रक्तदान महादान
रक्तदान को सभी दानों में श्रेष्ठ दान माना गया हैं.अन्य दानों में जहाँ हम दान लेनें वाले की आर्थिक और सामाजिक मदद करतें हैं,वही रक्तदान ऐसा दान हैं, जिसमें हम किसी अनजान या परिचित व्यक्ति को जीवनदान देतें हैं.
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रक्तदान करता युवा |
विश्व स्वास्थ संगठन (w.h.o.) के अनुसार दुनिया में प्रति दो सेकेण्ड़ में रक्त की आवश्यकता पड़ती हैं.यह आवश्यकता दुर्घट़ना में घायल व्यक्ति को,एनिमिया, आपरेशनों आदि अनेक प्रकारों में होती हैं.किन्तु इस आवश्यकता के मुकाबले रक्त की आपूर्ति बहुत कम हो पाती हैं,
उदाहरण के लिये भारत में प्रतिवर्ष 100 लाख यूनिट़ रक्त की आवश्यकता के मुकाबले मात्र 60 लाख यूनिट़ रक्त ही एकत्रित होता हैं.और इसमें से भी लगभग 25% रक्त उचित भंड़ारण प्रक्रिया के अभाव में नष्ट़ हो जाता हैं.
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रक्त का जीवनचक्र :::
रक्त का जीवनचक्र अत्यंत लघु होता हैं.इसके अलग - अलग भागों को मात्र कुछ दिवस तक भण्ड़ारित करके रखा जा सकता हैं ,जैसे --::
० लाल रक्त कणिकाओं (w.b.c.) को 41 दिन .
० प्लेटलेट्स को पाँच दिन.
० प्लाज्मा तथा कायोप्रेसीपीटेट को एक वर्ष तक रखा जा सकता हैं.
रक्तदान कौन कर सकता हैं ?
18 वर्ष से अधिक के वे सभी स्त्री पुरूष जिनका वज़न 50 से अधिक होता हैं. तथा जो चिकित्सकीय रूप से स्वस्थ हो रक्तदान कर सकतें हैं.
रक्तदान के फायदे :::
० नियमित रक्तदान करनें वाले व्यक्ति में ह्रदय रोग की आशंका रक्तदान न करने वाले व्यक्ति की तुलना में 50% कम होती हैं क्योंकि रक्त में उपस्थित आयरन की अधिक मात्रा अधिक कोलेस्ट्राल के लिये उत्तरदायी होती हैं,नियमित रक्तदान करनें से आयरन का स्तर कम होता रहता हैं, अत : कोलेस्ट्राल भी कम बनता हैं.
० रक्तदान करने से नई लाल रक्त कणिकाओं का उत्पादन बढ़ता हैं, क्योंकि इनका स्तर घट़नें पर तुरन्त अस्थि मज्जा (Bone marrow) द्धारा नई w.b.c.का उत्पादन शुरू कर दिया जाता हैं अत : शरीर में नया रक्त आ जाता हैं.
० मोटापे से ग्रसित व्यक्ति द्धारा रक्तदान करनें से शरीर की अतिरिक्त चर्बी ऊर्जा में परिवर्तित होकर मुक्त हो जाती हैं,फलस्वरूप व्यक्ति दुबला और शारीरिक रूप से चुस्त हो जाता हैं.
० रक्तदान करने से हेपेटाइटिस वायरस के खतरे को कम करनें में मदद मिलती हैं.
० किड़नी शोथ (Nephritis) का खतरा नहीं रहता .
० सबसे बढ़कर मन में किसी की जान बचानें का सन्तोष रहता हैं, जो प्रत्येक कार्य में आशावादी दृष्टिकोण रखनें में मदद करता हैं, अत : तनाव, विपरीत परिस्थितियों में भी विचलित नहीं होनें की क्षमता विकसित होती हैं.
अन्तर्राष्ट्रीय रक्तदान दिवस कब मनाया जाता हैं
14 जून को रक्तसमूह प्रणाली की खोज करने वाले महान वैज्ञानिक कार्ल लेंडस्टीनर का जन्मदिन होता हैं और उन्हीं की याद में 14 जून को अन्तर्राष्ट्रीय रक्तदान दिवस मनाया जाता हैं। अन्तर्राष्ट्रीय रक्तदान दिवस मनाने की शुरुआत सन् 2014 से हुई थी।
अन्तर्राष्ट्रीय रक्तदान दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य उन सभी रक्तदान दाताओं का आभार व्यक्त करना है जो स्वैच्छिक और बिना पारिश्रमिक रक्तदान कर पूरी दुनिया में करोड़ों लोगों की जान बचातें हैं।
किन लोगों को रक्तदान नहीं करना चाहिए
० अचानक यदि वजन में कमी आ रही हैं तो रक्तदान नहीं करना चाहिए ।
० यदि रक्तदाता का कोई बड़ आपरेशन हुआ हैं तो आपरेशन के बारह महिनें तक रक्तदान नहीं करना चाहियें। छोटे आपरेशन में चिकित्सकीय परामर्श से 3 महिने बाद रक्तदान किया जा सकता हैं ।
० ह्रदयरोग ,मधुमेह, ट्यूबरकुलोसिस ,मिर्गी, रक्त संबधित किसी बीमारी बीमारी से ग्रसित व्यक्तियों को रक्तदान नहीं करना चाहिए ।
० हेपेटाइटिस से पीड़ित रोगी के सम्पर्क में आने के एक साल तक रक्तदान नहीं करना चाहिए ।
० पिछले कुछ दिनों में एस्प्रीन टेबलेट का सेवन किया हैं तो रक्तदान से पूर्व चिकित्सकीय परामर्श अवश्य प्राप्त कर लेना चाहिए ।
० गर्भवती स्त्रीयों, गर्भपात करवा चुकी स्त्रीयों को रक्तदान नहीं करना चाहिए ।
बाम्बे ब्लड़ ग्रुप क्या होता है [Bombay blood group] :::
बाम्बे ब्लड़ ग्रुप एक विशिष्ट किस्म का रक्त का समूह होता हैं.जो 'ओ' रक्तसमूह के अन्तर्गत आता हैं.इस समूह के रक्त चढ़ानें वाले व्यक्ति में अपने समूह से रक्त लेने के बावजूद रिएक्सन होता हैं.
रिएक्सन क्यों होता हैं :::
इस किस्म के रक्त प्राप्त करता समूह में एंटीजन H की कमी पाई जाती हैं,जिस वजह से रिएक्सन होता हैं.एंटीजन H की अनुपस्थिति की में इन्हें OH ब्लड़ समूह में रखा जाता हैं.
इस प्रकार के रक्त समूह वाले सिर्फ अपने ही समूह में रक्त का आदान प्रदान कर सकते हैं.
कौंन सा रक्त समूह किसको रक्त दे सकता हैं और किससे रक्त ले सकता हैं
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