लकवा क्या हैं lakva kya hai ::-
यदि मस्तिष्क की रक्तवाहिनीयों में रक्त का थक्का जम जाता है या मस्तिष्क की रक्तवाहिनीयाँ फट़ जाती हैं या मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह कम हो जाता हैं फलस्वरूप मस्तिष्क का नियत्रंण अंगों पर नहीं रहता और अंग काम करना बंद कर देतें हैं यही अवस्था लकवे के नाम से जानी जाती हैं. यदि मस्तिष्क का बाँया भाग प्रभावित होता है तो दाँया भाग और दाँया भाग प्रभावित होता हैं तो बाँया भाग लकवाग्रस्त हो जाता हैं.
आयुर्वैदानुसार जब वायु कुपित होकर दाँए या बाँए भाग पर आघात कर शारिरीक इच्छाओं का नाश कर अनूभूति को समाप्त कर देती हैं यही अवस्था लकवा के नाम से जानी जाती हैं.
लकवा कितने प्रकार का होता है
१.मोनोप्लेजिया या एकांगघात -- इसमें एक हाथ या एक पैर कड़क हो जाता हैं.
२.ड़ायप्लेजिया --सम्पूर्ण शरीर में लकवाग्रस्त हो जाता हैं.
३.फेशियल पेरालिसीस या चेहरे का लकवा--इसमें चेहरा,नाक ,होंठ गाल पर नियत्रंण नहीं रहता हैं.
४.जीभ का लकवा
लकवा होने के कारण::-
१.उच्च रक्तचाप लगातार २०० से अधिक रहना.
२.मस्तिष्क में गंभीर चोंट.
३.रीढ़ की हड्डी में चोंट.
४.पोलियो की वज़ह से.
५.मादक पदार्थों का अत्यधिक सेवन.
६.एक तरह की दाल जिसे खेसरी दाल कहतें है के कारण.
७.मस्तिष्क से सम्बंधित कोई गंभीर बीमारीं होनें पर.
८.रीढ़ की हड्डी से सम्बंधित कोई बीमारीं होनें पर.
९.अचानक कोई सदमा लग जानें के कारण.
लकवा का उपचार::-
१.एकांगवीर रस,वृहतवातचिन्तामणि रस,महायोगराज गुग्गुल,लाक्षादि गुग्गुल को समान मात्रा में मिलाकर ५ ग्राम सुबह शाम शहद के साथ दें.
२.सरसों तेल में या महामाष तेल में तेजपत्ता लहसुन कली और अजवाइन मिलाकर गर्म करलें इस तेल से प्रभावी अंगों पर दो से तीन बार मालिश करें.
४.यदि रक्तचाप सामान्य हो तो भाप स्नान करवाते रहना चाहियें.
५.रोज़ रात को सोते समय त्रिफला चूर्ण दो चम्मच लें
६.रक्तचाप की नियमित जाँच करवाते रहें और नियत्रिंत रखे.
७.ब्राम्हीवट़ी,सर्पगंधा वट़ी को मिलाकर सुबह शाम लें.
८.सारस्वतारिष्ट चार चार चम्मच सुबह शाम लें.
११.जवारें का रस आधा- आधा कप ज़रूर लेते रहें.
वैघकीय परामर्श आवश्यक
लेखक:: डाक्टर पी के व्यास आयुर्वेद रत्न, बीएएमएस
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