#1.बीमारी का परिचय :::
सीकल सेल (sickle cell) रक्त से सम्बंधित बीमारी हैं,जिसमें रक्त में उपस्थित हिमोग्लोबीन (Haemoglobin) जो रक्त में स्वतंत्र रूप से घूमता हैं,असामान्य रूप में आपस में गुच्छा बना लेता हैं.फलस्वरूप लाल रक्त कणिकाएँ (RBC) अपना रूप गोल से बदलकर सिकल (sickle) या हँसिया के शेप में परिवर्तित हो जाती हैं.
#2.कारण :::
यह एक आनुवांशिक बीमारी हैं,जिसमें बीमारी के जीन्स माता - पिता से बच्चों में पहुँचते हैं.इस प्रकार यदि बच्चा सिकल सेल से पीड़ित हैं,तो वह अपनी अगली पीढी़ को बीमारी प्रदान करेगा.यह क्रम चलता रहता हैं.
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#3.लक्षण :::
० सबसे महत्वपूर्ण लक्षण हैं,एनिमिया चूँकि लाल रक्त कणिकाएँ सिकल शेप हो जाती हैं,अत: ये टूटकर नष्ट हो जाती हैं,फलस्वरूप रोगी गंभीर एनिमिया का शिकार हो जाता हैं.अन्य आनुषांगिक लक्षण हैं,जैसें :-
० लगातार बुखार आना.
० जोंड़ों में तीव्र दर्द.
० साँस लेने में परेशानी होना.
० बैचेनी.
० दिखाई कम देना.
० शरीर पर सूजन आना.
० किशोरियों में माहवारी का युवावस्था तक शुरू नही होना.
० पीलिया आदि.
#4.ज़रूरत जागरूकता की :::
० सिकल सेल ग्रसित व्यक्ति को नियमित रूप से चिकित्सतकीय परामर्श की आवश्यकता होती हैं,अत : नियमित रूप से चिकित्सतकीय परामर्श अवश्य लें.
० ऐसी जगहों पर न जावें जँहा आक्सीजन का स्तर कम हो जैसें भीड़ भाड़ वाली जगह,पर्वत पहाड़ो पर यदि जाना भी पड़े तो आक्सीजन बेग ज़रूर ले जावें.
० ओमेगा 3 फेटीएसिड़ युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन नियमित रूप से करें.
० अमीनों एसिड़, साइनोकोबलामाइन ,एस्ट्राजीन युक्त सप्लीमेंट लें.
० पानी पर्याप्त मात्रा में पीयें क्योंकि एक तो डीहाइड्रेशन नहीं होगा और दूसरा टूटे हुये सिकल सेल रक्त वाहिकाओं को अवरूद्ध नही कर पायेंगें जिससे शरीर के विभिन्न अँगों जैसें किड़नी,लीवर के फैल होनें का खतरा कम हो जायेगा.
० यह बीमारी आदिवासी,ग्रामीण आबादी को अधिक प्रभावित करती हैं,क्योंकि जागरूकता के अभाव में ये लोग सिकल सेल प्रभावित व्यक्ति से शादी कर बच्चें पैदाकर बीमारी एक पीढी़ से दूसरी पीढी़ में फैलातें रहतें हैं,अत: वैवाहिक सम्बंधों में सावधानी आवश्यक हैं,इसके लिये चिकित्सतकीय परामर्श आवश्यक हैं.
० योगिक क्रिया जैसें अनुलोम - विलोम शरीर में आक्सीजन का स्तर बनाये रखती हैं.
० धूम्रपान,शराब या तम्बाकू का किसी भी रूप में सेवन न करें यह बीमारी को बढ़ाता हैं.
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