सुँदर और सुड़ोल स्तन हर नारी का सपना होता हैं, क्योंकि यहीं नारीत्व को निखारतें हैं. कई बार देखनें में आता हैं, कि कम उभार की वज़ह से स्त्रीयाँ हीन भावना की शिकार हो जाती हैं.कई बार यह भी देखनें में आता हैं, कि मँहगे कास्मेंटिक इस्तेमाल के बावजूद स्तनों का पूर्ण विकास नहीं हो पाता ,तो आईयें जानतें हैं कुछ सरल,प्रभावी आयुर्वैदिक उपचार उपचार::
१.बादाम गिरी, को बारीक पीस लें और तिल तेल को मिलाकर स्तनों के आसपास नहानें से एक घंटा पहलें लगायें स्तनों में दो महिनों मे उभार आ जावेगा.
२.तिल तेल,में चंदन घीसकर मिला दें इस घोल को बारह घंटे बाद स्तनों पर लगायें .ढीलें स्तनों में कसावट का अच्छा उपाय हैं.
३.शतावरी चूर्ण को सुबह शाम एक-एक चम्मच तीन माह तक लेने से स्तनों के विकास के साथ दूध में बढोतरी होती हैं.
४.अशोक छाल चूर्ण को रात में पानी में भीगोंकर रख दें सुबह पानी निकाल कर चूर्ण में मुलतानी मिट्टी मिलाकर स्तनों के आसपास लगायें .
५.तिल तेल से स्तनों की दस मिनिट़ तक हल्के हाथों से मालिश करें.
६.कपास तेल को दूध में मिलाकर रात को सोते समय सेवन करें स्तनों के विकास के साथ दूध में बढोतरी होगी.
७.भोजन में गोभी, चुकन्दर का प्रयोग करें.
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