तनाव प्रबंधन के उपाय |Stress Management Techniques for a Healthier Life
आज की भागती दोड़ती जीवनशैली [Lifestyle] में हर व्यक्ति इतना तनाव में जी रहा हैं,कि तनाव प्रबंधन नहीं करने के कारण व्यक्ति का सामाजिक, पारिवारिक जीवन संकट़ग्रस्त सा हो गया हैं.
यह तनाव कई कारणों से पैदा हो रहा हैं, जैसें असफलता,व्यापार में घाटा,प्रतिस्पर्धा,किसी प्रियजन का बिछड़ना आदि कहनें का तात्पर्य यही कि तनाव हर आमो - ख़ास के जीवन का अभिन्न अंग बन चुका हैं.एक सर्वेक्षण के मुताबिक दुनिया की 33% आबादी गंभीर तनाव से गुजर रही हैं,और इसमें उन लोगों का प्रतिशत एक तिहाई हैं,जो समाज के शीर्ष पर हैं.
लोग तनाव से निपट़ने के लिये तरह - तरह की गोली दवाईयों को भी आजमातें हैं,किन्तु तनाव आनें पर तनाव प्रबंधन के उपाय और तनाव से निजात पाने के घरेलू उपाय या Home Remedies for relieving stress सीख लिया जावें तो शायद मनुष्य बिना दवा गोली के बेहतर और लम्बा जीवन जी सकता हैं.
#1.ऊँ के उच्चारण द्धारा तनाव प्रबंधन :::
अमेरिका भारत सहित अनेक देशों में ऊँ ध्वनि उच्चारण के मन मस्तिष्क पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया गया हैं,और इसके नतीजें उत्साह जनक रहें.अमेरिका में 2500 तनावग्रस्त व्यक्तियों को सुबह - शाम 20 बार गहराई से ऊँ उच्चारण करवाया गया ऐसा लगभग 6 माह तक लगातार किया गया 6 माह पश्चात इनके मस्तिष्क की मेंपिंग की गई जिसमें पाया गया कि ऊँ उच्चारित करनें वालें प्रत्येक व्यक्ति के मस्तिष्क में आक्सीजन का स्तर बढ़ गया जिससे उन हार्मोंनों के सक्रिय होनें में मदद मिली जो मूड़ को बेहतर बनातें हैं.
अत: तनाव दूर करनें में ऊँ का उच्चारण किसी चमत्कार से कम नहीं हैं,यह बात हमारी रिषी - मुनि वर्षों से कहतें आयें हैं.ऊँ का उच्चारण तनाव को घट़ाने के अलावा हमारें आसपास के वातावरण को स्पंदित कर सकारात्मक बनाता हैं.
तनाव प्रबंधन |
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ऊं उच्चारण के 11 शारीरिक लाभ
#2.रंगों के द्धारा तनाव प्रबंधन :::
भारतीय समाज और संस्कृति रंगों के बिना अधूरी हैं,और इसका scientific कारण भी हैं,कि रंग मनुष्य को प्रफुल्लित कर मस्तिष्क को तरोताजा रखतें हैं.जैसें
० सफेद रंग असीम शांति प्रदान करता हैं.
० लाल रंग ऊर्जा का संचार करता हैं.
० हरा जीवन में खुशियों के संचार का रंग हैं.
० केशरिया त्याग और बलिदान सीखाता हैं.
तो जब भी जीवन तनाव में हो इन रंगों को अपनें पहनावें में सम्मिलित कर इन रंगों से प्रेरणा अवश्य ग्रहण करें.
स्वस्थ सामाजिक जीवन के 3 पीलर
#3.ख़ुशबू द्धारा तनाव प्रबंधन :::
हर आदमी ख़ुशबू पसंद करता हैं,चाहे वह किसी भी धर्म,जाति,समाज या सम्प्रदाय को मानता हो अत: तनाव की स्थिति में अपनी मनपसंद प्राकृतिक ख़ुशबू को अपनें कपड़ो ,घरों और अपनी मनपसंद वस्तुओं में रखकर देखिये तनाव छूमतंर हो जायेगा.
#4.सकारात्मक चिंतन द्धारा तनाव प्रबंधन :::
तनाव के समय मनुष्य का मन - मस्तिष्क सबसे ज्यादा नकारात्मक होता हैं.ऐसी हालात में चिंतन भी नकारात्मक ही होगा ,वास्तव में नकारात्मक चिंतन से आयु,स्वास्थ, तेज क्षीण हो जातें हैं.अत: कहा जाता हैं,कि दुख : में भगवत स्मरण करना चाहियें, अर्थात सकारात्मक चिंतन करना चाहियें."महात्मा गाँधी" कहा करते थे कि यदि मेंरा मन उदास होता हैं, तो में हमेशा उस व्यक्ति की कल्पना करता हूँ जो दीन - हीन हैं,और समाज के अन्तिम छोर पर खड़ा हैं.ऐसा सोचनें से मैं पुन: उस व्यक्ति के कल्याण में जुट़ जाता हूँ.
