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पश्चिमी संरक्षणवाद और ब्रिक्स [BRICS]

ब्रिक्स [BRICS] क्या हैं :::

ब्रिक्स की स्थापना सन् 2009 में हुई थी.यह
ब्रिक्स विश्व के पाँच देशो का संगठन हैं,जिसमें सम्मिलित हैं, ब्राजील,रूस,इंड़िया, चायना और दक्षिण अफ्रीका.इन राष्ट्रों के प्रथम अक्षरों से इस संगठन का नाम BRICS पड़ा.आरम्भ  में इस संगठन में केवल चार ही देश थें,तत्पश्चात 2010 में दक्षिण अफ्रीका को सम्मिलित कर इसकी सदस्य संख्या पाँच हो गई.

इतिहास :::

ब्रिक संगठन की उत्पत्ति के पीछे गोल्ड़मैन सेच बैंक की 2003 में प्रकासित रिपोर्ट "Dreaming with BRICS : The path to 2050" को माना जाता हैं,जिसमें इन देशों की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को एक दूसरें के पूरक मानकर इनके मध्य सहयोग की भावना पर प्रकाश डाला गया था.
इसी रिपोर्ट की भावना से प्रेरित होकर सन् 2008 में चार राष्ट्रों (ब्राजील,रूस,इंड़िया, चायना) के विदेश मंत्रीयों का सम्मेलन हुआ जिसमें निर्णय लिया गया कि ये देश नियमित शिखर सम्मेलन कर मिलते रहेंगें.

प्रथम सम्मेलन :::

ब्रिक्स का प्रथम शिखर सम्मेलन जून 2009 में रूस के शहर येकैटिरनबर्ग में आयोजित किया गया था.जिसमें ब्राजील के राष्ट्रपति लुई इनासिओ लूला डि'सिल्वा,रूस के राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव,भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा चीन के राष्ट्राध्यक्ष हू जिन्ताओं ने शिरकत की थी.

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जनसँख्या और अर्थव्यवस्था और भौगोलिक आधार :::

ब्रिक्स देश विश्व की कुल 43% जनसँख्या का प्रतिनिधित्व करते जिसमें दो राष्ट्र चीन और भारत में क्रमश: विश्व की सर्वाधिक जनसँख्या निवास करती हैं.

इन देशों की अर्थव्यवस्था सम्मिलित रूप से विश्व की अर्थव्यवस्था मे 15 खरब डालर का योगदान करती हैं.

ब्रिक्स का सम्मिलित भू - भाग विश्व के भू - भाग का 25 % हैं.जिसमें रूस का विश्व का सरवाधिक क्षेत्रफल वाला राष्ट्र हैं.जबकि चीन ब्राजील ओर भारत क्रमश: तीसरा ,पाँचवा और सांतवा स्थान रखते हैं.

वर्तमान समय में ब्रिक्स की भूमिका :::

ऐसे समय जब अमेरिका और पश्चिमी राष्ट्र अपने यहाँ की नितियों को अपनें नागरिको के हितों के अनूकूल बनानें के लिये प्रयासरत हैं,ब्रिक्स को अपनें बाजारों को एक दूसरे के देशों के कामगारों के अनूकुल बनाना होगा.क्योंकि ब्रिक्स देश विकास की असीम संभावना वालें राष्ट्र हैं.
भारत में चलनें वाला "मेक इन इंड़िया" अभियान इस संभावना को बल प्रदान करनें वाला हैं,कि ब्रिक्स राष्ट्र अपनी टेक्नोलाजी के उघम  भारत में स्थापित कर अपने कामगारों को यहाँ भेजकर भारतीयों को उनकी टेक्नोलाजी से परिचित करायें,रूस इस दिशा 
में ब्रिक्स राष्ट्रों की काँफी मदद कर सकता हैं,क्योंकि रूस जनकमी से जूझ रहा हैं,और अपना उत्पादन बढ़ानें के लिये प्रयासरत हैं,जिसे अन्य ब्रिक्स राष्ट्रों की मदद से आसानी से प्राप्त किया जा सकता हैं.

कृषि क्षेत्र में भी ये राष्ट्र एक दूसरे को काफी बेहतर तरीके से मदद कर सकते हैं .भारत दूध,मसालों,और फल का बड़ा उत्पादक राष्ट्र है,वही रुस के पास कृषि क्षेत्र में उच्च स्तर की टेक्नोलाजी हैं.इस टेक्नोलाजी का लाभ भारतीय किसानों को उपलब्ध करवाकर उनकी दशा उन्नत की जा सकती हैं.जबकि भारत के फल,दूध,मसालों की रूस में बढ़ी मांग हैं.

 दक्षिण अफ्रीका सोनें का उत्पादक और निर्यातक राष्ट्र जबकि भारत आयातक भारत सोनें के आभूषण मूर्ति सजावट़ के सामान,मेड़ल आदि बनाकर यदि ब्रिक्स राष्ट्रों को निर्यात करें तो भारतीय आभूषण बाजार एक नई चमक के साथ अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकता हैं .

चीन दुनिया की दूसरी बढ़ी अर्थवयवस्था बन गया हैं,साथ ही भारत का बढ़ा पड़ोसी भी हैं.आज के हालात में चीन के साथ भारत के सीमा विवाद हैं,परन्तु कई मुद्दों पर सहयोग भी हैं,यदि हम चीन के साथ विवाद के मुद्दो को बातचीत और व्यापार के साथ आगे बढ़ाये तो नई ऊँचाई पर रिस्तों को ले जा सकते हैं.अभी व्यापार संतुलन चीन के पक्ष में हैं जिसे संतुलित करनें की आवश्यकता हैं.

ब्राजील के साथ भी सहयोग के कई मुद्दे हैं जैसे फुट़बाल के खेल में ब्राजील अग्रणी हैं,इस देश का सहयोग भारत में फुट़बाल के विकास में लिया जा सकता हैं,जिससे भारतीय फुट़बाल टीम विश्व की अग्रणी टीम बन सकें.
भारत से ब्राजील को स्वास्थ सेवा के क्षेत्र में मदद की जा सकती भारतीय चिकित्सतको,आयुर्वैद और योग की वहाँ बहुत मांग हैं.
इनके अलावा भी कई महत्वपूर्ण साझा मुद्दे हैं जैसे पर्यावरण,संयुक्त राष्ट्र संघ तथा वैश्विक वित्तीय संस्थाओं में सुधार .
यदि ब्रिक्स राष्ट्र इन मुद्दों के साथ आगे बढ़े तो एक बेहतर विश्व व्यवस्था में इनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा.



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