सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

औषधीय गुणों का खजाना हैं गेंहू के जवारें का जूस [ Javare ke juice ke fayde]

औषधीय गुणों का खजाना हैं गेंहू के जवारें का जूस  [ Javare ke juice ke fayde]


गेंहू से बनी रोटी,गेंहू से बनी ब्रेड और गेंहू से निर्मित नूडल्स लोगों की भूख मिटाती हैं । किंतु बहुत कम लोग जानतें हैं कि गेंहू के जवारे रोगों को मिटाते हैं तो आईयें जानतें हैं गेंहू के जवारे के औषधीय गुणों के बारें में
javare ke juice ke fayde


गेंहू के जवारे के औषधीय गुण
       गेंहू के जवारे



गेंहू के जवारे में पाए जानें वाले पौषक तत्व


गेंहू के घास कुल का पौधा हैं जिसका वानस्पतिक नाम "ट्रिटिकम वेस्टिकम" हैं । गेंहू के जवारें में विटामीन ए, बी,विटामीन बी 17(लेट्रियल),विटामीन सी,विटामीन ई,विटामीन के,अमीनो एसिड़, आयोडिन,सेलेनियम, लौह तत्व, जिंक आदि महत्वपूर्ण तत्व पर्याप्त मात्रा में पाये जातें हैं ।



प्रति 100 मिली ग्राम जवारें में पाए जानें वाले पौषक तत्व



1.विटामीन ई ---------------- 24948 mcg



2.विटामीन बी 12 ------------- 8.5 mg


3.विटामीन सी -------------------- 28.3 mg


4.प्रोटीन -----------------------24381 mg


5.पोटेशियम -------------------1190 mg


6.आयरन ----------------------- 18.7 mg


7.मैग्निशियम-------------------226.8 mg



8.कैल्सियम ------------------ 204.12 mg


9.फास्फोरस ------------------ 595.mg


10.बीटा केरोटिन ------------ 3402 iu




इसमे पाए जानें वाले पौषक तत्वों की महत्ता को देखते हुए डाँ.एम.विग्मोर जो कि अमेरिका की बहुत प्रसिद्ध प्राकृतिक चिकित्सक थी ने गेंहू के जवारे को "हरित रक्त " की संज्ञा दी थी ।उनका कहना था कि गेंहू के जवारे में सभी रोगों को समाप्त करने की क्षमता मौजूद हैं । तो आईयें जानतें हैं गेंहू के जवारे के औषधीय गुणों के बारें में 

पुरूष नपुसंकता में 

गेंहू के जवारें में आरजीनिन नामक अमीनो एसिड़ पाया जाता हैं,यह अमीनों एसिड़ पुरूष नपुसंकता को दूर कर वीर्य वृद्धि करता हैं ।


वृद्धावस्था को रोकनें में Anti aging


गेंहू के जवारें में एंटी ऑक्सीडेंट तत्व S.O.D.और अमीनो एसिड़ लाइसिन प्रचुरता से पाया जाता हैं यह दोनों ही तत्व कोशिकाओं के तेजी से क्षरण को रोकते हैं और नवीन कोशिकाओं के लिए उत्प्रेरक का कार्य करतें हैं । जिससे कि वृद्धावस्था बहुत तेजी से नहीं आती हैं । 

एनिमिया में 

गेंहू के जवारें का पीएच मान 7.4 होता हैं यह पीएच मान मानव रक्त के पीएच मान के बराबर होकर क्षारीय होता हैं । जवारें में आयरन बहुतायत में मिलता हैं इसके अतिरिक्त एलेनिन नामक एंजाइम पाया जाता हैं जो लाल रक्त कणिकाओं [WBC] के निर्माण में सहायता करता हैं ।  यदि जवारें का रस प्रतिदिन सेवन किया जाए तो खून की कमी को दूर किया जा सकता हैं ।

गर्भावस्था में 

गेंहू के जवारें में आइसोल्यूसीन नामक एंजाइम पाया जाता हैं जो भ्रूण का विकास सही तरीके से करता हैं । इसके अतिरिक्त विटामीन ई भी पाया जाता हैं जो गर्भपात रोकता हैं । अत:जो स्त्री गर्भावस्था के दौरान जवारे का जूस का सेवन करती हैं उसे गर्भावस्था के दौरान उपरोक्त समस्या नहीं होती हैं।

