गूलर के औषधीय उपयोग
गूलर अंजीर ,बरगद और पीपल के वर्ग का वृक्ष हैं । गूलर का वृक्ष 20 से 30 फुट तक ऊँचा होता हैं । गूलर के पत्ते अंडाकार और घनें होतें हैं ।
गूलर के फल तनों से फूटतें हैं। तथा गूलर के फूल फल के अन्दर स्थित होतें हैं । इसके पत्ते तोड़नें पर इसमें से दूध निकलता हैं । गूलर के पेड़ का महत्व इसके औषधि गुणों के कारण हैं ।
• धनिया खानें के फायदे
गूलर का पेड़ |
गूलर के फल तनों से फूटतें हैं। तथा गूलर के फूल फल के अन्दर स्थित होतें हैं । इसके पत्ते तोड़नें पर इसमें से दूध निकलता हैं । गूलर के पेड़ का महत्व इसके औषधि गुणों के कारण हैं ।
गूलर का संस्कृत नाम
औदुम्बर,क्षीरवृक्ष,जंतुफल,उदुम्बर, हेमदुन्धक
गूलर का हिन्दी नाम
गूलर ,ऊमर,परोआ
गूलर का लेटिन नाम
ficus Racemosa
आयुर्वेद मतानुसार प्रकृति
आयुर्वेद मतानुसार गूलर शीतल ,मधुर,कसैला,तथा भारी होता हैं ।
गूलर के औषधीय उपयोग
घाव में गूलर के फायदे
गूलर में तांबा 12 प्रतिशत होता हैं । तांबा बहुत अच्छा संक्रमण रोधी तत्व होता हैं ।
गूलर के पत्तों,छाल,का क्वाथ बनाकर उससे घाव धोनें पर घाव बहुत जल्दी सूख जाता हैं ।
गूलर का दूध चोंट वाले स्थान पर लगाने से अधिक रक्त के बहाव को तुरंत बंद कर देता हैं ।
अतिसार में
गूलर की जड़ का चूर्ण बनाकर खिलानें से अतिसार में आराम मिलता हैं ।
एनिमिया में
गूलर का फल,पत्तीयाँ ,छाल आयरन से भरपूर होती हैं । दस गूलर के फलों में गर्भवती स्त्री की दैनिक आयरन की आवश्यकता जितना आयरन प्रचुरता में उपलब्ध होता हैं ।
कामउत्तेजना में
गूलर के पेड़ की टहनियों को तोड़नें पर इसमें से दूध टपतकता हैं इस दूध की पाँच - सात बूँद लेनें से महिलाओं और पुरूषों की काम उत्तेजना जागृत हो जाती हैं । किन्तु शीत प्रकृति के स्त्री पुरूष को दूध का सेवन नही करना चाहियें ।
पित्त विकारों में
इसके चार पत्तों को पीसकर शहद के साथ सुबह शाम सेवन करनें से पित्त विकार नष्ट हो जातें हैं ।
ज्यादा गुस्सा करनें वालें व्यक्ति को इसके पत्तों का 10 ML ज्यूस बनाकर पिलाना चाहियें । गुस्सा बहुत जल्दी काबू में आता हैं ।
अरिदिमिया में
गूलर के फलों में मैग्नीशियम प्रचुरता में पाया जाता हैं जो ह्रदय की अनियमित धडकनों को नियमित करता हैं । जिन लोगों को अर्दिमिया की समस्या हो उनकों तीन चार गूलर के फलों का सेवन नियमित करना चाहियें ।
रक्त प्रदर में
गूलर की छाल का क्वाथ 10 मिलीग्राम प्रतिदिन के हिसाब से सुबह शाम लेनें से रक्तप्रदर में आराम मिलता हैं ।
गर्भावस्था में
गूलर कैल्सियम,मैग्निशियम और फास्फोरस का अति उत्तम स्त्रोंत हैं । गर्भवती स्त्री को रोज जितनी कैल्सियम की आवश्यकता होती हैं ,उतनी मात्रा की पूर्ति दस बारह गूलर के फलों से हो सकती हैं ।
हड्डी जोड़नें में
टूटी हड्डी को जोड़नें में गूलर के समान दूसरा वृक्ष नही हैं । यदि इसके कच्चे फलों की सब्जी बनाकर दिन चार दिन तक खा ली जायें तो टूटी हड्डी कुछ ही दिनों में जुड़ जाती हैं ।
मस्तिष्क रोगों में
गूलर में पाया जानें वाला पोटेशियम मस्तिष्क की रक्तवाहिकाओं में आक्सीजन की आपूर्ति को सुधारता हैं । जिससे डिमेंशिया,तनाव,ब्रेनस्ट्रोक,उच्च रक्तचाप का खतरा नही होता हैं ।
कैंसर में
गूलर के पत्तें,छाल,फल एंटी आक्सीडेंट गुणों से भरपूर होतें हैं । इनमें कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि नियंत्रित करनें की क्षमता विधमान होती हैं । अत: इसका सेवन कैंसर रोगियों को करना चाहियें ।
पेप्टिक अल्सर में
गूलर के दूध में मौजूद एंटीसेप्टिक गुण पेट के छालों को तेजी से ठीक करतें हैं । अत: इसके दूध की चार पाँच बूँदें पतासे के साथ या पानी के साथ सेवन करें ।
• दूध पीने के फायदे
ओस्टियोपोरोसीस में
गूलर के पत्ते और फल कैल्सियम और फास्फोरस का उत्तम स्त्रोत होनें से ओस्टियोपोरोसीस बीमारी के लिये बहुत उम्दा उपचार upchar हैं । ओस्टियोपोरोसीस से पीडित व्यक्ति इसके पत्तों और फल का किसी भी रूप में सेवन कर सकतें हैं ।
सौन्दर्य प्रसाधक के रूप में
गूलर की छाल का क्वाथ बनाकर पीनें से मुहाँसे की समस्या कुछ ही दिनों में समाप्त हो जाती हैं । क्वाथ बनानें के लियें गूलर की छाल की 3 ग्राम मात्रा 200 ML पानी में आधा रहनें तक उबाले और इसे दिन में दो बार पीयें ।
बालों की समस्या में
गूलर के पत्तों को पीसकर नहानें से पाँच मिनिट पहलें बालों पर लगानें से बाल काले चमकदार और समय पूर्व सफेद नही होतें हैं ।
बांझपन में
गूलर पेड़ की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह हैं कि यह पेड़ स्त्री और पुरूष दोनों के बांझपन को दूर कर देता हैं ।
गूलर के चार पांच फल और पाँच सात नये पत्ते रात में गाय के दूध के साथ सेवन करें तो बांझपन दूर हो जाता हैं ।
खूनी बवासीर में
गूलर के सूखे पत्तों या कच्चे फलों को सुखाकर मिश्री के साथ समान अनुपात में मिलाकर एक चम्मच प्रतिदिन खानें से खूनी बवासीर में आराम मिलता हैं ।
मुंह के छालों में
गूलर की छाल पानी के साथ उबालकर कुल्ले करनें से मुंह के छाले बहुत जल्दी ठीक हो जाते हैं।
मधुमेह में
गूलर के फलों को सुखाकर चूर्ण बना लें,यह चूर्ण एक चम्मच रात को सोते वक्त लिया जाए तो रक्त शर्करा नियंत्रित होती हैं।
शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में
गूलर का फल, पत्ती,छाल शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालकर शरीर को डिटाक्स कर देता है। इसके लिए फूल,पत्ती छाल का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए।
टिप्पणियाँ