Header Ads

विटामिन D और हमारा स्वास्थ किस प्रकार संबधित हैं जानियें विटामीन D के कुछ अनुपम स्वास्थ्य लाभ (vitamin D and our health)

विटामिन D और हमारा स्वास्थ

विटामिन D vitamin D हमारें शरीर में सूर्य की धूप में खड़े रहनें से मिलता हैं.

यदि व्यक्ति सुबह की गुनगुनी धूप में दस मिनिट खड़ा रहें,तो उसे पर्याप्त मात्रा में विटामिन D मिल जाता हैं.
 

विटामिन D हमारी हड्डीयों के स्वास्थ के लियें बहुत महत्वपूर्ण विटामिन हैं,क्योंक इसकी उपस्थिति में ही हड्डीया कैल्सियम ग्रहण कर पाती हैं.
विटामीन D

विटामिन D हमारी हड्डीयों के स्वास्थ के लियें बहुत महत्वपूर्ण विटामिन हैं,क्योंक इसकी उपस्थिति में ही हड्डीया कैल्सियम ग्रहण कर पाती हैं.

अनेक शोधों में यह प्रमाणित हुआ हैं,कि विटामिन D न केवल हड्डीयों के स्वास्थ के लिये ज़रूरी हैं,बल्कि कई अन्य शारीरिक क्रियाकलाप इसकी कमी या अनुपस्थिति में प्रभावित होतें हैं.जैसें


#1.ह्रदय के क्रियाकलाप :: 


ह्रदय हमारें शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं,जिसके सही संचालन पर ही हमारा उत्तम स्वास्थ्य निर्भर करता हैं.

अनेक शोधकर्ताओं ने प्रयोग द्धारा यह सिद्ध किया हैं,कि यदि ह्रदय को विटामिन D vitamin D की आपूर्ति बाधित होती हैं,तो धमनियों में कैल्सियम जमा हो जाता हैं,जिससे कि ह्रदयघात का जोखिम बढ़ जाता हैं.


#2.उच्च रक्तचाप :::


विटामिन D की कमी होनें पर खून में जमा कैल्सियम की वज़ह से ह्रदय को अधिक कार्य करना पड़ता हैं,फलस्वरूप उच्च रक्तचाप की समस्या पैदा हो जाती हैं.

#3.मधुमेह :::


विटामिन D की कमी का असर हमारें पेन्क्रियास पर पड़ता हैं,और इसकी माँसपेशिया कमज़ोर हो जाती हैं,फलस्वरूप ये माँसपेशियों इंसुलिन का स्त्रावण ( secretion) नहीं कर पाती हैं,जिसका परिणाम मधुमेह होता हैं.

#4.मस्तिष्क स्वास्थ्य :::


हमारा मस्तिष्क बहुत जटिल संरचनाओं से निर्मित होता हैं.इन जटिल संरचनाओं के कुशल कार्य हेतू अनेक पोषक तत्वों की ज़रूरत पड़ती हैं.

अनेक शोधों से यह प्रमाणित हुआ हैं,कि विटामिन D की कमी से माइग्रेन, अवसाद,डिमेंसिया,अत्यधिक नींद आना जैसी बीमारी पैदा हो जाती हैं.

चूहो पर किये अध्ययन में यह प्रमाणित हुआ कि जिन चूहों को समय समय पर विटामिन D युक्त आहार दिया गया उनमें चुस्ती फुर्ती एंव मानसिक एकाग्रता उन चूहों से अधिक पाई गयी जिन्हें बिना विटामीन D दिये दूसरें समूह से अलग रखा था.

#5.रोगप्रतिरोधक प्रणाली :::



जिन लोगों में विटामिन D की कमी होती हैं,वे बार - बार बीमार होतें हैं,क्योंकि श्वेत रक्तकणिकाये इसकी अनुपस्थिति में फूलकर बीमार हो जाती हैं,फलस्वरूप प्रतिरोधक तंत्र कमज़ोर होकर अनेक बीमारियाँ पैदा हो जाती हैं.

#6.पेट संबधित परेशानियाँ :::


एक शोध द्धारा स्पष्ट हुआ कि जो लोग मोटे थें,उनमें एसीडीटी, बदहजमी,कब्ज की समस्या अधिक थी.

