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कास या खाँसी एक ऐसी बीमारीं हैं, जो हर एक व्यक्ति चाहे बच्चा हो या बुजुर्ग महिला हो या पुरूष सभी को प्रभावित करती हैं.खाँसी का प्रभाव व्यक्ति के सामाजिक जीवन पर भी पड़ता हैं,जिसके कारण वह मेलजोल खत्म सा कर देता हैं,और घर मे ही सीमित हो जाता हैं.कभी-कभी तो खाँसी का दोरा इतना तीव्र रहता है कि पूरें शरीर का जोर लगाना पड़ता हैं.यदि खाँसी लम्बें समय तक बनी रहे तो tuberculosis होनें सम्भावना रहती हैं.या फिर दमा (asthma) भी हो जाता हैं.
खाँसी का आधुनिक चिकित्सा प्रणाली में उपचार करवाते हैं, तो सबसे बड़ी समस्या नींद की रहती हैं, क्योंकि allopathy में खाँसी की दवाईयों में नींद लानें वाले तत्व होते हैं जो मशीन पर काम करनें वालों के लिये दुर्घटना की वज़ह बन सकते हैं ऐसे मे आयुर्वैद चिकित्सा
आशा की किरण बन कर उभरी हैं, क्योंकि यह पद्धति इस प्रकार के दुष्प्रभावों से मुक्त हैं.आईयें जानतें हैं क्या हैं उपचार ::-
(१). यदि सुखी खाँसी हो और लम्बें इलाज़ के बाद भी ठीक नहीं हो रही हो तो अडूसा, हल्दी, तुलसी धतूरा पत्तियाँ को सम भाग मिलाकर छोटी-छोटी गोलीयाँ बना लें इन गोलीयों को सुबह-शाम शहद के साथ लें.
(२).खाँसी के साथ बलगम आ रहा हो तो वासा मुलेठी,अजवायन ,नागकेशर, खेर छाल को मिलाकर अदरक रस के साथ सेवन करें.
(३).खाँसी यदि लम्बें समय से हो तो पीपली, सोंठ, लोंग,अजवाइन,तेजपत्ता,सोमलता,दालचीनी को गुड़ ड़ालकर चाय बना लें इसे रोज़ सोते समय पीयें परन्तु इसके बाद एक घंटे तक पानी न पीयें.
(४). खाँसी के साथ- साथ साँस चल रहा हो तो पानी मे नीलगीरी तेल ड़ालकर गर्म कर कर लें इस पानी में पेर रखकर बेंठे.
(५).समस्त प्रकार की खाँसी में सितोपलादी चूर्ण एक चम्मच रोज़ रात को सोते समय दूध में मिलाकर सेवन करें.
(६). योगिक क्रियाएँ कपालभाँति, सूर्यनमस्कार ज़रूर करें.
(७).रात को सोते वक्त नाक मे गोघ्रत दो-दो बूँद ड़ालें.
० पारस पीपल के औषधीय गुण
नोट- वैघकीय परामर्श आवश्यक
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