योग क्या हैं। yog kya hai what is yoga in Hindi
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योग क्या हैं |
योग yoga शब्द संस्कृत के युज शब्द से बना हैं ।जिसका शाब्दिक अर्थ होता हैं " जोड़ना " अर्थात योग yoga व्यक्ति को ब्रम्हांड के साथ एकाकार करनें का विज्ञान हैं । इस प्रकार हम कह सकतें योग वह विज्ञान हैं (yoga is science) जो व्यक्ति के जीवन को आदर्श तरीके से जीना सीखाता हैं।
विस्तारपूर्वक समझा जायें तो योग yoga व्यक्ति के शारीरिक,मानसिक और भावनात्मक जीवन को संतुलित करनें का माध्यम हैं । योग के माध्यम से यह बहुत गहरें तक प्रभावित होता हैं ।
योग सूत्र नामक पुुुुस्तक में महर्षि पतंजलि ने योग को परिभाषित करते हुये लिखा हैं
अथ:योग अनुशासनम्
अर्थात योग yoga अनुशासन का एक प्रकार हैं । अनुशासन दो शब्दों के मेल से बना हैं अनु + शासन
अनु शब्द "अणु" से बना हैं जो ब्रम्हांड़ का सबसे छोटा कण हैं और जो खुली आँखों से नही दिखाई देता हैं ।
शासन का अर्थात राज करना
इस प्रकार योग शरीर के सूक्ष्म विचारों पर राज करना हैं ।
महर्षि पतंजलि अनुशासन का अर्थ बतातें हुये कहतें हैं
योग: चित्तवृत्ति निरोधम्
योग yoga के द्धारा हम लौकिक दुनिया में सक्रिय चित्त को नियत्रिंत कर सकतें हैं ।
मानसिक वृत्ति पाँच परकार की होती हैं ।
1.प्रमाण = सही ज्ञान
2.विपर्य = गलत ज्ञान
3.विकल्प = कल्पना
4.निद्रा = नींद
5.स्मृति = याददाश्त
श्री मदभागवत गीता में योगेे्वरश श्री कृष्ण योग को परिभाषित करतें हुये कहा हैं
सम्वत् योग:उच्चतें
अर्थात योग मस्तिष्क को समवस्था में लाना हैं ।
इसी प्रकार
योग : कर्मेषु: कोशलम् yogh krmeshu koshlam
कर्म में निपुणता ही योग हैं ।
एक अन्य वाक्य है
तस्माद योगी भवार्जुन योगस्थ:कुरु कर्माणि
भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते हैं यदि तुम योग में स्थित होकर सभी कर्म करोगे तो सफलता अवश्य मिलेगी।
युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य
यानि संतुलन आहार विहार विचार व्यवहार का संयम बनाकर जीवन व्यतीत करना ही योग है।
जाने माने योगाचार्य बी.के.एस.आयंगर ने अपनी पुस्तक Light on yoga में योग को परिभाषित करते हुए लिखा है ,
संतुलित जीवन ही योग है
बीकेएस अयंगर का मानना था कि योग न तो अधिकता है और न न्यूनता है, बल्कि योगी का जीवन संतुलन की साधना है। योगी यह अच्छी तरह जानता है कि उसका और शरीर का संबंध क्षणिक है , एकमात्र आत्मा ही है जिसका और योगी संबंध अजर अमर हैं। इसलिए योगी शारीरिक, मानसिक कष्ट और मृत्यु से भयभीत नहीं होता हैं।
योग की उत्पत्ति कब कहां और किससे हुई थी
योग की उत्पत्ति हजारों वर्ष पहले हिमालय में हुई थी,और भगवान शिव योग विधा के प्रथम आदियोगी या योगगुरु थे । भगवान शिव या आदियोगी ने योग का ज्ञान हिमालय के आंचल और कांतिसरोवर झील के किनारे पौराणिक सप्तर्षियों को प्रदान किया था । इन सप्तर्षियों ने भगवान आदियोगी से योग का ज्ञान प्राप्त कर इसे एशिया, मध्यपूर्व, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका तक प्रसारित किया था।
