1. गंधक के औषधीय गुण Gandhak ke oshdhiy gun
गंधक Gandhak का परिचय :::
गंधक स्थावर और जंगम अर्थात पृथ्वी और वनस्पतियों जीव जंतु आदि सब जगह विधमान रहता है ।
शरीर के अंदर गंधक रक्त और दूध में छोटी सी मात्रा में विद्यमान रहता है ,आयुर्वेद दृष्टिकोण से बात की जाए पित्त अंदर लगभग 25% गंधक पाया जाता है।
गंधक Gandhak जिप्सम नमक पत्थर में प्रचुरता से पाया जाता है यह पदार्थ गर्म पानी के झरना के आसपास मिलता है।
प्रकृति में गंधक दो रूप में पाया जाता है पीला और सफेद पीला गंधक आंतरिक रूप से उपयोगी है जबकि सफेद गंधक बाह्य रूप में उपयोगी है।
प्रकृति में गंधक दो रूप में पाया जाता है पीला और सफेद पीला गंधक आंतरिक रूप से उपयोगी है जबकि सफेद गंधक बाह्य रूप में उपयोगी है।
गंधक की उत्पत्ति ज्वालामुखी पर्वतों से होती है।
2.गंधक के विभिन्न भाषाओं में नाम :::
गंधक का संस्कृत नाम :::
गंधक को संस्कृत में गौरीबीज गंधपाषाण, गंधक और कीटहन के नाम से जानते हैं ।
गंधक का हिंदी नाम :::
गंधक को हिंदी में गंधक , गौरी बीज के नाम से जानते हैं।
गंधक का अंग्रेजी नाम :::
गंधक को अंग्रेजी में Brimstone sulphur कहते हैं।
गंधक के औषधीय गुण Gandhak ke oshdhiy gun
गंधक से खुजली का इलाज :::
3 ग्राम गंधक और 3 ग्राम त्रिफला चूर्ण मिलाकर सुबह ठंडे पानी के साथ सेवन करने से पुरानी से पुरानी खुजली बैठ जाती है यह खुजली का शर्तिया इलाज है ।
गंधक और सरसों मिलाकर इतने प्रभावित स्थान पर लगाने से खुजली मिट जाती है ।
गंधक से बनी हुई गंधक रसायन वटी रक्त को साफ करने वाली बहुत उत्तम आयुर्वेदिक औषधि है । यह अवस्थी चर्म रोग , कोढ़ आदि में प्रयोग की जाती है ।
गंधक और सरसों मिलाकर इतने प्रभावित स्थान पर लगाने से खुजली मिट जाती है ।
गंधक से बनी हुई गंधक रसायन वटी रक्त को साफ करने वाली बहुत उत्तम आयुर्वेदिक औषधि है । यह अवस्थी चर्म रोग , कोढ़ आदि में प्रयोग की जाती है ।
गंधक को पीसकर बिच्छू के डंक पर लगा ले कुछ देर पश्चात इस गंधक को उतार दे और नया गंधक दंगों पर लगा दी इस तरह 10:10 मिनट के अंतराल पर यह प्रयोग करने से बिच्छू का जहर उतर जाता है।
डायबिटीज़ का इलाज :::
गंधक प्रीडायबिटीक मरीजों के लिए बहुत ही उत्तम औषधि है 3 ग्राम गंधक और 3 ग्राम गिलोय घनवटी मिलाकर प्रीडायबिटीक मरीज यदि सुबह शाम दूध के साथ में तो कुछ ही दिनों के प्रयोग से प्रीडायबिटीक व्यक्ति निरोगी हो जाता है
दांत दर्द का इलाज :::
गंधक को लौंग के तेल के साथ मिला लें, इस तेल को दर्द वाले दांत पर 10 से 15 मिनट लगाने से दांत दर्द मिट जाता है ।
सफेद दाग का इलाज :::
गंधक gandhak को नीम के तेल के साथ मिलाकर सफेद दाग वाली जगह पर लगाने से सफेद दाग बैठते हैं ।
फोड़ा हो जाने का इलाज :::
गंधक को गोमूत्र के साथ मिलाकर फोड़े पर लगाने से फोड़ा बहुत शीघ्र ठीक हो जाता है।
सिर में रूसी हो जाने का इलाज :::
यदि सिर में रूसी हो गई हो और सारे इलाज करवाने के बाद भी ठीक नहीं हो रही है तो गंधक में नारियल का तेल मिलाकर उंगलियों से बालों की जड़ में मालिश करें , इससे बालों की रूसी की समस्या समाप्त होकर बाल काले चमकदार बनते हैं।
