कान्वलेसंट प्लाज्मा थैरेपी क्या हैं
What is Convalescent plasma therpy in hindi
convalescent plasma therapy |
कान्वलेसंट प्लाज्मा थैरेपी plasma therapy रोग उपचार की एक पद्धति हैं । जिसमें संक्रामक बीमारी से पूर्ण स्वस्थ हो चुकें व्यक्ति के रक्त से एंटाबाडी निकालकर संक्रामक बीमारी से ग्रसित व्यक्ति के रक्त में प्रतिस्थापित कर उपचार किया जाता हैं ।
"कान्वलेसंट प्लाज्मा थैरेपी plasma therapy की खोज जर्मन वैज्ञानिक वान बेहरिंग ने की थी । इस पद्धति द्धारा उन्होनें टिटनस और डिप्थीरिया का इलाज किया था" ।
#कोरोना वायरस के उपचार में कान्वलेसंट प्लाज्मा थैरेपी किस प्रकार मददगार हो सकती हैं ?
लगभग एक शताब्दी पुरानी यह पद्धति फिर से चर्चा में तब आई जब कोरोना वायरस से जूझ रहें पूरे विश्व की सरकारों ने इस पद्धति से कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों का उपचार करनें की अनुमति प्रदान की। भारत का ICMR indian council of medical research भी इस पद्धति से उपचार की अनुमति प्रदान कर चुका हैं ।
कान्वलेसंट प्लाज्मा थैरेपी में कोविड़ 19 बीमारी से पूर्णत : स्वस्थ हो चुके और दो बार कोरोना वायरस से नेगेटिव व्यक्ति से 14 दिन बाद रक्त लिया जाता हैं । एक व्यक्ति से एक बार में एक यूनिट रक्त लिया जाता हैं। जिसमें 800 एंटीबाडी मोजूद रहतें हैं यह एँटीबाडी चार संक्रामक व्यक्ति को चढायें जातें हैं ।
चूंकि स्वस्थ्य हो चुके व्यक्ति के एँटीबाडी संक्रामक बीमारी से लडकर विजय हो चुके हैं अत: यह एंटीबाडी बीमारी से ग्रसित व्यक्ति के शरीर में पहुँचकर रोग प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर देतें हैं जिससे बीमारी खत्म हो जाती हैं ।
स्पेनिश फ्लू महामारी के समय एक मेडिकल बुलेटिन में यह दावा किया गया था कि संक्रामक बीमारी से बचे लोगों का प्लाज्मा बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को चढ़ानें से मृत्यु दर में 50% कमी की जा सकती हैं ।
सन् 1934 में भी पैनिसिल्विया के बोर्डिंग स्कूल में एक छात्र खसरा से प्रभावित हुआ था जब इसके ब्लड़ सिरम को harvesr करके बोर्डिंग के अन्य 62 छात्रों को चढ़ाया गया तो मात्र तीन छात्रों में ही मामूली खसरें के लक्षण दिखाई दिये थें ।
कोविड़ 19 के इलाज से पूर्व यह विधि सार्स,मर्स,इबोला और H1N1 बीमारी के उपचार में काम ली जा रही थी । और इन बीमारीयों के उपचार में यह पद्धति बहुत हद तक सफल भी रही लेकिन लगातार अपना स्ट्रेन बदल रहें कोविड़ 19 वायरस से प्रभावित व्यक्ति के उपचार में यह पद्धति कारगर होगी
इस संबध में न्यूयार्क मेडिकल सेंटर के चीफ मेडिकल आँफिसर डाँ.ब्रूस रीड का मानना हैं कि यह थैरेपी कोविड़ 19 के उपचार में आपातकालीन व्यवस्था के रूप में प्रयोग की जा रही हैं लेकिन इसकी सफलता एक के बाद एक ठीक हो रहे मरीजों की प्रतिशतता के आधार पर ही निर्धारित होगी ।
कोविड 19 के इलाज में प्लाज्मा थैरेपी के उपयोग के संबध में एक बड़ा प्रश्न यह भी उठ रहा हैं कि चीन में कोरोना वायरस से ठीक हो चुके कई मरीज फिर से कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुकें हैं । तो क्या ऐसे व्यक्ति के एँटीबाडी बीमारी से निपटनें में मददगार होंगें ?
वास्तव में यह गंभीर प्रश्न हैं जिसका उत्तर व्यापक चिकित्सकीय शोध के उपरांत ही दिया जा सकता हैं ।
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