फंगल इन्फेक्शन।fungal infection। प्रकार, कारण, लक्षण और उपचार
भारत समेत दुनियाभर के चिकित्सक और वैज्ञानिक इस समय फंगल इन्फेक्शन fungal infection के बदलते रूप और फंगल इन्फेक्शन fungal infection के घातक होते प्रभाव को लेकर बहुत चिंतित हो रहें हैं ।
फंगल इन्फेक्शन का यह घातक रूप त्वचा,आँख,फेफडों,रक्त,हड्डी तक को निशाना बना रहा हैं । ऐसे समय में सबसे जरूरी हो जाता हैं कि fungal infection के प्रकार को समझकर फंगल इन्फेक्शन का इलाज fungal infection ka ilaj किया जावें ।
तो आईयें फंगल इंफेक्शन के बारें में ,फंगल इन्फेक्शन के कारण,लक्षण, प्रबंधन और फंगल इन्फेक्शन के घरेलू उपचार के बारें में
फंगल इन्फेक्शन fungal infection क्या होता हैं ?
फंगस जल,प्रथ्वी,आकाश में रहनें वाला अतिसूक्ष्म जीव हैं कुछ फंगस मानव,पशु,पौधों के लिए उपयोगी होतें हैं तो कुछ फंगस मनुष्य को नुकसान पहुँचानें वाले होतें हैं ।
यदि मनुष्य का प्रतिरोधक तंत्र हानिकारक फंगस से लड़नें में अक्षम हो जाता हैं तो फंगस मनुष्य को बीमार बना देतें हैं । ये फंगस प्रभावित व्यक्ति के भौतिक सम्पर्क,संक्रमित वस्तुओं के उपयोग से फैलतें हैं ।
फंगल इन्फेक्शन के प्रकार Types of fungal infection :::
ब्लैक फंगस [Black fungus]
ब्लैक फंगस बीमारी एक फफूंदजनित संक्रमण है जिसे म्यूकरमाइकोसिस या जाइगोमाइकोसिस के नाम से जाना जाता है। ब्लैक फंगस आमतौर पर बहुत कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों को प्रभावित करता है। ब्लैक फंगस आंख,नाक,और मस्तिष्क को अधिक प्रभावित करता है। मानव में होने वाला फंगल इंफेक्शन "राइजोपस ऐरिजुस" नामक म्यूकोरेसी परिवार के फंगस से फैलता है।
कुछ अन्य प्रकार के फंगस भी है जैसे कनिंगमेला,बर्थोलेटिया,एपोफाइसोमाइसिस एलिगेंस,एबिसिडिया स्पेशीज,सकसेनिया स्पेशीज,राइजोम्यूकार प्यूसीलस,एंटोमोपेथोरा स्पेशीज,कंडिय़बोलस स्पेशीज,बेसिडियोबोलस जो कि फंगल इंफेक्शन के लिए जिम्मेदार होते है।
ब्लैक फंगस के लक्षण
ब्लैक फंगस होने पर कुछ आम प्रकार के लक्षण उभरते हैं जैसे
नाक,आंख और मस्तिष्क में संक्रमण होने पर
• नाक से काला तरल पदार्थ निकलता है
• नाक के अन्दर और आंखों में काली पपड़ी जमना
• आंखों का लाल होना,पानी आना और सूजन आना
• नाक बंद होना
• नाक के आसपास साइनस में सूजन और दर्द
फेफड़ों में ब्लैक फंगस का संक्रमण होने पर लक्षण
• फेफड़ों में दर्द
• खांसी
• बुखार
• श्वास चलना
पेट में ब्लैक फंगस का संक्रमण होने पर लक्षण
• पेटदर्द होना
• उल्टी के साथ खून आना
त्वचा में ब्लैक फंगस का संक्रमण होने पर लक्षण
• फोड़े होने के कुछ समय बाद फोड़ा काला हो जाता है और इसका आकार बढ़ने लगता है।
इसके अतिरिक्त ब्लैक फंगस होने पर चक्कर आना, कमजोरी महसूस होना जैसे लक्षण प्रकट हो सकते है।
ब्लैक फंगस रोग होने के कारण
ब्लैक फंगस के spore मिट्टी, सड़ी हुई लकड़ी, पत्तों ,बडे़ हुए फल सब्जी आदि में मौजूद रहते है और यदि बेहद कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाला व्यक्ति इनके सम्पर्क में आ जाता हैं तो वह संक्रमित हो जाता हैं उदाहरण के लिए एड्स संक्रमित व्यक्ति, अनियंत्रित मधुमेह वाला व्यक्ति, अस्थमा या टीबी का मरीज,अंगप्रत्यारोपण आपरेशन के बाद इससे उबर रहा व्यक्ति ,लम्बे समय तक ICU में रहा व्यक्ति