कैंसर के उपचार में 

गेंहू के जवारें पर रिसर्च करनें वाले प्रसिद्ध प्राकृतिक चिकित्सक डाँ.विगमोर का मानना था कि यदि गेंहू के जवारें का नियमित सेवन किसी कैंसर रोगी को करवाया जाए तो उसका कैंसर बहुत जल्दी समाप्त हो जाता हैं । उनका कहना था कि गेंहू के जवारें में पाया जानें वाला विटामीन बी [लेट्रियम] एक कैंसररोधी विटामीन हैं जो कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को समाप्त कर देता हैं ।



रोग प्रतिरोधक क्षमता की बढ़ोतरी में

गेंहू के जवारें में मौजूद विटामीन सी,और खनिज तत्व शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर रोगों से शरीर को सुरक्षा प्रदान करते हैं।

विषैले तत्वों को शरीर से बाहर निकालता है 

गेंहू के जवारें में मिथियोनिन नामक एमिनो एसिड़ पाया जाता हैं । यह तत्व शरीर में प्रवेश कर गये विषैले तत्वों को बाहर निकालता हैं । और किडनी लीवर और फेफडों की सफाई करता हैं । 

वायरस जनित रोगों में जवारे के लाभ

गेंहू के जवारे में P4D1 नामक एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता हैं यह एंटीआक्सीडेंट़ पदार्थ वायरस की कोशिकाभित्ति को तोड़नें में श्वेत रक्त कणिकाओं की मदद करता हैं । जिससे वायरस पीड़ित रोगी बहुत जल्दी ठीक हो जाता हैं ।

त्वचा रोगों में 


गेंहू के जवारें में पाया जानें वाला ट्रिप्टौफेन नामक एंजाइम त्वचा की कोशिकाओं का पुनर्निर्माण करता हैं । इस तरह देखा जाए तो सफेद दाग जिसमें त्वचा की कोशिकाओं को नुकसान पंहुचता हैं और मेलेनिन नामक तत्व समाप्त हो जाता हैं गेंहू के जवारों के सेवन से ठीक होता हैं। 

गेंहू के जवारें को सुखाकर बनाया हुआ पावड़र त्वचा पर लगाना और गेंहू के जवारें का जूस इसके लिए उपयोगी होता हैं । 

बालों को लम्बा,घना और मजबूत बनाने में

गेंहू के जवारें में मौजूद विटामीन ई,मिनरल्स बालो के लिए उत्तम टानिक का काम करतें हैं । जिससे बाल काले,घने और मज़बूत बनते हैं । यदि सप्ताह में दो दिन जवारें के पावड़र को शेम्पू की तरह बालों में लगाया जाए और नियमित जवारें का जूस का सेवन किया जाए तो बाल चमकीले काले,घने और मज़बूत बनते हैं ।

जन्मजात रोगों को रोकनें में 

जवारें में मौजूद P4D1 नामक एंटी ऑक्सीडेंट तत्व डी.एन.ए.में आनें वाली विकृतियों को समाप्त कर डी.एन.ए.को सामान्य और स्वस्थ्य रखनें का काम करता हैं इस प्रकार कई जन्मजात विकृतियाँ जैसें हिमोफिलिया, सिकल सेल एनिमिया, कलर ब्लाइंडनेस आदि जवारें के सेवन से दूर करने में मदद मिलती हैं। 

एसिडिटी में 

जवारें का पीएच मान 7.4 होता हैं जो कि हल्का क्षारीय गुण दर्शाता हैं । जब शरीर में एसिडिटी बनती हैं जो कि अम्लीय होती हैं में जवारें का रस सेवन किया जाए तो एसिड़ का स्तर सामान्य हो जाता हैं और एसिडिटी से राहत मिलती हैं । 

पाचन संस्थान के रोगों में 

जवारें में थ्रियोनिन नामक ऐमिनो एसिड़ और फायबर बहुत प्रचुरता से मिलता हैं यह तत्व पाचक संस्थान को मज़बूत बनाकर कब्ज,पेट के छाले को ठीक करता हैं और पेट से अतिरिक्त खाद्य पदार्थ को मल के रूप में बाहर निकाल देता हैं ,जिससे अमाशय में मौजूद दूषित भोजन शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाता हैं ।