जब इसके कारणों का विश्लेषण किया गया तो एक कारण यह भी निकला कि मोटें लोगों की त्वचा में जमा चर्बी सूर्य की रोशनी से बननें वालें विटामिन D की प्रक्रिया को बाधित करती हैं,

फलस्वरूप शरीर को पर्याप्त विटामिन नही मिल पाता यही विटामिन D की कमी आंतों की कार्यपृणाली घटाती हैं,जिससे एसीडीटी, कब्ज, बदहजमी जैसी समस्या पैदा हो जाती हैं.

#7.हड्डीयों का स्वास्थ्य :::


हड्डीयों का स्वास्थ्य निर्धारित करनें में विटामिन D का योगदान बहुत महत्वपूर्ण होता हैं,

यदि इसकी कमी होगी तो हड्डीयाँ चटकना,हाथ पैरों में तीव्र दर्द,जोड़ों में दर्द ,माँसपेशियों में दर्द जैसी समस्या पैदा हो जाती हैं.

इसके अलावा शरीर की लम्बाई निर्धारित करनें में भी विटामिन D महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं,इसकी कमी से  बोनापन और शरीर का अनियमित विकास होता हैं.

रक्त में यदि कैल्सियम का नियत्रंण विटामिन D की कमी से नही होता हैं,तो कैल्सिमिया नामक रोग हो जाता हैं.

# 8.महिला स्वास्थ्य :::


महिलाओं का स्वास्थ्य निर्धारित करनें में विटामिन की भूमिका को नज़रअंदाज नही किया जा सकता इसकी कमी से pcod,बांझपन,अनियमित मासिक चक्र,बार - बार गर्भपात जैसी समस्या पैदा हो जाती हैं.

#9.त्वचा स्वास्थ्य :::


आस्ट्रेलिया के मेनजीन संस्थान के शोधकर्ताओं के मुताबिक विटामिन D त्वचा के लिये बहुत महत्वपूर्ण विटामिन हैं,

यदि यह विटामिन त्वचा के माध्यम से हमारें शरीर को मिलता हैं,तो त्वचा संबधित बीमारियाँ जैसें दाद खाज खुजली होनें की संभावना कम हो जाती हैं,इसके अलावा रोमछिद्रों के खुलनें से त्वचा की सुंदरता बढ़ती हैं.

#10. योन सम्बंधों में चरम सुख का अभाव :::


जिन महिला पुरूषों में विटामिन D की कमी होती हैं,वे योन सम्बंधों में चरमसुख प्राप्त नही कर पातें हैं,क्योंकि शारीरिक सम्बंध बनानें के समय वे बहुत जल्दी थककर स्खलित हो जातें हैं.

इसी प्रकार इसकी कमी से योनि में कसावट़ का अभाव,लिंग का ढ़ीला होना जैसी समस्या आम हो जाती हैं.

#11.विटामिन D की कमी पहचानने वाला परीक्षण :::


विटामिन D की कमी को पहचानने के लिये 25 OH D TEST किया जाता हैं,जिसमें खून में मोजूद 25 हाइड्राक्सी विटामिन शरीर में मोजूद विटामिन D की मात्रा को बताता हैं.

विटामिन D की शरीर में मोजूदगी को नेनोग्राम में मापा जाता हैं.
शरीर में 12 नेनोग्राम न्यूनतम विटामिन D का स्तर होना चाहियें, जबकि इसकी अधिकतम मात्रा 50 नेनोग्राम होनी चाहियें.

#12.विटामिन डी युक्त आहार :::


 विटामिन D हमारें शरीर द्धारा सूर्य की रोशनी के सम्पर्क में आनें से निर्मित होता हैं।

10 मिनिट तक सुबह की गुनगुनी धूप में खड़े रहनें से  हमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन D मिल जाता हैं.किन्तु कुछ खाद्य पदार्थ भी हैं,जो विटामीन डी का बहुत अच्छा स्त्रोंत हैं जैसें समुद्री उत्पाद ,काँड लीवर आइल,मशरूम,दूध,मक्खन,चीज,अंकुरित अनाज और सूखे मेवे जैसें अखरोट,काजू विटामिन D का बहुत अच्छा स्रोत हैं.