ब्लैक फंगस कभी भी व्यक्ति से व्यक्ति के संपर्क में आने से नहीं फैलता है।
आजकल कोविड 19 से संक्रमित होने के बाद ठीक हो रहें व्यक्ति ब्लैक फंगस के सबसे आम शिकार बन रहें हैं चूंकि कोविड़ 19 में प्रयोग किए जा रहे स्टेराइड व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता को दबा देते हैं अतः ब्लैक फंगस बहुत तेजी से फेफड़ों,आंख,नाक में पहुंचकर फैल जाता है और जानलेवा बन जाता है।
भारत में कुछ विशेषज्ञों ने पुराने अध्यनों के आधार पर ब्लैक फंगस होने के कुछ अन्य संभावित कारणों का पता लगाया है जिसके अनुसार ब्लैक फंगस उन लोगों को अधिक प्रभावित करता है जिन्होंने इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए जिंक सप्लीमेंट और आयरन सप्लीमेंट का अधिक इस्तेमाल करते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस को पनपने के लिए जिंक और आयरन सप्लीमेंट एक आदर्श वातावरण प्रदान करता है ।
ब्लैक फंगस से बचाव कैसे करें
ब्लैक फंगस बहुत आम बीमारी नहीं है बल्कि यह बहुत कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों को ही प्रभावित करती हैं अतः ऐसा बिल्कुल भी नही है कि यह बीमारी उन सभी व्यक्तियों को हो सकती है जो कोविड 19 से ठीक होकर बाहर निकलें हैं ।
ब्लैक फंगस को शुरुआती स्तर पर पहचानना बहुत आवश्यक है, नहीं तो यह बाद में जानलेवा साबित हो सकती हैं इस बीमारी की शुरूआती स्तर पर पहचान नही होने का सबसे बड़ा कारण व्यक्ति को होने वाली अन्य बीमारी भी है चूंकि व्यक्ति अन्य बीमारी जैसे कोविड 19 से जूझ रहा होता हैं और उसी दौरान ब्लैक फंगस के कोविड समान लक्षण उभरते हैं जिसे पोस्ट कोविड सिंड्रोम मानकर इलाज किया जाता है कुछ दिन के बाद जब लक्षण गंभीर हो जातें हैं तो जांच शुरू होती हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती हैं।
अतः ऐसे व्यक्ति गंभीर बीमारी से उबर रहे हो, जिन्होंने हाल ही में स्टेराइड की अधिक मात्रा ली हो लक्षणों को शुरुआती स्तर पर ही पहचान कर उपचार शुरू करें।
ब्लैक फंगस से बचाव हेतू सुबह शाम नीम,से मंजन करें,फिटकरी,नमक या हल्दी को गर्म पानी में डालकर गरारे करें।
नाक में नारियल तेल या अणु तेल की दो बूंद डालें।
आज मानव जाति के सामने सबसे बड़ी चुनौती नित नई बीमारियों से पार पाने की बन गई है लेकिन सवाल भी बहुत अधिक खड़े
हो रहे हैं क्या वायरस,बेक्टेरिया, फफूंद अभी नये नये इस प्रथ्वी पर आये हैं, नहीं ना ,अरे ये तो तब से मानव के साथ है जब से मानव का प्रथ्वी पर अस्तित्व है और तब तक मानव के साथ प्रथ्वी पर रहेंगे जब तक कि मानव का अस्तित्व प्रथ्वी पर है इनमें से कुछ मनुष्य के लिए लाभकारी रहें हैं तो कुछ हानिकारक,अब ये मनुष्य को तय करना है कि वह हानिकारक वायरस,बेक्टेरिया और फफूंद से किस प्रकार निपटना चाहता है। यदि हम वायरस बेक्टेरिया और फफूंद द्वारा मनुष्य को संक्रमित करने के बाद इसका उपचार करने की विधि से निपटेंगे तो हो सकता है कुछ जीवन हमें कुर्बान करना पडे़ और हो सकता है इस विधि में संपूर्ण मानवजाति को खतरा पैदा हो जाए।