अगस्त्य मुनि ने योग को जीवन संस्कृति बनाकर संपूर्ण विश्व में प्रसारित किया था।
सिंधु घाटी सभ्यता में योग व्यापक स्वरूप में विद्यमान था ,इसका प्रमाण सिंधु घाटी सभ्यता के उत्खनन से प्राप्त मोहरें,सिक्कों, खिलोनों और जीवाश्म अवशेषों से मिलता है जिनमें योग मुद्रा की आकृतियां अंकित है। उत्खनन से प्राप्त देवी-देवताओं की मूर्तियां तंत्र योग की ओर भी संकेत करती हैं।
योग वेद, उपनिषद,शैव, वैष्णव, तांत्रिक, भारतीय दर्शन परंपरा के साथ रामायण, महाभारत ,बोद्ध,जैन परम्परा का भी अभिन्न अंग रहा है।
पूर्व वैदिक काल में महर्षि पतंजलि ने पातंज्ल्यय योगसूत्र की रचना कर योग क्रियाओं को व्यवस्थित रूप प्रदान कििया।
इसके बाद से ही योग विभिन्न आचार्यों, ऋषि मुनियों द्वारा विश्व के विभिन्न भागों तक पहुंचकर विकसित और पल्लवित हो रहा है।
21 जून 2015 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने योग की वैश्विक उपयोगिता को स्वीकार करते हुए प्रतिवर्ष 21 जून को "अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस" के रूप में मनाने का संकल्प लिया और योग को सम्पूर्ण विश्व में प्रसारित करने का काम किया।
योग का उद्देश्य Aim of yoga in Hindi
योग yoga न केवल वृत्ति को नियत्रिंत करता हैं बल्कि नियंत्रण द्धारा वृत्ति को परमात्मा से एकाकार कर देता हैं ।
योग से मनुष्य को पशु से देविक बनानें की यात्रा हैं।
योगों भवति दु:खहा
दुःख से निपटने में योग बहुत मददगार होता है। जहां योग है वहां दुःख लम्बें समय तक नहीं रह सकता।
स्वामी गीतानंद ने योग को define करते हुये कहा हैं " yoga as way of life " अर्थात योग जीवन का रास्ता हैं ।
•योग से शरीर जागरूक होता हैं।
•दिमाग जागरूक होता हैं ।
•भावनाएँ जागरूक होती हैं ।
•व्यक्ति स्वंय जागरूक होता हैं ।
संक्षेप में बात करें तो योग का यह मुख्य उद्देश्य हैं कि व्यक्ति अपनें प्रति कितना जागरूक हैं ।
यौगिक क्रिया की अवधारणा :::
योग शब्द अपनें आप में कई तकनीकी शब्दों को समेटे हुयें हैं । जिसमें से एक हैं "युक्ति" अर्थात वह तकनीक जिसके द्धारा व्यक्ति अपनें लक्ष्यों को दूसरें रास्तों से प्राप्त करता हैं यदि सीधें रास्तों से प्राप्त न हो ।
युक्ति में कई प्रक्रिया में सम्मिलित होती हैं इन युक्तियों में सिद्धहस्त होनें के लिये प्रशिक्षण की आवश्यकता होती हैं ।
योग क्रिया में कई प्रकार की युक्तियाँ हैं जैसें
लौकिक योग
नेति योग
ध्यान योग
समाधि योग आदि
इसी प्रकार योग व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ता हुआ भक्ति योग ,जन योग कर्म योग,हाथ योग ,लय योग,राज योग आदि तक पहुँच गया हैं ।
योग की धारायें :::
योग की चार प्रमुख धारायें हैं
1.कर्म योग karma yoga
2.भक्ति योग bhakti yoga
3.जन योग jan yoga
4.राज योग raj yoga
योग की ये सभी विधायें शारिरीक मानसिक विधायें हैं । अर्थात शरीर और मन पर नियत्रंण का नाम ही योग हैं।
