आंवला |
आंवला
स्कंद पुराण ,गरूड़ पुराण में आंवले की महिमा का विशद वर्णन मिलता हैं. महर्षि च्यवन ने पुन: युवा होनें के लिये आंवलें से बनायें गये च्यवनप्राश का प्रयोग किया था.
आंवला यूकोरबियेसी कुल का सदस्य हैं जिसे वनस्पति जगत में एमाब्लिका आफिलिनेलिस के नाम से जाना जाता हैं.
अंग्रेजी में इसे इंडियन गुजबेरी और संस्कृत में आमलकी के नाम से जाना जाता हैं ।
आंवला में पाए जाने वाले पौषक तत्व
1.पानी :: 8.12%
2.कार्बोहाइड्रेट :: 14.1%
3.फायबर :: 3.4%
4.प्रोटीन ::0.5%
5.फैट ::0.1%
6.खनिज लवण :: 0.7%
7.विटामीन सी :: 121 मिली ग्राम
8.आयरन:: 12 मिली ग्राम
9.फास्फोरस ::20 मिली ग्राम
[प्रति 100 ग्राम ]
आंवले में सबसे अधिक मात्रा में विटामिन सी पाया जाता हैं,जो अन्य फलों जैसे नांरगी,निम्बू से बीस गुना अधिक होता हैं.
इसके अलावा इसमें गैलिक एसिड़, ग्लूकोज,टैनिक एसिड़ एल्बयूमिन आदि तत्व भी पायें जाते हैं.
आंवला के फायदे
आंवला त्रिदोषहर यानि वात, पित्त, कफ का शमन करनें वाला एक उत्तम फल हैं,
आयुर्वेद ग्रंथों के अनुसार आंवला
विधादामलकेसवार्नरसान्लवणवर्जितान।स्वेदमेद:कफोत्क्लेदपित्तरोगविनाशनम्।।
अर्थात आँवला पाँच रसों लवण, मीठा,कडुआ ,कसैला,और चरपरा से युक्त होकर ,कफ विकारों,पित्त विकारो ,मोटापा,तथा अधिक पसीना आना जैसें दोषों को नष्ट कर देता हैं ।
१. स्कर्वी रोग में आंवले का सेवन रोग को जड़ से नष्ट करता हैं.
२.यह अस्थमा (Asthma)और फेफडों से संबधित रोगों में बहुत लाभदायक फल हैं यदि इसका सेवन कच्चा या रस निकाल कर किया जावें.
३.इसका रस आँखों में डालनें से नेत्र ज्योति बढाता हैं,और नेत्र सूजन को कम करता हैं.
४.स्वपनदोष में दस ग्राम आंवला चूर्ण में बीस ग्राम चीनी मिलाकर सेवन करने पर बहुत लाभ मिलता हैं.
६.आंवला चूर्ण, सोंठ चूर्ण, तथा अश्वगंधा चूर्ण को क्रमश: १:२:४ में मिलाकर एक-एक चम्मच सुबह शाम पानी के साथ सेवन करनें पर मानसिक रोग नष्ट हो जातें हैं ,विधार्थीयों को सेवन करवानें से बुद्धि तीक्ष्ण बनती हैं.
७.पेड़ का पका हुआ आंवला यदि हक़लानें वाला व्यक्ति नियमित रूप से खायें तो उसका हकलाना समाप्त हो जाता हैं.
८.आंवला खानें से रक्त में आक्सीजन का स्तर कभी कम नही होता फलस्वरूप चिर योवनता बनी रहती हैं,यही कारण हैं,कि महर्षि च्यवन ने आंवले का प्रयोग च्वयनप्राश में कर पुन: योवनता को प्राप्त किया था.
७.पेड़ का पका हुआ आंवला यदि हक़लानें वाला व्यक्ति नियमित रूप से खायें तो उसका हकलाना समाप्त हो जाता हैं.
८.आंवला खानें से रक्त में आक्सीजन का स्तर कभी कम नही होता फलस्वरूप चिर योवनता बनी रहती हैं,यही कारण हैं,कि महर्षि च्यवन ने आंवले का प्रयोग च्वयनप्राश में कर पुन: योवनता को प्राप्त किया था.
९.इसके अलावा आंवले का प्रयोग मुरब्बें के रूप में करनें से यह शरीर को शीतलता और तरोताजा रखता हैं.
१०.आंवले में हरड़,बहेड़ा को मिलानें से त्रिफला बनता हैं जो समस्त रोगों को नष्ट कर आरोग्य प्रदान करनें वाली औषधि हैं.
११.आंवला अंड़े की अपेक्षा एक हजार गुना दोष रहित फल है अत: स्वस्थ रहनें के लिये आंवले का सेवन अवश्य करें.
१२.आंवला का ताजा रस कोरोनावायरस से पीड़ित व्यक्ति को सुबह शाम 10 ग्राम पीलानें से बहुत तेजी से व्यक्ति ठीक होता हैं ।
१४.ट्यूबरक्लोसिस रोग में आंवले का रस बहुत आशातीत लाभ प्रदान करता हैं और इसके सेवन के बाद टीबी की दवाईयों की कार्यक्षमता में बढोतरी होती हैं ।
१५.आंवले के बीजों से निकला तेल बालो के बहुत उपयोगी माना जाता हैं। यह आंवला तेल बालों में लगाने से बाल काले,घने,मुलायम और मज़बूत बनते हैं ।
१६.आंवला के सूखे बीजों को उबालकर बचे हुए पानी से बाल धोनें से बालो की रूसी समाप्त हो जाती हैं ।
१७.आंवला शरीर को डिटाक्स करता हैं जिससे किडनी, लीवर,ह्रदय जैसे महत्वपूर्ण अंग बिना किसी रूकावट के काम करते रहते हैं ।
१८.यदि किसी को मूत्र की रूकावट हो गई हैं तो आंवला पावड़र पानी में घोलकर पेडू के आसपास लपेट दे,मूत्र खुलकर आने लगेगा ।
१९.माइग्रेन होनें पर आंवले का रस सिर पर लगानें से बहुत शीघ्रता से आराम मिलता हैं ।
आंवला का शर्बत पीनें के फायदे
गर्मी: लू लगने पर चक्कर आए या जी घबराए तो आंवले का शर्बत पीएं, तुरंत ऊर्जा मिलेगी।
बवासीर: बारीक पिसा आंवला चूर्ण दिन में तीन बार छाछ के साथ लें।
नकसीरः नाक में 2 बूंद आंवला रस डालें। आधा पाव आंवला चूर्ण बकरी के दूध के साथ सिर पर लेप करें।
बलगम की शिकायतः एक चम्मच आंवला और मुलेठी चूर्ण मिलाकर सुबह शाम पानी से लें। हकलाना: शहद और ब्रह्मीघृत में एक चम्मच आंवला चूर्ण सुबह-शाम देने पर बच्चा (बड़ा हो तो) हकलाना बंद कर देता है।
बिस्तर में पेशाब में पेशाब : 50 ग्राम आंवला, 50 ग्राम जीरा, 100 मिश्री 'पीसकर मिलाकर रख लें, इसे आधा चम्मच सुबह-शाम पानी से दें। इसे हायपर एसिडिटी के रोगी न खाएं।
Author- healthylifestyehome
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