दूसरी विधि है मनुष्य की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को इतना उन्नत रखा जाये जैसा कि प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथों में वर्णित है और हमारे पूर्वजों ने भी इसका समर्थन करते हुए कहा है कि प्रथ्वी पर मानवजाति को लम्बे समय तक जिंदा रहना है तो सूक्ष्मजीवों के बीच रहकर "योग्यत्तम की उत्तरजीविता"वाला सिद्धांत अपनाना होगा। जिसमें हार हमेशा हानिकारक वायरस, बेक्टेरिया और फफूंद की ही हो ।
० एथलीट फूट फंगल Athletic foot fungal ::
एथलीट फूट बहुत प्रचलित और आम प्रकार का फंगल इन्फेक्शन हैं । जो विश्व की बहुत बड़ी आबादी में फैला हुआ हैं ।
इस फंगल इन्फेक्शन को फैलानें वाले फंगस का नाम टीनिया पेडिस Tinea pedis हैं ।यह फंगस गर्म नमी वाले स्थानों,जूतों मोजों और पांवों की उंगलियों में बहुत तेजी से फैलता हैं ।
एथलीट फूट के लक्षण :::
० फंगल प्रभावित अंग का लाल होना ।
० त्वचा पर सफेद परत जमना जो धीरें धीरें त्वचा को तोडना शुरू कर देती हैं ।
० खुजली चलना
० त्वचा की परत निकलना।
० प्रभावित भाग में जलन होना ।
० फंगल प्रभावित भाग में सूजन आना ।
एथलीट फूट का इलाज और रोकथाम :::
० फंगल इन्फेक्शन होनें पर प्रभावित भाग को अच्छे एंटीफंगल साबुन या फिटकरी से साफ करना चाहियें ।
० फंगस प्रभावित जगह को सूखा रखें क्योंकि गीली त्वचा या नमी वाली त्वचा फंगस को बजनें की आदर्श जगह होती हैं ।
० इस्तेमाल से पूर्व जूतों,मोजों को गर्म पानी में धोकर अच्छी धूप में सूखा लें ।
० जूतों की बजाय चप्पल या सेंडल पहनें ।
० फंगल इंफेक्शन होनें पर अच्छे एंटीफंगल क्रीम या डस्टिंग पावड़र का प्रयोग प्रभावित भाग पर लगानें हेतू करें ।
यीस्ट फंगल इंफेक्शन Yeast fungal infection
यीस्ट फंगल इंफेक्शन yeast fungal infection केंडिडा एलबिकंस candida albicans नामक फंंगस से फैैैैलता हैं ।
यीस्ट फंगल इन्फेक्शन महिलाओं के जननांगों में ,बच्चों के जननांगों के आसपास और नाखूनों में अधिक तेजी से फैलता हैं । महिलाओं में यह इंफेक्शन होनें से योनि का सामान्य PH level प्रभावित होता हैं ।
यीस्ट फंगल इन्फेक्शन फैलनें का प्रमुख कारण हैं ।
• एंटीबायोटिक्स का अत्यधिक इस्तेमाल ।
• अत्यधिक तनाव ।
• हार्मोनल असंतुलन होना ।
• असंतुलित भोजन ।
यीस्ट फंगल इन्फेक्शन लक्षण :::
० योनि मार्ग से बदबूदार सफेद स्त्राव होना ।
० योनि में खुजली होना ।
० योनि के आसपास लाल होना ।
० योनि में सूजन होना ।
० intercourse सहवास के दौरान दर्द होना ।
० पैशाब करते समय दर्द होना ।
० बच्चों में जांघों और कमर के निचले भाग में लालिमा होना ।
० नाखून भद्दे दिखाई देना ।
• 9 नेचुरल सुपरफूड फार हेल्दी वेजाइना
यीस्ट फंगल इन्फेक्शन का इलाज और रोकथाम
प्रारंभिक अवस्था में पहचान होनें पर यीस्ट फंगल इंफेक्शन का इलाज और रोकथाम बहुत आसान हैं । इस बीमारी के प्रभावी उपचार के लिए एंटीफंगल वेजाइन क्रीम, एंटीफंगल दवाई आदि का प्रयोग किया जाता हैं । और बीमारी को फैलनें से रोकनें के लिए निम्न उपाय करें
