मलेरिया परिचय::-
मलेरिया [MALARIA] दो इटालियन शब्द "माल" और "अरिया" से मिलकर बना हैं जिसका शाब्दिक अर्थ हैं "खराब वायु" 18 वीं शताब्दी में जब मलेरिया होने के वास्तविक कारणों का पता नहीं था तब लोगों का मत था कि मलेरिया होने का कारण दलदली भूमि के आसपास की हवा खराब होती हैं इस कारण मलेरिया होता हैं।
मलेरिया के मच्छरों का सर्वाधिक प्रसार भूमध्यसागरीय क्षेत्रों की उष्णकटिबंधीय और उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में होता हैं। इस हिसाब से देखा जाए तो मलेरिया अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में मलेरिया के मामले अधिक पाए जाते हैं।
मलेरिया विश्व की दस सबसे प्रचलित बीमारियों मे से एक है, जो प्रतिवर्ष विश्व के साठ करोड़ लोगों को अपनी चपेट में लेता है.यह रोग मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है,
मलेरिया[MALARIA] कैसे फैलता है
मलेरिया परजीवी के जीवन चक्र का कुछ भाग मनुष्य के रक्त में तथा शेष भाग मच्छर के शरीर में गुजरता है ।जब मादा एनाफिलीज मच्छर मलेरिया संक्रमित व्यक्ति का रक्त चूसती हैं, तो रक्त के साथ मलेरिया परजीवी भी उसके अमाशय में पंहुचा जातें हैं। 10 से 14 दिन बाद यह संक्रमित मलेरिया संक्रमण करने में सक्षम हो जाती हैं और जब यह संक्रमित मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटती है तो परजीवी [Protozoa] लार के साथ स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में पंहुच जातें हैं ।
मलेरिया परजीवी [malaria Protozoa] के मनुष्य के शरीर में प्रवेश करने के 14 से 21 दिन के भीतर बुखार आता है,जिसे incubation period कहते हैं।
इस प्रकार मलेरिया एक मलेरिया रोगी से मादा एनाफिलीज मच्छर दर्शाया बहुत से लोगों तक फैलता हैं ।
मलेरिया के मुख्यत: चार परजीवी होते है.
१.प्लाज्मोडियम वायवेक्स Plasmodium vivax
मलेरिया को फैलाने वाली यह सर्वप्रमुख प्रजाति है,यह प्रजाति लीवर में अपना प्राथमिक विकास 6 से 8 दिन में पूरा करती हैं, इसके पश्चात ये लाल रक्त कणिकाओं [Red blood cells] में प्रवेश कर अपना संपूर्ण विकास करते हैं,जब Plasmodium vivax ,Red blood cells में प्रवेश करते हैं तो Red blood cells फटना शुरू हो जातें हैं और रोगी को ठंड लगकर तेज बुखार आता है।
२.प्लाज्मोडियम फेल्सिफेरम Plasmodium falciparum
यह मलेरिया परजीवी सबसे गंभीर किस्म का होता है, जिसमें रोगी अचेतावस्था मे चला जाता है,और
स्थिति गंभीर होनें पर रोगी की मौत भी हो जाती है
.
३.प्लाज्मोडियम ओवल Plasmodium ovale
मलेरिया के यह परजीवी मनुष्य के लिये उतने घातक नहीं होते जितने की फेल्सिफेरम.
४.प्लाज्मोडियम मलेरी Plasmodium malariae
मलेरिया के यह परजीवी भी मनुष्य के लिये उतने घातक नहीं जितने ऊपर के दो परजीवी होते है.
मलेरिया के लक्षण::-MALARIA KE LAXAN
१.कंपकंपी लगकर तेज़ बुखार आता है,जो पसीना निकलनें पर उतर जाता है
२.सिरदर्द
३.शरीर में तेज़ ,असहनीय पीड़ा होती है.
४.उल्टी होना चक्कर आना.
५.खून की कमी.
