सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

आयुर्वेद ग्रंथों में वर्णित दही के औषधीय गुण

आयुर्वेद ग्रंथों में वर्णित दही के औषधीय गुण

भारतीय संस्कृति में दूध और दूध से बनें पदार्थों का स्थान ईश्वर के समतुल्य हैं,यही कारण हैं कि हमारी पूजा पाठ दूध (curd)दही बिना अधूरी मानी जाती हैं।

चरणामृत,प्रसाद अभिषेक आदि अनन्त कार्यों में दही का प्रयोग सदियों से होता आ रहा हैं.भगवान श्री कृष्ण का तो सम्पूर्ण जीवन गौ माता की सेवा और दूध दही के इर्द गिर्द घूमता हैं.


दही में पर्याप्त मात्रा में विटामिन B 12,   फोलिक एसिड़, कैल्सियम,फास्फोरस,नियासिन और लेक्टिक एसिड़ और मानव हितेषी जीवाणु मोजूद होतें हैं.

दही में पाए जाने वाले पौषक तत्व

1.एनर्जी ---- 350 kcal

2.कार्बोहाइड्रेट --- 70 ग्राम

3.लिपीड फेट --- 5 ग्राम

4.शक्कर --- 70 ग्राम

5.प्रोटीन --- 11 ग्राम

6.फैटी एसिड ---5 ग्राम

7.सोडियम--- 50 ग्राम

[प्रति 100 ग्राम]

इसके अतिरिक्त दही में कैल्शियम, फास्फोरस, और विटामिन प्रचुरता से मिलते हैं।

दही के औषधीय गुण

दही
 दही


आयुर्वेद ग्रंथों में दही के निम्न गुण बताए गए हैं

रोचनंदीपनंवृष्यंस्नेहनंबलवर्द्धनम् । पाकेअम्लमुष्णंवातध्नंमग्लंबृंहणंदधि।।पीनसेचातिसारेचशीतकेविषमज्वरे।अरुचौमूत्रकृच्छेचकाश्येर्चदधिशस्यते।।

 अर्थात दही खाने में रुचिकर,भूख बढ़ाने वाला, वीर्य को बढ़ाने वाला,शरीर में तरावट लाने वाला,बल को बढ़ाने वाला, प्रकृति में गर्म,वात नाशक,और पुष्टिकारक होता है।

दही उल्टी दस्त,विषमज्वर, भोजन में अरुचि होने पर, मूत्र की जलन में,और दुबले पतले व्यक्ति को मोटा करने में बहुत लाभकारी होता हैं।



#१. मोटापे में ताजे दही को मथकर उसमें से छाछ निकालकर अलग कर लें इस छाछ में सेंधा नमक,सोंठ, काली मिर्च मिलाकर भोजन पश्चात लेते रहनें से मोटापा नियत्रिंत हो जाता हैं.

#२.हायपोथाँयराइड़ होनें पर १०० ग्राम दही में  पाँच लहसुन की कलिया पीसकर भोजन के साथ लेना चाहियें.

#३. दस्त लगनें पर दही चावल मिलाकर लेने से दस्त तुरन्त बन्द हो जातें हैं.

#४. पीलिया रोग में दही के साथ पान की पत्तियों का रस मिलाकर पीनें से आराम हो जाता हैं.

#५.अपच होनें पर तीन चार दिन पुराना दही मिश्री मिलाकर पीयें.

#६.एसीडीटी होनें पर दही में पुदिना रस मिलाकर पी सकतें हैं.

#७. दाद खाज में बासी दही नीम की पत्तियों के रस के साथ प्रभावित स्थान पर लगायें.

#८. पीलिया होनें पर लगातार ताजे दही का सेवन करें.

#९.कब्ज की समस्या होनें पर दही नियमित रूप से सेवन करना चाहियें.

#१०. बवासीर में दही के साथ ईसबगोल या त्रिफला चूर्ण मिलाकर लेने से शर्तिया आराम मिलता हैं.

#११.गठिया, वात रोग में खट्टा दही आंवला के साथ रामबाण औषधि माना जाता हैं.

#१२. पित्त रोगों में मिश्री मिला हुआ दही श्रेष्ठ माना गया हैं.

#१३. ह्रदय रोग में दूध की बजाय वसा निकले हुए ताजे दही का इस्तेमाल करें .

#१४. दही पाचन शक्ति को बढ़ाता हैं.

#१५. वीर्य संबधित विकार होनें पर दही को भोजन में अवश्य शामिल करें.

#१६. श्वेत कुष्ठ या lucoderma में गोमूत्र के साथ सेवन करें और लगायें.

