सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

बुखार (FEVER) आनें पर क्या करें :: घबरायें नहीं समझदारी दिखाएं और जिम्मेंदार बनें

बुखार (FEVER) आनें पर क्या करें :: घबरायें नहीं समझदारी दिखाएं और जिम्मेंदार बनें


 आजकल कोरोना वायरस का दौर चल रहा हैं ऐसे माहोल में बुखार आना न केवल रोगी को बल्कि परिवार और आसपड़ोस को चिंतित कर रहा हैं ।

 सर्दी, खाँसी और बुखार आना शरीर से संबधित बहुत ही Common Problem हैं । जिसमें शरीर का तापमान 98 F° या 37 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता हैं  ऐसा निम्न कारणों से हो सकता हैं :-


बुखार आने पर क्या करना चाहिए
बुखार


मौसमी बदलाव 


भारत में बुखार आनें का सबसे common कारण मौसम में बदलाव होना हैं ।

 जब सर्दी के बाद गर्मी,और गर्मी के बाद बरसात आती हैं तो वातावरण का तापमान ज्यादा और कम होता हैं तापमान में होनें वालें इस उतार चढाव के कारण शरीर का तापमान भी कम या ज्यादा होता हैं यदि शरीर का Immune system थोड़ा भी कमज़ोर हुआ तो शरीर बुखार में जकड़ जाता हैं ।

 ऐसा बुखार, बुखार के घरेलू नुस्खों और बुखार का इलाज करवानें से ठीक हो जाता हैं । किंतु यदि बुखार 3 दिनों से अधिक रहता हैं तो चिकित्सकीय सलाह आवश्यक हो जाती हैं ।

Immunity कमज़ोर होना ::


समुचित संतुलित आहार का सेवन नहीं करनें से ,या कोई बीमारी के कारण शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र कमज़ोर हो जाता हैं जिसकी वज़ह से बैक्टीरिया या वायरस का हमला होनें पर या मौसमी बदलाव होनें पर शरीर उसका सामना नहीं कर पाता हैं और बुखार आ जाता हैं ।

 इस प्रकार का बुखार आनें पर चिकित्सकीय सलाहनुसार बुखार की दवाई लेना चाहिए ।


अत्यधिक श्रम करना :::

यदि किसी व्यक्ति को अधिक श्रम करनें की आदत नहीं हैं और यदि अचानक से अधिक श्रम कर लेता हैं तो उसके शरीर का तापमान  सामान्य तापमान से अधिक हो जाता हैं। इस प्रकार बुखार आ जाता हैं ।


यह बुखार भी एक प्रकार का सामान्य बुखार हैं जो कि सामान्य घरेलू उपचार से ठीक हो जाता हैं। 


Bacteria ,मच्छर के काटनें और Virus के संक्रमण से

यदि कोई हानिकारक Bacteria या वायरस virus शरीर के संपर्क में आ जाता हैं मलेरिया,डेंगू का मच्छर काट लेता हैं तो हमारा शरीर प्रतिक्रिया स्वरूप उस वायरस या बैक्टीरिया से लड़ता है जब शरीर का प्रतिरोधक तंत्र कमज़ोर पड जाता हैं तो इस  कारण शरीर का तापमान सामान्य तापमान से अधिक हो जाता हैं ।

इस प्रकार का बुखार विशिष्ट प्रकार के Antibiotic बैक्टेरियारोधी ,मलेरिया रोधी और Antivirus वायरसरोधी के द्धारा नियंत्रित होता हैं ।

टीकाकरण के बाद बुखार आना

टीकाकरण के बाद बुखार आना बहुत ही सामान्य सी बात होती हैं जो कि टीका लगनें के दो से चार घंटे बाद आता हैं । इस प्रकार का बुखार साधारण पैरासीटामोल टैबलेट Paracetamol Tablet देनें से उतर जाता हैं ।

टीकाकरण के बाद बुखार की यह समस्या बच्चों के साथ बड़ों को भी प्रभावित करती हैं ।

कैंसर के कारण

कैंसर के कारण भी बुखार आता हैं यदि कैंसरग्रस्त कोशिकाएं सामान्य कोशिकाओं को प्रभावित करना शुरू कर देती हैं तो शरीर का प्रतिरोधी तंत्र इसका विरोध शुरू कर देता हैं फलस्वरूप शरीर का तापमान बढ जाता है । कभी कभी कीमोथेरपी के बाद भी बुखार आ जाता हैं ।