० योनि मार्ग की साफ सफाई का समुचित ध्यान रखना चाहिए इसके लियें फिटकरी, नीम,साबुन आदि का प्रयोग करना चाहियें।
० महिलाओं को अंतवस्त्र अच्छे तरीके से गर्म पानी में धोकर और धूप में सुखाकर प्रयोग करना चाहिए ।
० भोजन संतुलित होना चाहिए जिसमें पर्याप्त मात्रा में फल,सब्जी और दालें हो ।
० पानी पर्याप्त मात्रा में पीये ।
० नाखूनों की साफ सफाई का ध्यान रखें और इनकी नियमित सफाई करतें रहें ।
जोंक इच Jock itch
जोंक इच जननांगों के आसपास,जांघो पर बगल में और ऐसे भाग जहाँ नमी बनी रहती हैं में बहुत तेजी से फैलता हैं ।
जोंक इच के लिए उत्तरदायी फंगस का नाम Tinea cururis हैं ।
जोंक इच भी सीधे सम्पर्क से फैलता हैं ।
लक्षण
० जांघों ,जननांगों के आसपास, जोडों पर लालिमा युक्त सूजन होना ।
० खुजली चलना ।
० त्वचा पर गोल घेरेयुक्त उभरी हुई संरचना उभरना ।
० त्वचा फटना ।
० त्वचा से पपडी निकलना ।
रिंगवर्म Ringworm
त्वचा,सिर,तथा शरीर के अन्य भागों में फैलनें वाला यह बहुत आम इन्फेक्शन हैं । इस फंगल इंफेक्शन के लिए उत्तरदायी फंगस का नाम Tinea corperis हैं ।
टीनिया कार्पेरिस मृत त्वचा Dead skin,नमी वाले स्थानों,मिट्टी आदि पर पाया जानें वाला फंगस हैं । यह फंगल इंफेक्शन पालतू जानवरों को भी प्रभावित करता हैं ।
रिंगवर्म के लक्षण
० रिंगवर्म ringworm बहुत आसानी से पहचाना जानें वाला फंगल इन्फेक्शन हैं यह शरीर के विभिन्न भागों पर गोल उभरे हुए घेरे के रूप दिखाई देता हैं ।
० रिंगवर्म फंगल इंफेक्शन के आसपास खुजली चलती हैं और त्वचा लाल हो जाती हैं ।
प्रबंधन
० रिंगवर्म फंगल इंफेक्शन को फैलनें से रोकनें के लिए संक्रमित व्यक्ति के तौलिये, साबुन,कपडे आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए ।
० प्रभावित भाग की साफ सफाई और संतुलित भोजन का प्रयोग करना चाहिए जिससे प्रतिरोधक क्षमता बनी रहें ।
म्यूकर माइकोसिस फंगल इंफेक्शन या ब्लैक फंगस
कोविड़ -19 पीड़ित व्यक्ति के बीमारी से उभरनें के बाद होनें वाला यह फंगल इंफेक्शन नाक कान गला आँख और मस्तिष्क तक फैल रहा हैं ।
संक्रमण घातक होनें पर व्यक्ति की मृत्यु तक हो जाती हैं । इसे ब्लेक फंगल इंफेक्शन Black fungal infection के नाम से भी जाना जाता हैं ।
• मोतियाबिंद के बारे में जानकारी
म्यूकर माइकोसिस फंगल इंफेक्शन का लक्षण
० म्यूकर माइकोसिस फंगल इंफेक्शन से प्रभावित नाक के अंदरूनी भाग पर पपड़ी जम जाती हैं । नाक बंद होती हैं ।
० गालों पर सूजन आना और गालों का सुन्न होना ।
० आँख लाल होना ।
० प्रभावित भाग की त्वचा का गलना ।
म्यूकर माइकोसिस फंगल इंफेक्शन का कारण
० प्रतिरोधक क्षमता में कमी होना ।
० स्टेराइड दवाई का अधिक प्रयोग
० ह्रदय रोग,डायबिटीज़ का उच्च स्तर
प्रबंधन
० म्यूकर माइकोसिस फंगल इंफेक्शन को रोकने के लिए बीमारी की शुरूआत से ही पहचान कर उपचार शुरू कर देना चाहिए ।
० इन्फेक्शन गंभीर होनें पर प्रभावित भाग को सर्जरी कर निकालना पड़ता हैं ।
० मधुमेह, ह्रदयरोग का नियत्रंण संक्रमण की रोकथाम के लिए अति आवश्यक हैं ।
कैंडिडा आँरिस candida oris या व्हाईट फंगस
कैंडिडा आँरिस या व्हाईट फंगस जापान से पैदा हुआ फंगस का एक प्रकार हैं जो क्लोरोहैक्सीडीन और ब्लीच जैसें ताकतवर कीटाणुनाशक के प्रयोग के बाद भी जीवित रहता हैं ।
