धतूरा भगवान शिव का प्रिय पौधा है। भगवान शिव धतूरा अपने मस्तिष्क पर धारण करते हैं और जो लोग धतूरा भगवान शिव को अर्पण करते थे वे उन्हें मनचाहा आशीष प्रदान करते हैं। धतूरा भी कई प्रकार का होता है जैसे काला धतूरा, सफेद धतूरा, पीला धतूरा आदि। आज हम आपको "काला धतूरा के फायदे और नुकसान kala dhatura ke fayde aur nuksan" के बारे में बताएंगे।
आयुर्वेद आयुर्वेद चिकित्सा में काला धतूरा बहुत महत्वपूर्ण औषधि के रूप में बहुत लंबे समय से इस्तेमाल हो रहा है । धतूरा बहुत ही जहरीला फल होता है , प्रकृति में गर्म और भारी होता है।
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काला धतूरा के फायदे और नुकसान |
आयुर्वेद आयुर्वेद चिकित्सा में काला धतूरा बहुत महत्वपूर्ण औषधि के रूप में बहुत लंबे समय से इस्तेमाल हो रहा है । धतूरा बहुत ही जहरीला फल होता है , प्रकृति में गर्म और भारी होता है।
काला धतूरा का वैज्ञानिक नाम
काला धतूरा का वैज्ञानिक नाम धतूरा स्ट्रामोनियम DHATURA STRAMONIUM है ।
अंग्रेजी में इसे डेविल्स एप्पल Devil's apple, डेविल्स ट्रम्पेट Devil's trumpet के नाम से जाना जाता है।
संस्कृत में इसे दस्तूर, मदन, उन्मत्त ,शिव प्रिय महामोधि, कनक आदि नाम से जानते हैं।
काला धतूरा की पहचान कैसे करें
काला धतूरा के पत्ते नोक दार ,डंठल युक्त और बड़े आकार के होते हैं। काला धतूरा के फूल घंटी के आकार के होते हैं इनका रंग सफेद होता है। काला धतूरा का फल गोल और ऊपर से कांटेदार होता है । काला धतूरा का बीज काले रंग के और बहुत अधिक मात्रा में फल में मिलते हैं।
काला धतूरा के बीज गंध रहित होते हैं।
काला धतूरा के पत्तों का उपयोग अस्थमा में
काला धतूरा के पत्तों का उपयोग अस्थमा के निवारण में बहुत प्राचीन काल से किया जा रहा है, उसके पत्तों को चिलम में भरकर अस्थमा पीड़ित व्यक्ति को धूम्रपान कराया जाता है लेकिन यह धूम्रपान पूरी तरह से चिकित्सक की देखरेख में कराया जाता है।
धतूरा के पत्तों का प्रयोग धूम्रपान के रूप में करने से श्वास नली में जमा बलगम पतला होकर बाहर निकल जाता है और श्वास नलिका की सूजन कम हो जाती है।
धतूरे के पत्तों पर सरसों का तेल लपेटकर गर्म कर लें,अब इन पत्तों को शरीर पर निकलने वाले फोड़ों, जोड़ों मेंं होने दर्द, पीठ दर्द, पेट के अंदरूनी हिस्सों मेंं सूजन, पसलियोंंं में सूजन आदि में बांधने से बहुत आराम मिलता है।
धतूरे के पत्तों का रस सिर दर्द में लगाने से सिर दर्द बंद हो जाता है।
बच्चों में होने वाला निमोनिया बहुत ही खतरनाक बीमारी है जो बच्चों की जान ले सकती हैं यदि धतूरे के पत्तों को गर्म कर फेफड़ों पर रख दिया जाए तो निमोनिया में बहुत आराम मिलता है।
धतूरे के पत्तों का रस सिर दर्द में लगाने से सिर दर्द बंद हो जाता है।
बच्चों में होने वाला निमोनिया बहुत ही खतरनाक बीमारी है जो बच्चों की जान ले सकती हैं यदि धतूरे के पत्तों को गर्म कर फेफड़ों पर रख दिया जाए तो निमोनिया में बहुत आराम मिलता है।
बदन दर्द में धतूरे का प्रयोग
पूरा शरीर अकड़ गया और दर्द अधिक हो तो काले धतूरे के बीजों को दही के साथ सेवन कराने से बदन दर्द खत्म हो जाता है लेकिन इन बीजों का प्रयोग चिकित्सकीय निर्देशों के अनुसार ही किया जाना चाहिए।
पथरी के दर्द में धतूरे का प्रयोग
धतूरे की जड़ पीसकर इसमें गोमूत्र मिला है यह लेप उस जगह पर लगाएं जहां से पथरी का दर्द उठ रहा हो कुछ समय के पश्चात पथरी के दर्द में आराम मिलता है।
गंजापन दूर करने के लिए धतूरे का प्रयोग
गंजापन दूर करने के लिए धतूरे के फूलों का रस गंजे सिर पर सप्ताह में एक बार लगाए ।
पागलपन दूर करने के लिए धतूरे का प्रयोग
