how to start living a healthy lifestyle । स्वस्थ्य जीवनशैली के लिए टिप्स
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how to start living a healthy lifestyle । स्वस्थ जीवनशैली के लिए टिप्स
आजकल की lifestyle ऐसी बन गई हैं कि इसमें breakfast लेनें वाले समय पर इंसान बिस्तर पर नींद निकाल रहा होता हैं । lunch लेनें वाले समय पर breakfast ले रहा होता हैं और जब रात को जब सोनें का समय होता हैं तब टीवी देखते देखते dinner ले रहा होता हैं । कहनें का तात्पर्य यही की स्वस्थ्य जीवनशैली Healthy lifestyle जिसकी व्याख्या हमारें प्राचीन आयुर्वेद शास्त्र में वर्णित हैं को अब पुरानें रीति रिवाज के रूप में प्रचारित किया जा रहा हैं । लेकिन वास्तविकता यही हैं कि आनें वाले समय में यदि प्राचीन आयुर्वेद शास्त्रों में वर्णित इस जीवनशैली को नही अपनाया तो रोग भी बहुत तेजी से अपनें पेर जमायेंगें और व्यक्ति की आयु को कम करेंगें ।
आईये जानतें है स्वस्थ्य जीवनशैली healthy lifestyle के लिये उपाय
1.दिनचर्या द्वारा स्वस्थ जीवनशैली कैसे अपनाएं
निरोगी जीवन की कामना करने वाले बुद्धिमान व स्वस्थ्य व्यक्ति द्धारा प्रतिदिन किये जानें वाले आचरण को दिनचर्या कहतें हैं । स्वस्थ्य रहनें के लिये दिनचर्या इस प्रकार होनी चाहियें
० सुबह ब्रम्ह मुहर्त यानि प्रात : 4 से 6 बजें के बीच बिस्तर से उठ जाना चाहियें । और प्रथ्वी को प्रणाम कर
ताम्बें के पात्र में रखा जल पीना चाहियें । यदि चाय काफी या दूध लेतें हो तो एक कप पीना चाहियें ।
दैनिक क्रिया से निवृत होकर 2 से 3 किलोमीटर खुली हवा में पैदल चलना चाहियें ।
सुबह 15 से 20 मिनिट नियमित रूप से योगासन और प्राणायाम करना चाहिये । जिससे मधुमेह, उच्च रक्तचाप ह्रदयरोग होनें की संभावना समाप्त हो जाती हैं । और मानसिक संतुलन ठीक बना रहता हैं ।
सुबह 8 से 9 बजे के बीच भरपूर पोष्टिक नाश्ता करें जिसमें अंकुरित दालें,फल ,दूध,उपमा, जैसे पदार्थ सम्मिलित हो ।
भोजन प्रतिदिन 12 से 1 के बीच होना चाहियें जिसमें हरी सब्जी,दाल,सलाद,दही,आदि का समावेश होना चाहियें ।
शाम 4 से 5 के बीच चाय,काफी या फलों का रस लेना चाहियें ।
शाम 6 से 7 के बीच 2 से 3 किलोमीटर पैदल चलना चाहिये जिससे शरीर के समस्त अँगों की कार्यप्रणाली सुचारू रूप में चलती रहें ।
रात्रि का भोजन यदि जल्दी कर लिया जायें तो यह बीमारी होनें की संभावना 30% तक कम कर देता हैं अत: रात का भोजन जल्दी करें और भोजन में तली हुई ,ज्यादा मिर्च मसाले और गरिष्ठ चीजें न लें । इसके बजाय धुली,खिचड़ी आदि ले सकतें हैं ।
रात्रि के भोजन और शयन में दो तीन घंटें का अंतराल जरूर होना चाहियें ।
प्रतिदिन सुबह से रात तक 10 से 12 गिलास पानी जरूर पीयें ।
सोनें का एक निश्चित समय बना लें इसी समय समस्त चिंताओं को त्यागकर कुछ समय शांत मुद्रा में बैठ ईश्वर का स्मरण करें और सो जायें ।
हमेशा अपनी बाँयी करवट सोनें की आदत डालें ।
2. भोजन के द्वारा स्वस्थ जीवनशैली कैसे प्राप्त करें
भोजन का केवल 1/3 भाग ही अन्न और दाले होना चाहियें बाकि 2/3 भाग हरी सब्जी । 20 % पके हुये अन्न के साथ 80% अपक्व पदार्थ लें ।
3.सीमित करें
अधिक नमक, अधिक मिर्च मसालें, अधिक शक्कर , अधिक तेल घी ।
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4.आराम
दोनों समय भोजन के बाद 10 से 15 मिनिट वज्रासन में बैंठे। और इसके पश्चात ही कुछ काम करें ।
5.दूर रहें
शराब,धूम्रपान,बुराई,चोरी,क्रोध,घंमंड़,आदि जैसी व्यक्तित्व को विघटित करनें वाली चीजों से दूर रहें ।
मांसाहारी भोजन को त्याग दें ।
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7.दाँतों के लियें
सुबह शाम दाँतों को साफ करें ।जीभ और मसूड़ों को दोनों समय भोजन के बाद पानी से साफ करें ।
आयुर्वेद में दांतों की सफाई के लिए बबूल,नीम,खैर,करंज,पीपल की टहनियों का उपयोग किया जाता हैं । आजकल इनसे बनें दंतमंजन [toothpaste ]भी बाजार में उपलब्ध हैं ।
प्रतिदिन कुछ साबुत जड़ें जैसें मूली,गाजर,गन्ना आदि खायें ताकि दाँत मज़बूत बनें रहें ।
गर्म पानी लेकर दिन में दो बार गरारें करें ताकि गलें में जमा हानिकारक जीवाणु बाहर निकल जायें ।
हाथों में पानी लेकर आँखों में छिंटे डाले ताकि आँख स्वस्थ्य बनी रहें ।
8.जरूरी बात
गहरी साँस ले ,हमेशा तनकर बैठें । स्नान करनें से पूर्व शरीर पर तिल या सरसो तेल की मालिश करें । मालिश करने से त्वचा और मांसपेशियों में लचीलापन बढ़ता है ।
मालिश करने से शरीर में खून का परिसंचरण अच्छा रहता हैं।
नाक के नथूने में प्रतिदिन गाय का देशी घी या अणु तेल तीन चार बूंद डाले ऐसा करनें से प्रदूषक कण फेफडों में नहीं जाकर नाक में ही चिपक जातें हैं ।
नाक में तेल डालनें या नस्यकर्म करने से सिरदर्द,माइग्रेन,लकवा आदि बीमारीयाँ नहीं होती हैं ।
शौच जानें के बाद और भोजन करनें से पहले हाथों को जरूर कीटाणुनाशक से साफ करें ।
भोजन शाँतचित्त होकर और अच्छी तरह चबाकर करें ।
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9.हमेशा सजग रहें
अपने कर्तव्यों और दोषों के प्रति सजग रहें । निष्काम कर्म को जीवन का आधार बनायें ।
अपने अपने परिवार में बीमारी के प्रति सचेत रहें । बीमारी आनें पर उसका समुचित उपचार करें और समय समय पर दियें गयें चिकित्सकीय निर्देशों का पालन करें ।
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