कुछ यौगिक क्रियाओं में मानसिक कर्म अधिक हैं जबकि कुछ यौगिक क्रियाओं में शारिरीक कर्म अधिक हैं ।
उदाहरण के लिये सूर्य नमस्कार ,आसन ,प्राणायाम,मुद्रा ,बंध,और शट क्रियायें प्रमुख शारिरीक और मानसिक यौगिक क्रियायें हैं ।
योग के लाभ Benefit of yoga in Hindi
योग आधुनिक जीवन में व्याप्त समस्याओं का समाधान करने वाला बेहतरीन माध्यम हैं । जिसें सम्पूर्ण विश्व ने स्वीकारा हैं । प्रतिवर्ष 21 जून को मनाया जानें वाला "अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस " योग की सर्वस्वीकार्यता का ही प्रतिफल हैं । आईयें जानतें हैं योग के लाभ Benefit of yoga in Hindi
1.शारीरिक लाभ
1. शरीर लचीला और मज़बूत बनता हैं ।
2.श्वास की प्रक्रिया सुधरती हैं ।
3.शरीर का मेटाबालिज्म सुधरता हैं ।
4.ह्रदयरोग की संभावना नही होती हैं ।
5.दर्द से मुक्ति मिलती हैं ।
6.निरंतर योग से व्यक्ति अपनी वास्तविक उम्र से कम उम्र का दिखाई देता हैं ।
7.योग करनें से शरीर का सम्पूर्ण विकास होता हैं ।
2.मानसिक लाभ
1.योग द्धारा सकारात्मक चिंतन की प्रणाली का विकास होता हैं ।
2.योग द्धारा एकाग्रता बढ़ती हैं क्योंकि योग दिमाग को एक विशेष क्रिया पर एकाग्र करता हैं ।
3.योग के द्धारा व्यक्ति तनावयुक्त परिस्थितियों को आसानी से सामान्य परिस्थितियों में बदल सकता हैं ।
आध्यात्मिक लाभ
1.योग द्धारा सामाजिक वातावरण के प्रति जागरूकता बढ़ती हैं ।
2.योग द्धारा शरीर, मन, और आत्मा की एक दूसरे के प्रति निर्भरता बढ़ती हैं जिससे सही निर्णय क्रियान्वित होतें हैं ।
3.योग असीम ब्रम्हांड़ में सूक्ष्म मनुष्य को विशाल होनें का अहसास कराता हैं । यह "अंह ब्रम्हास्मि " वाक्य को चरितार्थ करता हैं किन्तु इस वाक्य में अंहकार की कही कोई गुंजाइश नही हैं ।
यम और नियम yam aur niyam
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yoga poses |
यम और नियम योग की आधारभूत क्रियाएँ हैं जिनके बिना अन्य यौगिक क्रियायें मनचाहा परिणाम नही देगी ।
यम और नियम द्धारा व्यहवार पर स्वनियत्रंण किया जाता हैं जिससे एक स्वस्थ्य दृष्टिकोण विकसित होता हैं ।
यम और नियम द्धारा सामाजिक और मानसिक दृष्टिकोण के लिये हमारें दिमाग को तैयार किया जाता हैं ।
यम और नियम क्रमश: पंच नैतिक और पंच उद्धविकासीय निरीक्षण हैं ।
#आसन Aasan in Hindi
आसन संस्कृत शब्द "असी" से लिया गया हैं । जिसका अर्थ हैं "बैठना"
यौगिक क्रिया में आसन शरीर की एक विशेष अवस्था हैं जो शरीर को संतुलित करनें के लियें किया जाता हैं । आसन द्धारा शरीर की सभी क्रियाएँ लयबद्ध रूप चलती हैं ।
आसन द्धारा शारीरिक और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती हैं ।
#प्राणायाम Pranayama in Hindi
प्राणायाम दो शब्दों से मिलकर बना हैं प्राण + आयाम
प्राण का मतलब हैं मनुष्य को जीवित रखनें वाली जीवन शक्ति ।
प्राण के बिना मनुष्य निष्प्राय हैं जब तक प्राण रहेगा तब तक शरीर भी रहेगा जहाँ प्राण निकला वहाँ शरीर भी नष्ट़ हो जाता हैं ।