पागलपन दूर करने के लिए धतूरे के कुछ अनुभूत प्रयोग है यदि हम इसका प्रयोग विधि पूर्वक करें तो पागल व्यक्ति बहुत शीघ्र ठीक हो जाता है।
धतूरे का रस और शहद के साथ मिलाकर पागल व्यक्ति को चटाने से पागल व्यक्ति ठीक हो जाता है।
चर्म रोगों में धतूरे का प्रयोग
धतूरे के बीजों को कुचलकर सरसों तेल के साथ गर्म कर ले यह तेल चर्म रोग पर लगाने से दाद खाज खुजली जैसे गंभीर समस्याएं समाप्त हो जाती है।
फंगल इन्फेक्शन कारण, प्रकार और फंगल इन्फेक्शन का इलाज
मच्छर भगाने में धतूरे का प्रयोग
धतूरे के पत्तों को सुखाकर जलाने से मच्छर , कीट पतंगे आदि दूर भाग जाते हैं । धतूरे के पत्ते बंद कमरे में नहीं जलाना चाहिए।
पैरों की सूजन में धतूरे का प्रयोग
धतूरे के बीज पीसकर सरसों का तेल मिला लें इस मिश्रण से पैरों की मालिश करने से पैरों की सूजन दूर होती हैं।
बेहोशी दूर करने के लिए धतूरे का प्रयोग
यदि व्यक्ति बेहोश हो जाता है तो धतूरे के पत्तों का रस निकालकर चार पांच बूंद नाक में टपका दे, बेहोशी दूर हो जाती ।
माइग्रेन में धतूरे का प्रयोग
धतूरे के फूलों का ताजा रस तीन चार बूंद नाक में डालने से माइग्रेन का दर्द बंद हो जाता है।
चक्कर आने पर धतूरे का प्रयोग
चक्कर बहुत अधिक आ रहे हो और कुछ समझ नहीं आ रहा तो धतूरे के फूलों को सूंघ ले, तीन चार बार सूंघने से चक्कर आना बंद हो जाते हैं।
अंडकोष की सूजन में धतूरे का प्रयोग
धतूरे के बीजों को बांटकर शहद में मिला ले यह लेप अंडकोष पर बांधने से अंडकोष की सूजन तुरंत ही मिट जाती है।
कानदर्द में धतूरे का प्रयोग
धतूरे के रस को गाढ़ा होने तक गर्म कर ले और गुनगुना होने पर कान के आसपास लगाएं कुछ समय के पश्चात कान दर्द में आराम मिलने लगता है।
बार बार गर्भपात होने पर धतूरे का प्रयोग
यदि स्त्री को बार बार गर्भपात हो रहा हो तो धतूरे की जड़ स्त्री की कमर में बांध देना चाहिए । इस प्रयोग से बार बार गर्भपात होने की संभावना समाप्त हो जाती है।
• तनाव प्रबंधन के उपाय
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यदि स्त्री को बार बार गर्भपात हो रहा हो तो धतूरे की जड़ स्त्री की कमर में बांध देना चाहिए । इस प्रयोग से बार बार गर्भपात होने की संभावना समाप्त हो जाती है।
उच्च रक्तचाप में धतूरे का प्रयोग
उच्च रक्तचाप यदि दवाई लेने के बाद भी नियंत्रण में नहीं आ रहा हूं तो धतूरे की 3 से 4 इंच मोटी जड़ बारीक बारीक काट लें इस तरह 4 -5 जड़ रोगी व्यक्ति की बाहों में धागे की सहायता से बांध दें। इस प्रयोग से उच्च रक्तचाप में बहुत तेजी से आराम मिलता है।
तनाव दूर करने में धतूरे का प्रयोग
धतूरा तनाव दूर करने की एक बहुत ही उत्तम औषधि है । धतूरे में मौजूद एट्रोपिन नामक तत्व तनाव को दूर कर दिमाग को शांत और प्रसन्न चित्त रखता है। इसके लिए धतूरे के बीज पीसकर शहद मिला लें। इस मिश्रण को रात को सोते समय दोनों कनपटी और सिर पर लगा ले तनाव दूर करने का बहुत ही उत्तम प्रयोग है।
• तनाव प्रबंधन के उपाय
धतूरा की जड़ के टोटके
किशोरी स्त्री को माहवारी के समय यदि पेडू में दर्द हो रहा है तो धतूरे की जड़ तीन चार अंगुल काटकर माहवारी आने के दो तीन दिन पूर्व कमर में बांध दें, माहवारी के समय होने वाला दर्द समाप्त हो जाता हैं।
धतूरे के तेल का प्रयोग
धतूरा अधिक गर्म प्रकृति का होता है और इसका तेल भी इसी गर्म प्रकृति का प्रतिनिधित्व करता है अत्यधिक शीतल स्थानों जैसे कश्मीर, उत्तरी ध्रुव , दक्षिण ध्रुव, रूस साइबेरिया, अमेरिका, यूरोप अंटार्कटिका आर्कटिक आदि स्थानों पर रहने वाले व्यक्ति यदि धतूरे के तेल का प्रयोग शरीर पर मालिश के लिए करें तो शरीर में ठंड लगने की संभावना बहुत कम रहती है और शरीर गर्म बना रहता है।
