वस्कुलर ट्यूमर (vascular tumour)::
आप में से कई लोग ऐसे लोगों से मिलें होगें जिन्हें शरीर के विभिन्न भागों जैसें हाथ,पैर,गर्दन,या शरीर के अन्य भागों पर बड़ी - बड़ी गांठें हो और जो समय के साथ एक जैसी या बड़ी हो रही हो.
इन गांठों को चिकित्सतकीय भाषा में एन्युरिज्म,एंजियोमा तथा हिमैंजियोमा कहतें हैं.चूँकि ये गांठें खून की नसों के ऊपर होती हैं,और परजीवी बेल की तरह खून की नसों से पोषित होती हैं,अत : इन्हें वस्कुलर ट्यूमर (vascular tumour) भी कहतें हैं.
इन गांठों को चिकित्सतकीय भाषा में एन्युरिज्म,एंजियोमा तथा हिमैंजियोमा कहतें हैं.चूँकि ये गांठें खून की नसों के ऊपर होती हैं,और परजीवी बेल की तरह खून की नसों से पोषित होती हैं,अत : इन्हें वस्कुलर ट्यूमर (vascular tumour) भी कहतें हैं.
कारण :::
० खून की शिराओं में जन्मजात विकृति होनें के कारण खून की नसें फूलकर मोटी हो जाती हैं,जो समय के साथ बड़ी गांठ बन जाती हैं,ज्यादातर वस्कुलर ट्यूमर के मामलें इसी प्रकार के होतें हैं.
० कोलेस्ट्राल की अधिकता की वज़ह से खून की नसों की दीवारों पर दबाव पड़ता हैं फलस्वरूप नसें फूलकर वस्कुलर ट्यूमर में परिवर्तित हो जाती हैं.
० दुर्घट़ना की वज़ह से खून की नसें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं,और यदि उचित देखभाल नहीं हो तो नसों की दीवार फूलकर वस्कुलर ट्यूमर में परिवर्तित हो जाती हैं.
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वस्कुलर ट्यूमर से संभावित खतरें ::::
यदि आपके परिवार में या आपको स्वंय को वस्कुलर ट्यूमर की समस्या हो तो सावधानिपूर्वक
ट्यूमर की देखभाल सुनिश्चित करनी चाहियें जैसें
० चोंट़ लगनें से बचाना चाहियें क्योंकि अधिक रक्तस्त्राव जान का खतरा पैदा कर सकता हैं,यदि मधुमेह की समस्या हो तों खतरा भी दोगुना हो जाता हैं,क्योंकि चोंट़ वाली जगह गेंग्रीन में परिवर्तित हो जाती हैं.इसी तरह उच्च रक्तचाप में चोंट़ लगनें पर खून अधिक बहता हैं.
० वस्कुलर ट्यूमर धिरें - धिरें बढ़नें पर प्रभावित अंग पूर्ण विकसित नहीं हो पाता फलस्वरूप व्यक्ति विकलांगता का शिकार हो जाता हैं.
अत : आवश्यकता इस बात की हैं,कि बीमारी के संभावित खतरों को देखतें हुये समय रहतें उपचार ले लिया जावें.क्योंकि जान हैं तो जहान हैं.
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