आयुर्वेदिक दवाएं लेते समय क्या सावधानी रखनी चाहिए
आम तोर पर कई लोग आयुर्वेदिक दवाई के सेवन करने से पहले अनेक भ्रम पालकर बेठ जाते हैं कि आयुर्वेदिक दवाईयों मे परहेज ज्यादा रखना पड़ता हैं.और परहेज नहीं करने पर विपरीत परिणाम भोगने पड़ सकते हैं.वास्तव में यह बात सत्य नहीं कही जा सकती हैं क्योंकि मात्र आयुर्वैद ही इस प्रकार का प्रतिबंध नही लगाता बल्कि विश्व की सभी चिकित्सा प्रणाली के अपने-अपने नियम है, जिनकी सहायता से वह रोगो का निदान करती हैं .
फिर इस सम्बंध मे मात्र आयुर्वैद को कटघरें मे खड़ा करना उचित प्रतित नहीं होता ,जो पदार्थ दवाईयों के प्रभाव को कम करता है या बीमारीं को बढ़ाता हैं उस पदार्थ को त्याग देना ही मेरे मत मे उचित होना चाहिये.आईयें जानतें है कुछ परहेज :-
१. वात रोगो में गैस बनाने वाले पदार्थ जैसे बेसन आलू ,बेंगन इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिये.
२. उदर विकार में मिर्च मसालेदार ,गरिष्ठ पदार्थ का परहेज करें.
३. मनोविकारों उच्च रक्तचाप में काँफी शराब,चाय का परहेज करें.
४.खटाई का सेवन करने से आयुर्वैदिक दवाईयों की कार्यप्रणाली में बदलाव आता हैं ,अत: इनका सेवन न करें.
१. वात रोगो में गैस बनाने वाले पदार्थ जैसे बेसन आलू ,बेंगन इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिये.
२. उदर विकार में मिर्च मसालेदार ,गरिष्ठ पदार्थ का परहेज करें.
३. मनोविकारों उच्च रक्तचाप में काँफी शराब,चाय का परहेज करें.
४.खटाई का सेवन करने से आयुर्वैदिक दवाईयों की कार्यप्रणाली में बदलाव आता हैं ,अत: इनका सेवन न करें.
क्या करें:-
१.१०-१२ गिलास जल का सेवन प्रतिदिन करें.
२.भोजन में पर्याप्त मात्रा में सलाद लें.
३.योगिक क्रियाओं के साथ पूरे शरीर पर तिल के तेल की मालिश करें.
४.रात का भोजन सोने से तीन घंटें पहले कर लें.
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