बकायन नीम |
बकायन नीम के फायदे Bakayan neem KE fayde
बकायन नीम :::
बकायन नीम का पेड़ भारतवर्ष में पाया जाता हैं । किन्तु पंजाब हिमाचल प्रदेश हरियाणा आदि क्षेत्रों में यह प्राकृतिक रूप से उगता हैं । बकायन नीम का पेड़ 32 से 40 फुट तक ऊँचा और छायादार होता हैं । इसके पत्ते नीम के पत्तों की ही तरह किन्तु नीम के पत्तों से बड़े होतें हैं । बकायन नीम के फल गुच्छों में लगतें हैं और पकनें पर पीले रंग के हो जातें हैं ।
बकायन नीम का तेल इसके फलों से निकाला जाता हैं । तथा फाल्गुन मास में बकायन नीम के पेड़ से एक प्रकार का दूधिया रस निकलता हैं । जो जहरीला होता हैं ।
बकायन नीम का संस्कृत नाम
संस्कृत में बकायन नीम को वृहत निम्ब,गैरिका,गिरिपक्षा,क्षीरा,और महाद्राक्षा कहतें हैं ।
बकायन नीम के हिन्दी नाम
बकरेला ,महानिम्ब,द्रेक और बकायन निम्ब
बकायन नीम का लेटिन नाम
बकायन नीम को लेटिन भाषा में melia Azedaracha कहतें हैं ।
बकायन नीम की प्रकृति
आयुर्वेद मतानुसार बकायन नीम शीतल,रूक्ष,और कड़वा माना जाता हैं ।
बकायन नीम के फायदे
1.कृमि रोगों में बकायन नीम के फायदे
पेट में यदि कृमि हो गई हैं तो बकायन नीम के पत्तों का 3 - 4 ML रस निकालकर भोजन के पश्चात पीनें से पेट के कृमि मर जातें हैं ।
बच्चों के पेट में कृमि हो तो आधा चम्मच बकायन के पत्तों का रस मिश्री या बतासें के साथ पीलायें ।
2.रक्तप्रदर में बकायन नीम के फायदे
यदि स्त्रीयों को माहवारी के समय रक्त अधिक जा रहा हो तो 5 ML बकायन नीम के पत्तों का रस और गूलर के पत्तों का 5 ML रस मिलाकर पिलानें से रक्तस्त्राव नियंत्रित हो जाता हैं ।
3.पेटदर्द में बकायन नीम के फायदे
पेटदर्द होनें पर बकायन नीम की 100 ग्राम छाल 1 लीटर पानी में उबाल ले एक तिहाई रह जानें पर इस क्वाथ में 10 ग्राम सौंठ चूर्ण मिला दें । इस क्वाथ को 10 Ml सुबह शाम सेवन करनें से पेटदर्द समाप्त हो जाता हैं ।
4.थाइराइड़ में बकायन नीम के फायदे
थाइराइड़ का कम होना और अधिक होना दोनों बहुत नुकसानदायक होता हैं । बकायन नीम थाइराइड़ ग्रंथि की कार्यप्रणाली में सुधार लाता हैं । इसके लियें बकायन की छाल को पीसकर गले के उस भाग पर जहाँ थाइराइड़ ग्रंथि उपस्थित होती हैं पर लेप लगा लें यह लेप रात को सोतें समय लगानें से बहुत अधिक फायदा मिलता है ।
हाइपोथायरायडिज्म में 10 - 12 बकायन नीम के पत्तों को पीनें के पानी के मटके मे डालकर यह पानी पीनें से आराम मिलता हैं ।
5.चर्मरोगों में बकायन नीम के फायदे
बकायन नीम चर्म रोगों की सबसे उत्तम दवा हैं खुजली होनें पर इसके पत्तों फलों और छाल को पीसकर लेप लगानें से बहुत शीघ्रता से आराम मिलता है ।
बकायन नीम के तेल को कर्पूर मिलाकर फोड़े फुंसी ,खुजली और रूखी त्वचा पर लगानें से बहुत तीव्र गति से आराम मिलता हैं ।
6.बकायन नीम के फायदे सफेद दाग पर
बकायन नीम के बीजों का तेल सफेद दाग पर लगानें से धिरें - धिरें सफेद दाग त्वचा के रंग में बदलनें लगतें हैं ।
इसकी छाल का क्वाथ बनाकर सुबह शाम 10 Ml पीनें से भी सफेद दाग मिटतें हैं ।
इसके पत्तों को पानी में उबालकर नहानें से भी सफेद दाग मिटतें हैं ।
7.घाव पर बकायन नीम के फायदे
जो घाव पक गये हो और लम्बें समय से ठीक नही हो रहे हो उन पर पत्तियों को पीसकर बाँधनें से आराम मिलता हैं ।
8.कानदर्द में बकायन नीम के फायदे
बकायन नीम का तेल 10 ML और 5 Ml शहद मिलाकर रूई में भिगो ले इस रूई को कानदर्द में कान के अंदर रखनें से बहुत आराम मिलता हैं ।
9.बकायन नीम के फायदे पथरी में
बकायन नीम की पत्तियों का भस्म बनाकर सुबह शाम 3 - 3 ग्राम लेनें से पथरी आसानी से निकल जाती हैं ।
10.फंगल इन्फेक्शन में बकायन नीम के फायदे
बकायन नीम के तेल को फंगल इन्फेक्शन पर लगाने से आराम मिलता हैं ।
10 - 12 बकायन नीम के पत्तोंमें पीसकर इसमें दही मिला ले फंगल इन्फेक्शन पर नहानें से आधा घँटा पहले लगाकर नहा ले बहुत शीघ्रता से आराम मिलता हैं ।