कोमा में जवारें का जूस


जवारें में मौजूद ग्लूटेमिक एसिड़ और ल्यूसिन नामक एमिनो एसिड़ नाड़ी तंत्र में ऊर्जा का बहुत तेज प्रवाह बनाए रखता हैं । यदि अस्पतालों की ICU में जवारें का जूस कौमा पीड़ित मरीज को पिलाना शुरू कर दिया जाए तो डाँक्टरों का काम बहुत आसान होकर बहुत चमत्कारिक परिणाम मिलेंगे ।


लकवा  में जवारें का जूस 


जवारें में मोजूद "वेलीन" नामक ऐमिनो एसिड़ मस्तिष्क और मांसपेशियों के बीच की कार्यप्रणाली को उसी स्तर का बनाए रखनें में मदद करता हैं जो कि एक सामान्य शरीर के लिए आवश्यक होती हैं । अत:जवारें का सेवन करनें से ऐसी बीमारीयाँ जैसें लकवा जो मस्तिष्क का अंगो पर से नियत्रंण समाप्त होने से पैदा होता हैं का खतरा नहीं होता हैं ।

कान की बीमारीयों में जवारें का जूस


रिसर्च के अनुसार जवारें में मौजूद "हिस्टीडिन" नामक ऐमिनो एसिड़ कान की मांसपेशयों को मज़बूत और सुनने की क्षमता में सुधार लाता हैं ।जिससे बहरापन,टिनिटस,आदि समस्याओं में आराम मिलता हैं। इसके लिए गेंहू के जवारें का रस कान में डालना चाहिए और वैघकीय परामर्श से सेवन करना चाहिए ।


आटो इम्यून बीमारियों में 


जवारें में बहुत शक्तिशाली एंटीआक्सीडेंट़ सुपर आक्साइड डिसम्यूटेज और P4D1,पाया जाता हैं यह एँटी आक्सीडेंट आटो इम्यून बीमारियों जैसें एलर्जी,अर्थराइटिस, ल्यूपस डिजिज में होनें वाली सूजन और दर्द को कम कर बीमारी से राहत दिलाता है।


शरीर में आक्सीजन का स्तर बढ़ाने में


गेंहू के जवारें में क्लोरोफिल अन्य हरी सब्जियों के मुकाबले अधिक पाया जाता हैं । यह क्लोरोफिल शरीर में पहुंचकर कोशिकाओं में आक्सीजन का स्तर बढ़ा देता हैं फलस्वरूप व्यक्ति कई बीमारियों जैसें तनाव,थकान आदि से बचा रहता हैं ।

आजकल कोरोनावायरस के प्रभाव से शरीर में आक्सीजन का स्तर बहुत कम हो जाता हैं यदि गेंहू के जवारें का नियमित सेवन कोरोनावायरस पीड़ित करें तो शरीर में आक्सीजन का स्तर कम नहीं होता हैं ।

दाँतों की समस्याओं में


गेंहू के जवारें में विटामीन सी भी बहुत पर्याप्त मात्रा में मोजूद रहता हैं यह विटामीन लेनें से पायरिया,मसूड़े में सूजन जैसी समस्याँए नहीं पैदा होती हैं। अत:इन बीमारीयों में गेंहू के जवारें को साबुत चबाना चाहिए ।

टैकीकार्डिया में 

जवारें में पाया जानें वाला पोटेशियम ह्रदय की अनियमित धडकन जिसे टैकीकार्डिया कहते हैं को नियंत्रित करता हैं । अत:टैकीकार्डिया में जवारें का रस अवश्य सेवन करना चाहिए ।

मधुमेह के उपचार में

गेंहू के जवारें में मौजूद एंजाइम रक्त में मिलकर इंसुलिन का स्तर शरीर में संतुलित रखते हैं । इस तरह गेंहू के जवारें मधुमेह के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभातें हैं ।


