टैकीकार्डिया Techycardia : ह्रदय की असामान्य धड़कन
टैकीकार्डिया Techycardia को समझने से पहले हमारें ह्रदय की धड़कन hraday ki dhadkan की कार्यप्रणाली को समझना होगा।
हमारा हृदय में चार कक्ष होते हैं दो ऊपरी कक्ष जिन्हें आलय या आट्रिया कहते हैं तथा दो निचले कक्ष जिन्हें निलय या वेन्ट्रिकल कहा जाता हैं। हमारे ह्रदय की धड़कन दाहिने आरट्रियल में स्थित साइनस नोड़ से बनती व नियंत्रित होती हैं।
साइनस नोड़ से निकलने वाली विधुत तरंगें सम्पूर्ण आट्रियम में जाती हैं जिसके कारण आट्रियम मांसपेशियां सिकुड़ती है और खून को ह्रदय के निचले कक्ष वेंट्रिकम में भेजती हैं।
इसी प्रकार विधुत तरंगें कोशिकाओं के समूह adioventricule ( AV Node) में आकर सिग्नल देती हैं। इस प्रक्रिया द्वारा ह्रदय की धड़कन नियंत्रित होती हैं। जब यह प्रक्रिया बाधित होती है तो ह्रदय की धड़कन असामान्य हो जाती हैं ।
जब ह्रदय की धड़कन बहुत ज्यादा होती हैं तो इसे टैकीकार्डिया hraday ki dhadkan bhut jyda hoti hai to ise techycardia और बहुत कम होती हैं तो उसे bradycardia कहते हैं।
अब ज्यादा या कम धड़कन किसे माना जाय यह जानतें हैं
सामान्य अवस्था में हमारा हृदय 60 से 100 प्रति मिनट की दर से धड़कता हैं। यदि यह धड़कन 100 प्रति मिनट से अधिक होती हैं तो इस स्थिति को techycardia टेकीकर्डिया कहते हैं ।
Techycardia भारत समेत विश्वभर के तमाम देशों की एक आम चिकित्सकीय समस्या बनती जा रही हैं ।
हेपिटाइटिस सी के बारे में जानकारी
6. उच्च रक्तचाप
7. स्टेराइड़ का अत्यधिक प्रयोग
8. शरीर में सोडियम पोटेशियम आदि तत्वों की कमी हो जाना क्योंकि लगाए के विद्युत तरंगों को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक होते हैं ।
9. तनाव
10. डर
11. कोकिन,मैथामेटामाइन देसी दवाइयों के दुष्प्रभाव के कारण
कुछ मामलों में बिल्कुल सही कारण भी अज्ञात रहता है
13. मधुमेह
14. हाइपो या हाइपर थायराइड
15. नींद में चमकना
16. अत्यधिक वजन होना
17. तंबाकू का प्रयोग
18. उत्तेजक दवाओं का प्रयोग
19.शरीर में पानी की कमी ( Dehydration)
टैकीकार्डिया से बचाव के लिए नियमित रूप से व्यायाम और स्वास्थ्य पर खान-पान अति आवश्यक है स्वास्थ्य पर खानपान में फल सब्जी साबुत अनाज और लो फैट प्रोडक्ट शामिल होना चाहिए।
यदि शरीर का वजन नियंत्रित रखा जाए तो ह्रदय रोग संबंधित तमाम तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है।
• पतंजलि लिपीडोम के फायदे और साइड इफेक्ट्स
हमारा हृदय में चार कक्ष होते हैं दो ऊपरी कक्ष जिन्हें आलय या आट्रिया कहते हैं तथा दो निचले कक्ष जिन्हें निलय या वेन्ट्रिकल कहा जाता हैं। हमारे ह्रदय की धड़कन दाहिने आरट्रियल में स्थित साइनस नोड़ से बनती व नियंत्रित होती हैं।
साइनस नोड़ से निकलने वाली विधुत तरंगें सम्पूर्ण आट्रियम में जाती हैं जिसके कारण आट्रियम मांसपेशियां सिकुड़ती है और खून को ह्रदय के निचले कक्ष वेंट्रिकम में भेजती हैं।
इसी प्रकार विधुत तरंगें कोशिकाओं के समूह adioventricule ( AV Node) में आकर सिग्नल देती हैं। इस प्रक्रिया द्वारा ह्रदय की धड़कन नियंत्रित होती हैं। जब यह प्रक्रिया बाधित होती है तो ह्रदय की धड़कन असामान्य हो जाती हैं ।
जब ह्रदय की धड़कन बहुत ज्यादा होती हैं तो इसे टैकीकार्डिया hraday ki dhadkan bhut jyda hoti hai to ise techycardia और बहुत कम होती हैं तो उसे bradycardia कहते हैं।
अब ज्यादा या कम धड़कन किसे माना जाय यह जानतें हैं