11.लकवा में बकायन नीम के फायदे
बकायन नीम का तेल और प्याज का रस समान मात्रा में मिलाकर लकवा प्रभावित अंग पर मालिश करनें से लकवा धिरें - धिरें ठीक हो जाता हैं ।
12.गठिया में बकायन नीम के फायदे
बकायन नीम के बीजों का चूर्ण 3 ग्राम सुबह शाम गुनगुनें जल के साथ लेनें से गठिया रोग में आराम मिलता हैं ।
बकायन नीम के बीजों को चीया बीज के साथ पीसकर गठिया प्रभावित अँग पर लेपन करना चाहियें ।
13.सिर के गंजेपन में बकायन नीम के फायदे
25 बकायन नीम के बीजों को 100 ML नारियल तेल में डालकर तब तक गर्म करें जब तक की बीज जल नही जायें इस तेल को गंजे सिर पर लगानें से धिरें - धिरें नये बाल आना शुरू हो जातें हैं ।
14.मधुमेह में बकायन नीम के फायदे
चावल बनातें समय बकायन नीम के आठ दस बीज इसमें डाल दे कुछ समय बाद जब चावल अधपके रह जायें चावल का पानी निकाल लें यह पानी ठंडा होनें पर पी ले । पुराना मधुमेह भी नियत्रंण में आ जाता हैं ।
15.सायटिका में बकायन नीम के फायदे
बकायन नीम की छाल पीसकर सायटिका के दर्द से प्रभावित भाग पर लेप करनें और इसके बाद बर्फ से सेंकनें पर सायटिका दर्द में तुरंत आराम मिलता हैं ।
16.आयुर्वेदिक हैंड सेनेटाइजर
आजकल बाजार में मिलने वाले अल्कोहल युक्त हैंड सैनेटाइजर के साइड-इफेक्ट बहुत हो रहें हैं। यदि आप बकायन नीम के पत्तों का रस ,ऐलोवेरा रस समान मात्रा में मिलाकर इसमें कुछ बूंदे पुदीना रस की डालकर आयुर्वेदिक हैंड सेनेटाइजर बनाएंगे तो यह आपके हाथों की सेहत बनाए रखेगा।
17.नेत्र रोगों में बकायन के फायदे
बकायन नीम के पत्तों या फलों को कुचलकर आँखों पर कुछ देर रखनें से गर्मीयों के दिनों में होनें वाली आँखों की जलन मिट जाती हैं ।
इसी प्रकार इसके पत्तों को पानी में रातभर भिगों दें सुबह इस पानी से आँख धोनें से मोतियाबिंद होनें की संभावना समाप्त हो जाती हैं और नेत्र ज्योति बढ़ती हैं ।
18.चोंट लगनें पर बकायन नीम के फायदे
यदि चोंट लगनें पर रक्त का थक्का जम गया हो तो बकायन नीम के पत्तों या छाल को पीसकर रक्त के थक्के वाले भाग पर बांध दें कुछ ही घंटों में रक्त का थक्का फट जायेगा ।
19.सिरदर्द में बकायन नीम के फायदे
बकायन नीम के पत्तों को कुचलक इसमें थोडा सा पुदीना रस मिला लें और इसकी पट्टी बनाकर सिर पर रखे । पुरानें से पुराना सिरदर्द समाप्त हो जाता हैं ।
20.टाइफाइड़ ज्वर में बकायन नीम के फायदे
बकायन के पके हुये बीज का पावड़र प्रतिदिन 5 - 5 ग्राम लेनें से टाइफाइड़ ज्वर समाप्त हो जातें हैं । इसी प्रकार बकायन नीम के पत्तों का 5 ML रस सुबह शाम पीनें से गर्मीयों के दिनों में होनें वाला टाइफाइड़ ज्वर समाप्त हो जाता हैं
21.दाँत दर्द में बकायन नीम के फायदे
बकायन नीम के फलों को सुखाकर पावड़र बना ले इस पावड़र से मंजन करनें से दाँतों का दर्द दूर होता हैं ।
बकायन नीम की पतली टहनी से रोज दातून करने वाले व्यक्ति के दाँत बुढापे में भी मज़बूत रहतें हैं ।
22.कैंसर में बकायन नीम के फायदे
कैंसर होनें पर यदि किमोथेरपी चल रही हैं तो बकायन नीम के पत्तों का रस सुबह शाम 10 - 10 ML पिया जायें तो किमोथेरपी के घातक प्रभाव शरीर पर नहीं पड़तें हैं ।
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23.मुँह के छालों में बकायन नीम के फायदे
बकायन नीम की छाल 3 ग्राम पान के पत्तें में मिलाकर खानें से मुँह के छालें अतिशीघ्र ठीक हो जातें हैं ।
24.मूत्रावरोध में बकायन नीम के फायदे
यदि मूत्र नही आता हैं बार बार रूक कर आता हैं तो बकायन नीम के पत्तों का रस 15 ML तीन चार बार पिलानें से मूत्र खुलकर आता हैं ।
बकायन नीम के नुकसान
बकायन नीम शीतल ,मलअवरोधक और इसका दूध जहरीला होता हैं । इसके अधिक सेवन से लीवर को नुकसान पहुँचता हैं । अतः शीत प्रकृति के व्यक्ति बकायन नीम का आंतरिक प्रयोग वैधकीय परामर्श के बाद ही करें।
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