कोलेस्ट्राँल का स्तर नियत्रिंत करतें हैं 


गेंहू के जवारें में मौजूद क्लोरोफिल रक्त में मिलकर खराब कोलेस्ट्राँल या लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन LDL का स्तर कम करनें का काम करता हैं । और हाई डेसिंटी लिपोप्रोटीन HDL का स्तर बढ़ाता हैं ।

रक्त का बहाव रोकनें में


अमेरिकन फूड एंड एग्रीकल्चरल के अनुसार एक चम्मच सूखे गेंहू के जवारें पावड़र में 86 मिलीग्राम विटामीन के पाया जाता हैं । यह विटामीन शरीर में रक्त का स्कंदन करता हैं । डेंगू जैसी बीमारी जिसमें प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती हैं और किडनी, लीवर फेफडों से रक्त बहने लगता हैं,में  यदि जवारें का जूस पीया जाँए और रक्त का बहाव रोकनें के लिए इसका पावड़र लगाया जाए तो रक्त का बहाव रूक जाता हैं ।

थैलीसीमिया में जवारें का जूस

वैज्ञानिक शोधों के अनुसार यदि थैलीसीमिया पीड़ित किसी मरीज को प्रतिदिन गेंहू के जवारें का जूस पिलाया जाए तो रोगी को खून चढ़ानें की रफ्तार कम हो जाती हैं ।


याददाश्त तेज होती हैं 

गेंहू के जवारें में पाया जानें वाला ग्लूटेमिक एसिड़ मस्तिष्क के विकास और याददाश्त बढानें में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता हैं । पार्किन्सन,डिमेंशिया जैसी बीमारी में यदि जवारें का जूस सेवन किया जाए तो आशातीत लाभ मिलता हैं ।

याददाश्त बढानें वाला यह अति उत्तम टानिक हैं ।

हाइपोथायरायडिज्म में गेंहू के जवारें


गेंहू के जवारें में फिनाइलएनेलिन नामक एमिनो एसिड़ पाया जाता हैं यह तत्व थायराइड़ ग्रंथि की कार्यप्रणाली में सुधार लाकर थायराक्सिन हार्मोन का उत्सर्जन बढ़ाता हैं । अत:जिन लोगों को हाइपोथायरायडिज्म की समस्या हैं उन्हें नियमित रूप से गेंहू के जवारें का जूस पीना चाहिए ।

एंटीसेप्टिक गुण

गेंहू के जवारे में कई प्रकार के एंटीसेप्टिक एंजाइम मौजूद होतें हैं ।यदि घावों को गेंहू के जवारें का रस लगाकर साफ किया जाए तो घाव बहुत जल्दी भर जाता हैं । 


आयुर्वेद ग्रंथों के मतानुसार गेंहू के गुण

प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा ग्रंथ में भी गेंहू के गुणों का विशद वर्णन किया गया हैं एक जगह लिखा हैं ।


"सन्धानकृद्धातहरोगोधूम:स्वादुशीतल:।जीवनोबृंहणोवृष्य:स्निग्ध: स्थैय्यर्यकरोगुरू:।।"


अर्थात गोधूम (गेंहू) वात को हरने वाला,जीवनशक्ति देने वाला,स्वादिष्ट, शीतल गुणों से युक्त,वीर्यवर्धक,भारी,और शरीर को दृढ करने वाला होता हैं। 

आर्गेनिक गेंहू के जवारे उगाने की विधि 

1.गेंहू के जवारे उगाने से पहले उत्तम प्रकार के गेंहू का चयन कर लें ,जो कि घुन या कीड़ो से पूरी तरह मुक्त हो ।


2.मिट्टी या धातु का कोई थालीनुमा पात्र या गमला ले लें ।

3.पात्र में आधी मात्रा में उत्तम प्रकार की मिट्टी और आधी मात्रा में सड़ा हुआ गोबर का खाद लें लें ।और इसे मिश्रित कर लें ।

4.अब इस पात्र में गेंहू को छितरा कर डाल दें ।और गेंहू के ऊपर हल्की मिट्टी और गोबर के मिश्रण का आवरण चढ़ा दे ।

5.ऊपर से हल्के हल्के हाथों से पानी का छिंटकाव कर दें ,और इसे खुली जगह पर जंहा सूर्य का प्रकाश आता हो वंहा रख दे ।