रक्त शुद्ध करने की दवा :::
गंधक बहुत उत्तम कोटि का रक्तशोधक है । गंधक रसायन वटी सुबह-शाम एक-एक गोली लेने से दूषित रक्त शुद्ध होकर शरीर चमकीला और कांति में बनता है ।
कील मुंहासे का इलाज
युवा अवस्था और किशोरावस्था में निकलने वाले कील मुंहासों से पूरा चेहरा भर जाता है इन इन कील मुहांसों को जड़ से मिटाने के लिए गंधक रसायन वटी प्रतिदिन सुबह शाम सेवन करनी चाहिए ।
पेट में गैस बनने का इलाज
गंधक बहुत उत्तम वायु हर औषधि है यदि पेट में गैस अधिक बनती हो तो गीली पीली मिट्टी के साथ गंधक मिलाकर नाभि के स्थान पर बांधने से गैस बनना बंद हो जाती है ।
शरीर को डिटॉक्सिफाई करने में गंधक का उपयोग :::
गंधक प्रदूषण के कारण शरीर में जमा कार्बन कण,लेड़ आदि खतरनाक तत्वों को शरीर से बाहर निकालने का काम करता है। यदि गंधक रसायन की एक गोली सुबह शाम ली जाए तो शरीर से खतरनाक तत्व बाहर निकल जाते हैं ।
फंगल इन्फेक्शन का इलाज
शरीर में यदि फंगल इंफेक्शन हो जाता है तो यह बहुत दवाई खाने और लगाने के बाद भी नहीं जाता है यदि गंधक को नीला थोथा के साथ मिलाकर फंगल इंफेक्शन वाली जगह पर लगाया जाए तो कुछ ही दिनों के पश्चात आराम मिलना शुरू हो जाता है और पुराने से पुराना फंगल इनफेक्शन समाप्त हो जाता है।
गंधक युक्त पानी से नहाने के फायदे ::
ज्वालामुखी से निकलने वाले झरने में सल्फर पर्याप्त मात्रा में मौजूद रहता है ऐसे झरनों के पानी से नहाने से त्वचा रोग तो मिटते ही हैं लेकिन मन भी बहुत प्रसन्न और शरीर हल्का हो जाता है ।
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गंधक रसायन :::
गंधक रसायन आयुर्वेद शास्त्रोक्त औषधि है जो प्राचीन काल से आयुर्वेद चिकित्सा में प्रयोग की जा रही है । आयुर्वेद ग्रंथों में लिखा हैं
शुद्धो बलिगोर्पयसा विभाष्य ततश्चतुर्जातगुडूचिकाभि:।पथ्याक्षधौषधभृंगराजैभार्अष्वारं पृथगादर्केण। शुद्धे सितां रोजर तुल्यभागां रसायनों गन्धकाराजसंज्ञम।।
गंधक शरीर के लिए रसायन अर्थात शरीर को नवयोवन प्रदान करने वाला,बल देने वाला पदार्थ हैं ।
आइए जानते हैं गंधक रसायन के घटकों से बनती है ।
1. अरंड Ricinus communis
2.छोटी इलायची
3. दालचीनी
4. गाय का दूध
5. पतरा
6. आंवला
7. गिलोय
8. अदरक
9. नागकेसर
10. भृंगराज
11. हरीतकी
गंधक के नुकसान :::
गंधक के जहां कुछ फायदे हैं कोई कुछ नुकसान भी है जैसे
1. गंधक के सेवन से पित्त बढ़ता है अतः इसके सेवन के दौरान गर्म पदार्थ नहीं खाना चाहिए।
2. ज्यादा मिर्च मसाले वाले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए ।
3. इसका सेवन पूर्णता वैद्यकीय के निर्देशानुसार किया जाना चाहिए ।
4. शोधित गंधक का उपयोग किया जाना चाहिए ।
5. कभी-कभी गंधक के प्रयोग से एलर्जी त्वचा में जलन आदि समस्या हो सकती है अतः इस दौरान गंधक का प्रयोग नहीं करें।
6. जिन लोगों को पेट में छाले और ऐसे लोग गंधक का प्रयोग नहीं करें ।
7.गर्भवती स्त्रियों को गंधक का प्रयोग विधि परामर्शी के उपरांत करना चाहिए।
8.पित्त प्रकृति के लोगों को गंधक का प्रयोग चिकित्सक के निर्देशानुसार करना चाहिए।
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