मोतियाबिंद क्या होता हैं। what is cataract in Hindi
मनुष्य की आंखों के लेंस manusy ki aankho ke lens प्रोटीन और फाइबर से बनी संरचना होती हैं। यह लेंस पारदर्शी और कांच के समान होती हैं । इस लेंस के माध्यम से होकर प्रकाश आंखों के पर्दे पर आता हैं , जिससे किसी वस्तु का साफ़ प्रतिबिंब दिखाई देता हैं । जब कभी किसी कारण से यह लेंस धुंधले हो जातें हैं तो प्रकाश इन लेंस से नहीं गुजर पाता है । लेंस के धुंधला होनें की यह अवस्था मोतियाबिंद cataract कहलाती हैं ।
भारत में अन्धत्व का बहुत बड़ा कारण मोतियाबिंद हैं । भारत में लगभग 65 प्रतिशत लोग में नेत्रहीनता का कारण मोतियाबिंद ही है । भारत में प्रतिवर्ष 20 लाख लोगों में मोतियाबिंद होता हैं ।
मोतियाबिंद के लक्षण motiyabind ke laxan
आंखों से धुंधला दिखाई देना
यदि किसी को मोतियाबिंद हो जाता हैं तो पढ़ने या कोई वस्तु देखने पर वह धुंधली दिखाई देती हैं ।
आंखें चोंधियाना
यदि मोतियाबिंद ग्रसित व्यक्ति टीवी देखता है या किसी साधारण से प्रकाश स्रोत जिसे सामान्य आंखों वाला देख सकता हैं को देखता है तो उसकी आंखें चोंधिया जाती हैं । ऐसा वाहन चलाते समय आंखों पर पड़ने प्रकाश के कारण भी होता हैं ।
रंग फीके दिखाई देना
मोतियाबिंद से ग्रसित व्यक्ति को तीखे चटक रंग भी बहुत फीके दिखाई देते हैं ।
चश्में के नंबर बार बार बदलना
बार बार चश्में के नंबर बदल जातें हैं जिससे आंखों में भारीपन होता हैं। विस्तृत जांच में पता चलता हैं कि मोतियाबिंद हैं।
एक वस्तु दो दिखाई देती हैं
पास की और दूर की दोनों चीजें दो दिखाई देती हैं। उदाहरण के लिए कोई व्यक्ति सामने खड़ा है तो मोतियाबिंद ग्रसित व्यक्ति को उसकी दो छवि दिखाई देगी जिसमें यह पहचानना मुश्किल होता हैं कि कोंन सी छवि वास्तविक हैं ओर से कोंन सी आभासी हैं।
मोतियाबिंद हो जाने के बाद मोतियाबिंद के लक्षण प्रकट होते हैं
मोतियाबिंद के बहुत से मामले तब तक प्रकट नहीं होते हैं जब तक की पूरा मोतियाबिंद पक नहीं जाता हैं। अतः ऐसे मामलों में नेत्ररोग विशेषज्ञ भी जब तक पूरा मोतियाबिंद नहीं हो जाता हैं तब तक कुछ भी स्पष्ट नहीं बता पाते हैं ।
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मोतियाबिंद के प्रकार motiyabind ke prakar
Subcapsular cataract सबकेप्सूलर मोतियाबिंद
आंखों के लेंस aankho ke lens के पिछे बनने वाले मोतियाबिंद को सबकेप्सूलर मोतियाबिंद subcapsular cataract कहते हैं । सबकेप्सूलर मोतियाबिंद होने पर रोशनी के चारों ओर गोल चमकीला घेरा नज़र आता हैं और पढ़ने में परेशानी आती हैं।
सबकेप्सूलर मोतियाबिंद subcapsular cataract अधिक उम्र वालों, मधुमेह ग्रसित व्यक्ति और स्टेराइड का इस्तेमाल करने वालों को अधिक होता हैं ।
कार्टिकल मोतियाबिंद cortical cataract