विटामिन डी की अधिक मात्रा  लेनें से क्या नुकसान होता हैं 

विटामिन डी की अधिकता शरीर के लिए हानिकारक मानी जाती हैं जिससे निम्न समस्या उभर सकती हैं

• चक्कर आना

• शरीर में कमजोरी महसूस होना


• ह्रदय संबंधित रोग

• पथरी होना 

• सिरदर्द होना

विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट लेने का सबसे बेहतरीन समय कोंन सा हैं? 

लेखक : डाक्टर नीरज एम.बी.बी.एस.एम.डी. (फिजिशियन) 
स्रोत-webmd

यह सवाल बहुत सारे लोगों के मन में आता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि विशेषज्ञ इस बारें में क्या सोचते हैं. 

तो आईए जानतें हैं विशेषज्ञों के अनुसार विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट लेने के सबसे बेहतरीन समय के बारें में

• पोषण विशेषज्ञों के अनुसार विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट लेने का समय विटामिन के प्रकार के आधार पर निर्धारित होता हैं उदाहरण के लिए विटामिन बी काम्प्लेक्स पानी में घुलनशील अन्य विटामिन सुबह के समय भोजन या नाश्ते के बाद लेना उचित होता हैं.


• वसा में घुलनशील विटामिन ए और ई रात के भोजन के बाद लेना उचित होता हैं क्योंकि ये भोजन के साथ बेहतर तरीके से शरीर में अवशोषित होते हैं . खाली पेट लेने से ये विटामिन बैचेनी और जी मचलाने जैसी समस्या पैदा करते हैं.


• यदि आप कैल्शियम और मिनरल सप्लीमेंट एक साथ ले रहे हैं तो इनमें कुछ घंटों का अंतराल रखें ताकि ये अलग अलग बेहतर तरीके से अवशोषित हो सकें.


• यदि आप पहले से ही रक्तचाप, थाइरॉइड, मधुमेह या अन्य कोई दवा लें रहें हैं तो विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट लेने से पहले अपने डाक्टर से अवश्य परामर्श करें.


• पूर्व से चल रही दवाई के पूर्व या पश्चात विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट लेना बेहतर होता हैं इसके लिए अपने डाक्टर से सलाह लें.


• हर व्यक्ति को विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट की आवश्यकता उसकी उम्र, वजन आदि के आधार पर  निर्धारित होती है अतः विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट की खुराक स्वयं से निर्धारित करने के बजाय चिकित्सक के परामर्श के उपरांत ही करें.


• आपके शरीर को वास्तव में विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट की आवश्यकता है या नहीं इसका निर्धारण पेथालाजी जांच के उपरांत ही होता हैं.अत:बिना पेथालाजी जांच के विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट ना लें.


• क्या विटामिन के लेने से उम्र बढ़ती हैं? इस सवाल का जवाब यह है कि इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट लेने से उम्र बढ़ती है अतः सोशल मीडिया पर चल रहें अप्रमाणिक तथ्यों से सावधान रहें.


• आजकल युवा वर्ग सिक्स एब बनाने के चक्कर में सीधे मेडिकल पर जाकर प्रोटीन सप्लीमेंट खरीदकर बिना सोचे समझे उपयोग कर रहे हैं इस प्रवृत्ति से सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि बिना पोषण विशेषज्ञ की सलाह के प्रोटीन सप्लीमेंट लेना आपकी किडनी की सेहत ख़राब कर सकता हैं.


• विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट बहुत जरूरी या डाक्टर की सलाह पर ही लें . 


• विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट की पूर्ति प्राकृतिक तरीकों फल, सब्जियों, दूध, आदि से करने का प्रयास करें.


• विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट डाक्टर द्वारा बताई गई निर्धारित अवधि तक ही प्रयोग करें उसके पश्चात विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट का उपयोग बंद कर दें.





• च्वनप्राश



० तेलों के हेरान करने वाले फायदे





० यूटेराइन फाइब्राइड़


• माइग्रेन का आयुर्वेदिक उपचार


कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.