आयाम का मतलब होता हैं विस्तार करना
इस प्रकार प्राणायाम वह यौगिक क्रिया हैं जो जीवनशक्ति को विस्तारित करती हैं । प्राणायाम के माध्यम से श्वास प्रक्रिया को नियंत्रित कर जीवनशक्ति को विस्तारित किया जाता हैं ।
प्राणायाम करनें से जीवन लम्बा और रोगरहित होता हैं ,मस्तिष्क की सारी प्रक्रियाएँ सुचारू रूप से चलती हैं तथा मस्तिष्क इस प्रकार तैयार होता हैं कि हर परिस्थिति में संतुलन स्थापित कर सकें ।
#मुद्रा और बंध Mudra and bandh in Hindi
मुद्रा और बंध यौगिक क्रियाओं के प्रकार हैं जिसके द्धारा ऐच्छिक और अनेच्छिक मांसपेशियों पर अपनी इच्छानुसार नियंत्रण रखा जाता हैं । मुद्रा और बंध के द्धारा शरीर की ऊर्जा का प्रवाह शरीर के सभी भागों में एकसमान बनाया जाता हैं ।
मुद्रा और बंध यौगिक क्रियाओं से शरीर के आंतरिक अंग मज़बूत बनतें हैं ।
प्राणायाम के दौरान जो मुद्रा प्रयोग की जाती हैं उसे बंध कहतें हैं । बंध के माध्यम से शरीर की ऊर्जा एक भाग से दूसरें भाग तक प्रवाहित की जाती हैं ।
#शट क्रिया
शट क्रिया या शट कर्म सम्पूर्ण शरीर का शुद्धीकरण करनें वाली 6 क्रियाएँ हैं । इन क्रियाओं में पानी,हवा,रूई की रस्सी,कपडे के माध्यम से शरीर को शुद्ध किया जाता हैं ।
ये शट क्रियायें हैं नेति, धोती,बस्ती,नौली ,त्राटक और कपालभाँति
# नेति
नेति क्रिया में नासा छिद्रों को पानी के माध्यम से धोया जाता हैं तथा रूई की रस्सी के माध्यम साफ किया जाता हैं ।
#धोती क्रिया
धोती क्रिया में अमाशय को धोकर साफ किया जाता हैं ।
#बस्ती क्रिया
Colon साफ करनें की क्रिया को बस्ती क्रिया कहा जाता हैं इस विधि में विशेष औषधियों का प्रयोग कर colon को साफ किया जाता हैं ।
#नौली क्रिया
नौली क्रिया पेट की मांसपेशियों को मज़बूत करनें के लियें की जाती हैं ।
#त्राटक
आँखों को एकबिन्दु पर स्थिर रख शुद्धिकरण किया जाता हैं ।
#कपालभाँति
कपालभाँति द्धारा फेफड़ों को शुद्ध किया
योगाभ्यास से संबंधित सामान्य दिशा निर्देश
1.योगाभ्यास से पूर्व किए जाने वाले कार्य
1.योगाभ्यास से पूर्व शरीर,मन,आत्मा,का शोधन आवश्यक है अतः योग करने से पहले शोच,और शरीर की शुद्धि अवश्य करले।
2.योगाभ्यास करनें से पूर्व योगाभ्यास स्थल का वातावरण शांत और कोलाहल से मुक्त होना चाहिए। यदि सामूहिक योगाभ्यास कर रहें हों तो कोशिश होनी चाहिए कि बड़ा हाल या बगीचा इसके लिए हो।
3.योगाभ्यास से पूर्व तरल पेय या हल्का नाश्ता ही करना चाहिए।
4.योगाभ्यास के लिए आरामदायक और ढ़ीले वस्त्र पहनना चाहिए।
5.यदि बीमार हो, गर्भवती हो तो योगाभ्यास योगाचार्य के परामर्श उपरांत ही करें।
6.योगाभ्यास से पूर्व मस्तिष्क को शांत और एकाग्रता प्रदान करने के लिए ध्यान और प्रार्थना करनी चाहिए।
7.योगाभ्यास का फायदा शरीर में धीरे-धीरे परिलक्षित होता है अतः एकदम से ऐसे कठिन योगाभ्यास न करें जिसमें अधिक शारीरिक मेहनत की आवश्यकता होती हैं।
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