हरसिंगार या पारिजात के फायदे
हरसिंगार का संस्कृत नाम क्या हैं ?
हरसिंगार को संस्कृत में पारिजात ,प्रजापत ,हारश्रृंगार ,नल कुंकुम और रागपुष्पी नामों से जाना जाता हैं ।
हरसिंगार का देशी नाम क्या हैं ?
हरसिंगार को देशी भाषा में सियारी,बिनारी, सिंगार और पारिजात के नाम से जाना जाता हैं ।
हरसिंगार का लेटिन नाम क्या हैं ?
हरसिंगार का लेटिन नाम निकटेथिस आरबेस्ट्रिटस Nyctanthes arbortristis हैं।
हरसिंगार को इंग्लिश में क्या कहतें हैं ?
हरसिंगार को इंग्लिश में coral jasmine कहतें हैं।
हरसिंगार का परिचय :::
हरसिंगार के वृक्ष की लम्बाई 5 से लेकर 12 फीट तक होती हैं । इसमें सफेद रंग के फूल आतें हैं जिनकी खुशबू बहुत आनंदमय होती हैं ।
हरसिंगार के फूलों की डंडिया केसरिया रंग की होती हैं।
हरसिंगार के औषधीय उपयोग :::
वातव्याधि में हरसिंगार के फायदे :::
गठिया, जोड़ों के दर्द जैसी वातव्याधि वाली बीमीरियों में हरसिंगार के पत्तों और ताजें फूलों का क्वाथ बनाकर पिलानें से रोगी ठीक हो जाता हैं ।
जीर्ण ज्वर में हरसिंगार :::
हरसिंगार के पत्तों का 10 ML रस निकालकर शहद के साथ सुबह शाम 7 दिनों तक चटानें से जीर्ण ज्वर समाप्त हो जाता हैं ।
पित्त विकार में हरसिंगार :::
हरसिंगार के ताजे पत्तों का रस निकालकर छान ले यह रस लगभग 15 ML की मात्रा में लेकर इसमें इतनी ही मिश्री मिला ले सुबह शाम करके यह रस पीनें से पित्त विकारों की समस्या दूर हो जाती हैं ।
• वात पित्त और कफ प्रकृति के लक्षण
बवासीर में हरसिंगार :::
हरसिंगार के सूखे बीजों को कूटकर लगभग इतनी मात्रा हरड़ के बीजों को कूटकर लेकर मिला लें यह मिश्रण भोजन के पश्चात सुबह शाम खानें से बवासीर से निजात मिलती हैं ।
चर्मरोगों में हरसिंगार के फायदे :::
हरसिंगार के पत्तों को पीसकर दाद खाज खुजली में लगानें से आशातीत परिणाम मिलता हैं लेकिन ध्यान रहे छोटें बच्चों पर यह प्रयोग नही करें क्योंकि हरसिंगार के पत्तें बहुत जलन पैदा करतें हैं ।
•फंगल इन्फेक्शन कारण और प्रकार
अस्थमा में हरसिंगार :::
हरसिंगार की छाल 10 ग्राम 250 ML पानी में तब तक उबालें जब तक यह पानी 50 ML न रह जावें अब इस क्वाथ को सुबह शाम 30 ML की मात्रा में सेवन करवानें से अस्थमा में राहत मिलती हैं ।
टाइफाइड़ में हरसिंगार के फायदे :::
टाइफाइड़ में हरसिंगार के पत्तों का रस त्रिकटु के साथ सेवन करवानें से बहुत जल्द टाइफाइड़ समाप्त हो जाता हैं ।
गंजेपन में हरसिंगार :::
इसके बीजों का चूर्ण बनाकर नहानें से पहले सिर पर लेप करें तथा 15 मिनिट बाद सिर धो लें इस प्रयोग से गंजें सिर पर नवीन बालों का निर्माण प्रारंभ होता हैं ।
थकान में हरसिंगार के फायदे :::
हरसिंगार की छाल का तेल शरीर पर मालिश करनें से थकावट दूर होकर शरीर की कांति बढ़ती हैं ।
साइटिका रोग में हरसिंगार :::
हरसिंगार की छाल 30 ग्राम लेकर उसे 250 ML जल में तबतक उबाले जब तक की पानी 50 ML के करीब नही रह जायें ,इस क्वाथ का नियमित सुबह शाम सेवन करनें से साइटिका में आराम मिलता हैं ।
कृमि रोगों में हरसिंगार के फायदे :::
इसके पत्तों का थोडा रस निकालकर बतासे या शक्कर के साथ देनें से पेट़ के कृमि बाहर निकल जातें हैं ।
रक्तप्रदर में हरसिंगार :::
हरसिंगार की दस ताजी कोपल और तीन चार काली मिर्च मिलाकर सेवन करनें से अधिक रक्तस्त्राव बंद हो जाता हैं ।
बलगम निकालनें में हरसिंगार के फायदे :::
हरसिंगार के पत्तों का एक चम्मच रस लेकर उसमें थोड़ा सा नमक मिला लें इस तरह यह मिश्रण रात को सोतें वक्त लेनें से फेफड़ों में जमा बलगम आसानी से निकल जाता हैं ।
नपुसंकता में हरसिंगार के फायदे :::
इसके फूलों की टहनी बहुत कामोत्तेजक होती हैं इसका चूर्ण या रस सेवन करनें से नपुसंकता में बहुत आराम मिलता हैं । साथ ही यह स्त्री और पुरूष नपुसंकता में समान रूप से फायदेमंद होती हैं ।
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