#१७.कनाड़ा के शोधकर्ताओं के अनुसार दही में उपस्थित लेक्टोबेसिलस जीवाणु एन्टी कार्सिनोम हैं,और स्तन कैंसर में बहुत प्रभावी हैं.अत: स्तन कैंसर से बचाव हेतू महिलाओं को  अपनें भोजन में दही का नियमित इस्तेमाल करना चाहियें.

१८.जो लोग दुबले पतले होते हैं उन्हें मलाई युक्त दही का नियमित सेवन करना चाहिए।


#3.दही के बाह्य प्रयोग::-

#१. बालों की जड़ों में बासी दही लगाकर दो घंटे बाद सिर धोलें बाल कालें,चमकदार और मज़बूत बनें रहेंगें.


#२. बालों में रूसी होनें पर बासी दही में निम्बू का रस मिलाकर लगायें.

#३. दही में हल्दी मिलाकर चेहरें पर लगायें चेहरा चमकदार बना रहेगा.


#४. लू या heatstroke  होनें पर  दही पूरें शरीर पर लपेटकर एक घंटे बाद साफ करें.

#५. जले हुए स्थान पर दही लगातें रहें फफोलें नही पड़ेंगें.

#६.दही में आंवले का रस मिलाकर खानें से शरीर में वात,पित्त और कफ संतुलित अवस्था में रहते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार दही का सेवन कब नहीं करना चाहिए

शरदूग्रीष्मवसन्तेषुप्रायशोदधिगहिर्तम्। रक्तपित्तकफोत्थेषुविकारेषुविकारेष्वहितज्चतत्।।

 

आयुर्वेद के अनुसार दही का सेवन शरद ऋतु, ग्रीष्म ऋतु और बसंत ऋतु में दही का सेवन नही करना चाहिए। कफ रोगों से ग्रस्त होने पर भी दही का सेवन आयुर्वेद के अनुसार उचित नही होता हैं।


दही हमेशा ताजा और सही तरीके से जमा ही खाना चाहिए जो दही पूरी तरह से जमा नही होता है, यदि उसका सेवन किया जाए तो वह त्रिदोषकारक होता है।

प्रश्न - दही में शक्कर मिलाकर खानें से क्या होता हैं?

उत्तर-         "शर्करासंयुतंदघातृष्णादाहनिवारण"

अर्थात दही में शक्कर मिलाकर खानें से शरीर की गर्मी शांत होती हैं। और बार बार प्यास लगना,गला सुखना आदि बीमारी शांत हो जाती हैं।

प्रश्न- दही में शहद मिलाकर खानें से क्या होता हैं?

उत्तर- दही में शहद मिलाकर खानें से दही का स्वाद बढ़ जाता हैं और पाचन शक्ति सुधरती हैं।

प्रश्न- दही को गर्म करके खानें से क्या होता हैं?

उत्तर- दही को गर्म करके खानें से अनेक रोग पैदा हो जातें हैं जैसे शरीर में फोड़े फुंसी, खुजली और पीलिया।

प्रश्न- आयुर्वेद के अनुसार रात में दही क्यों नहीं खाना चाहिए?

उत्तर- रात में दही खानें के फायदे कुछ भी नहीं हैं बल्कि रात के समय दही खानें शरीर में कफ का संचय होता हैं अर्थात सर्दी,खांसी होती हैं। अतः दही खानें का सबसे उपयुक्त समय दिन ही होता हैं।

प्रश्न - मंदक दही क्या होता हैं? क्या मंदक दही खाने से नुकसान होता हैं ?

उत्तर- जब दूध पूरी तरह से दही में परिवर्तित नहीं हो पाता और दूध के समान पतला रह जाता हैं तो इसे मंदक दही कहते हैं।

मंदक दही शरीर के लिए हानिकारक होता हैं यह शरीर में त्रिदोष पैदा करता हैं अर्थात वात, पित्त और कफ को असंतुलित करता हैं। इसलिए मंदक या कम जमा हुआ दही खानें से शरीर को नुकसान होता हैं।

