फैटी लिवर FATTY LIVER का आयुर्वेदिक इलाज
लिवर मनुष्य के पाचन संस्थान से जुड़ा बहुत ही संवेदनशील अंग हैं । जो कुछ भी हम खातें हैं उसका सीधा प्रभाव लिवर पर पडता हैं ।
संतुलित भोजन लिवर को जहाँ स्वस्थ रखता हैं वही अधिक गरिष्ठ,तैलीय और वसायुक्त भोजन हमारी फैट कोशिकाओं में जमा हो जाता हैं,जब फैट कोशिकाओं में अधिक फैट जमा हो जाता है और वह अतिरिक्त फैट को जमा नहीं कर पाती तो यह फैट या वसा रक्त के माध्यम से लिवर में जाकर जमनें लगता है।
जिसके कारण फैटी लीवर की समस्या पैदा हो जाती हैं । फैटी लीवर की समस्या होनें से पाचन क्रिया पर खराब होकर पेट से संबधित कोई न कोई समस्या बनी ही रहती हैं ।
० स्वस्थ जीवनशैली के टिप्स
फैटी लिवर होनें पर यदि इसका समुचित इलाज नहीं कराया तो लिवर फाइब्रोसिस हो जाता हैं इस स्थिति में समस्या और अधिक गंभीर होकर लिवर पूर्णत: काम करना बंद कर देता हैं । फैटी लिवर का आयुर्वेदिक इलाज जिनमें से पूर्व आईयें जानतें हैं फैटी लिवर के लक्षणों के बारें में
फैटी लिवर के लक्षण :
1.पेट के दाएँ भाग में अर्थात दाएँ भाग के ऊपरी हिस्सों में दर्द होना ।
2.अत्यधिक कब्ज की शिकायत होना जो संतोषप्रद इलाज के बाद भी ठीक नहीं हो रहा हो ।
3.पेट फूलना ।
4.वजन में लगातार गिरावट होना ।
5.कमजोरी महसूस होना ।
6.भूख नहीं लगना ।
7.पेट पर सूजन ।
8.पतला पाखाना होना ।
9.उल्टी जैसा महसूस होना ।
10.चेहरा और शरीर कांतिहीन दिखाई देता हैं ।
11.त्वचा और आंखों में पीलापन
12. एकाग्रता में कमी
फैटी लिवर का कारण :::
फैटी लीवर मुख्यत: दो प्रकार का होता हैं प्रथम अल्कोहलिक फैटी लिवर और दूसरा नाँन अल्कोहलिक फैटी लिवर यह दोनों प्रकार की बीमारी खानपान के कारण होती हैं किन्तु कभी कभी फैटी लिवर की समस्या आनुवांशिक भी होती हैं । आईयें जानतें हैं फैटी लिवर के प्रमुख कारणों को
1.अत्यधिक वसायुक्त भोजन का लगातार सेवन ।
2.जंकफूड ,फास्टफूड का लगातार सेवन ।
3.मैदा,और हाइड्रोजेटेड घी का अधिक इस्तेेमाल।
4.भोजन में अनुशंसित मात्रा से अधिक शक्कर का इस्तेमाल।
5.शराब का बहुत अधिक सेवन ।
6.तम्बाकू और धूम्रपान ।
7.मोटापा अधिक होना ।
8.दिनचर्या में शारीरिक गतिविधि का नही होना ।
फैटी लिवर का आयुर्वेदिक इलाज :::
फैटी लिवर की समस्या में आयुर्वेद सबसे प्रभावी और निरापद चिकित्सा पद्धति हैं यदि रोगी नियमित रूप से औषधि का सेवन करें और आहार विहार का पालन करें तो फैटी लिवर की समस्या बहुत शीघ्र समाप्त हो जाती हैं ।
1.फैटी लिवर में पुनर्नवा बहुत उत्तम औषधि हैं अत: फैटी लिवर होनें पर पुनर्नवा मंडूर की दो दो गोली सुबह शाम सेवन करनें से बहुत शीघ्र यह समस्या समाप्त हो जाती हैं ।
2.चित्रक अवलेह एक चम्मच रात को सोते समय लेनें से फैटी लिवर के कारण होनें वाली कब्ज की समस्या नही होती हैं ।
3.गिलोय लिवर को डिटाक्स करनें वाली औषधि हैं अत:गिलोय का नियमित सेवन लिवर पर जमा होनें वाले प्रदूषकों को बाहर निकाल देता हैं ।
4.आंवला त्रिदोष हर हैं जो वात,पित्त और कफ को संतुलित करता हैं फैटी लिवर की समस्या होनें पर आँवलें का नियमित सेवन बीमारी को समाप्त कर देता हैं ।
5.कालमेघ फैटी लिवर के लिए बहुत चमत्कारिक औषधि हैं यह औषधि लिवर की कार्यप्रणाली में सुधार लाकर लिवर को पुन: उसकी मूल अवस्था में ले आती हैं ।अत: फैटी लिवर होनें पर कालमेघ का सुबह शाम चूर्ण या कैप्सूल के रूप में सेवन करें ।
6.पेट के ऊपरी भाग में जहाँ लिवर स्थित हैं गेरु मिट्टी का लेपन करना चाहिए इससे लिवर स्वस्थ बना रहता हैं।
7.प्रतिदिन नारियल पानी का सेवन करनें से लिवर का इलेक्ट्रोलाइट बेलेंस बना रहता हैं ।
8.कपालभाँति ,अनुलोम विलोम ,मंडूकासन फैटी लीवर की समस्या को जड़ से समाप्त कर देता हैं और भविष्य में फैटी लिवर को फाइब्रोसिस में परिवर्तित नहीं होनें देता हैं ।