कार्टिकल मोतियाबिंद cortical cataract लेंस के आसपास पहिये के रूप में होता हैं जो धिरें धिरें पूरे लेंस में फैल जाता हैं । अधिक उम्र के व्यक्तियों में यह मोतियाबिंद बहुतायत में होता है ।
नाभिक मोतियाबिंद Nuclear sclerotic cataract
जो मोतियाबिंद लेंस के मध्य भाग में होता हैं उसे नाभिक मोतियाबिंद या Nuclear sclerotic cataract कहते हैं । Nuclear sclerotic cataract मोतियाबिंद का सर्वमान्य प्रकार हैं ।अधिकांश मामलों में यही मोतियाबिंद देखा जाता हैं । इस प्रकार के मोतियाबिंद में लेंस धुंधला और सख्त हो जाता हैं ।
Conginatal cataract जन्मजात मोतियाबिंद
कुछ नवजात शिशुओं में गर्भाशय संबंधी संक्रमण और आनुवांशिक बीमारी की वजह से जन्मजात मोतियाबिंद हो जाता हैं । नवजात शिशुओं में होने वाले मोतियाबिंद का यह सबसे प्रमुख प्रकार हैं ।
मोतियाबिंद का कारण
बढ़ती उम्र
40 वर्ष की उम्र के बाद आंखों का लेंस जो कि प्रोटीन,फायबर और पानी से बना होता हैं के प्रोटीन में बदलाव आना शुरू हो जाता हैं । जिससे पारदर्शी लेंस धुंधला होना शुरू हो जाता हैं ।
भारत में मोतियाबिंद के सबसे ज्यादा केस बढ़ी उम्र के कारण ही हो रहें हैं ।
पराबैंगनी विकिरण या सूर्य प्रकाश
पराबैंगनी विकिरण या सूर्य के प्रकाश के सीधे संपर्क में आने से मोतियाबिंद होने की संभावना बहुत अधिक होती है क्योंकि पारदर्शी लेंस इन विकिरणों के सम्पर्क में आकर क्षतिग्रस्त और धुंधला हो जाता हैं । धिरें धिरें यह धुंधलापन मोतियाबिंद का रूप ले लेता है ।
उच्च रक्तचाप
उच्च रक्तचाप के कारण आप्टिक नर्व और आंखों पर दबाव पड़ता है। जिससे लेंस धुंधला होने लग जाता हैं ।
मधुमेह
मधुमेह मोतियाबिंद का बहुत बड़ा कारण है। मधुमेह के कारण आंखों का लेंस सबसे ज्यादा प्रभावित होता हैं जिससे व्यक्ति कम उम्र में ही मोतियाबिंद से ग्रसित हो जाता हैं।
मोटापा
विशेषज्ञों के मुताबिक मोटापा मोतियाबिंद का कारण बनता हैं लेकिन अभी इस पर विस्तृत शोध बाकि है कि मोटापा किस तरह से मोतियाबिंद का कारण बनता हैं । वैसे मोटापा बहुत सारी शारीरिक समस्याओं जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, ह्रदय रोग आदि का कारण है और इन्ही बीमारियों के साथ मोतियाबिंद जुड़ा हुआ है ।
शराब सेवन
अत्यधिक शराब पीने से लेंस का प्रोटीन अल्कोहल के प्रभाव से पारदर्शी से धुंधला पड़ जाता हैं । फलस्वरूप मोतियाबिंद हो जाता हैं ।
आनुवांशिक कारक
यदि माता-पिता को मोतियाबिंद होता हैं तो संतानों में भी मोतियाबिंद का प्रभाव देखा गया है । उदाहरण के लिए यदि रूबेला बीमारी से मां ग्रसित है तो होने वाले बच्चे को मोतियाबिंद हो सकता हैं ।
खानपान
भोजन में पर्याप्त प्रोटीन,मिनरल और विटामिन सम्मिलित नहीं होते हैं तो आंखों के लेंस का प्रोटीन लेंस को धुंधला कर मोतियाबिंद का निर्माण कर देता हैं ।
मोतियाबिंद का ऑपरेशन