• जल के अचूक फायदे



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

गेरू के औषधीय प्रयोग

गेरू के औषधीय प्रयोग गेरू के औषधीय प्रयोग   आयुर्वेद चिकित्सा में कुछ औषधीयाँ सामान्य जन के मन में  इतना आश्चर्य पैदा करती हैं कि कई लोग इन्हें तब तक औषधी नही मानतें जब तक की इनके विशिष्ट प्रभाव को महसूस नही कर लें । गेरु भी उसी श्रेणी की   आयुर्वेदिक औषधी   हैं। जो सामान्य मिट्टी   से   कहीं अधिक   इसके   विशिष्ट गुणों के लिए जानी जाती हैं। गेरु लाल रंग की मिट्टी होती हैं। जो सम्पूर्ण भारत में बहुतायत मात्रा में मिलती हैं। इसे गेरु या सेनागेरु कहते हैं। गेरू  आयुर्वेद की विशिष्ट औषधि हैं जिसका प्रयोग रोग निदान में बहुतायत किया जाता हैं । गेरू का संस्कृत नाम  गेरू को संस्कृत में गेरिक ,स्वर्णगेरिक तथा पाषाण गेरिक के नाम से जाना जाता हैं । गेरू का लेटिन नाम  गेरू   silicate of aluminia  के नाम से जानी जाती हैं । गेरू की आयुर्वेद मतानुसार प्रकृति गेरू स्निग्ध ,मधुर कसैला ,और शीतल होता हैं । गेरू के औषधीय प्रयोग 1. आंतरिक रक्तस्त्राव रोकनें में गेरू शरीर के किसी भी हिस्से में होनें वाले रक्तस्त्राव को कम करने वाली सर्वमान्य औषधी हैं । इसके ल

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER  पतंजलि आयुर्वेद ने high blood pressure की नई गोली BPGRIT निकाली हैं। इसके पहले पतंजलि आयुर्वेद ने उच्च रक्तचाप के लिए Divya Mukta Vati निकाली थी। अब सवाल उठता हैं कि पतंजलि आयुर्वेद को मुक्ता वटी के अलावा बीपी ग्रिट निकालने की क्या आवश्यकता बढ़ी। तो आईए जानतें हैं BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER के बारें में कुछ महत्वपूर्ण बातें BPGRIT INGREDIENTS 1.अर्जुन छाल चूर्ण ( Terminalia Arjuna ) 150 मिलीग्राम 2.अनारदाना ( Punica granatum ) 100 मिलीग्राम 3.गोखरु ( Tribulus Terrestris  ) 100 मिलीग्राम 4.लहसुन ( Allium sativam ) 100  मिलीग्राम 5.दालचीनी (Cinnamon zeylanicun) 50 मिलीग्राम 6.शुद्ध  गुग्गुल ( Commiphora mukul )  7.गोंद रेजिन 10 मिलीग्राम 8.बबूल‌ गोंद 8 मिलीग्राम 9.टेल्कम (Hydrated Magnesium silicate) 8 मिलीग्राम 10. Microcrystlline cellulose 16 मिलीग्राम 11. Sodium carboxmethyle cellulose 8 मिलीग्राम DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER INGREDIENTS 1.गजवा  ( Onosma Bracteatum) 2.ब्राम्ही ( Bacopa monnieri) 3.शंखपुष्पी (Convolvulus pl

जीवनसाथी के साथ नंगा सोना चाहिए या नही।Nange sone ke fayde

  जीवनसाथी के साथ नंगा सोना चाहिए या नही nange sone ke fayde इंटरनेट पर जानी मानी विदेशी health website जीवन-साथी के साथ नंगा सोने के फायदे बता रही है लेकिन क्या भारतीय मौसम और आयुर्वेद मतानुसार मनुष्य की प्रकृति के हिसाब से जीवनसाथी के साथ नंगा सोना फायदा पहुंचाता है आइए जानें विस्तार से 1.सेक्स करने के बाद नंगा सोने से नींद अच्छी आती हैं यह बात सही है कि सेक्सुअल इंटरकोर्स के बाद जब हम पार्टनर के साथ नंगा सोते हैं तो हमारा रक्तचाप कम हो जाता हैं,ह्रदय की धड़कन थोड़ी सी थीमी हो जाती हैं और शरीर का तापमान कम हो जाता है जिससे बहुत जल्दी नींद आ जाती है।  भारतीय मौसम और व्यक्ति की प्रकृति के दृष्टिकोण से देखें तो ठंड और बसंत में यदि कफ प्रकृति का व्यक्ति अपने पार्टनर के साथ नंगा होकर सोएगा तो उसे सोने के दो तीन घंटे बाद ठंड लग सकती हैं ।  शरीर का तापमान कम होने से हाथ पांव में दर्द और सर्दी खांसी और बुखार आ सकता हैं । अतः कफ प्रकृति के व्यक्ति को सेक्सुअल इंटरकोर्स के एक से दो घंटे बाद तक ही नंगा सोना चाहिए। वात प्रकृति के व्यक्ति को गर्मी और बसंत में पार्टनर के साथ नंगा होकर सोने में कोई