'हरिवंशराय बच्चन' अपनी कविता के माध्यम से संदेश देतें हैं,कि " कोशिश करनें वालों की कभी हार नहीं होती " अत : इन महापुरूषों के जीवन से प्रेरणा ग्रहण कर सकारात्मक चिंतन करें.
#5.ख़ान पान द्धारा तनाव प्रबंधन :::
कुछ खाद्य पदार्थ हमारे मस्तिष्क में शांति और स्फूर्ति का संचार करते हैं जैसे काजू,बादाम,अखरोट,अंजीर,अलसी हरी सब्जिया और ताजा मौसमी फल इन्हें अपनें खानें की आदतों में जरूर शामिल करें साथ ही नशा और तम्बाकू से दूर रहे.नशा करने और तम्बाकू के सेवन से शरीर में आक्सीजन का स्तर घटता हैं,जो अंतत : तनाव बढ़ानें में मदद करता हैं.
#6.पर्यटन के द्धारा तनाव प्रबंधन :::
कुछ जगह ऐसी होती हैं,जहाँ पहुँचते ही मस्तिष्क तरोताजा होकर सारें तनाव दूर हो जातें हैं,जैसे हील स्टेशन या कोई समुद्री किनारा या फिर कोई धार्मिक स्थान ,वैसे भी देखा गया हैं,कि जो लोग नियमित रूप से घूमनें जातें हैं उनका स्वास्थ और आयु सदैव उनका साथ लम्बें समय तक निभातें हैं.
• उज्जैन के दर्शनीय स्थल
• मांडव ऐतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक पर्यटन स्थल
• मध्यप्रदेश के पर्यटन स्थल ग्वालियर और ओरछा
#7.योग द्धारा तनाव प्रबंधन :::
योगिक क्रियाएँ जैसें कपालभाँति, अनुलोम - विलोम,प्राणायाम और भ्रामरी करनें से तनाव कभी भी मनुष्य के साथ नही रहता हैं.यह बात अनेक शोधों द्धारा साबित हो चुकी हैं.
गहरी श्वास लेकर यदि हम अपना ध्यान उन आती जाती श्वास पर केन्द्रित कर कल्पना करें की प्रत्येक अन्दर जानें वाली श्वास हमारी रगो में जाकर असीम शांति प्रदान कर रही हैं, साथ ही प्रत्येक बाहर जानें वाली श्वास जीवन से निराशा दुख को बाहर निकाल रही हैं.यह प्रयोग तनाव घटानें का अचूक उपाय हैं.
गहरी श्वास लेकर यदि हम अपना ध्यान उन आती जाती श्वास पर केन्द्रित कर कल्पना करें की प्रत्येक अन्दर जानें वाली श्वास हमारी रगो में जाकर असीम शांति प्रदान कर रही हैं, साथ ही प्रत्येक बाहर जानें वाली श्वास जीवन से निराशा दुख को बाहर निकाल रही हैं.यह प्रयोग तनाव घटानें का अचूक उपाय हैं.
# 8. गेंद द्धारा तनाव प्रबंधन :::
रबर की छोटी बाल जो कि कई शारीरिक कसरतों में प्रयोग की जाती हैं,बहुत अच्छी Stress Managment Techniques हैं और Stress Managment का सबसे सरल और सुरक्षित तरीका भी हैं,हाथ से बाल को बार - बार दबानें से नसों पर दबाव पड़ता हैं,जिससे नसे फैल जाती हैं,और आक्सीजन का अधिक प्रवाह नसों में होता हैं,यह आक्सीजन मस्तिष्क में जाकर तनाव को कम करनें में मदद करती हैं.
बाल को दबानें से एक्यूप्रेशर भी हो जाता हैं,क्योंकि ये हथेली के कई पाइंट पर दबाव डालकर आंतरिक आराम दिलाती हैं.
# 9.संगीत द्धारा तनाव प्रबंधन ::
संगीत की खोज मानव ने अपने खाली समय में मनोरंजन के लिये ही की थी,और वास्तव में संगीत ने मानव मन को सदैंव प्रफुल्लित ही किया हैं.यदि तनाव की अवस्था में मनपसंद संगीत सुना जाये तो शरीर से कार्टीसोल हार्मोंन का स्तर कम हो जाता हैं,जो तनाव उत्पन्न करने वाला प्रमुख हार्मोंन हैं.