आजकल मोतियाबिंद का ऑपरेशन बहुत सरल और कम जोखिम वाला आपरेशन होता हैं जिसे नेत्ररोग विशेषज्ञ रोबोट और हाथों से बहुत कम समय में संपन्न कर देता हैं । आपरेशन के दोरान धुंधला लेंस हटाकर उसकी जगह कृत्रिम लेंस प्रत्यारोपित कर दिया जाता हैं ।
मोतियाबिंद आपरेशन के प्रकार
Extracapsular cataract extraction या रेगुलर फेको
इस आपरेशन में लेंस को अल्ट्रासाऊंड तरंगों से तोड़कर एक खोखली नीडिल के माध्यम से बाहर निकाल लिया जाता हैं । इस प्रक्रिया को फेकोइमल्सीफिकेशन कहते हैं । इस आपरेशन में मात्र 3 MM का चीरा लगाकर कृत्रिम लेंस प्रत्यारोपित कर दिया जाता हैं । आपरेशन के बाद मरीज कुछ ही घंटों में घर चला जाता हैं ।
भारत में लगभग 98% आपरेशन इसी प्रकार के होते हैं ।
भारत में लगभग 98% आपरेशन इसी प्रकार के होते हैं ।
Intracapsular cataract extraction
इस पद्धति द्वारा लेंस और लेंस केप्सूल दोनों निकाल कर कृत्रिम लेंस प्रत्यारोपित किया जाता हैं । इस पद्धति में चीरा 2MM का लगाया जाता हैं ।
Laser cataract surgery
लेजर केटरेक्ट सर्जरी पूर्णतः कम्प्यूटराइज्ड सर्जरी हैं , जिसमें मानवीय हस्तक्षेप बिल्कुल नहीं होता जिससे मानवीय चूक की संभावना नही होती हैं । इस विधि में चीरा नहीं लगाया जाता हैं ।
Zapto cataract surgery
यह सर्जरी बहुत जटिल मोतियाबिंद में की जाती हैं। इस सर्जरी के साथ आंखों के अन्य आपरेशन संपन्न करें जा सकते हैं ।
मोतियाबिंद लेंस की कीमत
मोतियाबिंद आपरेशन में जो लेंस प्रत्यारोपित किये जातें हैं उनकी कीमत लेंस के प्रकार के आधार पर कुछ सौ रुपए से लेकर हजारों रूपए तक हो सकती हैं । कुछ प्रमुख लेंसो के प्रकार निम्न हैं
मोनो फोकल लेंस
भारत में 98 प्रतिशत मोतियाबिंद आपरेशन में मोनो फोकल। लेंस का प्रयोग किया जाता हैं । मोनो फोकल लेंस की एक ही फोकस दूरी होती हैं ।
मोनो फोकल लेंस में दूर की वस्तु स्पष्ट दिखाई देती हैं किन्तु पास की वस्तु देखने के लिए चश्मा लगाना पड़ता है ।
बाई फोकल लेंस
बाई फोकल लेंस में दूर का और पास का स्पष्ट दिखाई देता हैं लेकिन बीच में रखी वस्तु धुंधली दिखाई देती हैं । बाई फोकल लेंस मोनो फोकल लेंस की अपेक्षा महंगा भी होता हैं ।
० एलर्जी क्या होती हैं
ट्राई फोकल लेंस
इस लेंस में दूर का,पास का,और बीच का भी स्पष्ट दिखाई देता हैं । यह लेंस महंगा होता हैं।
इस लेंस की एक बहुत बड़ी कमी यह है कि उम्र के साथ लेंस की क्षमता कम होकर पास का,और बीच का दिखाई देना बंद हो जाता हैं इसके अलावा रात में प्रकाश स्रोत के आसपास गोल और तेज चमकीला छल्ला दिखाई देता हैं । यही कारण है कि नेत्र विशेषज्ञ इस लेंस को बहुत कम मामलों में उपयोग करते हैं
टारिक लेंस
बाई फोकल और ट्राई फोकल लेंस की कमियों को दृष्टिगत रखते हुए इस लेंस का आविष्कार हुआ है । यह लेंस रात को प्रकाश स्रोत के आसपास दिखाई देने वाले छल्लो से बचाता है । लम्बी सर्विस देता हैं और आंखों को भारीपन,लाल होने से बचाता है ।
मोतियाबिंद आपरेशन से पहले क्या सावधानी रखी जानी चाहिए ?
