बहेड़ा
बहेडा |
बहेडा का वृक्ष baheda ka vruksh बहुत ऊँचा होता हैं । बहेडा का तना 10 से 20 फीट की गोलाई का होता हैं ।इसकी छाल मोटी सफेद रंग की और ऊबड़ खाबड़ होती हैं ।
बहेडे के पत्ते चोड़े ,अंडाकार और 3 से 8 इंच तक लम्बे होतें हैं । पत्तों का रंग कत्थई होता हैं । और इन पत्तों में से बहुत तेज गंध आती हैं ।
शीतकाल के प्रारंभ मेंं इसमें फल लगते हैं जो दिसम्बर तक पकते हैं । ये फल अंडाकार होता हैं ।
बहेडा वृक्ष से बबूल के गोंद की तरह एक गोंद निकलती हैं।
बहेडा का वानस्पतिक नाम
Teminalia Belerica टर्मिनेलिया बलेरिका
बहेड़ा का संस्कृत नाम
विभितकी,बहेडक,विषघ्न
बहेडा का हिन्दी नाम
गुल्ला,बहेडा,बहुरा,सागोना,गुल्ला
आयुर्वेद मतानुसार बहेडे की प्रकृति
रूक्षंस्वादुकषायाम्लंकफपित्तहरंपरम्।रसासृडमांसमेदोजानदोषान्हन्तिविभितम्।।
अर्थात बहेडा रूक्ष,स्वादिष्ट,कषाय,अम्लीय होता हैं कफ पित्त को नष्ट़ करनें वाला । रस,रक्त,मांस,और मेद के सम्पूर्ण दोषों को दूर करनें वाला होता हैं ।
बहेडे के औषधीय उपयोग bheda ka oshdhiy upyog
पित्त की सूजन में
बहेडे के बीज का छिलका बाँटकर पानी के साथ 3 ग्राम सुबह शाम लेनें से पित्त की सूजन मिट जाती हैं ।
पित्तज कफज बुखार में
ऐसा बुखार जिसमें चक्कर आ रहें हो गीली खाँसी हो में बहेडा का काढ़ा बहुत फायदा पंहुचाता हैं ।
भूख नही लगना
बहेडा फल का चूर्ण सुबह शाम 3 - 3 ग्राम लेनें से भूख खुलकर लगती हैं ।
खाँसी में बहेड़ा
बहेडा के छिलके को मुँह में रखकर चूसनें से खाँसी में आराम मिलता हैं ।और बलगम ढीला होकर बाहर निकल जाता है।
शरीर की जलन दूर करनें में
बहेडा को पानी के साथ पीसकर हाथ पैरों पर लगानें से गर्मी के कारण होनें वाली हाथ पैरों की जलन दूर होती हैं ।
गैस की समस्या में
बहेडा को भोजन उपरांत चूसकर खानें से पेट की गैस समाप्त हो जाती हैं ।
ह्रदय की तेज धड़कन में या टैकीकार्डिया में
बहेडा पेड़ की छाल दो चुटकी सुबह शाम गाय के दूध के साथ लेनें से ह्रदय की धडकन सामान्य हो जाती हैं ।
कामेच्छा बढानें में
बहेडा के छिलके को सुबह शाम शहद या दूध के साथ लेनें से स्त्री पुरूष की बढ़ती उम्र के साथ होनें वाली कामेच्छा की कमी दूर होती हैं ।
आवाज बैठना
बहेडे को सैंधा नमक के साथ भून ले और इसे लम्बें समय तक चूसे इससे आवाज बैठना की समस्या दूर हो जाती हैं ।
अर्श रोग में
बहेडा फल अर्श रोग की सर्वमान्य औषधी हैं पके हुये बहेडे फल का चूर्ण सुबह शाम 3 - 3 ग्राम लेनें से अर्श रोग समाप्त हो जाता हैं ।
बलगम बाहर निकालनें में
बहेडा के पत्तों का काढा बनाकर पीनें से छाती में जमा पुरानें से पुराना बलगम बाहर निकल जाता हैं ।
आंखों की रोशनी बढानें में
बहेडा के चूर्ण को रात को पानी में गलाकर सुबह बारीक छलनी से छान लें इस तरह इस पानी से आँख धोनें से आँखों की रोशनी बढ़ती हैं ।
श्वास रोगों में
बहेडे के पत्तों एँव धतूरे के पत्तों को समान मात्र
में मिलाकर धूम्र लेनें से श्वास रोग में आराम मिलता हैं ।
इसी प्रकार बहेडा का चूर्ण बनाकर आधा - आधा चम्मच बकरी के दूध के साथ लेनें से श्वास रोग समाप्त हो जाता हैं ।
मुहाँसे पर
बहेडे का तेल सोतें समय मुँहासे पर लगानें से मुहांसे समाप्त हो जातें हैं ।
बालों पर बहेडा
बहेडे का चूर्ण और आँवला चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर रातभर पानी में भिगो दें सुबह इस पानी से बाल धो लें इस तरह बाल धोनें से बाल सफेद होना बंद हो जातें हैं । और बाल झडना बंद हो जातें हैं ।
खुजली रोग में
बहेडे का तेल खुजली वाली जगह पर लगानें से खुजली चलना बंद हो जाती हैं ।
बच्चों के मलावरोध में
बच्चे यदि दो तीन दिन तक मल नही त्यागे तो बहेडे का मुरब्बा बनाकर उन्हें खिलायें यह समस्या हमेशा के लिये समाप्त हो जायेगी ।
दर्द में
बहेडा उत्तम दर्दनाशक औषधी हैं । बहेडा चूर्ण 5 ग्राम शहद के साथ मिलाकर लेनें से शरीर में कही भी दर्द हो आराम मिल जाता हैं ।
हरड बहेडा आँवला मिलाकर आयुर्वेद की विश्व प्रसिद्ध औषधी त्रिफला का निर्माण होता हैं । इनके बारें में एक कहावत प्रचलित हैं
हरड़,बहेडा,आँवला घी शक्कर संग खाय। हाथी दाबे कांख में चार कोस ले जाय ।।
अर्थात हरड़ बहेडा और आँवला को घी शक्कर के साथ मिलाकर खानें से इतनी ताकत आ जाती हैं की हाथी के बच्चे को उठाकर चार कोस तक ले जाया जा सकता हैं ।
घाव पर बहेड़ा
बहेड़ा के बीज को बारिक पीसकर ऐसा घाव जिसमें रक्तस्राव हो रहा हो लगाने से रक्तस्राव नियंत्रित हो जाता है और घाव शीघ्रता से भर जाता है।
एलर्जी में बहेड़ा के फायदे
बहेड़ा में Chebulagic acid पाया जाता हैं जो एंटी एलर्जिक गुण प्रदर्शित करता हैं। अतः जिन लोगों को एलर्जी की समस्या हो उन्हें बहेड़ा जरुर खाना चाहिए।
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