बाड़ी इंटीग्रिटी आइडेंटिटी डिस आर्डर। body integrity identity disorder
बाँड़ी इंटीग्रिटी आइडेंटी डिसआर्डर या BIID एक मनोशारीरिक समस्या हैं,जिससे प्रभावित व्यक्ति अपनें ही शरीर के अँगों से घृणा करनें लगता हैं, और उन अंगों को शरीर से हटा देनें के लियें प्रयत्नशील रहता हैं.
उदाहरण के लिये कई व्यक्ति अपनें पुरूष या महिला होनें से घृणा करतें हैं,और किसी भी कीमत पर अपना लिंग परिवर्तित करना चाहतें हैं,यही समस्या शरीर के अन्य अँगों के प्रति भी रहती हैं.
उदाहरण के लिये कई व्यक्ति अपनें पुरूष या महिला होनें से घृणा करतें हैं,और किसी भी कीमत पर अपना लिंग परिवर्तित करना चाहतें हैं,यही समस्या शरीर के अन्य अँगों के प्रति भी रहती हैं.
BIID की समस्या लाखों लोगों में एक या दो व्यक्तियों को होती हैं.
समस्या क्यों होती हैं ?
० शोध कहतें हैं,कि इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति का मस्तिष्क सामान्य मस्तिष्क के मुकाबले कम विकसित होता हैं,इस वज़ह से प्रभावित व्यक्ति अपने को हानि पहुँचाकर समाज की सहानूभूति या समाज का ध्यान अपनी और आकृष्ठ करवाना चाहता हैं.
० मनोचिकित्सकों के अनुसार यह समस्या प्रभावित व्यक्ति के मस्तिष्क द्धारा शरीर की संरचना नहीं समझनें की वज़ह से होती हैं.क्योंकि मस्तिष्क शरीर के अँगों से तालमेल नहीं बिठा पाता और अपनें ही अँगों को शरीर से अलग समझनें लगता हैं.
क्या इसका कोई इलाज़ हैं ?
यदि समय पर उचित देखभाल और रोगी के साथ उचित रूप से पेश आकर उचित विधियों का प्रयोग किया जावें तो निश्चित रूप से बीमारी पर काबू पाया जा सकता हैं. इसके लिये ज़रूरत इस बात की हैं,कि रोगी का उचित रूप से प्रशिक्षण हो.
योग की कुछ क्रियाएँ इस बीमारी का समूल उन्मूलन कर सकती हैं, जैसे भ्रामरी, प्राणायाम, अनुलोंम विलोम आदि.
इसके अलावा रोगी को यदि लगातार अपनें अंगों की कार्यपृणाली उसकी उपयोगिता के विषय में जागरूक किया जावें तो रोगी को स्वस्थ जीवन जीने के लिये तैयार किया जा सकता हैं.
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