सामान्य अवस्था में हमारा हृदय 60 से 100 प्रति मिनट की दर से धड़कता हैं। यदि यह धड़कन 100 प्रति मिनट से अधिक होती हैं तो इस स्थिति को techycardia टेकीकर्डिया कहते हैं ।
Techycardia भारत समेत विश्वभर के तमाम देशों की एक आम चिकित्सकीय समस्या बनती जा रही हैं ।
हेपिटाइटिस सी के बारे में जानकारी
Techycardia के प्रकार :::
1.आट्रियल फाइब्रिलेशन Atrial fibrillation
हृदय में गड़बड़ी और हृदय के ऊपरी कक्ष में विद्युत तरंगों के असंतुलन के कारण आट्रियल फाइब्रिलेशन होता हैं । आट्रियल फाइब्रिलेशन सामान्य प्रकार का टैकीकार्डिया हैं । इस प्रकार के टैकीकार्डिया से पीड़ित रोगी को दूसरी अन्य समस्या जैसे उच्च रक्तचाप,हायपर थाइराडिज्म , होती हैं ।
2. आर्टियल फ्लटर artrial flutter
हृदय के ऊपरी कक्ष आट्रिया के अनियमित और तेज रुप से धड़कने को आट्रियल फ्लटर कहते हैं। लगातार यह समस्या रहें पर ह्रदय वाल्व के अन्य विकार भी हो सकतें हैं ।
3.सुप्रावेंट्रिक्यूलर टैकीकार्डिया Supraventriculer techycardia
हृदय के निचले हिस्से में शुरू होने वाली असामान्य धड़कन Supraventriculer techycardia के नाम से जानी जाती हैं । यह हृदय की असामान्य विद्युत तरंगों के कारण होनें वाली स्थिति हैं ।
4. वेंट्रिक्यूल टैकीकार्डिया ventricular techycardia
हृदय के निचले कक्षों ventricular में विधुत संकेतों के असामान्य होने से वेंट्रिक्यूलर टैकीकार्डिया होता है । इसमें तीव्र ह्रदय गति के कारण ह्रदय के निचले कक्ष ventricule शरीर से पर्याप्त रक्त पंप करने का कार्य नहीं कर पाते है ।
Ventricular techycardia लम्बें समय तक रहने से जीवन के लिए खतरा पैदा हो सकता हैं।
5. ventricular fibrillation
Ventricular fibrillation के कारण ह्रदय के निचले हिस्से में दबाव आता है क्योंकि ह्रदय शरीर से खून को पंप नहीं कर पाता है । इस कारण ह्रदय की विधुत तरंगों में तेजी आ जाती हैं ।
यदि Defibrillator से ह्रदय की विधुत तरंगों को नियमित नहीं किया जाए तो यह स्थिति हृदय के लिए बहुत घातक होती हैं ।
टैकीकार्डिया के लक्षण :::
जब ह्रदय तीव्र गति से धड़कता है तो यह शरीर के दूसरे अंगों तक खून नहीं पंहुचा पाता है , जिसके कारण ह्रदय सहित शरीर के दूसरे अंगों तक ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो पाती है और निम्न लक्षण उभरते हैं :::
1. सांसों का उखड़ना
2. सिर चकराना
3. सिर का भारी होना
4. तेज धड़कन महसूस होना
5. चक्कर आना
6. हृदय में दर्द
कुछ लोगों में टैकीकार्डिया के कोई लक्षण नहीं नजर आते हैं। और टैकीकार्डिया का पता तब चलता है जब ECG या इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राम टेस्ट करवाया जाता है ।
टैकीकार्डिया का कारण :::
टैकीकार्डिया सामान्य धड़कन के विद्युत तरंगों के व्यवस्थित करने से होता है लेकिन कई अन्य कारक भी टैकीकार्डिया होने के लिए उत्तरदायी होते हैं , जैसे
1. अल्प रक्तता (एनीमिया)
2. चाय या कॉफी का अत्यधिक सेवन
3. अत्यधिक शराब का सेवन
4. अत्यधिक व्यायाम
5. बुखार
6. उच्च रक्तचाप
7. स्टेराइड़ का अत्यधिक प्रयोग
8. शरीर में सोडियम पोटेशियम आदि तत्वों की कमी हो जाना क्योंकि लगाए के विद्युत तरंगों को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक होते हैं ।
9. तनाव
10. डर
11. कोकिन,मैथामेटामाइन देसी दवाइयों के दुष्प्रभाव के कारण
कुछ मामलों में बिल्कुल सही कारण भी अज्ञात रहता है
13. मधुमेह
14. हाइपो या हाइपर थायराइड
15. नींद में चमकना
16. अत्यधिक वजन होना
17. तंबाकू का प्रयोग
