जीन संवर्धित (Genitcally modified)फसल क्या हैं ? :::
जीन संवर्धन या Genitacally modified फसलें ऐसी फसलें होती हैं,जो परंपरागत फसलों के मुकाबले अधिक कीट़रोधी,तापरोधी,सूखारोधी और बाढ़रोधी होती हैं, इन फसलों का उत्पादन भी सामान्य फसलों के मुकाबलें अधिक होता हैं.
ऐसा परिवर्तन इन फसलों के बीजों में डी.एन.ए.परिवर्तन के जरियें होता हैं.दुनिया में जीन संवर्धित फसलों की अनेक किस्में उगाई जा रही हैं जैसें -- भारत में कपास,अमेरिका(U.S.A) में कपास,मक्का,सोयाबीन,चुकंदर,पपीता,और आलू अर्जेंटीना(Argentina) में सोयाबीन,मक्का,कपास चीन(China) में पपीता,कपास बांग्लादेश(Bangladesh) में बैंगन अफ्रीका(Africa) में कपास और मक्का .
ऐसा परिवर्तन इन फसलों के बीजों में डी.एन.ए.परिवर्तन के जरियें होता हैं.दुनिया में जीन संवर्धित फसलों की अनेक किस्में उगाई जा रही हैं जैसें -- भारत में कपास,अमेरिका(U.S.A) में कपास,मक्का,सोयाबीन,चुकंदर,पपीता,और आलू अर्जेंटीना(Argentina) में सोयाबीन,मक्का,कपास चीन(China) में पपीता,कपास बांग्लादेश(Bangladesh) में बैंगन अफ्रीका(Africa) में कपास और मक्का .
(function() {
var cx = '007469982320498269128:bu2aylhwjqe';
var gcse = document.createElement('script');
gcse.type = 'text/javascript';
gcse.async = true;
gcse.src = 'https://cse.google.com/cse.js?cx=' + cx;
var s = document.getElementsByTagName('script')[0];
s.parentNode.insertBefore(gcse, s);
})();
Gm फसलों का स्वास्थ पर प्रभाव :::
विश्व के अनेक विकसित और विकासशील देशों में Gm फसलों के स्वास्थगत एँव पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर व्यापक शोध चल रहें हैं.लेकिन इन फसलों के स्वास्थ पर होनें वालें प्रभाव को लेकर शोधगत बातों की अपेक्षा आशंकापूर्ण बातें ज्यादा की जा रही हैं जैसे बीटी बैंगन को लेकर कहा जा रहा हैं,कि इससे शरीर की प्रतिरोधकता कम हो जाती हैं,और कैंसर, मधुमेह की संभावना बढ़ जाती हैं.
जिन देशों में बीटी बैंगन पैदा और खाया जा रहा हैं वहाँ इस तरह की कोई स्वास्थगत समस्या नही पैदा हुई हैं,बल्कि बीटी बैंगन खानें वाले लोगों का स्वास्थ उन्नत ही हुआ हैं बांग्लादेश जो कि बीटी बैंगन उगाता और खाता हैं के लोगों का स्वास्थ सूचकांक भारत,चीन और अफ्रीका के कई देशों से बेहतर हुआ हैं.
भारत लम्बें समय से बीटी काँटन उगा रहा हैं और इसके बीनोले से निकलने वाला तेल उपयोग कर रहा हैं,इसी प्रकार इससे बनने वाली खल पशु खा रहे हैं,क्या इसका कोई दुष्प्रभाव मनुष्य पर देखा गया हैं ? नही बिल्कुल नहीं बल्कि पशु स्वास्थ में सुधार ही हुआ हैं जिससे दूध और मांस की गुणवत्ता बढ़ी हैं,इसके फलस्वरूप भारत विश्व में दूध और मांस का अग्रणी उत्पादनकर्ता राष्ट्र बन गया हैं.
इसी प्रकार अमेरिका और कनाड़ा जैसें देशों में जीन संवर्धित मक्का मानव और पोल्ट्री दोनों के खाद्य पदार्थ के रूप में प्रयोग हो रही हैं,
क्या इस मक्का को खानें वालें व्यक्तियों या मक्का खाकर बढ़े हुये पोल्ट्री उत्पादन खानें वालें व्यक्तियों पर इसका कोई दुष्प्रभाव देखा गया हैं ? नहीं बिल्कुल नही .
तो फिर जीन संवर्धित फसलों को लेकर इतनी हायतोबा क्यों ? विश्व स्वास्थ संगठन (w.h.o.)और विश्व सरकारों को चाहियें की जीन संवर्धित फसलों को लेकर पलनें वाली भ्रान्तियों का समाधान करें ताकि विश्व के अल्पविकसित और विकासशील राष्ट्रों में होनें वाली भूख और कुपोषण (malnutrition) से होनें वाली मौंतों पर अंकुश लगाया जा सकें.
लेकिन इंडियन इंस्टीट्यूट आँफ साइंस के शोधकर्ताओं के अनुसार ये बातें भ्रामक और तर्कहीन तथ्यों पर आधारित हैं,
जिन देशों में बीटी बैंगन पैदा और खाया जा रहा हैं वहाँ इस तरह की कोई स्वास्थगत समस्या नही पैदा हुई हैं,बल्कि बीटी बैंगन खानें वाले लोगों का स्वास्थ उन्नत ही हुआ हैं बांग्लादेश जो कि बीटी बैंगन उगाता और खाता हैं के लोगों का स्वास्थ सूचकांक भारत,चीन और अफ्रीका के कई देशों से बेहतर हुआ हैं.
भारत लम्बें समय से बीटी काँटन उगा रहा हैं और इसके बीनोले से निकलने वाला तेल उपयोग कर रहा हैं,इसी प्रकार इससे बनने वाली खल पशु खा रहे हैं,क्या इसका कोई दुष्प्रभाव मनुष्य पर देखा गया हैं ? नही बिल्कुल नहीं बल्कि पशु स्वास्थ में सुधार ही हुआ हैं जिससे दूध और मांस की गुणवत्ता बढ़ी हैं,इसके फलस्वरूप भारत विश्व में दूध और मांस का अग्रणी उत्पादनकर्ता राष्ट्र बन गया हैं.
इसी प्रकार अमेरिका और कनाड़ा जैसें देशों में जीन संवर्धित मक्का मानव और पोल्ट्री दोनों के खाद्य पदार्थ के रूप में प्रयोग हो रही हैं,
क्या इस मक्का को खानें वालें व्यक्तियों या मक्का खाकर बढ़े हुये पोल्ट्री उत्पादन खानें वालें व्यक्तियों पर इसका कोई दुष्प्रभाव देखा गया हैं ? नहीं बिल्कुल नही .
तो फिर जीन संवर्धित फसलों को लेकर इतनी हायतोबा क्यों ? विश्व स्वास्थ संगठन (w.h.o.)और विश्व सरकारों को चाहियें की जीन संवर्धित फसलों को लेकर पलनें वाली भ्रान्तियों का समाधान करें ताकि विश्व के अल्पविकसित और विकासशील राष्ट्रों में होनें वाली भूख और कुपोषण (malnutrition) से होनें वाली मौंतों पर अंकुश लगाया जा सकें.
टिप्पणियाँ