मधुमेह में धतूरे का प्रयोग
काले धतूरे के बीजों को पानी में उबालकर उबले हुए पानी की एक या दो सेकंड तक वाष्प लेने से रक्त में उपस्थित ज्यादा शर्करा नियंत्रित होती है। लेकिन इसके प्रयोग से पूर्व चिकित्सक का परामर्श अवश्य कर लें ।
स्तंभन शक्ति बढ़ाने में धतूरे का प्रयोग
काले धतूरे के बीज को पीसकर नाभि के आसपास लगाने से पुरुष और स्त्री दोनों की स्तंभन शक्ति में अभूतपूर्व वृद्धि होती है ।
बवासीर में धतूरे का प्रयोग
काले धतूरे की जड़ को पीसकर गुदा के बाहरी भागों में लगाने से बवासीर में बहुत आराम मिलता है लेकिन जड़ लगाने के दौरान ध्यान रहे लेप का स्पर्श गुदा से ना हो।
दांत दर्द में धतूरे का प्रयोग
काले धतूरे के बीजों को पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें जब कभी दांत दर्द हो तो दर्द वाले दांत पर गोलियों का रखें लेकिन ध्यान रहे लार थूंक दें। इस तरह गोली रखने से दांत दर्द में आराम मिलता है।
खिलाड़ीयों के लिए धतूरे का प्रयोग
धतूरे में scopolamine तत्व पाया जाता हैं, यह तत्व उत्तेजना पर नियंत्रण रखने और एकाग्रता प्राप्त करने के लिए आधुनिक चिकित्सा में उपयोग किया जाता है। जिन खेलों में एकाग्रता और मन पर नियंत्रण रखने की जरूरत होती हैं जैसे निशानेबाजी, शतरंज, आदि के खिलाड़ियों को काला धतूरा के पत्तों,बीज या फूल को मसलकर सूंघना चाहिए। और यह खिलाड़ी के लिए किसी प्रतिबंधित श्रेणी में भी नहीं आता है ।
scopolamine का उपयोग आपरेशन और किमोथेरेपी के बाद होने वाली उल्टी और चक्कर को रोकने में भी किया जाता है ।
पेट संबंधी बीमारीयों में धतूरे का प्रयोग
धतूरे में Hysciamine नामक तत्व पाया जाता हैं जो कि पेट के अल्सर,IBS (irritable bowel syndrome) ,और फूड़ एलर्जी में बहुत फायदेमंद होता है ।
मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन में धतूरे का प्रयोग
यदि किसी व्यक्ति की मांसपेशियों में दर्द या ऐंठन आ जाये तो धतूरे के पत्तों को पानी में उबालकर उसकी भाप लेनी चाहिए। इससे मांसपेशियों में खिंचाव या ऐंठन की समस्या समाप्त हो जाती है क्योंकि धतूरे में मौजूद Norhyosciamine नामक तत्व ऐंठन और मांसपेशियों के खिंचाव की आधिकारिक आधुनिक चिकित्सा है।
• मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन होने पर क्या करें
धतूरे के नुकसान
धतूरा बहुत ज़हरीला पौधा होता है Dhatura bahut jahrila podha hota hai जिसमें atropine ,meteolodine जैसे खतरनाक तत्व पाए जाते हैं। इन तत्वों के सेवन से मनुष्य की मौत तक हो जाती हैं।
धतूरे का बाह्य रूप में प्रयोग त्वचा संबंधी समस्या जैसे खुजली, एलर्जी, त्वचा का जलना आदि पैदा करता हैं।
धतूरे के बीज भी बहुत जहरीले होते हैं अतः बिना वैघकीय परामर्श के इनका प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
धतूरे का प्रयोग चिकित्सक द्वारा एक विशेष अनुपात में रोगी की स्थिति देखकर किया जाता है अतः बिना चिकित्सक की सलाह धतूरे का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
ह्रदय रोगियों, मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति,या अन्य किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति, को कच्चे धतूरे का प्रयोग आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श के बाद ही करना चाहिए
ह्रदय रोगियों, मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति,या अन्य किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति, को कच्चे धतूरे का प्रयोग आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श के बाद ही करना चाहिए
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