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WHAT IS AIDS। एड्स क्या है । एचआईवी और एड्स में क्या अंतर है ,एड्स और समाज

#1.एड्स क्या है [WHAT IS AIDS] 
एड्स
 विश्व एड्स दिवस

एड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड़ इम्यूनों डेफिसेएन्सी सिंड्रोंंम Acquired immuno deficiency syndrome हैं.

यह वायरसजनित रोग हैं,जिसमें शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र इतना कमज़ोर हो जाता हैं,कि सामान्य बीमारी भी उपचार के द्धारा ठीक नही होती हैं.

अत:एड्स कोई बीमारी नही हैं,बल्कि बीमारीयों से लड़नें की शरीर की प्राकृतिक क्षमता का हा्स हैं.और ऐसी अवस्था में व्यक्ति साधारण बीमारी के भी चपेट़ में आकर मृत्यु को प्राप्त हो जाता हैं.



#2.एच.आई.वी.[H.I.V.] :::


एड्स के लियें जिम्मेदार वायरस का नाम HIVहैं.इसका पूरा नाम ह्यूमन इम्यूनोंडिफिसिएंसी वायरस (Human immunodeficiency virus) हैं.इस वायरस की खोज 1983 में फ्रांस के लक मोंटेगनियर नामक scientist ने की थी.
VIRUS
 HIV VIRUS

HIV वायरस भी दो प्रकार का होता हैं ::

• HIV - 1

• HIV - 2

हमारें शरीर में टी - लिम्फोसाइट नामक प्रतिरक्षी कोशिकाएँ होती हैं,यह कोशिकाएँ रोगाणुओं से शरीर की रक्षा करती हैं.किन्तु जब HIV कोशिकाँए शरीर में प्रवेश करती हैं,तो टी - लिम्फोसाइट कोशिका की सतह पर स्थित CD - 4 और CD - 26 नामक प्रोटीन से प्रतिक्रिया कर GP - 26 नामक अणु बना लेती हैं.फलस्वरूप HIV कोशिकाँए तेजी के साथ अपना विकास करती  हैं.

जब HIV कोशिकाँए बहुत अधिक सँख्या में हो जाती हैं,तो व्यक्ति सामान्य बीमारीयों से भी अपनी रक्षा नही कर पाता फलस्वरूप व्यक्ति की मृत्यु हो जाती हैं.


वैज्ञानिकों के अनुसार जब मनुष्य ने चिंपाजी का मांस खाया होगा तो चिंपाजी के शरीर में मौजूद सिमिएन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस SIV म्यूटेशन होकर  एचआईवी के 



HIV और AIDS में क्या अंतर है 


एड्स पीड़ित व्यक्ति को HIV होगा ही लेकिन यह जरूरी नहीं है कि एचआईवी से पीड़ित हर व्यक्ति को एड्स हो। एड्स की स्थिति का असल कारण HIV ही हैं।


आमतौर पर एचआईवी वाले व्यक्तियों में एड्स की स्थिति बनने में  सालों लग जाते हैं,अक्सर तीन से दस साल या उससे भी ज्यादा, इस दौरान एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति काफी स्वस्थ लगता है और भरा-पूरा जीवन जी सकता हैं।


#3.एड्स का इतिहास :::


एड्स का पहला रोगी संयुक्त राज्य अमेरिका में खोजा गया था,यह एक होमो सेक्सुअल पुरूष था,जिसका नाम गटेन डगास था जो कि एड्स से मरा था.

ऐसा माना जाता हैं,कि इस रोग का प्रसार बंदरो से मनुष्य में हुआ हैं.क्योंकि सिरोलाजिकल प्रमाण बताते हैं,कि मनुष्यों मे यह वायरस 1979 से पूर्व नही था.

भारत में एड्स का प्रथम रोगी सन् 1986 में खोजा गया था.

#4.एड्स के लक्षण :::


एड्स कई सारे लक्षण प्रकट होतें हैं,किन्तु कुछ प्रमुख लक्षण निम्न हैं,जिनकी सहायता से एड्स को पहचाना जा सकता हैं.फिर भी पक्के तोर निष्कर्ष निकालनें से पूर्व परीक्षण करवाना चाहियें.


• वज़न का लगातार कम होना.


• लम्बें समय तक बुखार का होना.


•  दस्त उल्टी होना जो लगातार एक महिनें से हो रही हैं.


