FEVER AND AYURVEDA
आज हम fever या ज्वर की चर्चा करेंगें .ज्वर पीड़ित व्यक्ति का पूरा शरीर टूटता हैं,साथ ही शरीर का तापमान हमेशा उच्च बना रहता हैं.कभी-कभी तो ज्वर उपचार के बाद भी महिनों तक बना रहता हैं .ऐसी अवस्था में रोगी मानसिक रूप से काफी टूट जाता हैं. और मानसिक रूप से भी अस्वस्थ हो जाता हैं.आयुर्वैद चिकित्सा पद्ति की शरण मे इसी प्रकार के थके हारें रोगी आते हैं, और पूर्णत: स्वस्थ होकर लोटते हैं. आईयें जानतें हैं उपचार-:
१. अगर,हल्दी, देवदारू,वच,नागरमोथा,हरड़,नीम छाल, पुष्करमूल,बेल छाल, चिरायता,कुटकी और कालीमिर्च को मिलाकर दूध के साथ सुबह दोपहर शाम को सेवन करवाने से शर्तिया रूप से ज्वर में लाभ मिलता हैं.
२.गिलोय का रस और वत्सनाभ को मिलाकर तीन-तीन चम्मच लें.
३. संजीवनी वटी दो-दो सुबह शाम शहद के साथ लें.
४. पूरे शरीर पर महानारायण तेल की मालिश करें
नोट-: वैघकीय परामर्श आवश्यक हैं.
Svyas845@gmail.com
१. अगर,हल्दी, देवदारू,वच,नागरमोथा,हरड़,नीम छाल, पुष्करमूल,बेल छाल, चिरायता,कुटकी और कालीमिर्च को मिलाकर दूध के साथ सुबह दोपहर शाम को सेवन करवाने से शर्तिया रूप से ज्वर में लाभ मिलता हैं.
२.गिलोय का रस और वत्सनाभ को मिलाकर तीन-तीन चम्मच लें.
३. संजीवनी वटी दो-दो सुबह शाम शहद के साथ लें.
४. पूरे शरीर पर महानारायण तेल की मालिश करें
नोट-: वैघकीय परामर्श आवश्यक हैं.
Svyas845@gmail.com
Post a Comment