सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

नक्सलवाद और आतंकवाद


भारत की आज़ादी के समय से ही आंतरिक और बाहरी सुरक्षा चुनोंतिया भारत के समक्ष विधमान रही हैं.कितनी सरकारे आकर चली गई,कितनी ही आंतरिक और बाहरी सुरक्षा से सम्बंधित जाँच दल जाँच कर रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी परन्तु भारत की सुरक्षा चुनोंतियाँ कम होनें के बजाय बढ़ती ही जा रही हैं,आईयें जानतें हैं इन सुरक्षा चुनोंतियों के बारें में विस्तार से

नक्सलवाद :::

सन् 1975 में पश्चिम बंगाल के छोटे से गाँव नक्सलवाड़ी से शुरू हुआ ये आंदोलन भारत में सबसे लम्बें समय तक चलनें वाले हिंसक आन्दोंलन में से एक माना जाता हैं.वर्तमान में भारत के 11 राज्य और 165 जिले इसकी चपेट में हैं.नक्सलवादी अपनी माँगों के समर्थन में हर साल 1500 से 2000 सुरक्षा बलों की जान ले लेते हैं.छत्तीसगढ़,उड़ीसा के बड़े भू भाग में इन्होनें अपनी समानांतर सरकार स्थापित की हुई हैं.जहाँ नक्सलवादी कानून ही चलता हैं.लेकिन सरकारें इस आंदोलन को कानून और व्यवस्था का सवाल माननें की बजाय शोषण और विकास की वंचना से उपजा रोष ही मानती चली आ रही हैं.इस सम्बंध में दो बुनियादी सवाल उठतें हैं.

1. विकास की वंचना से उपजा रोष हैं,तो आजादी के 70 वर्षों बाद भी अब तक इन लोगों को विकास की मुख्य धारा में शामिल क्यों नहीं कर सकें ?

2. इन क्षेत्रों में चलनें वालें समानांतर कानून क्या भारत की अस्मिता को चुनोंती नही देतें ?

वास्तव में नक्सलवाद भारत की संम्प्रुता,एकता अखण्ड़ता को उसी तरह की चुनोतीं प्रस्तुत कर रहा हैं,जिस तरह की चुनोतीं भारत को पाकिस्तान से मिल रही हैं.यदि सरकारें नक्सलवाद को अतीत का शब्द बनाना चाहती हैं,तो इन दो बिन्दुओं पर गंभीरता से विचार करें.

1.भारतीय संविधान को सर्वप्रमुख मानतें हुयें नक्सलवाद के विरद्ध प्रभावी सेनिक,पुलिस ,अर्धसेनिक प्रतिक्रिया सुनिश्चित करें.

2. अलगाव और विकास की समस्या खत्म करनें हेतू युद्ध स्तर पर विकासात्मक कार्यक्रमों का संचालन और समुदाय आधारित निगरानी तंत्र को अमल में लायें.

आतंकवाद :::

देश दुनिया में आजतक का सबसे चर्चित कोई शब्द हैं,तो वह आतंकवाद ही हैं.भारत आतंककारी गतिविविधियों से अपनें जन्म के समय से ही जुझ रहा हैं.भारत के कुछ महत्वपूर्ण राज्यों में तो इसनें अपना स्थाई मुकाम बना लिया हैं.जिस तरह से धर्म की ग़लत व्याख्या के द्धारा युवाओं को कुर्बानी के लिये बड़े पैमानें पर उकसाया जा रहा हैं,उससे आनें वाले समय में इसका और भी विभत्स रूप सामनें आ सकता हैं.अत:यदि आतंकवाद को कुचलना हैं,तो हमें निम्न बिंदुओं को प्रभावी रूप में अमल में लाना पड़ेगा.

1. हर धर्म में ऐसे मूल्य विधमान हैं,जो कि मानवीयता,सहिष्णुता को अपनें धर्म का प्रमुख अंग मानतें हैं.क्यों नहीं हम उन आदर्शों की स्थापना को महत्व दें.

2. मुखबिर और खुफिया जानकारी के लिये एकीकृत कमान बनाकर सूचनाओं का विश्लेषण और साझाकरण तुरन्त होना चाहियें.