6.दो तीन दिन में जब गेंहू अँकुरित हो जाए एक बार फिर इसमें पानी डालें ।


7.सात से दस दिन में गेंहू अँकुरित होकर तीन से पाँच सेंटीमीटर हो जाएगा ।

8.यह नवीन अँकुरित गेंहू ही जवारें के नाम से जानें जातें हैं ।

9.गेंहू के जवारें में किसी भी प्रकार के रासायनिक कीटनाशकों या रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं करें ।

गेंहू के जवारें का जूस बनानें की विधि


1.पूरी तरह तैयार गेंहू के जवारों को जड़ सहित उखाड़कर जड़ वाले  सफेद भाग को काटकर फेंक दें ।

2.बचे हुए गेंहू के जवारें को सिलबट्टे या मिक्सर में थोड़ा सा पानी डालकर पीस लें ।

3.अब पीसे हुयें भाग को बारिक कपडे़ या छलनी से छान लें ।और इसे पीनें के लिए उपयोग करें ।

4.इसमें स्वादनुसार शहद या मिश्री मिलाकर पीयें ।

5.गेंहू के जवारें का जूस तीन घंटे तक उपयोग कर सकतें हैं । तीन घंटे बाद इसके पौषक तत्व नष्ट हो जातें हैं । 

गेंहू  जवारें से होनें वाला नुकसान


1.गेंहू जवारें का  सेवन करनें से कई लोगों चक्कर,उल्टी,सिरदर्द और दस्त जैसी समस्याँए पैदा हो जाती हैं अत:जिन लोगों को जवारें सेवन के बाद इस प्रकार की समस्याँए होती हैं वे गेंहू के जवारें का सेवन नहीं करें ।


2.गेंहू से कई लोगों को एलर्जी होती हैं अत:जिन लोगों को एलर्जी की समस्या हो वे इसके सेवन से पूर्व वैधकीय परामर्श अवश्य कर लें ।

3.गेंहू के जवारें का जूस अधिक सेवन करनें से आँखों  के सामनें अंधेरा छानें और कब्ज की समस्या पैदा हो जाती हैं ।


4.गर्भवती स्त्री,दूध पिलानें वाली माताओं को जवारें का जूस पीनें से पहलें वैघकीय परामर्श अवश्य प्राप्त करना चाहियें ।


5.जवारें का जूस खाली पेट सेवन करना चाहिए ।

6.जवारें के सेवन से पूर्व एक दिन का उपवास करें ।

7.पहले से कोई दवाई चल रही हैं तो जवारें का सेवन करनें से पूर्व वैधकीय परामर्श प्राप्त कर लें ।

8.तीन घंटे से अधिक पुराना जवारें का जूस सेवन नहीं करना चाहिए ,पुरानें जवारें का जूस पेट में कब्ज,या पेटदर्द की समस्या पैदा कर सकता हैं । 

9.गेंहू के जवारें wheat grass juice uses in hindi  में विपरित गुणों वालें पदार्थों जैसें चाय काफी मिलाकर सेवन नहीं करें ।

10.जिन लोगों का रक्त ग्लूकोज कम रहता हों,वे जवारे के जूस सेवन नहीं करें ।






टिप्पणियाँ

मनोज व्यास ने कहा…
मैंने इस लेख को पढ़ने के बाद जवारे का रस नियमित लेना आरम्भ किया,मुझे बहुत लाभ महसूस हो रहा है l
धन्यवाद सर 🙏

