किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व को बनाने मे स्वस्थ त्वचा का योगदान किसी से भी छीपा नहीं हैं,प्राचीन काल में अनेक राजा महाराजा त्वचा से सम्बंधित समस्या होनें पर आयुर्वैद के जानकार रिषी मुनियों की शरण में जाया करते थे.और पूर्ण स्वस्थ होकर रिषी मुनियों को प्रचुर मात्रा में धन सम्पदा देकर लोटते थे.कहने का आशय यही हैं कि आयुर्वैद सदियों से लोगों के बीच लोकप्रिय हैं. आईयें आज त्वचा को सुंदर बनानें का आयुर्वैदिक नुस्खा आजमाते है-:
१.यदि त्वचा पर मुहाँसे हो गये हो और ठीक नहीं हो रहें हो तो निम्न उपाय आजमाएँ हल्दी, नीम,मुलतानी मिट्टी ,गिलोय रस, दही,अदरक रस, एलोवेरा गुदा,पपीता गुदा मिलाकर पेस्ट बना ले इसे नहाने से पहलें मुँह पर लगायें तत्पश्चात आधे घंटे बाद स्नान करें.
२.यदि आपकी त्वचा तेलीय हैं, तो मुलतानी मिट्टी में खीरे का रस एँव गुलाब जल मिलाकर सुखनें तक चेहरे पर लगाकर रखें,फिर धो ले.
३.तेलीय त्वचा वालों को ज्यादा तला हुआ भोजन नहीं करना चाहिये ,भोजन में सलाद अवश्य शामिल करें.पानी खूब पीयें.
४.यदि बार बार फोड़े- फुंसिया होते हो तो गिलोय रस, एलोवेरा रस, एँव आवँला रस को समान मात्रा में मिलाकर सेवन करें एँव फोड़े फुंसियों पर नीम छाल घीसकर लगायें.
५.शरीर में खुजली चलती हो और ठीक नहीं हो रही हो तो गंधक रसायन, खदिरादी वटी,तुलसी रस, को मिलाकर शहद के साथ सेवन करें. पेट साफ रखें.
६.lucoderma या श्वेत कुष्ठ होने पर गो मूत्र अवश्य सेवन करें.
७. योगिक क्रियाएँ जेसे कपालभाँति, अनुलोम-विलोम करनें से चेहरा कांतिमय रहेगा.
८.चर्म रोगों से पीड़ित रोगी को सोने से पहले एक चम्मच हल्दी दूध के साथ सेवन करना चाहिये.तथा स्नान करतें समय पानी में दो चम्मच बेंकिग सोड़ा मिलाकर स्नान करना चाहियें.
वैघकीय परामर्श आवश्यक हैं.
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