कैंडिडा आँरिस त्वचा के साथ साथ खून में भी विधमान रह सकता हैं । यह बहुत घातक और जानलेवा फंगल इंफेक्शन हैं । इस फंगल इंफेक्शन से ग्रसित 100 में से 50 मरीजों की मृत्यु हो जाती हैं ।
कैंडिडा आँरिस त्वचा पर, अस्पतालो के ICU में बहुत लम्बें तक जीवित रह सकता हैं ।
कैंडिडा आँरिस कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वालों,बच्चों,मधुमेह रोगीयों,और अत्यधिक एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल करनें वालों को बहुत तेजी से अपनी चपेट में लेता हैं।
कैंडिडा आँरिस फंगल इंफेक्शन के लक्षण
० प्रभावित त्वचा का लाल होना ।
० बुखार आना ।
० थकान होना ।
० बदन दर्द होना ।
कैंडिडा आँरिस का कारण
० कैंडिडा आँरिस फंगल इंफेक्शन साधारण फंगस का बहुत उन्नत प्रकार हैं जो एंटीबायोटिक्स और एंटीफंगल दवाओं के अत्यधिक इस्तेमाल से इस प्रकार के वातावरण में अपने आप को जीवित रखनें का आदी हो जाता हैं ।और व्यक्ति को अपनी चपेट में लेकर बीमार कर देता हैं ।
० कैंडिडा आँरिस फंगल इन्फेक्शन का दूसरा कारण फसलों में बहुत अधिक प्रयोग होनें वाला फंगीसाइड हैं ,फंगीसाइड की अधिकता के कारण यह फंगल ऐसे वातावरण प्रतिरोधी हो जाता हैं । और मानव में फैलकर उन्हें बीमार बना रहा हैं ।
प्रबंधन
० कैंडिडा आँरिस की शुरूआती स्तर पर पहचान होना बहुत आवश्यक हैं यदि शुरूआत में इसका उचित उपचार कर लिया जाए तो यह ठीक हो जाता हैं स्थिति गंभीर होनें पर प्रभावित अँग काटना पड़ता हैं । यदि संक्रमण मस्तिष्क तक पहुँत जाता हैं तो मृत्यु तक हो सकती हैं ।
एस्पेरिगिल्स फ्यूमिंगटस फंगल इंफेक्शन
एस्पेरिगल्स फ्यूमिंगटस फंगस भी कैंडिडा आँरिस प्रकार फंगस हैं । जो दवाओं के खिलाफ बहुत आक्रामक प्रतिरोधकता दर्शाता हैं । इस प्रकार के फंगल इंफेक्शन से दुनियाभर में प्रतिवर्ष दो लाख लोगों की मृत्यु हो जाती हैं ।
एस्पेरिगल्स फ्यूमिंगटस फंगस सडें गले खाद,खराब सब्जियों से मानव में फैलता हैं ।
फंगल इंफेक्शन का घरेलू उपचार home remedy for fungal infection
फिटकरी
फिटकरी अति उत्तम फँगसरोधी घरेलू दवा हैं । फिटकरी का प्रयोग त्वचा पर फँगस को रोकने के लिए किया जा सकता हैं । दिन में दो तीन बार फिटकरी को फंगस प्रभावित त्वचा पर पानी के साथ मिलाकर लगाना चाहिए ।
ग्रीन टी Green Tea
ग्रीन टी में मोजूद एंटीऑक्सीडेंट Antioxidant शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर फंगस का सफाया कर देतें हैं । इसके लिए ग्रीन टी को खाली पेट दिन में दो बार पीना चाहियें।
ग्रीन टी की पत्तियों को पीसकर फंगल प्रभावित भाग पर लगानें से भी संक्रमण रोका जा सकता हैं ।
रतनजोत
रतनजोत रेल की पटरियों, खेतों की मेड पर ,जंगलों में उगनें वाला विषैला पौंधा हैं जिसके बीज बहुत जहरीलें होतें हैं ।
रतनजोत के बीजों का तेल फंगल इंफेक्शन से प्रभावित भाग पर लगानें से फँगल इन्फेक्शन बहुत जल्दी समाप्त होता हैं ।
रतनजोत के पौधों से निकला दूध भी बहुत अच्छा फंफूदरोधी होता हैं । रतनजोत का दूध फंगस प्रभावित भाग पर लगानें से बहुत जल्दी फंगस समाप्त हो जाती हैं ।
