सिंथेटिक दूध (synthetic milk) क्या हैं
सिंथेटिक दूध (synthetic milk) कृत्रिम रूप से बनाया गया दूध होता हैं,जो गाय या भैंस के दूध से वसा निकालकर बचे हुये सपरेटा दूध में यूरिया,डिटरजेंट़,कास्टिक सोड़ा, स्टार्च आयल,ग्लूकोज शेंपू,हाइड्रोजन पराआँक्साइड़,डालडा आयल,चाक,चूना आदि मिलाकर बनाया जाता हैं.स्किमड़ दूध पावड़र में भी यही वस्तुएँ मिलाकर उसे दूध में परिवर्तित कर दिया जाता हैं.
सिंथेटिक दूध से जान को खतरा :::
सिंथेटिक दूध मानव के लिये धीमा ज़हर होता हैं,इससे मानव शरीर बीमारी के घर में बदल जाता हैं,आईयें जानतें हैं, इससे होनें वाली स्वास्थ समस्याओं को
० सिंथेटिक दूध का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव छोट़े बच्चों पर होता हैं,क्योंकि उनका सम्पूर्ण आहार दूध ही होता हैं, इस दूध के सेवन से बच्चा कुपोषित हो जाता हैं,क्योंकि बच्चों के विकास के लिये ज़रूरी विटामिन, प्रोटीन इस दूध से बच्चों को नही मिलतें हैं.
० सिंथेटिक दूध में यूरिया,पेंट,और डिटरजेंट मिला होता हैं, जिनसे किड़नी फेल होनें का का खतरा पैदा हो जाता हैं.
० वर्षों तक लगातार सिंथेटिक दूध के सेवन से स्त्रीयों को बार - बार गर्भपात का होता हैं.
० सिंथेटिक दूध से बनें मावा,मिठाई खानें से कैंसर होनें की सम्भावना कई गुना बढ़ जाती हैं,क्योंकि इसमें उपस्थित प्लास्टिक पेंट गर्म होनें पर खतरनाक कार्सिनोम का निर्माण करता हैं.
० सिंथेटिक दूध की अस्वच्छता कई संक्रामक रोग के लिये उत्तरदायी हैं जैसें डायरिया,टाइफाइड, पेचिस,पेप्टिक अल्सर आदि.
सिंथेटिक दूध से होनें वाली इन समस्याओं से सम्पूर्ण विश्व पीड़ित हैं,अत : सिंथेटिक दूध को पहचाननें वाली तकनीकों को अधिक विकसित किया जाकर इस दूध को बनानें व बेचनें वालों पर कठोर दंड़ात्मक कार्यवाही करनी चाहियें ताकि जीनें के मूलभूत अधिकार की रक्षा की जा सके.
टोन्ड़ मिल्क (Toned milk):::
भैंस के दूध में पानी मिलाकर वसा (fat) तथा वसा रहित ठोस पदार्थों की मात्रा कम कर दी जाती हैं,तथा इसमें पुन: सप्रेटा दूध (skimed milk) मिलाकर वसा रहित ठोस पदार्थों को शुद्ध दूध के बराबर कर दिया जाता हैं.यह दूध टोन्ड़ दूध कहलाता हैं.
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