मलेरिया का समानांतर आयुर्वेदिक उपचार::-
मलेरिया होनें पर चिकित्सक द्वारा दी गई क्लोरोक्वीन,हाइड्राक्सी क्लोरोक्वीन लेनें के साथ आयुर्वेदिक समानांतर उपचार भी अपनायें इससे व्यक्ति इन औषधीयों के साइड इफेक्ट्स से बच जाता हैं ।
आयुर्वैद चिकित्सा में मलेरिया का वर्णन विषम ज्वर के रूप में किया गया है.मिथ्या आहार के कारण दोष प्रकुपित होकर अमाशय में स्थित हो जाती है,तो ज़ठराग्नि दुर्बल होकर भोजन का आम बना देती है,जिससे आमदोष उत्पन्न होकर ज्वर बना देता है.
१.त्रिभुवनकिर्ती रस,आनंद भैरव रस, महासुदर्शन चूर्ण को समान भाग में मिलाकर तीन समय जल के साथ लें.
२.गिलोय ,चिरायता,नीम,तुलसी,अदरक को एक एक अनुपात में मिलाकर काढ़ा बना ले व इसे तीन दिनों तक सुबह शाम १०० मि.ली.के हिसाब से लें
३.वत्सनाभ का चूर्ण रोज़ रात को सोते समय एक चम्मच दूध के साथ लें.
४.त्रिफला २ ग्राम प्रतिदिन गर्म जल के भोजन उपरान्त लें.
मलेरिया से बचाव के लिए सावधानी::-
१.घर के आसपास पानी इकठ्ठा न होनें दे,यदि पानी में लार्वा दिखे तो केरोसिन ड़ालकर नष्ट कर दें.
२.घरों के अन्दर साफ सफाई के लिये गोमूत्र से घर का पोछा लगायें.
३.पीनें के पानी में तुलसी पत्तियाँ ज़रूर ड़ालें.
४.घर के आसपास तालाब या कुएं हैं तो उसमें मलेरिया मच्छर के लार्वा खाने वाली गेम्बूसिया मछली डालें ।
५.शाम के समय नीम की पत्तियों का धुआं करने से मच्छर नहीं आते हैं । अतः घरों के आसपास नीम की पत्तियों का धुआं अवश्य करें।
मलेरिया के मच्छर
जैसा की आप जानते हैं मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से होता हैं, भारत में मादा एनाफिलीज मच्छर की 56 प्रजाति पाई जाती हैं। इनमें से चार प्रजाति ही मलेरिया फैलाने के लिए उत्तरदायी होती हैं ।
1.एनाफिलीज क्यूलीसीफेसीज
भारत के उच्च तापमान वाले राज्यों जहां तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक होता हैं वहां यह प्रजाति बहुतायत में पाई जाती हैं ।
2.एनाफिलीज एन्यूलैरिस
यह प्रजाति संपूर्ण भारत में पाई जाती है।
3.एनाफिलीज स्टीफेन्साई
यह प्रजाति भारत के शहरी क्षेत्रों में नालों के आसपास बहुतायत से पाई जाती हैं।
4.एनाफिलीज फ्लूवाइटालिस
यह प्रजाति घने जंगलों और पहाड़ों में पाई जाती हैं ।
मादा एनाफिलीज रुके हुए पानी में अंडे देती हैं। इन अंडों के जीवन चक्र की चार अवस्थाएं होती है
1.अंडे
2.लार्वा
3.प्यूपा
4.मच्छर
मादा एनाफिलीज या मलेरिया मच्छर की पहचान कैसे करें
1.मादा एनाफिलीज मच्छर शाम के समय या रात में काटती हैं।
2.यह विश्राम के लिए अंधेरा या छायादार स्थान पसंद करती हैं।
3.खून चूसने के बाद आसपास बैठकर थोड़ी देर विश्राम करती हैं।
4.बैठते समय अपना सिर निचे रखती हैं ।
प्रश्न - विश्व मलेरिया दिवस कब मनाया जाता हैं ?
उत्तर - विश्व मलेरिया दिवस प्रतिवर्ष 25 अप्रैल को मनाया जाता हैं। विश्व मलेरिया दिवस मनाने की शुरुआत 25 अप्रैल 2008 को हुई थी।
प्रश्न - विश्व मलेरिया दिवस क्यों मनाया जाता हैं ?
उत्तर- विश्व मलेरिया दिवस मनाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य
• मलेरिया के प्रति लोगों को जागरूक करना
• मलेरिया से होने वाली मौतों को रोकना
• मलेरिया रोग का नियंत्रण करना
लेखक : डाक्टर पी.के.व्यास
आयुर्वेदाचार्य, बीएएमएस
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