रतनजोत के पौधें का दूध और तेल लगानें में सावधानी रखना चाहिए और इन पदार्थों से संवेदनशील त्वचा होनें पर प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
चाय पत्ती
घरों में बनने वाली चाय की पत्तियाँ फंगस प्रभावित सिर की त्वचा पर लगानें से फंगस समाप्त हो जाता हैं । इसके लिए चार चम्मच चाय पत्ती को आधा लीटर पानी में उबालकर इस उबले हुये पानी से सिर धोना चाहिए ।
एलोवेरा
ऐलोवेरा जेल फंगस से प्रभावित कटी फटी त्वचा की मरम्मत करता हैं । ऐलोवेरा से गुदा निकालकर इसमें थोडा सा नारियल तेल मिलाकर त्वचा पर लगानें से कटी फटी त्वचा की मरम्मत होकर फँगस संक्रमण नियंत्रित होता हैं ।
नारियल तेल coconut oil
नारियल तेल फंगल इंफेक्शन से प्रभावित त्वचा की खुजली ,सूजन और त्वचा के लालपन में बहुत तीव्र आराम प्रदान करता हैं ।
नारियल तेल को सीधे फंगल इंफेक्शन से प्रभावित त्वचा पर दिन में दो बार लगाना चाहियें ।
हल्दी
हल्दी बहुत उत्तम एंटीसेप्टिक, एँटीफँगल और रक्त शोधक होती हैं । प्रतिदिन एक चम्मच हल्दी सुबह शाम गुनगुने जल के साथ लेनें से रक्त साफ होकर त्वचा में निखार आता हैं और फंगल इंफेक्शन बहुत तेजी से खत्म होता हैं ।
हल्दी रक्त में फैलें फंगस को भी समाप्त कर देती हैं ।
हींग
हींग उत्तम रक्तशोधक मानी जाती हैं। हींग को भोजन में शामिल करने से फंगल इंफेक्शन होनें की संभावना नहीं होती हैं ।
दही
दही में मौजूद लैक्टिक एसिड़ lactic acid फंगल इंफेक्शन को समाप्त कर देता हैं । यदि फंगल इंफेक्शन से प्रभावित त्वचा,नाखून और सिर की त्वचा पर दही लगाया जाए तो फंगल इंफेक्शन जड़ से समाप्त हो जाता हैं ।
लहसुन Garlic
लहसुन में सल्फर नामक तत्व पाया जाता हैं यह यौगिक खुजली,फंगल इंफेक्शन और त्वचा संबधित बीमारी में बहुत शीघ्र आराम प्रदान करता हैं ।
लहसुन के पत्तों को फंगल इंफेक्शन से प्रभावित नाखून,त्वचा पर लगानें से शीघ्र राहत मिलती हैं ।
नीम
नीम की छाल,पत्ती,फल एंटीसेप्टिक गुणों से युक्त होतें हैं । नीम का तेल फंगल इंफेक्शन पर लगाना चाहिए।
० पंचनिम्ब चूर्ण
नीम की छाल पानी में घीसकर फंगल इंफेक्शन पर लगानें से बहुत शीघ्र आराम मिलता हैं ।
नीम की पत्तियों से बना चूर्ण सुबह शाम एक एक चम्मच लेनें से रक्त साफ होकर त्वचा निरोगी बनी रहती हैं ।
अदरक
अदरक एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से संपन्न होता हैं । अदरक के दैनिक प्रयोग से डायबिटीज भी नियंत्रित होती हैं । अत: ऐसे फंगल इंफेक्शन से पीड़ित मरीज जिन्हें डायबिटीज़ भी हो को अदरक का सेवन करना चाहिए ।
अदरक को चाय में डालकर या इसका अचार बनाकर दैनिक जीवन में प्रयोग करना चाहिए।
शहद
शहद एंटीसेप्टिक के साथ एंटीऑक्सीडेंट पदार्थ हैं जो कि फंगस के विरूद्ध प्रभावी प्रतिरोधकता प्रदान करता हैं ।
सुबह शाम शहद मिश्रित पानी पीनें से फंगस के विरूद्ध शरीर में प्रतिरोधकता बढती है ।
आंवला
आयुर्वेद चिकित्सा में सर्वोत्तम महत्व रखता हैं । नियमित आँवला सेवन करने वाला व्यक्ति कभी बीमार नही होता हैं ।
फंगल इंफेक्शन से बचने के लिए नियमित रूप से आँवलें का सेवन करना चाहिए ।
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