० रक्तचाप नियंत्रित होना चाहिए
० मधुमेह नियंत्रण में होना चाहिए
० आपरेशन के पूर्व हल्का नाश्ता कर लेना चाहिए
० यदि किसी दवाई से एलर्जी है तो इसकी सूचना नेत्ररोग विशेषज्ञ को आपरेशन से पहले अवश्य दें देना चाहिए
० आपरेशन से पहले किसी भी प्रकार का नशा नहीं करना चाहिए
० आपरेशन से पहले किसी भी प्रकार का नशा नहीं करना चाहिए
मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद क्या सावधानी रखें
भारत में प्रति मोतियाबिंद के जितने आपरेशन होते हैं उनमें से लगभग 25 प्रतिशत लोग आपरेशन के बाद रखी जानें वाली सावधानी के अभाव में पुनः चिकित्सक के पास पंहुचते हैं, यदि पर्याप्त सावधानी रखी जाए तो इस स्थिति को टाला जा सकता है आईए जानते हैं मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद रखी जानें वाली सावधानी के बारें में
1.आपरेशन के बाद न्यूनतम 15 दिनों तक या नेत्ररोग विशेषज्ञ द्वारा बताए गए समय तक काला चश्मा अवश्य लगाएं ।
2.आपरेशन वाली आंख को हाथों से, रुमाल से,रुई से या किसी भी प्रकार से नहीं रगड़े
3.आंखों में काजल,सूरमा आदि न लगाएं
4.आंखों में पानी तब तक नहीं लगाएं जब तक कि डाक्टर ने बोले
5. नहाते समय साबुन आदि को आंखों से दूर ही रखें
6.आंखों में तेज हवा न लगने दें
7.चिकित्सक द्वारा बताए समय तक मोबाइल,टीवी का उपयोग नहीं करें
8.शराब, तम्बाकू धूम्रपान आदि का सेवन न करें ।
9.जिस तरफ की आंख का आपरेशन हुआ हैं उस तरफ करवट करके नहीं सोना चाहिए।
10.तेज नमक, मिर्च-मसाले वाला भोजन न करें
मोतियाबिंद आपरेशन में क्या जोखिम हो सकता हैं ?
आधुनिक तकनीक ने मोतियाबिंद आपरेशन को पूर्णतः मानवरहित और जोखिम रहित बना दिया है किंतु फिर भी मोतियाबिंद आपरेशन में यदाकदा कुछ जोखिम सामने आ ही जाते हैं जैसे
१.आपरेशन के पहले और आपरेशन के बाद में यदि आंखों की साफ-सफाई का पर्याप्त ध्यान नहीं रखा गया तो आंखों में संक्रमण होने की संभावना रहती हैं जिससे अंधापन भी हो सकता हैं ।
२.मोतियाबिंद आपरेशन के दौरान लेंस के टूकडे असावधानी के कारण आंखों में रह जाते हैं तो आंखों में दर्द, आंखों में सूजन और कम दिखाई देना जैसी समस्या हो सकती हैं ।
३.कुछ लोगों की आंखें मोतियाबिंद आपरेशन के बाद कृत्रिम लेंस को सहज स्वीकार नहीं करती हैं अतः आंखें लाल होना, आंखों में दर्द होना आदि समस्या हो सकती हैं ।
मोतियाबिंद से बचाव के उपाय
१.मोतियाबिंद से बचाव के लिए 40 वर्ष की उम्र के बाद स्वस्थ आंखों वाले व्यक्ति को नेत्र रोग विशेषज्ञ से साल में दो बार आंखों की जांच करवाना चाहिए
2.शराब, धूम्रपान का सेवन से आंखों के लेंस का प्रोटीन खराब होता हैं अतः इनसे बचें ।
3.आंखों का व्यायाम नियमित रूप से करें उदाहरण के लिए यदि कम्प्यूटर या मोबाइल का इस्तेमाल कर रहें हैं तो हर 20 मिनिट में आंखों को कम्प्यूटर या मोबाइल स्क्रीन से हटाकर 20 फीट की दूरी को 20 बार देखें ।
4.आंखों में चोंट लगने पर किसी अच्छे नेत्ररोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए ।
5.तेज धूप, मोटरसाइकिल चलाने पर,अच्छे किस्म का चश्मा लगाना चाहिए
