अश्वगंधा
अश्वगंधा आयुर्वैद चिकित्सा में सेकड़ों वर्षों से अपना अनुपम स्थान रखता आया हैं,और वर्तमान समय में भी आधुनिक चिकित्सा शास्त्रीयों से लेकर अनुसंधान अघ्येताओं ने इसे महत्वपूर्ण बल्य ( strength) रसायन माना हैं .इसका बायोलाजिकल नाम withania somnifera हैं. यह ज़मीन मे कन्द रूप में मिलता हैं.
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अश्वगंधा |
दंशोमणि वाल्मिक इसके बारे में लिखते हैं-:
गन्धान्ता वाजिनामादिरश्वगन्धा हयाहर्या
वराहकर्णी वरदा बलदाकुष्ठगन्धिनीअश्वगंधानिलश्लेष्मश्विशोधगयापहा.
बल्या रसायनी तिक्ता कषाग्रोष्णतिशुकला.
अर्थात सार रूप में स्वाद में कषाय तिक्त( bitter) यह बल,बुद्धि, बाजीकरण देने वाला,शोथ और कुष्ठ को हरने वाला हैं.
अश्वगंधा के फायदे
१.मानसिक तनाव होनें पर अश्वगंधा चूर्ण को एक चम्मच सुबह शाम शहद के साथ सेवन करें.
२. यदि शारिरीक सम्बंधों में कमी महसूस हो तो गोघ्रत के साथ सेवन करें.
३.गठिया वात में योगराज गुग्गल के साथ सम भाग मिलाकर अदरक रस के साथ सेवन करें.
४.चर्म रोगों में हल्दी के साथ एक-एक चम्मच मिलाकर लें.
५.माहवारी के समय कमर व पेडू में दर्द हो तो एक चम्मच चूर्ण को गोघ्रत से लें.
६.वीर्य में शुक्राणु की कमी होनें ( spermotorrhoe) पर बबूल बीज सम भाग लेकर दूध के साथ सेवन करें.
७. स्मरण शक्ति कम होनें पर ब्राम्ही वटी के साथ लें.
९. बुखार के बाद की कमज़ोरी में मांस रस के साथ सेवन करें.
१०.अश्वगंधा चूर्ण को मिश्री के साथ मिलाकर लेनें से मोतियाबिंद से बचाव होता है ्््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््।
११.अश्वगंधा में पाये जानें वाला फ्लेवोनाइड़ मस्तिष्क रोगों में बहुत फायदा करता हैं ।
१०.अश्वगंधा चूर्ण को मिश्री के साथ मिलाकर लेनें से मोतियाबिंद से बचाव होता है ्््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््।
११.अश्वगंधा में पाये जानें वाला फ्लेवोनाइड़ मस्तिष्क रोगों में बहुत फायदा करता हैं ।
० अरहर के औषधीय प्रयोग
० नीम के औषधीय उपयोग
० पलाश वृक्ष के औषधीय गुण
कैशोर गुग्गुल,त्रयोदशांग गुग्गुल
वास्तव में अश्वगंधा हर प्रकार के रोगों में चिकित्सको द्वारा उपयोग किया जाता हैं और इसके परिणाम भी चिकित्सको की प्रतिष्ठा को बढ़ाता हैं.परन्तु यह देखनें मे आ रहा है कि कई लोग इसके नाम पर नकली अश्वगंधा चूर्ण बनाकर लोगों को बेवकूफ बनाते हैं ,अत: अश्वगंधा लेते समय इसकी प्रामाणिकता की जाँच आवश्यक रूप से कर लें.
आयुष रिसर्च टास्क फोर्स का मानना हैं कि अश्वगंधा में मोजूद तत्व शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मज़बूत करता हैं जिससे कोरोना वायरस जैसी महामारी से निपटनें में मदद मिल सकती हैं ।
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अश्वगंधा |
टास्क फोर्स के चेयरमेन और साइंस जर्नल में प्रकाशित शोध के सह लेखक भूषण पटवर्धन का कहना हैं कि
" 25 सालों से कियें जा रहें अध्ययनों का निष्कर्ष हैं कि अश्वगंधा,शतावरी,गुडुची,यष्टीमधु और आमलकी में यह क्षमता हैं कि यह औषधीयाँ कोविड़ - 19 जैसी वायरस जनित बीमारीयों के विरूद्ध शरीर को एक मज़बूत प्रतिरक्षा प्रणाली प्रदान कर सकती हैं "
डाँ .भूषण पटवर्धन जो कि यू.जी.सी.के वाइस चेयरमेन भी हैं ने आगे बताया कि अश्वगंधा शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करतें हुये शोधजनित बीमारी जैसें Rhumetoid arthritis में हाइड्राक्सीक्लोरोक्विन HCQ के समान फायदा पहुँचाता हैं ।
एक तरफ हाइड्राक्सीक्लोरोक्विन के लगातार प्रयोग के अपनी तरह के कई दुृष्प्रभाव हैं जबकि अश्वगंधा पूर्णत : प्राकृतिक और हानिरहित औषधि हैं ।
साइंस जर्नल में प्रकाशित पत्र के सह लेखकों ने भी अपनें शोध में यही बात प्रस्तुत की हैं कि यष्टीमधु,शतावरी,आमलकी और गुडुची भी कोरोना वायरस के विरूद्ध शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मज़बूत करती हैं ।
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Research |
अश्वगंधा के गुणों के बारें में जब हमनें उज्जैन जिले के आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी "डाँ.ओ.पी.पालीवाल" से बात की तो उन्होनें भी बताया कि
"अश्वगंधा में सोमनिफेरन ,विटानिओल,वासिमिन, हेन्ट्रीकानटेन,फाइटोस्टेराल ,अमीनों एसिड़ और आवश्यक तेल होतें हैं जो शरीर के तंत्रिका तंत्र को मज़बूत करतें हैं और अंतत : यह मजबूत तंत्रिका तंत्र शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता हैं । जिससे वायरस जनित बीमारियों से शरीर की रक्षा होती हैं "
आधुनिक शोध के अतिरिक्त प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा ग्रंथ भी अश्वगंधा के बारें बहुत कुछ कहतें हैं जैसें एक जगह लिखा हैं ।
गन्धान्ता वाजिनामादिरअश्वगंधा हयाहर्या।अश्वगंधाअनिलश्लेष्मश्वित्रशोथज्ञयापहा।बल्या रसायनी तिक्ता कषाग्रोष्णाअतिशुकला ।।
अश्वगंधा बल देने वाला शोधहर के अतिरिक्त रसायन भी हैं । जो मानसिक शाँति प्रदाता के साथ शरीर की उपापचय क्रियाओं को नियमित और संतुलित करता हैं ।
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