9.भोजन में हरी पत्तेदार सब्जी,दलिया,साबुत अनाज, छिलके वाली दाल, का सेवन करना चाहियें । क्योंकि इनमें मौजूद प्राकृतिक तत्व ग्लूकोसिनोलेट एंजाइम बनाने में मदद करता हैं जो लिवर में मौजूद विषैले तत्वों को बाहर निकाल देता हैं ।
10.बीटा केरोटिन युक्त फल जैसें पपीता,गाजर आदि का सेवन करना चाहियें ।
11.घर में माता पिता या दादा दादी को फैटी लिवर की समस्या है तो समय समय पर लिवर फँक्शन टेस्ट करवाना चाहियें जिससे समस्या होनें पर शुरूआती स्तर पर ठीक किया जा सकें ।
12. गीली हल्दी फैटी लिवर के सूजन को दूर कर इसे फाइब्रोसिस में परिवर्तित होनें से रोकती हैं अत: गीली हल्दी का नियमित रूप से भोजन के साथ सेवन अवश्य करना चाहिए ।
13.हींग का सेवन फैटी लीवर की बीमारी में बहुत प्रभावी हैं हींग से अपच,गैस की समस्या में राहत मिलती हैं ।
14.शरीर में आक्सीजन का स्तर अधिक होना चाहिए जिससे लिवर में पहुँचनें वाला रक्त भी आक्सीजन से संतृप्त हो आक्सीजन संतृप्त रक्त औषधि के प्रभाव को बढा़ देता हैं , इसके लिए सुबह शाम तेज कदमों के साथ घूमना चाहिए ।
15.फेटी लिवर में मूली को काली मिर्च के साथ खाना चाहिए ऐसा करनें से लिवर की कार्यप्रणाली सुधरती हैं ।
15.शराब,तम्बाकू, मांसाहारी भोजन,जंक फूड , बहुत मिर्च मसालेदार और धूम्रपान से बचें ।
16.टमाटर फेटी लिवर के लिए बहुत ही उत्तम होता हैं । टमाटर सूप tomatto soup का प्रतिदिन निर्धारित मात्रा में भोजन से पहले सेवन करना फेटी लिवर को सही करता हैं ।
17.सुबह उठकर खाली पेट ग्रीन टी पीने से फैटी लिवर सही हो जाता हैं ।
18.अंगूर या द्राक्षा खाने से लिवर का प्राकृतिक शुद्धिकरण होता हैं ।
नान अल्कोहलिक फैटी लिवर क्या होता है?
ऐसे लोग जो शराब या अल्कोहल का सेवन नहीं करते यदि फैटी लिवर की बीमारी से ग्रस्त हो जातें हैं तो ऐसे लोगों के लिए नान अल्कोहलिक फैटी लिवर शब्द इस्तेमाल किया जाता है।
नान अल्कोहलिक फैटी लिवर में शुरुआती स्तर पर कभी कभी व्यक्ति को कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं जब स्थिति बहुत गंभीर हो जाती हैं तब अचानक से लक्षण उभरते हैं । ऐसी स्थिति में जिन लोगों का पारिवारिक इतिहास नान अल्कोहलिक फैटी लिवर का है, उन्हें सतर्कता रखकर समय समय पर लिवर फंक्शन टेस्ट करवाना चाहिए ताकि बहुत गंभीर स्थिति से बचा जा सके।
नान एल्कोहालिक फैटी लिवर बीमारी कितने प्रकार की होती हैं
नान एल्कोहालिक फैटी लिवर बीमारी चार प्रकार की होती हैं
1.हेपेटिक स्टीटोसिस या सिंपल फैटी लिवर
जब लिवर का फैट उसके कुल वजन के पांच प्रतिशत से अधिक हो जाता हैं और लगातार बढ़ने लगता हैं तो इसे हेपेटिक स्टीटोसिस या सिंपल फैटी लिवर कहा जाता हैं। हेपेटिक स्टीटोसिस में लिवर सामान्य रूप से काम करता रहता हैं।
हेपेटिक स्टीटोसिस में लक्षण उभर भी सकते हैं और नहीं भी लेकिन इस बीमारी का पता जांच के बाद ही लग पाता हैं।
2.नान एल्कोहालिक स्टीटोहेपेटाइटिस
जब लिवर पर सूजन की वजह से फैटी लिवर के लक्षण उभरने लगते हैं और मरीज इन लक्षणों की शिकायत करता हैं या चिकित्सक सामान्य जांच में ही इसका पता लगा लेता है।
3.फाइब्रोसिस
जब लिवर का सूजन इतना अधिक बढ़ने लगता हैं कि लिवर में से तंतु निकलने लगते हैं और लिवर पर निशान उभरने लगते हैं तो यह स्थिति लिवर फाइब्रोसिस कही जाती हैं।
4.लिवर सिरोसिस
लिवर सिरोसिस नान एल्कोहालिक फैटी लिवर की सबसे एडवांस स्टेज होती हैं जिसमें लिवर का सम्पूर्ण भाग प्रभावित होता हैं और लिवर की स्वस्थ्य कोशिकाएं भी धीरे धीरे मरने लगती हैं।
जब स्थिति गंभीर होने लगती हैं तो लिवर फेल्योर भी हो सकता हैं।
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