3. पुलिस को आतंकवादी गतिविविधियों की रोकथाम हेतू सक्षम बनाया जावें.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER  पतंजलि आयुर्वेद ने high blood pressure की नई गोली BPGRIT निकाली हैं। इसके पहले पतंजलि आयुर्वेद ने उच्च रक्तचाप के लिए Divya Mukta Vati निकाली थी। अब सवाल उठता हैं कि पतंजलि आयुर्वेद को मुक्ता वटी के अलावा बीपी ग्रिट निकालने की क्या आवश्यकता बढ़ी। तो आईए जानतें हैं BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER के बारें में कुछ महत्वपूर्ण बातें BPGRIT INGREDIENTS 1.अर्जुन छाल चूर्ण ( Terminalia Arjuna ) 150 मिलीग्राम 2.अनारदाना ( Punica granatum ) 100 मिलीग्राम 3.गोखरु ( Tribulus Terrestris  ) 100 मिलीग्राम 4.लहसुन ( Allium sativam ) 100  मिलीग्राम 5.दालचीनी (Cinnamon zeylanicun) 50 मिलीग्राम 6.शुद्ध  गुग्गुल ( Commiphora mukul )  7.गोंद रेजिन 10 मिलीग्राम 8.बबूल‌ गोंद 8 मिलीग्राम 9.टेल्कम (Hydrated Magnesium silicate) 8 मिलीग्राम 10. Microcrystlline cellulose 16 मिलीग्राम 11. Sodium carboxmethyle cellulose 8 मिलीग्राम DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER INGREDIENTS 1.गजवा  ( Onosma Bracteatum) 2.ब्राम्ही ( Bacopa monnieri) 3.शंखपुष्पी (Convolvulus pl

होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर #1 से नम्बर #28 तक Homeopathic bio combination in hindi

  1.बायो काम्बिनेशन नम्बर 1 एनिमिया के लिये होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर 1 का उपयोग रक्ताल्पता या एनिमिया को दूर करनें के लियें किया जाता हैं । रक्ताल्पता या एनिमिया शरीर की एक ऐसी अवस्था हैं जिसमें रक्त में हिमोग्लोबिन की सघनता कम हो जाती हैं । हिमोग्लोबिन की कमी होनें से रक्त में आक्सीजन कम परिवहन हो पाता हैं ।  W.H.O.के अनुसार यदि पुरूष में 13 gm/100 ML ,और स्त्री में 12 gm/100ML से कम हिमोग्लोबिन रक्त में हैं तो इसका मतलब हैं कि व्यक्ति एनिमिक या रक्ताल्पता से ग्रसित हैं । एनिमिया के लक्षण ::: 1.शरीर में थकान 2.काम करतें समय साँस लेनें में परेशानी होना 3.चक्कर  आना  4.सिरदर्द 5. हाथों की हथेली और चेहरा पीला होना 6.ह्रदय की असामान्य धड़कन 7.ankle पर सूजन आना 8. अधिक उम्र के लोगों में ह्रदय शूल होना 9.किसी चोंट या बीमारी के कारण शरीर से अधिक रक्त निकलना बायोकाम्बिनेशन नम्बर  1 के मुख्य घटक ० केल्केरिया फास्फोरिका 3x ० फेंरम फास्फोरिकम 3x ० नेट्रम म्यूरिटिकम 6x

जीवनसाथी के साथ नंगा सोना चाहिए या नही।Nange sone ke fayde

  जीवनसाथी के साथ नंगा सोना चाहिए या नही nange sone ke fayde इंटरनेट पर जानी मानी विदेशी health website जीवन-साथी के साथ नंगा सोने के फायदे बता रही है लेकिन क्या भारतीय मौसम और आयुर्वेद मतानुसार मनुष्य की प्रकृति के हिसाब से जीवनसाथी के साथ नंगा सोना फायदा पहुंचाता है आइए जानें विस्तार से 1.सेक्स करने के बाद नंगा सोने से नींद अच्छी आती हैं यह बात सही है कि सेक्सुअल इंटरकोर्स के बाद जब हम पार्टनर के साथ नंगा सोते हैं तो हमारा रक्तचाप कम हो जाता हैं,ह्रदय की धड़कन थोड़ी सी थीमी हो जाती हैं और शरीर का तापमान कम हो जाता है जिससे बहुत जल्दी नींद आ जाती है।  भारतीय मौसम और व्यक्ति की प्रकृति के दृष्टिकोण से देखें तो ठंड और बसंत में यदि कफ प्रकृति का व्यक्ति अपने पार्टनर के साथ नंगा होकर सोएगा तो उसे सोने के दो तीन घंटे बाद ठंड लग सकती हैं ।  शरीर का तापमान कम होने से हाथ पांव में दर्द और सर्दी खांसी और बुखार आ सकता हैं । अतः कफ प्रकृति के व्यक्ति को सेक्सुअल इंटरकोर्स के एक से दो घंटे बाद तक ही नंगा सोना चाहिए। वात प्रकृति के व्यक्ति को गर्मी और बसंत में पार्टनर के साथ नंगा होकर सोने में कोई