जापान के शोधकर्ताओं के मुताबिक यदि आप तनाव में हैं,ओर कोई भावनात्मक फिल्म देखतें हैं,तो तनाव के स्तर में जबर्दस्त कमी दर्ज होती हैं.
#10.डायरी लेखन द्वारा तनाव प्रबंधन
नार्वे में हुये एक शोध के अनुसार यदि व्यक्ति दिन प्रतिदिन डायरी लिखता है तो उसके तनावग्रस्त रहने की बहुत कम संभावना रहती हैं।
शोधकर्ताओं के मुताबिक डायरी लिखने से व्यक्ति उन कामों की पुनरावृत्ति बहुत कम करता हैं जिनसे तनाव होता हैं ।
तनाव प्रबंधन के लिए योग । Yogic management of stress
दुनिया में हँसना और हँसाना सिर्फ मनुष्यों की किस्मत में नसीब हैं.लेकिन आज की तनाव भरी जिन्दगी में कई लोगों के चेहरें से हँसी खुशी गायब सी हो गई हैं.लेकिन क्या आप जानतें हैं आपके खुश रहनें के पिछे कुछ विशेष हार्मोंन उत्तरदायी होतें हैं ,यदि आप खुश रहना चाहतें हो तो आसानी से इन हार्मोंन को शरीर में बढ़ाकर तनावमुक्त जीवन का आनंद ले सकते हैं,आईयें जानते हैं ऐसें हार्मोंन और उनकों बढ़ानें के योग के बारें में
डोपामाईन ::
यह सामाजिक, पारिवारिक जीवन में व्यक्ति को शांत,संयमित और अच्छा महसूस करवानें वाला न्यूरोट्रांसमीट़र हैं.यदि आप अपनें लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पा रहें हैं या आपनें ऐसें बड़े लक्ष्य निर्धारित कर लियें हैं जो आपकी कार्यक्षमता से अधिक हैं तो डोपामाईन का स्तर शरीर में घट़नें लगता हैं. और मनुष्य चिड़चिड़ा ,गुस्सेल और हिंसक हो जाता हैं.लेकिन कुछ यौगिक क्रियाओं को करनें से शरीर में इसका स्तर पर्याप्त बना रहता हैं.जैसें
भ्रामरी प्राणायाम ::
भ्रामरी प्राणायाम को करनें से डोपामाईन का स्तर पूर्णत:संतुलित हो जाता हैं.इसके अलावा तनाव अनिद्रा ,जैसी समस्या जड़ से समाप्त हो जाती हैं.विचार और व्यहवार सकारात्मक बनता हैं.एकाग्रता बढ़ती हैं.
भ्रामरी प्राणायाम करने की विधि
::: सर्वप्रथम तर्जनी ऊँगली को दोंनों भोंहों के मध्य लगाते हैं.
::: मध्यमा से आँखों को बन्द करें.
::: अंगूठे से कानों को बंद करके गहरे श्वास के साथ
"ऊँ" का उच्चारण करतें हैं जिससे भँवरें के मंडरानें के समान आवाज निकालती हैं.
::: शुरूआत तीन से चार बार करके धिरें - धिरें बीस से इक्कीस बार तक बढा सकतें हैं.
एस्ट्रोजन :::
महिलाओं का प्रमुख हार्मोंन हैं.इसकी कमी से तनाव,सिरदर्द, और छोट़ी--छोटी़ बातों में घबराहट़,बैचेनी बढ़ जाती हैं.माहवारी अनियमित हो जाती हैं, जिससे मानसिक तनाव हो जाता हैं.आत्मविश्वास में कमी हो जाती हैं.एस्ट्रोजन को नियमित और संतुलित करनें वाला प्राणायाम निम्न हैं-
उद्गीथ प्राणायाम:::
इस प्राणायाम को नियमित रूप से करते रहनें से एस्ट्रोजन का स्तर संतुलित रहता हैं.आत्मविश्वास बढ़ता हैं.माहवारी नियमित आती हैं.
विधि:::
::: सुखासन में बैठकर आँखें बंद करलें.
::: गहरा श्वास भरकर "ऊँ" का उच्चारण करें.
::: अन्त में दोंनों हथेलियों को रगड़कर आँखों से स्पर्श करें.
आक्सीटोसीन :::
यह हार्मोंन प्यार हार्मोंन भी कहलाता हैं.इसकी कमी सम्बंधों को बिगाढ़ देती हैं,व्यक्ति परिवार ,जीवनसाथी आदि के प्रति निष्ठुर हो जाता है फलस्वरूप तलाक अलगाव जैसी समस्या जन्म लेती हैं.मनपंसद काम नही होनें से भी इसका स्त्राव कम हो जाता हैं.इसको बढ़ानें वाला प्राणायाम निम्न हैं ::
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अनुलोम -- विलोम ::
यह प्राणायाम आक्सीटोसीन का स्तर बढ़ाकर व्यक्ति में प्रेम,ममता और संतुष्टी का स्तर बढ़ाता हैं.और काम में रूचि पैदा करता हैं.