6.भोजन में हरे पत्तेदार सब्जियां,पीले फल,बीटा कैरोटीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे बादाम, अखरोट आदि का इस्तेमाल करें ।
7.गर्भवती महिलाओं को अपने सभी टीकाकरण पूरे करवाना चाहिए।
7.गर्भवती महिलाओं को अपने सभी टीकाकरण पूरे करवाना चाहिए।
8.उच्च रक्तचाप, मधुमेह , मोटापा को नियंत्रित रखना चाहिए
9.आंखों में रक्तसंचार सुचारू रखने के लिए प्रतिदिन सुबह शाम तेज़ क़दमों के साथ घूमना चाहिए
काला मोतियाबिंद Glucoma क्या होता है
काला मोतियाबिंद को ग्लूकोमा Glucoma कहते हैं। काला मोतियाबिंद आप्टिक नर्व पर दबाव पड़ने से होता हैं । सफेद मोतियाबिंद की तुलना में काला मोतियाबिंद घातक होता हैं और इससे आंखों की रोशनी जा सकती हैं ।
काला मोतियाबिंद का कारण
आंखों में एक तरल पदार्थ मौजूद रहता है जिसे एक्यस ह्यूमर कहते हैं यह पदार्थ आंखों में नमी बनाए रखना है,जब किसी कारणवश इस तरल पदार्थ का उत्पादन बंद हो जाता हैं तो आप्टिक नर्व पर दबाव पड़ता है और आप्टिक नर्व में खून का प्रवाह बाधित हो जाता हैं फलस्वरूप आप्टिक नर्व को हानि पहुंचती हैं और ग्लूकोमा बन जाता हैं । एक्यूस ह्यूमर निम्न कारण से बनना बंद हो सकता है
1.लंबे समय से स्टेराइड का इस्तेमाल
2.आंखों में चोंट लगना
3.मधुमेह
4.आनुवांशिक कारण
5.माइग्रेन
काला मोतियाबिंद दो प्रकार का होता हैं
1.ओपन एंगल
2.एंगल क्लोजर
काला मोतियाबिंद के लक्षण
1.अंधेरी जगह पर बहुत कम दिखाई देना।
2.बार बार चश्मा उतरना या नंबर बदलना।
3.देखने में काले काले धब्बें दिखाई देना ।
4.आंखों की नसों पर दबाव महसूस होना।
5.आंखे लाल होना।
6.आंखों में दर्द के साथ उल्टी और चक्कर आना ।
क्या मोतियाबिंद का कोई इलाज है ?
मोतियाबिंद न हो इसके लिए इलाज है किंतु मोतियाबिंद हो जानें के बाद इसका एकमात्र इलाज आपरेशन ही है । मोतियाबिंद किसी भी प्रकार की दवाई, झाड़ फूंक या आई ड्राप से समाप्त नहीं होता हैं ।
मोतियाबिंद न हो इसके लियें संतुलित खानपान और विटामिन ए युक्त पूरक आहार का सेवन करना चाहिए जैसें पपीता,गाजर,अंकुरित अनाज,दालें आदि ।
० आँखों का सुखापन
मोतियाबिंद समाप्त करने के लिए सरकारी प्रयास राष्ट्रीय अन्धत्व निवारण कार्यक्रम
भारत सरकार ने देश में मोतियाबिंद से फैलने वाले अंधेपन को समाप्त करने के लिए सन् 1976 में राष्ट्रीय अन्धत्व निवारण कार्यक्रम शुरू किया था । जिसमें सरकारी अस्पतालों और गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से मोतियाबिंद के ऑपरेशन योग्य व्यक्तियों को चिन्हित कर निशुल्क आपरेशन किए जाते हैं ताकि देश अन्धत्व निवारण में विश्व का अग्रणी राष्ट्र बन सके और नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण जीवन प्रदान कर सकें ।
देशभर में अलग राज्य सरकारों द्वारा भी मोतियाबिंद समाप्त करने के लिए अपने - अपने स्तर पर निशुल्क आपरेशन किये जातें हैं ।
देशभर में अलग राज्य सरकारों द्वारा भी मोतियाबिंद समाप्त करने के लिए अपने - अपने स्तर पर निशुल्क आपरेशन किये जातें हैं ।
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