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हाइपोथाइराडिज्म क्या है इसके कारण लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार की जानकारी

 हाइपोथाइराँड़िज्म क्या है 


हमारें गले में स्वर यंत्र के ठीक निचें व साँस नली के दोनों तरफ तितली के समान संरचना होती हैं यही संरचना थायराँइड़ के नाम से पहचानी जाती है.इससे निकलनें वालें हार्मोंन रक्त में मिलकर शरीर की गतिविधियों को नियत्रिंत करते है.इस ग्रंथि को मस्तिष्क में मोजूद पिट्यूटरी ग्रंथि नियत्रिंत करती है,जब इस ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोंन जैसें टी - 3  यानि ट्रायोडोथायरोनीन और टी -4 या थायराँक्सीन कम मात्रा मे निकलते है तो शरीर मे कई तरह की समस्या उत्पन्न हो जाती हैं इस अवस्था को हायपोथाइराँइडिज्म कहते है.

हाइपोथायरायडिज्म के  कारण


१. कम मात्रा में आयोड़िन का सेवन.


२.दवाओं का व सर्जरी का दुष्प्रभाव.


३.आँटो इम्युन डिसआर्डर (इसमें शरीर का रोग प्रतिरोधी तंत्र थायराँइड ग्रंथि पर आक्रमण कर देता है,के कारण .


४.अन्य हार्मोंनों का असन्तुलन.


५.पारिवारिक इतिहास होने पर हाइपोथायराँडिज्म की समस्या हो जाती है.

हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण 



१.वज़न बढ़ना


२.थकान व कमज़ोरी


३. उदासी ,माँसपेशियों मे खिचाँव, पैरों मे सूजन


४.याददाश्त में कमी,आँखों में सूजन.


५.त्वचा का रूखा व मोटा होना.


६.कब्ज, बालों का झड़ना,माहवारी का अनियमित होना.


७.आवाज में भारीपन,नाखून मोटे होकर धीरें धीरें बढ़तें है.


८.सर्दी लगना व कम पसीना आना.


९.शरीर में केल्सियम की कमी होना.

हाइपोथायरायडिज्म का आयुर्वेदिक उपचार



१.काँचनार गुग्गल, त्रिफला गुग्गल को मिलाकर सुबह शाम रोग की तीव्रतानुसार १ से ५ ग्राम लें.


२.ब्राम्ही, कालीमिर्च,पीपली, मुनुक्का,दशमूल,को मिलाकर ५ से ७ ग्राम जल के साथ ले इससे हार्मोंन असंतुलन की समस्या दूर हो जावेगी.


३.ऐलोवेरा, लोकी जूस का नियमित सेवन करें.


४.गोमूत्र ५  से १० मि.ली.सेवन करें.


५.पुर्ननवा मन्डूर, सुदर्शन चूर्ण को मिलाकर सुबह शाम ५ ग्राम जल के साथ लें.


६.आँवला,गोखरू,व गिलोय को मिलाकर सुबह शाम आधा चम्मच जल के साथ सेवन करें.


७.पंचकोल चूर्ण भोजन के बाद रात को सोते समय एक चम्मच लें.

क्या सेवन करें::-



१.भोजन मे काला नमक सेवन करें.


२.दूध, दही की लस्सी,सिघांड़ा,चुकंदर का सेवन करें.


३.बाजरा,ज्वार के आटे से बनी रोटी का सेवन करें.


४.मेथीदाने व सूखे धनिये का चूर्ण बनाकर भोजन के बाद मुख शुद्धि की तरह इस्तेमाल करें.

योग::-



योगिक किृयाएँ अनुलोम-विलोम, कपालभाँति, शून्य मुद्रा का नियमित अभ्यास करें.
नोट- वैघकीय परामर्श आवश्यक
Svyas845@gmail.com




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