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नीम के औषधीय उपयोग

नीम के औषधीय उपयोग 

लेखक: आयुर्वेदाचार्य पी के व्यास

नीम सम्पूर्ण भारत में पाया जानें वाला महत्वपूर्ण औषधीय उपयोग वाला वृक्ष हैं ।यह जनसमाज के काम आनें वाली सबसे महत्वपूर्ण घरेलू दवा हैं ।नीम का औसत जीवन काल डेढ़ सौ से 200 वर्ष तक का होता है और औसत ऊंचाई 15 से 20 मीटर तक की होती है।प्राचीन आयुर्वेद शास्त्र में नीम का प्रयोग लगभग 5000 वर्ष पूर्व से ही हो रहा है।


नीम के औषधीय उपयोग
नीम


नीम का संस्कृत नाम क्या हैं Neem ka Sanskrit Nam kya hai :::


नीम का  संस्कृत  नाम निम्ब,नियमन,अरिष्ट,हिंगु,पीतसार और रविप्रिय  हैं ।
 

नीम का अँग्रेजी नाम Neem ka angreji Nam :::


नीम का अंग्रेजी या इंग्लिश नान Indian lilac हैं ।

नीम का लेटिन नाम क्या हैं  Neem ka Latin nam kya hai :::


 नीम का लेटिन नाम   Azadirachta Indica हैं ।

आयुर्वेदमतानुसार नीम की प्रकृति कैसी हैं ?

आयुर्वेदमतानुसार नीम हल्का ,शीतल, और कटु(कड़वा) होता हैं ।


नीम के औषधीय उपयोग :::

१.मलेरिया ज्वर ::

३० ग्राम नीम की छाल कूटकर २५० मिलीलीटर  पानी में तब तक उबालें जब तक पानी १०० मिलीलीटर के करीब रह जायें ।इस प्रकार उबले काढ़े को दिन में 3 बार पीलानें से मलेरिया ज्वर बहुत लाभ मिलता हैं ।

२.चर्म रोगों में नीम के औषधीय उपयोग ::: 

० लम्बें समय से न भरनें वाले घावों पर नीम की छाल को घीसकर घावों पर लगानें से घाव अतिशीघ्र भरता हैं।   

० नीम की पत्तियों  का रस ,सरसो का तेल और हल्दी  मिलाकर गर्म करले ठंड़ा होनें पर इस मिश्रण में कर्पूर थोड़ी मात्रा में    यह मिश्रण सोरायसिस,दाद वाली खुजली और पित्ती उछलनें का प्रभावी उपचार हैं ।

० नीम के पत्तों का रस और देशी गोमूत्र समभाग मिलाकर सफेद दाग पर लगा लें,और १५ मिनिट धूप में बैंठ जायें बहुत ही आशातीत परिणाम मिलेंगें ।  

० नीम के कोपल खानें से दूषित रक्त के कारण होनें वाले फोड़े फुन्सी नही होतें हैं ,और रक्त शुद्ध होता हैं ।   

३.बालों की समस्या में नीम के औषधीय उपयोग ::


० सिर में रूसी ,जुएँ होनें पर नीम के तेल में कर्पूर  मिलाकर बालों में हल्के हाथों से मालिश करें कुछ दिन यह प्रयोग लगातार करनेें से सिर में रूसी खुश्की और जुएँ होनें की समस्या समाप्त हो जाती हैं ।


४.दमा होनें पर नीम का औषधीय उपयोग :::


० नीम का शुद्ध तेल पान के पत्तों पर ५० - ६० बूँद लगाकर खानें से गर्मी के मौसम में होनें वाली  दमें की समस्या में राहत मिलती हैं ।    

५.कर्ण रोगों में नीम के औषधीय उपयोग :::


० नीम के तेल में शहद मिलाकर कान में डालनें से बहरापन,टीनीटस और कान के बहनें में आराम मिलता हैं ।

 ६.रूके हुयें मासिक धर्म को खोलनें का नीम का औषधीय उपयोग :::



० नीम की छाल १०० ग्राम  ,पुराना गुड़ १०० ग्राम  और जल आधा लीटर इस मिश्रण  को  तब तक उबाले जब तक की मिश्रण एक चौथाई न रह जायें।


इस मिश्रण को दिन में दो बार पीलानें से मासिक धर्म खुलकर आता हैं । 

७.लकवे में नीम का औषधीय उपयोग :::


० नीम के तेल को लकवा प्रभावित भाग पर दिन में ३ बार मालिश करनें से लकवा रोगी अतिशीघ्र ठीक होता हैं ।

 ०८.दाँतों की समस्या होनें पर नीम के औषधीय उपयोग :::


० नीम की नर्म मुलायम टहनियों से दातुन करनें वाले व्यक्ति के दाँत सुंदर,ताकतवर और सदैव कीड़े रहित होतें हैं ।     



०९.पेट के कीड़े होनें पर नीम के औषधीय उपयोग :::


० बच्चों या बड़ों के पेट में कीड़ें हो गयें हो तो नीम की पत्तियों का रस निकालकर २ - ३ चम्मच खाली पेट पीलानें से पेट के कीड़े बाहर आ जातें हैं ।


१०.सौन्दर्य प्रसाधन  के रूप में नीम के औषधीय उपयोग :::

० मुलतानी मिट्टी multani mitti के साथ मिलाकर नीम की पत्तियों के चूर्ण को चेहरें पर लगानें से चेहरें की झाइयाँ,साँवलापन ,और कील मुहाँसे दूर होकर चेहरा कांतिमय बन जाता हैं । 


० नीम में विटामिन और फैटी एसिड पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं जो त्वचा को नाम रखते हैं। सर्दियों में त्वचा यदि फट रही हो तो नीम का तेल और खोपरे का तेल मिलाकर लगाने से त्वचा नहीं फटती है


११.लू लगनें पर नीम का औषधीय उपयोग :::


० लू लगनें या शरीर में दाह उत्तपन्न होनें पर नीम की पत्तियों  का रस ३ -४चम्मच मिश्री के साथ मिलाकर पिलानें से अतिशीघ्र आराम मिलता हैं ।

इसी प्रकार   मूत्र मार्ग की जलन रोकनें में नीम की पत्तियों का रस ,सौंफ और मिश्री   मिलाकर पिलानें से मूत्र मार्ग की जलन समाप्त हो जाती हैं ।   

इसके अलावा नीम जनसामान्य के प्रतिदिन काम आनें वाला अनुपम Health प्रदान  करनें वाला चमत्कारिक औषधीय वृक्ष हैं।

गाँवों में आज भी वर्षभर  अनाज भँडारण हेतू नीम की पत्तियों का प्रयोग बहुतायत में होता हैं,नीम की पत्तियों से सुरक्षित अनाज स्वास्थ्यप्रद ,रासायनिक प्रभावों  से मुक्त और अपने मूल स्वरूप  का होता हैं ।

आजकल नीम की बनी हुई खाद,दवाईयाँ किसानों की जेब और मिट्टी की सेहत को उपजाऊ बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं ।  

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