो पाता हैं ।  W.H.O.के अनुसार यदि पुरूष में 13 gm/100 ML ,और स्त्री में 12 gm/100ML से कम हिमोग्लोबिन रक्त में हैं तो इसका मतलब हैं कि व्यक्ति एनिमिक या रक्ताल्पता से ग्रसित हैं । एनिमिया के लक्षण ::: 1.शरीर में थकान 2.काम करतें समय साँस लेनें में परेशानी होना 3.चक्कर  आना  4.सिरदर्द 5. हाथों की हथेली और चेहरा पीला होना 6.ह्रदय की असामान्य धड़कन 7.ankle पर सूजन आना 8. अधिक उम्र के लोगों में ह्रदय शूल होना 9.किसी चोंट या बीमारी के कारण शरीर से अधिक रक्त निकलना बायोकाम्बिनेशन नम्बर  1 के मुख्य घटक ० केल्केरिया फास्फोरिका 3x ० फेंरम फास्फोरिकम 3x ० नेट्रम म्यूरिटिकम 6x