• खांसी जो लम्बें समय से चल रही हो या टी.बी.



• शरीर पर जिद्दी खुजली जो लम्बें समय से ठीक नही हो रही हो.




#5.एड्स की जांच कैसे की जाती है :::

1.एलीसा परीक्षण (Aliza Test)


इस परीक्षण का पूरा नाम एंजाइम लिंक्ड़ इम्यूनोसारबेंट हैं.इस टेस्ट में एंजाइमों की सहायता से एन्टीबाँड़ी का पता लगाया जाता हैं.इस टेस्ट की सहायता से Hiv 1 और 2 का आसानी से पता लगाया जा सकता हैं,तथा परिणाम भी शीघृ आता हैं.


#6.एड्स फैलने के कारण :::



एड्स फैलने की मुख्यत: चार वज़ह होती हैं ::


१.असुरक्षि योन सम्पर्क से ,यदि कोई एड्स संक्रमित पुरूष या महिला स्वस्थ व्यक्ति से शारीरिक सम्पर्क स्थापित करता हैं,तो महिला के योनि दृव्य तथा पुरूष के वीर्य के माध्यम से विषाणु स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रविष्ट हो जाते हैं.


२.संक्रमित रक्त के आदान प्रदान से एड्स संक्रमित व्यक्ति का  रक्त किसी सामान्य व्यक्ति को चढ़ाया जाता हैं तो सामान्य व्यक्ति एड्स की चपेट़ में आ जाता हैं.


३.संक्रमित सिरींज के उपयोग से एड्स से संक्रमित व्यक्ति को लगाई गई सुई यदि सामान्य व्यक्ति को लगाई जाती हैं,तो उसके एड्स से संक्रमित होनें की संभावना होती हैं.


४.एड्स संक्रमित माँ से होनें वाले शिशु में एड्स का संक्रमण होता हैं.किन्तु आजकल ऐसी दवाईयाँ उपलब्ध हो गई हैं,जिससे की एड्स का फैलाव गर्भस्थ में होनें से रोका जा सकता हैं.


क्या एड्स हवा के माध्यम से भी फैलता है 


एड्स का वायरस बेहद नाजुक होता हैं यह मानव शरीर के बाहर ज्यादा देर जिवित नही रह पाता है। सूखी अवस्था में यह वायरस तुरंत मर जाता हैं। 


एक सूखी फर्श पर एड्स का वायरस 15 से 20 मिनिट में मर जाता हैं। 

#7.एड्स नही फैलता :::


१.हाथ पकड़ने


२.साथ - साथ खानें या पीनें से



३.छींकने,खाँसनें तथा मच्छरो के संक्रमित व्यक्ति को काट़ने के पश्चात स्वस्थ व्यक्ति को काट़ने से क्योंकि एड्स वायरस मच्छर के पेट़ में जीवित नही रह पाता।


४.एक ही शोचालय या स्नानागार के इस्तेमाल से एड्स नही फैलता हैं.





#8.एड्स का उपचार :::


एड्स के उपचार के सन्दर्भ में अनेक परीक्षण और शोध दुनिया के समस्त विकसित और विकासशील राष्ट्रों में चल रहे हैं,किन्तु एड्स उपचार की दिशा में आंशिक सफलता ही मिली हैं.
 

० क्रिकेट अतीत से वर्तमान


 कुछ एंटी रिट्रोवायरल दवायें एड्स संक्रमित व्यक्ति के संक्रमण को फैलने से रोकती हैं,जिससे रोगी लम्बी जिंदगी जी सकता हैं,किन्तु यह रोगी के संक्रमण को समाप्त नही करती हैं.


एजिडाथीमाइन और जिड़ोब्यूडायन नामक दवाईयों से गर्भस्थ शिशु को संक्रमित माँ के संक्रमण से बचाया जा सकता हैं.किन्तु यह दवाईयाँ इतनी मंहगी हैं,कि विकासशील देशों के सामान्य आदमी के लिये इनको खरीद पाना लगभग असंभव हैं.


आनें समय में यदि सरकारें और विश्व स्वास्थ संगठन एड्स  पर होनें वाले शोधों को और बढ़ाने का प्रयास करती हैं,तो निश्चित रूप एड्स लाइलाज नही रह पायेगा.