18. उत्तेजक दवाओं का प्रयोग
19.शरीर में पानी की कमी ( Dehydration)
टैकीकार्डिया से बचने का उपाय :::
1. नियमित व्यायाम और स्वास्थ्यप्रद खानपान
टैकीकार्डिया से बचाव के लिए नियमित रूप से व्यायाम और स्वास्थ्य पर खान-पान अति आवश्यक है स्वास्थ्य पर खानपान में फल सब्जी साबुत अनाज और लो फैट प्रोडक्ट शामिल होना चाहिए।
० हर्ड इम्यूनिटी क्या होती हैं
2. वजन
यदि शरीर का वजन नियंत्रित रखा जाए तो ह्रदय रोग संबंधित तमाम तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है।
3. धूम्रपान तंबाकू शराब आदि का किसी भी रूप में प्रयोग नहीं करना चाहिए।
4. रक्तचाप को नियंत्रित रखा जाना चाहिए।
4.हृदय को उत्तेजना प्रदान करने वाली दवाइयां अपने चिकित्सक के परामर्श के बाद ही सेवन करना चाहिए।
5. तनाव दूर करने के लिए और हृदय को बलशाली बनाने के लिए भ्रामरी ,, प्राणायम,,कपालभाति सेतुबंध आसन आदि आसन अपने योगाचार्य के परामर्श से करना चाहिए।
6.शरीर में पानी के साथ पर्याप्त खनिज लवण जैसे सोडियम, पोटेशियम आदि मिलते रहना चाहिए।
6.शरीर में पानी के साथ पर्याप्त खनिज लवण जैसे सोडियम, पोटेशियम आदि मिलते रहना चाहिए।
टैकीकार्डिया की पहचान के लिए किए जाने वाले टेस्ट :::
1.E.C.G या इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राम
ईसीजी या इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राम टैकीकार्डिया की पहचान के लिए की जाने वाली सर्वमान्य टेस्ट विधि है जिसके माध्यम से ह्रदय विधुत की गतिविधियों को आसानी से रिकॉर्ड किया जा सकता है ।
2.इलेक्ट्रोफिजियोलाजिकल टेस्ट :::
टैकीकार्डिया की वास्तविक स्थिति और जगह मालूम करने के लिए और समस्या का संपूर्ण पता लगाने के लिए इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिकल टेस्ट किया जाता है इस प्रकार के टेस्ट में रबर की लली ( कैथेटर) जिसमें इलेक्ट्रोड लगे होते हैं , गले या भुजाओं की खून नलिकाओं के माध्यम से ह्रदय के विभिन्न क्षेत्रों में प्रविष्ट करा कर ह्रदय की पल-पल की विद्युत तरंगों की गतिविधि रिकॉर्ड की जाती है जिससे इस समस्या का पता लगाया जा सकता है।
3. कार्डियक इमेजिंग टेस्ट ::
कार्डियक इमेजिंग टेस्ट की ह्रदय की बनावट संबंधी दोषों को जांचने के लिए किया जाता है इस टेस्ट के माध्यम से यह पता किया जाता है कि टैकीकार्डिया ह्रदय की असामान्य बनावट का कारण तो नहीं है इसमें भी कई प्रकार के सम्मिलित होते हैं।
4. इकोकार्डियोग्राम
इकोकार्डियोग्राम टेस्ट में आवाज तरंगों के माध्यम से कम खून दबाव वाली ह्रदय की मांसपेशियों और ह्रदय कपाट की पहचान की जाती है।
5. मैग्नेटिक रिजोनेंस इमेजिंग या MRI
कार्डियक एमआरआई द्वारा ह्रदय में खून के प्रभाव और अन्य असमानता की पहचान की जाता है।
6. कंप्यूटराइज टोमोग्राफी या CT SCAN
ह्रदय की सही बनावट को जानने के लिए कंप्यूटराइज टोमोग्राफी टेस्ट किया जाता है।
7. कोरोनरी एंजियोग्राफी :::
ह्रदय और खून की नालियों में पैदा होने वाले रुकावट की पहचान इस टेस्ट के माध्यम से की जाती है जिससे ह्रदय में होने वाली असामान्य धड़कन का पता लगाया जा सकता है।
8.तनाव परीक्षण ::
कसरत करते हुए ह्रदय पर इलेक्ट्रोडस लगाकर इस टेस्ट के माध्यम से ह्रदय की असामान्य धड़कन का पता लगाया जाता है ।
इन परीक्षणों के अलावा कुछ अन्य प्रकार के और टेस्ट किए जाते हैं जैसे एक्सरे , टिल्ट टेबल टेस्ट, हॉल्टर मॉनिटर टेस्ट इवेंट मॉनिटर टेस्ट आदि ।
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