अनुलोम-विलोम करनें का सही तरीका :::
::: सर्वपृथम दाहिनें हाथ के अंगूठे से दाहिनी नासिका का छिद्र बन्द करते हैं और बांयी नासिका से श्वास गहरा श्वास लेतें हैं.
::: अब बांयी नासिका को तर्जनी और मध्यमा से बंद कर दाहिनी नासिका से श्वास छोड़तें हैं.
::: यह योगिक क्रिया दस से पन्द्रह मिनिट तक कर सकतें हैं.धिरे धिरे समय में इच्छानुसार बढ़ोतरी कर सकतें हैं.
इस प्राणायाम से ह्रदय रोग भी दूर होतें हैं.इसके अलावा कुड़लिनी जागरण,नेत्र ज्योति बढ़ती हैं.इसको नियमित रूप से करनें से शरीर से समस्त विषेैले पदार्थों बाहर निकल जातें हैं.
::: अब बांयी नासिका को तर्जनी और मध्यमा से बंद कर दाहिनी नासिका से श्वास छोड़तें हैं.
::: यह योगिक क्रिया दस से पन्द्रह मिनिट तक कर सकतें हैं.धिरे धिरे समय में इच्छानुसार बढ़ोतरी कर सकतें हैं.
इस प्राणायाम से ह्रदय रोग भी दूर होतें हैं.इसके अलावा कुड़लिनी जागरण,नेत्र ज्योति बढ़ती हैं.इसको नियमित रूप से करनें से शरीर से समस्त विषेैले पदार्थों बाहर निकल जातें हैं.
सिरोटोनिन :::
यह मनुष्य को अच्छा,खुशमिजाज रखनें वाला न्यूरोट्रांसमीटर हैं.इसका स्तर घट़नें पर मनुष्य आलसी,बेपरवाह और आत्महत्या करने वाला तक हो सकता हैं.इस हार्मोंन को बढ़ानें वाला आसन निम्न हैं.
कपालभाँति :::
इस योगिक क्रिया से सिरोटोनिन का स्तर बढ़नें के अतिरिक्त वज़न नियत्रिंत होता हैं.श्वास रोग,एलर्जी, पेट़ के समस्त रोग नष्ट हो जातें हैं.
विधि :::
::: सुखासन में बैठकर मध्यम गति से श्वास बाहर की और निकालते हैंं.श्वास लेते नहीं हैं,बल्कि श्वास अपने आप अन्दर चला जाता हैं.
::: शरूआत दस बारह बार से करके धिरें धिरें बढ़ायें.
::: इस आसन को खाली पेट़ ही करें.
प्रोजेस्ट्रोन :::
मनुष्यों को लंबी बाधारहित नींद सुलानें के लियें यही हार्मोंन जिम्मेदार माना जाता हैं..इसके अलावा स्त्रियों में मासिक धर्म से संबधित परेशानियों के लिये यही हार्मोंन उत्तरदायी होता हैं.इसका स्तर संतुलित रखनें के लिये प्राणायाम हैं::::
शवासन :::
यह समस्त प्रकार की मानसिक समस्या और तनावों को दूर कर शरीर के समस्त हार्मोंन को संतुलित रखनें वाला आसन हैं.
शवासन करनें की विधि :::
::: जमीन पर लेट जावें और दोनों पावों ,दोनों भुजाओं को फैला लें.
::: शरीर को शव के समान ढीला छोड़ दें.तत्पश्चात आँखे बंद कर गहरा श्वास लें और धिरें धिरें छोड़ें.
::: यह आसन पन्द्रह मिनिट से अपनी सामर्थ्यानुसार बढ़ाते रहें.
यह कुछ योगिक क्रियाएँ हैं जो शरीर में हार्मोंन का स्तर संतुलित करती हैं,इसके अलावा मनपसंद संगीत सुनने,मनपसंद जगह घुमनें,मनपसंद व्यक्ति के साथ समय गुजारनें तथा स्वस्थ खानपान की आदतों से भी शरीर में हार्मोंन संतुलित रहकर बीमारी दूर रहती हैं.अत: हमें हर समय सकारात्मक चिंतन करते हुये अपनें आसपास के माहोल को भी हँसी ठहाकों से लबरेज रखना चाहियें. किसी ने कहा भी हैं....जीनें के है चार दिन बाकि सब बेकार दिन.........
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