आटो इम्यून बीमारी


यदि कोई आटो इम्यून बीमारी जैसें Rhumetoid arthritis ,Lupus disease, Allergy आदि होती हैं तो इन बीमारीयों के साथ बुखार भी आ जाता हैं । इस प्रकार का बुखार आटो इम्यून बीमारी के इलाज के साथ ही कम होता हैं । 

बुखार आनें के कुछ अन्य कारण


• बुखार आनें के उपरोक्त कारणों के अलावा कुछ अन्य कारण भी होतें हैं जैसें 

• कुछ दवाईयों का साइड़ इफेक्ट,

• फूड पाइजनिंग,

• रक्त का धक्का जमनें की वजह से,

• शरीर में कुछ चुभ जानें की वजह से

• चोंट लग जानें या शरीर पर कोई फोड़ा हो जानें की वज़ह से 

• आपरेशन के बाद,आदि


बुखार से बचनें का उपाय


बुखार का इलाज करनें से बेहतर हैं दिनचर्या में कुछ ऐसे परिवर्तन किये जाये जिससे कि मौसमी बदलाव के साथ शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र इतना मज़बूत हो जाये कि व्यक्ति को बुखार आये ही नहीं इसके लियें प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले कुछ खान पान को दिनचर्या में सम्मिलित किया जावें जैसें ठंड की शुरूआत से पहलें अदरक ,हल्दी, सूखें मेवे खाना शुरू कर दिया जावें । 

बरसात का मौसम शुरू होनें के साथ ठंडी बासी खाद्य सामग्री  उपयोग में न लें ।

गरमी के मौसम में भारी खानपान को त्यागकर हल्का सुपाच्य भोजन किया जावें और पर्याप्त मात्रा में पानी पीया जावें ।

खानपान के अतिरिक्त किसी भी मौसम में बीमारी से बचनें का एक रामबाण उपाय साफ सफाई पर ध्यान देना हैं ।

 व्यक्तिगत के साथ सामूहिक स्वच्छता के नियमों का पालन करनें,बीमार व्यक्ति से पर्याप्त दूरी बनाकर रखनें,मुंह पर मास्क रखनें से व्यक्ति अपने और अपने परिवार को बीमारी से बचा सकता हैं। 

बुखार का इलाज

बुखार से बचनें के उपरोक्त कदमों का पालन न किया जावें तो व्यक्ति बुखार से पीड़ित हो जाता हैं अत : बुखार आनें पर निम्न औषधि का सेवन करनें से बुखार उतर जाता हैं और फिर नहीं आता हैं ।

• गिलोय का सेवन करनें से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती हैं अत : हर प्रकार के बुखार में गिलोय का काढ़ा बनाकर   सेवन करना चाहिए ।

गिलोय का काढ़ा बनाने के लिए सबसे पहले गिलोय के अंगूठे बराबर चार पाँच टुकडे़ लें, और चटनी की तरह हल्के हाथों से कूट लें,  इसमें आधा चम्मच सौंठ और दस गिलास पानी मिलायें ।

 इस मिश्रण को तब तक उबालें जब तक की तीन गिलास काढ़ा शेष नहीं रह जावें। इस काढ़े का ठंडाकर 50 मिली लीटर रोगी को दिन में दो तीन बार पिलायें ।

•  अदरक,शहद और तुलसी का रस लेकर इन्हें मिला लें ,इस मिश्रण को बुखार आनें पर तीन से चार बार उपयोग करें ।

• चार चम्मच तुलसी के रस में आधा चम्मच काली मिर्च पावड़र मिलाकर गर्म कर लें इस मिश्रण को दिन में दो बार दें ।

• 1 चम्मच धनिया चूर्ण और चुटकी भर सौंठ चूर्ण एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर रख दें,सुबह इस पानी को छानकर पीयें ।


• त्रिभुवनकीर्ति रस,लक्ष्मी विलास रस विषम ज्वर की सर्वमान्य औषधि हैं ।


• बुखार आनें पर शरीर का तापमान कम करनें के लिए सिर,हाथों और पैरों पर आइस पैक या ठंडे पानी की पट्टी रखना चाहिए ।

• यदि बुखार तीन दिनों  से अधिक रहता हैं तो बिना लापरवाही करें चिकित्सकीय परामर्श प्राप्त करें ।