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

गेरू के औषधीय प्रयोग

गेरू के औषधीय प्रयोग गेरू के औषधीय प्रयोग   आयुर्वेद चिकित्सा में कुछ औषधीयाँ सामान्य जन के मन में  इतना आश्चर्य पैदा करती हैं कि कई लोग इन्हें तब तक औषधी नही मानतें जब तक की इनके विशिष्ट प्रभाव को महसूस नही कर लें । गेरु भी उसी श्रेणी की   आयुर्वेदिक औषधी   हैं। जो सामान्य मिट्टी   से   कहीं अधिक   इसके   विशिष्ट गुणों के लिए जानी जाती हैं। गेरु लाल रंग की मिट्टी होती हैं। जो सम्पूर्ण भारत में बहुतायत मात्रा में मिलती हैं। इसे गेरु या सेनागेरु कहते हैं। गेरू  आयुर्वेद की विशिष्ट औषधि हैं जिसका प्रयोग रोग निदान में बहुतायत किया जाता हैं । गेरू का संस्कृत नाम  गेरू को संस्कृत में गेरिक ,स्वर्णगेरिक तथा पाषाण गेरिक के नाम से जाना जाता हैं । गेरू का लेटिन नाम  गेरू   silicate of aluminia  के नाम से जानी जाती हैं । गेरू की आयुर्वेद मतानुसार प्रकृति गेरू स्निग्ध ,मधुर कसैला ,और शीतल होता हैं । गेरू के औषधीय प्रयोग 1. आंतरिक रक्तस्त्राव रोकनें में गेरू शरीर के किसी भी हिस्से में होनें वाले रक्तस्त्राव को कम करने वाली सर्वमान्य औषधी हैं । इसके ल

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER  पतंजलि आयुर्वेद ने high blood pressure की नई गोली BPGRIT निकाली हैं। इसके पहले पतंजलि आयुर्वेद ने उच्च रक्तचाप के लिए Divya Mukta Vati निकाली थी। अब सवाल उठता हैं कि पतंजलि आयुर्वेद को मुक्ता वटी के अलावा बीपी ग्रिट निकालने की क्या आवश्यकता बढ़ी। तो आईए जानतें हैं BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER के बारें में कुछ महत्वपूर्ण बातें BPGRIT INGREDIENTS 1.अर्जुन छाल चूर्ण ( Terminalia Arjuna ) 150 मिलीग्राम 2.अनारदाना ( Punica granatum ) 100 मिलीग्राम 3.गोखरु ( Tribulus Terrestris  ) 100 मिलीग्राम 4.लहसुन ( Allium sativam ) 100  मिलीग्राम 5.दालचीनी (Cinnamon zeylanicun) 50 मिलीग्राम 6.शुद्ध  गुग्गुल ( Commiphora mukul )  7.गोंद रेजिन 10 मिलीग्राम 8.बबूल‌ गोंद 8 मिलीग्राम 9.टेल्कम (Hydrated Magnesium silicate) 8 मिलीग्राम 10. Microcrystlline cellulose 16 मिलीग्राम 11. Sodium carboxmethyle cellulose 8 मिलीग्राम DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER INGREDIENTS 1.गजवा  ( Onosma Bracteatum) 2.ब्राम्ही ( Bacopa monnieri) 3.शंखपुष्पी (Convolvulus pl

होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर #1 से नम्बर #28 तक Homeopathic bio combination in hindi

  1.बायो काम्बिनेशन नम्बर 1 एनिमिया के लिये होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर 1 का उपयोग रक्ताल्पता या एनिमिया को दूर करनें के लियें किया जाता हैं । रक्ताल्पता या एनिमिया शरीर की एक ऐसी अवस्था हैं जिसमें रक्त में हिमोग्लोबिन की सघनता कम हो जाती हैं । हिमोग्लोबिन की कमी होनें से रक्त में आक्सीजन कम परिवहन हो पाता हैं ।  W.H.O.के अनुसार यदि पुरूष में 13 gm/100 ML ,और स्त्री में 12 gm/100ML से कम हिमोग्लोबिन रक्त में हैं तो इसका मतलब हैं कि व्यक्ति एनिमिक या रक्ताल्पता से ग्रसित हैं । एनिमिया के लक्षण ::: 1.शरीर में थकान 2.काम करतें समय साँस लेनें में परेशानी होना 3.चक्कर  आना  4.सिरदर्द 5. हाथों की हथेली और चेहरा पीला होना 6.ह्रदय की असामान्य धड़कन 7.ankle पर सूजन आना 8. अधिक उम्र के लोगों में ह्रदय शूल होना 9.किसी चोंट या बीमारी के कारण शरीर से अधिक रक्त निकलना बायोकाम्बिनेशन नम्बर  1 के मुख्य घटक ० केल्केरिया फास्फोरिका 3x ० फेंरम फास्फोरिकम 3x ० नेट्रम म्यूरिटिकम 6x