एड्स के साथ व्यक्ति लम्बा जीवन जी सकता है यदि व्यक्ति इलाज के साथ निम्न काम करें

• उपचार के साथ संतुलित आहार

• मानसिक मजबूती के लिए ध्यान,योगा, प्राणायाम

• तम्बाकू,शराब आदि से दूरी

• शरीर में किसी बीमारी के लक्षण उभरने पर तुरन्त चिकित्सक से परामर्श



कद्दू के औषधीय उपयोग


पलाश वृक्ष के औषधीय गुण


० नीम के औषधीय उपयोग



एड्स और समाज


वैसे तो मनुष्य की उत्पत्ति के साथ ही बीमारियाँ मनुष्य के साथ पैदा हो गई थी,परन्तु मनुष्य  अपनी बुद्धिमता के दम पर इन बीमारीयों पर विजय प्राप्त करता रहा है,किन्तु विगत तीन दशकों से एड्स नामक बीमारीं लगातार मनुष्यों और समाज को प्रभावित कर रही हैं,आईयें जानतें हैं एड्स के विभिन्न प्रकार से मनुष्य और समाज पर पड़नें वालें प्रभावों के बारें में

मनोशारीरिक प्रभाव 

 एड्स एक मनोशारीरिक बीमारीं हैं,मनोशारीरिक इस रूप में कि एड्स (Aids) के 70  से 80 प्रतिशत मामलें "यौनजनित" होते हैं.ऐसे में एड्स पीड़ित व्यक्ति को समाज घृणा के दृष्टिकोण से देखता हैं,और इसका प्रभाव मनुष्य पर भी अनेक मनोशारीरिक बीमारीं जैसें मानसिक उन्माद,जीवन के प्रति निराशा आदि के रूप में पड़ता हैं.


सामाजिक प्रभाव


यदि एड्स को चिकित्सा जगत की चुनोतीं से बढ़कर "सामाजिक जगत" की चुनोतीं कहा जायें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी एड्स (Aids) पीड़ित व्यक्ति का सामाजिक जीवन लगभग समाप्त हो जाता हैं.पड़ोसी बातचीत बन्द कर देतें हैं.यदि किसी परिवार में माता एड्स पीड़ित हैं और बच्चा एड्स से बचा हुआ हैं,तो भी उसका सामाजिक जीवन समाप्तप्राय हो जाता हैं. बच्चें की शिक्षा स्कूलों में नहीं हो पाती यदि किसी स्कूल (School) ने बच्चें को दाखिला   (Admission) दे भी दिया तो दूसरें बच्चें अपनें माँ बाप के दबाववश होकर उससे दूरी बना लेतें हैं.सोचियें क्या यह दृष्टिकोण किसी विकसित या अल्पविकसित राष्ट्रों की सामाजिक व्यवस्था के उचित विकास के दृष्टिकोण से आवश्यक हैं.


आर्थिक प्रभाव (Economical aspects)


एड्स "आर्थिक" दृष्टिकोण से भी एक राष्ट्र की "अर्थव्यवस्था" को नुकसान पहुँचाता हैं,एड्स पीड़ित अस्सी प्रतिशत व्यक्ति कामकाजी और घर के मुखिया  हैं ,ऐसी अवस्था में सम्पूर्ण परिवार गरीबी के दलदल में फँस जाता हैं.राष्ट्रों का अधिकांश बजट़ स्वास्थ क्षेत्र में व्यय हो जाता हैं.फलस्वरूप अनेक विकासात्मक ( Development) कार्यक्रम (programme) पीछें छूट जातें हैं.यदि विकासात्मक परियोजनाएँ पूरी करनें की ज़रूरत पड़ती हैं,तो वह दूसरें राष्ट्रों से कर्ज "Loan"लेकर ही पूरी हो पाती हैं.

हमें एड्स के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण अत्यंत मानवीय बनाना होगा तभी हम इस बीमारीं से पीड़ित व्यक्ति के प्रति न्याय कर पायेंगें अन्यथा यह बीमारीं भी कुष्ठ ( Leprosy),पोलियों (Polio), की भाँति आनें वालें समय में चिकित्सा जगत के लियें चुनोतीं भले ही नहीं रहें परन्तु सम सामाजिक व्यवस्था को गंभीर चुनोतीं प्रस्तुत करेगी.क्या हम ऐसी सामाजिक व्यवस्था बनानें में कामयाब हो पायेेगें जिसमें दया,और करूणा मनुष्य की एकमात्र पहचान हो ?












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