• आयुर्वेद के अनुसार ज्वर के प्रकार

• जीका वायरस क्या होता हैं

• यूरिया साइकिल डिसआर्डर क्या होता हैं

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER  पतंजलि आयुर्वेद ने high blood pressure की नई गोली BPGRIT निकाली हैं। इसके पहले पतंजलि आयुर्वेद ने उच्च रक्तचाप के लिए Divya Mukta Vati निकाली थी। अब सवाल उठता हैं कि पतंजलि आयुर्वेद को मुक्ता वटी के अलावा बीपी ग्रिट निकालने की क्या आवश्यकता बढ़ी। तो आईए जानतें हैं BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER के बारें में कुछ महत्वपूर्ण बातें BPGRIT INGREDIENTS 1.अर्जुन छाल चूर्ण ( Terminalia Arjuna ) 150 मिलीग्राम 2.अनारदाना ( Punica granatum ) 100 मिलीग्राम 3.गोखरु ( Tribulus Terrestris  ) 100 मिलीग्राम 4.लहसुन ( Allium sativam ) 100  मिलीग्राम 5.दालचीनी (Cinnamon zeylanicun) 50 मिलीग्राम 6.शुद्ध  गुग्गुल ( Commiphora mukul )  7.गोंद रेजिन 10 मिलीग्राम 8.बबूल‌ गोंद 8 मिलीग्राम 9.टेल्कम (Hydrated Magnesium silicate) 8 मिलीग्राम 10. Microcrystlline cellulose 16 मिलीग्राम 11. Sodium carboxmethyle cellulose 8 मिलीग्राम DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER INGREDIENTS 1.गजवा  ( Onosma Bracteatum) 2.ब्राम्ही ( Bacopa monnieri) 3.शंखपुष्पी (Convolvulus pl

गेरू के औषधीय प्रयोग

गेरू के औषधीय प्रयोग गेरू के औषधीय प्रयोग   आयुर्वेद चिकित्सा में कुछ औषधीयाँ सामान्य जन के मन में  इतना आश्चर्य पैदा करती हैं कि कई लोग इन्हें तब तक औषधी नही मानतें जब तक की इनके विशिष्ट प्रभाव को महसूस नही कर लें । गेरु भी उसी श्रेणी की   आयुर्वेदिक औषधी   हैं। जो सामान्य मिट्टी   से   कहीं अधिक   इसके   विशिष्ट गुणों के लिए जानी जाती हैं। गेरु लाल रंग की मिट्टी होती हैं। जो सम्पूर्ण भारत में बहुतायत मात्रा में मिलती हैं। इसे गेरु या सेनागेरु कहते हैं। गेरू  आयुर्वेद की विशिष्ट औषधि हैं जिसका प्रयोग रोग निदान में बहुतायत किया जाता हैं । गेरू का संस्कृत नाम  गेरू को संस्कृत में गेरिक ,स्वर्णगेरिक तथा पाषाण गेरिक के नाम से जाना जाता हैं । गेरू का लेटिन नाम  गेरू   silicate of aluminia  के नाम से जानी जाती हैं । गेरू की आयुर्वेद मतानुसार प्रकृति गेरू स्निग्ध ,मधुर कसैला ,और शीतल होता हैं । गेरू के औषधीय प्रयोग 1. आंतरिक रक्तस्त्राव रोकनें में गेरू शरीर के किसी भी हिस्से में होनें वाले रक्तस्त्राव को कम करने वाली सर्वमान्य औषधी हैं । इसके ल

होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर #1 से नम्बर #28 तक Homeopathic bio combination in hindi

  1.बायो काम्बिनेशन नम्बर 1 एनिमिया के लिये होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर 1 का उपयोग रक्ताल्पता या एनिमिया को दूर करनें के लियें किया जाता हैं । रक्ताल्पता या एनिमिया शरीर की एक ऐसी अवस्था हैं जिसमें रक्त में हिमोग्लोबिन की सघनता कम हो जाती हैं । हिमोग्लोबिन की कमी होनें से रक्त में आक्सीजन कम परिवहन हो पाता हैं ।  W.H.O.के अनुसार यदि पुरूष में 13 gm/100 ML ,और स्त्री में 12 gm/100ML से कम हिमोग्लोबिन रक्त में हैं तो इसका मतलब हैं कि व्यक्ति एनिमिक या रक्ताल्पता से ग्रसित हैं । एनिमिया के लक्षण ::: 1.शरीर में थकान 2.काम करतें समय साँस लेनें में परेशानी होना 3.चक्कर  आना  4.सिरदर्द 5. हाथों की हथेली और चेहरा पीला होना 6.ह्रदय की असामान्य धड़कन 7.ankle पर सूजन आना 8. अधिक उम्र के लोगों में ह्रदय शूल होना 9.किसी चोंट या बीमारी के कारण शरीर से अधिक रक्त निकलना बायोकाम्बिनेशन नम्बर  1 के मुख्य घटक ० केल्केरिया फास्फोरिका 3x ० फेंरम फास्फोरिकम 3x ० नेट्रम म्यूरिटिकम 6x