परिचय::-
अशोकारिष्ट़::-
भैषज्यरत्नावली में इस औषधि का परिचय देते हुये लिखा हैं
मासादूध्वेच्च पीत्वैनमसृग्दररूजां जयते ज्वरच्च रक्तापित्तार्शोमन्दाग्नित्वमरोचकम् मेहशोथदिकहरस्त्वशोकारिष्ट संञित:
अर्थात यह अशोकारिष्ट रक्त प्रदर, रक्त पित्त, ज्वर,रक्तातिसार(खूनी बवासीर) मन्दाग्नि,प्रमेह, अरूचि, शोथ को नष्ट़ करने वाला उत्तम अरिष्ट हैं.
यह अरिष्ट रसायन और उत्तेजक हैं.
घट़क द्रव्य::
अशोक छाल, को पानी मिलाकर तब तक उबाला जाता हैं जब तक एक चोथाई पानी शेष नहीं रह जाता तत्पश्चात गुड़ मिलाकर सेवन योग्य बनाया जाता है.
स्वाद::
तिक्त ,कसेला
सेवन वैघकीय परामर्श से
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दशमूलारिष्ट::-
भैषज्य रत्नावली के अनुसार
वातव्याधिं छयं छर्दि पाण्डुरोगच्च कामलाम् शर्करामश्मरीं मूत्रकृच्छं धातुछयंजयेत्छं कृशानां पुष्टिजननो बन्ध्यानां पुत्रद: पर:अरिष्टो दशमूलाख्यस्तेज: शुक्रबलप्रद:
अर्थात इस आरिष्ट के सेवन करनें से वातव्याधि, वमम,कामला,मूत्र में शर्करा,मूत्र में धातु जाना,महिलाओं का बन्ध्यापन जैसी बीमारीं शीघृ नष्ट हो जाती हैं साथ ही पुरूषों के शुक्र में वृद्धि होती हैं.
यह अारिष्ट स्त्रीयों के गर्भाशय का शुद्धिकरण करता हैं ,एँव गर्भवती के गर्भ को बल देता हैं.
वातज श्वास रोगो में यह अम्रत के समान लाभकारी हैं.
घटक द्रव्य :::
१.बिल्व
२. श्योंनक
३.गंभारी पाटला
४.अग्निमंथ
५.शालपर्णी
६.पृश्निपर्णी
७.वृहती
८.कंटकारी
९.गोक्षुर
१०.चितृक,
११.पुष्करमूल
१२.लोधृ
१३.गिलोय
१४.आंवला
१५.धनवयास
१६.खदिर
१७.बीजासार
१८.हरड़
१९.मंजिष्ठा
२०.देवदारु
२१.वायविडंग
२२.मुलेठी
२३.भारंगी
२४.कैथ
२५.बहेडा
२६.पुनर्नवा
२७.चव्य
२८.जटामासी
२९.पि्यंगु
३०.सारिवा
३१.कालाजीरा
३२.निशोंथ
३३.रेणुका
३४.रास्ना
३५.पिप्पली
३६.सुपारी
३७.कचूर
३८.हल्दी
३९.सौंफ
४०.पधमाघ
४१.नागकेशर
४२.नागरमोथा
४३.कुटज
४४.काकड़ाश्रृंगी
४५.जीवक
४६.श्रषभक
४७.मैदा
४८.महामैदा
४९.काकोली
५०.क्षीरकाकोली
५१.ऋद्धि वृद्धि
५२.जल
५३.शहद
५४.गुड़
५५.धवयीफूल
५६.कंकोल
५७.ख़स
५८.सफेद चंदन
५९.जायफल
६०.लौंग
६१.दालचीनी
६२.छोटी इलायची
६३.तेजपत्र
६४.कस्तूरी
६५.मुनुक्का
६६.कायफल
मात्रा::-
वैघकीय परामर्श से
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खदिरारिष्ट::-
घटक::
देवदारू,बावची,दारूहल्दी,त्रिफला,खेर की छाल,शहद,धाय फूल,पीपल,लौंग,शीतलमिर्च,नागकेशर,इलायची,दालचीनी, और तेजपान.
उपयोग::-
१. इसका विशेष प्रभाव रक्त, त्वचा और आंत्र पर होता हैं.
२.इसके सेवन से कुष्ठ,कामला,केंसर,श्वास, कृमि ,पाण्डुरोग (anaemia), कास,tumour नष्ट हो जातें हैं.
३. यह औषधि ह्रदय को बलशाली बनाती हैं.
४. यह रक्त शोधक और लसिका को बल देती हैं.
५.पाचन तंत्र को सबल कर आँतो को मज़बूती देती हैं.
सेवन विधि :: वैघकीय परामर्श से.
० दशमूल क्वाथ के फायदे
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